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Wednesday,09-April-2025

राजनीति

प्रवासी मजदूरों को मिला मनरेगा का आसरा, जून में 84 फीसदी ज्यादा मिला काम

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MGNREGA

कोरोना काल में शहरों से वापस घर लौटे करोड़ों प्रवासी मजदूरों को मनरेगा का आसरा मिल गया है। मनरेगा के तहत गांवों के दिहाड़ी मजूदरों को इस महीने जून में पिछले साल के मुकाबले 84 फीसदी ज्यादा काम मिला है। महामारी के मौजूदा संकट काल में यह योजना न सिर्फ रोजगार देने वाली बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की संचालक भी बनने वाली है। मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम की स्कीम के तहत पूरे देश में इस महीने औसतन 3.42 करोड़ लोगों को रोजाना काम करने की पेशकश की गई है जोकि पिछले साल के इसी महीने के मुकाबले 83.87 फीसदी अधिक है।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से मिले इन आंकड़ों के अनुसार, बीेते महीने मई में औसतन 2.51 करोड़ लोगों को मनरेगा के तहत काम मिला जोकि पिछले साल के इसी महीने के औसत आंकड़े 1.45 करोड़ के मुकाबले 73 फीसदी अधिक है। इस प्रकार मई में मनरेगा के तहत रोजगार में 73.1 फीसदी का इजाफा हुआ।

वहीं, चालू महीने जून में मनरेगा की स्कीम के तहत रोजाना काम करने वालों की औसत संख्या 3.42 करोड़ है जबकि पिछले साल इसी महीने में इस योजना के तहत रोजाना औसतन 1.86 करोड़ लोगों को काम मिला था। मनरेगा के तहत रोजगार की गणना मानव दिवस के रूप करते हैं। जिसके मुताबिक एक दिन में जितने लोगों को काम मिलता है वह उतने मादव दिवस होते हैं। इस प्रकार जून में औसतन यह आंकड़ा 3.42 करोड़ मानव दिवस रहेगा।

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि मनरेगा के तहत काम करने वाले मजदूरों को मजदूरी का भुगतान सीधे उनके बैंक खाते में होने लगी है और इस योजना के लिए आवंटित राशि में से करीब 31,500 करोड़ रुपये राज्यों को जारी कर दिया गया है।

मनरेगा के तहत चालू वित्त वर्ष 2020-21 में कुल बजटीय आवंटन 61,500 करोड़ रुपये था, लेकिन 17 मई को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने इस योजना के लिए 40,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि के आवंटन की घोषणा। यह राशि आत्मनिर्भर अभियान के तहत सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का हिस्सा है। सरकार ने मनरेगा के बजट में बढ़ोतरी कोरोना काल में शहरों से मजदूरों के पलायन के मद्देनजर किया है ताकि गांवों में उनको रोजगार मिल सके।

इसके साथ ही सरकार ने मनरेगा के तहत मजदूरों की दैनिक मजदूरी की दर 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दी है।

मनरेगा के तहत आवंटित राशि का 60 फीसदी हिस्सा अकुशल मजदूरों से लिए जाने वाले काम के लिए उनको मजूदरी देने पर खर्च होता है जबकि 40 फीसदी तक हिस्सा योजना के तहत होने वाले काम में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की लागत के साथ-साथ परियोजना में शामिल किए जानेवाले कुशल श्रमिकों के पारिश्रमिक पर खर्च किया जाता है।

अधिकारी ने बताया कि मनरेगा के तहत इस समय जल संरक्षण और सिंचाई की बुनियादी संरचना विकास को विशेष तवज्जो दिया जा रहा है जिससे आने वाले दिनों कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

अर्थशास्त्री बताते हैं कि कोरोना महामारी के मौजूदा संकट के दौर में ग्राीमण क्षेत्र में मनरेगा आय सृजन का एक जरिया है। लोगों को काम मिलेगा तो उनकी जेब में पैसे आएंगे और उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी जिससे मांग का सृजन होगा।

राजनीति

बंगाल की संस्कृति की अनदेखी भाजपा को पड़ेगी भारी : सौरभ भारद्वाज

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नई दिल्ली, 9 अप्रैल। दिल्ली के चित्तरंजन पार्क इलाके में मांस और मछली की दुकानों को लेकर विवाद छिड़ गया है। इस विवाद के केंद्र में एक वीडियो है, जिसमें कुछ लोग डीडीए मार्केट स्थित एक मंदिर के बगल में चल रही मांस-मछली की दुकानों को जबरन बंद कराने की कोशिश कर रहे हैं।

यह मामला अब राजनीतिक रंग ले चुका है, जहां आम आदमी पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी पर सीधा हमला बोला है।

‘आप’ नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, “भाजपा को देश की संस्कृति के बारे में कुछ नहीं मालूम। वे व्हाट्सएप पर जो देखते हैं, उसे ही सच मान लेते हैं। चित्तरंजन पार्क में बंगाली समुदाय के लोग रहते हैं, जो सबसे ज्यादा शिक्षित और समझदार हैं। बंगाल की संस्कृति की अनदेखी भाजपा को भारी पड़ेगी।”

उन्होंने कहा कि जिस प्रांगण में मां दुर्गा की पूजा होती है, वहां मांस और मछली भी प्रसाद स्वरूप चढ़ाई जाती है। बंगाली समाज नवरात्र में भी मांसाहार करता है, यह उनकी सांस्कृतिक पहचान है।

उन्होंने सवाल उठाया, “डीडीए ने इन दुकानों को कानूनी रूप से आवंटित किया है। ऐसे में भाजपा समर्थकों द्वारा गरीब दुकानदारों को धमकाना और धौंस जमाना बिल्कुल गलत है। भाजपा अपनी ताकत सिर्फ गरीबों पर ही क्यों दिखाती है?”

आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता आतिशी ने भी भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा, “अगर भाजपा को मांस-मछली की दुकानों से इतनी परेशानी है, तो उन्हें पहले डीडीए से सवाल करना चाहिए, जिसने ये दुकानें आवंटित की हैं। गरीब दुकानदारों को परेशान करना और उन पर अत्याचार करना कहीं न कहीं भाजपा की उगाही की मंशा को दर्शाता है।”

इस पूरे विवाद पर स्थानीय दुकानदारों का कहना है कि यह मार्केट पिछले 70 वर्षों से यहां स्थित है और मंदिर भी मार्केट के लोगों ने ही बनवाया है। दुकानदारों का आरोप है कि कुछ लोग जबरन संस्कृति के नाम पर दुकानों को बंद करवाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि दुकानें डीडीए से पूरी तरह से अनुमोदित हैं।

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महाराष्ट्र

वानखेड़े ने काशिफ खान और राखी सावंत के खिलाफ मानहानि का मामला वापस लिया

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मुंबई: एनसीबी के पूर्व जोनल डायरेक्टर एडिशनल कमिश्नर आईआरएस ने फिल्म अभिनेत्री राखी सावंत और उनके वकील काशिफ अली खान के खिलाफ दायर मानहानि का केस वापस ले लिया है। समीर वानखेड़े ने राखी सावंत और उनके वकील काशिफ अली खान देशमुख के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर 11.55 लाख रुपये का मुआवजा मांगा था। वानखेड़े ने व्यक्तिगत आधार पर मामला वापस ले लिया। शिकायत वापस लेने पर काशिफ अली खान ने कहा कि हमारी मध्यस्थता पूरी हो गई है। आपसी मतभेद के बजाय हमने अपने छिपे हुए दुश्मनों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। इसका एक उदाहरण यह है कि मैंने समीर वानखेड़े की बहन यास्मीन वानखेड़े के मामले की पैरवी की है और पूर्व मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा भी दायर किया है।

समीर वानखेड़े ने शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को कॉर्डेलिया क्रूज मामले में गिरफ्तार किया था और इस मामले में गिरफ्तार किए गए मनमोहन धमीचा के वकील काशिफ अली खान ने अपने इंस्टाग्राम और सोशल मीडिया चैनलों पर समीर वानखेड़े के खिलाफ आपत्तिजनक और अभद्र टिप्पणी की थी, जिसके बाद वानखेड़े ने उनके खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया और राखी सावंत ने भी उसी पोस्ट को अपने इंस्टाग्राम पर शेयर किया। चूंकि काशिफ अली खान ही राखी सावंत के कई मामलों की पैरवी कर रहे हैं, इसलिए वानखेड़े ने उन दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था, लेकिन अब वानखेड़े ने निजी कारणों के आधार पर मामला वापस ले लिया है। अदालत ने मामले की वापसी के लिए पक्षकारों को उपस्थित रहने का आदेश दिया था, जबकि वानखेड़े ने कहा कि उनका काशिफ अली के साथ समझौता हो गया है और इस समझ के बाद वानखेड़े ने मामला वापस ले लिया है।

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राष्ट्रीय समाचार

सड़क चौड़ीकरण के लिए जयपुर में चला जेडीए का बुलडोजर, हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई

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जयपुर, 9 अप्रैल। राजस्थान हाईकोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने जयपुर के 200 फीट बायपास से खातीपुरा झारखंड मोड़ तक सड़क की चौड़ाई बढ़ाने के लिए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी है। जेडीए के जोन 7 के तहत आने वाली इस सड़क को 160 फीट चौड़ा करने का लक्ष्य है, ताकि यातायात को सुगम बनाया जा सके। हाईकोर्ट ने पिछले साल 21 नवंबर को जेडीए को इस दिशा में त्वरित कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे, जिसके बाद यह कदम उठाया गया है।

जेडीए ने इस कार्रवाई को व्यवस्थित तरीके से अंजाम देने के लिए पांच टीमें गठित की हैं। इन टीमों ने सबसे पहले सड़क की सीमा का डिमार्केशन किया और अतिक्रमण के दायरे में आने वाली संरचनाओं को चिह्नित किया। इसके बाद अतिक्रमण करने वालों को नोटिस जारी कर उन्हें स्वयं अतिक्रमण हटाने का मौका दिया गया। जेडीए के इस कदम का असर भी दिखाई दिया, क्योंकि नोटिस मिलने के बाद कई लोगों ने अपने स्तर पर ही अतिक्रमण हटाना शुरू कर दिया। जो बाकी थे, उन्हें हटाने के लिए जेडीए का दस्ता सक्रिय रूप से जुट गया।

यह जयपुर शहर के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है, जो 200 फीट बाईपास से खातीपुरा और झारखंड मोड़ को जोड़ता है। पिछले कुछ सालों में इस इलाके में बढ़ते ट्रैफिक और अतिक्रमण के कारण सड़क संकरी हो गई थी, जिससे आए दिन जाम की समस्या बनी रहती थी। स्थानीय लोगों और व्यापारियों ने भी इस समस्या को लेकर कई बार शिकायत की थी। हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद अब इस दिशा में ठोस कदम उठाया जा रहा है।

जेडीए अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से कोर्ट के निर्देशों के अनुसार हो रही है और इसे जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश की जा रही है। अतिक्रमण हटाने के बाद सड़क को 160 फीट चौड़ा करने का काम शुरू होगा, जिससे न केवल यातायात की समस्या कम होगी, बल्कि क्षेत्र का विकास भी होगा। स्थानीय निवासियों ने इस कदम का स्वागत किया है।

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