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Tuesday,15-April-2025
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80 प्रतिशत भारतीय कंपनियां एआई को दे रही हैं प्राथमिकता : रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 15 जनवरी। भारत ने खुद को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) अपनाने में अग्रणी देश के रूप में स्थापित किया है। इसी के साथ देश में 80 प्रतिशत कंपनियों ने एआई को ‘मुख्य रणनीतिक प्राथमिकता’ के रूप में पहचाना है, जो वैश्विक औसत 75 प्रतिशत से काफी अधिक है। बुधवार को आई एक एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 69 प्रतिशत भारतीय कंपनियां 2025 में टेक इन्वेस्टमेंट बढ़ाने की योजना बना रही हैं, जिनमें से एक तिहाई कंपनियां एआई पहलों के लिए 25 मिलियन डॉलर से अधिक आवंटित कर रही हैं।

इसके अलावा, 10 प्रतिशत से भी कम भारतीय अधिकारियों को एआई-ड्रिवन ऑटोमेशन के कारण कर्मचारियों की संख्या में कमी की उम्मीद है।

बीसीजी एक्स, बीसीजी के इंडिया लीडर निपुण कालरा ने कहा, “यह देश के महत्वाकांक्षी डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन एजेंडे के अनुरूप है।

इस संदर्भ में, 69 प्रतिशत भारतीय फर्मों ने 2025 में अपने टेक इन्वेस्टमेंट को बढ़ाने की योजना बनाई है, जिसमें से एक तिहाई कंपनियां एआई पहलों के लिए 25 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश कर रही हैं।”

लगभग 81 प्रतिशत भारतीय कंपनियां एआई से जुड़े साइबर सिक्योरिटी उपायों में सुधार की जरूरत को स्वीकार करती हैं, जो कि एआई एप्लीकेशन के बढ़ती जटिलता को देखते हुए महत्वपूर्ण है।

कालरा ने कहा, “दिलचस्प बात यह है कि भारतीय कंपनियां भी हाई-इंपैक्ट एप्लीकेशन के लिए एआई को अपना रही हैं, जिसमें वर्कफ्लो को नया आकार देने और नए व्यवसाय मॉडल का आविष्कार करने पर पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है, जिससे भारत इस सेक्टर में इनोवेशन के वाहक के रूप में स्थापित हो रहा है,”

जबकि 76 प्रतिशत भारतीय कार्यकारी स्वीकार करते हैं कि एआई साइबर सुरक्षा उपायों में महत्वपूर्ण सुधार की आवश्यकता है, 54 प्रतिशत नियामक चुनौतियों को एआई अपनाने में कमी लाने वाले एक प्रमुख कारक के रूप में देखते हैं।

विश्व स्तर पर केवल 7 प्रतिशत कार्यकारी यह अनुमान लगाते हैं कि एआई ऑटोमेशन से कर्मचारियों की कुल संख्या में कमी आएगी।

बीसीजी के सीईओ क्रिस्टोफ श्वेजर ने कहा, “सीईओ के साथ मेरी चर्चा में यह साफ है कि वे उत्पादकता बढ़ाने के लिए एआई को प्राथमिकता दे रहे हैं।”

व्यापार

भारत में एआई पर खर्च में 2028 तक होगा 35 प्रतिशत का इजाफा: रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 15 अप्रैल। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) पर खर्च भारत में 2028 तक 35 प्रतिशत बढ़कर 9.2 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।

इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन (आईडीसी) द्वारा जारी नए रिसर्च पेपर पर तैयार की गई क्यूलिक की रिपोर्ट में बताया गया कि बढ़ता हुआ खर्च एआई की क्षमता को अधिकतम करने के लिए बेहतर डेटा गुणवत्ता, प्रशासन और क्लाउड माइग्रेशन की आवश्यकता को दिखाता है।

रिपोर्ट में बताया गया कि 51 प्रतिशत भारतीय कंपनियां क्लाउड पर एआई सॉल्यूशंस होस्ट कर रही हैं। हालांकि, खराब गुणवत्ता एक चुनौती बनी हुई है।

रिपोर्ट में बताया गया कि गुणवत्तापूर्ण डेटा एक बड़ी समस्या बनी हुई है। भारत में 54 प्रतिशत, ऑस्ट्रेलिया में 40 प्रतिशत और आसियान में 40 प्रतिशत और एपीएसी में 50.4 प्रतिशत कंपनियां, इसे चुनौती मानती हैं।

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 62 प्रतिशत भारतीय संस्थाओं ने डेटा गवर्नेंस और प्राइवेसी पॉलिसी में सुधार की आवश्यकता को पहचाना है, जबकि 28 प्रतिशत एआई डेटा पूर्वाग्रह की चुनौती जूझ रही थी।

इन चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय कंपनियां एआई-तैयार डेटा रणनीतियों को स्थापित करने के लिए डेटा एकीकरण, एमएल प्लेटफॉर्म और एनालिटिक्स में निवेश कर रही हैं।

क्यूलिक के भारत वाइस प्रेसिडेंट वरुण बब्बर ने कहा, “भारतीय संस्थाएं क्लाउड को अपनाने को एआई की सफलता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानती हैं।”

उन्होंने आगे कहा कि एआई आधारित इनोवेशन को बढ़ाने के लिए, व्यवसायों को एक मजबूत, स्केलेबल डेटा इन्फ्रास्ट्रक्चर की आवश्यकता होगी जो हाई-परफॉर्मेंस एआई एप्लीकेशंस का सपोर्ट करता हो।

‘आईडीसी इन्फोब्रीफ’ की रिपोर्ट में बताया गया कि 36 प्रतिशत एंटरप्राइजेज जेनएआई का उपयोग कर रहे हैं और 46 प्रतिशत 12-24 महीनों के भीतर निवेश की योजना बना रहे हैं।

भारत, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बराबर है और 20 प्रतिशत संस्थाओं के पास एडवांस एआई क्षमताएं हैं, हालांकि देश आसियान से पीछे है, जहां 27 प्रतिशत संस्थाएं इस स्तर तक पहुंच चुकी हैं।

आईडीसी एशिया/पैसिफिक की बिग डेटा एनालिटिक्स, ब्लॉकचेन और वेब3 रिसर्च की एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट दीपिका गिरी ने कहा, “जेनएआई भारत में उद्योगों को बदल रहा है। खुदरा क्षेत्र में अनुपालन से लेकर वित्त में धोखाधड़ी की रोकथाम और मैन्युफैक्चरिंग में पूर्वानुमानित रखरखाव तक में इसका उपयोग किया जा रहा है।”

उन्होंने आगे कहा कि इसकी पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए, संस्थाओं को विश्वसनीय डेटा, मजबूत प्रशासन और इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्राथमिकता देनी चाहिए, जिससे एआई को प्रभावी और जिम्मेदारी से बढ़ाया जा सके।

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महाराष्ट्र

सकारात्मक वैश्विक संकेतों से भारतीय शेयर बाजार तेजी के साथ खुला

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मुंबई, 15 अप्रैल। सकारात्मक वैश्विक संकेतों के कारण भारतीय शेयर बाजार मंगलवार के कारोबारी सत्र में तेजी के साथ खुला। सुबह 9:48 पर सेंसेक्स 1,573 अंक या 2.10 प्रतिशत की बढ़त के साथ 76,733 और निफ्टी 482 अंक या 2.12 प्रतिशत की तेजी के साथ 23,311 पर था।

बैंकिंग शेयरों ने तेजी का नेतृत्व किया। निफ्टी बैंक 1,127 अंक या 2.21 प्रतिशत बढ़कर 52,123 पर पहुंच गया।

शुरुआती कारोबार में लार्जकैप के साथ-साथ मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी उछाल देखने को मिला। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 832 अंक या 1.65 प्रतिशत बढ़कर 51,333 पर और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 343 अंक या 2.19 प्रतिशत बढ़कर 16,039 पर पहुंच गया।

लगभग सभी इंडेक्स हरे निशान में कारोबार कर रहे थे। ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, वित्तीय सेवाएं, मेटल और एनर्जी में सबसे अधिक तेजी के साथ कारोबार हो रहा था।

सेंसेक्स पैक में टाटा मोटर्स, एलएंडटी, एचडीएफसी बैंक, एमएंडएम, अदाणी पोर्ट्स, आईसीआईसीआई बैंक, इंडसइंड बैंक, सन फार्मा, एक्सिस बैंक और बजाज फाइनेंस टॉप गेनर्स थे। बीएसई बेंचमार्क में एकमात्र एचयूएल ही लाल निशान में कारोबार कर रहा था।

च्वाइस ब्रोकिंग के रिसर्च एनालिस्ट मंदार भोजने ने कहा, “सकारात्मक शुरुआत के बाद निफ्टी को 23,000 पर सपोर्ट मिलने की संभावना है, इसके बाद 22,900 और 22,800 पर समर्थन मिलेगा। ऊपर की ओर, 23,200 एक रुकावट के रूप में कार्य कर सकता है, इसके बाद 23,360 और 23,500 होंगे।”

प्रमुख एशियाई बाजारों में खरीदारी देखी गई। टोक्यो, हांगकांग, सियोल और जकार्ता हरे निशान में रहे। अमेरिकी बाजार सोमवार को बढ़त के साथ बंद हुए।

संस्थागत मोर्चे पर, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 11 अप्रैल को लगातार नौवें सत्र के लिए अपनी बिक्री का सिलसिला जारी रखा, और 2,519 करोड़ रुपये के इक्विटी बेचे। इसके विपरीत, घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) शुद्ध खरीदार बने रहे, जिन्होंने उसी दिन 3,759 करोड़ रुपये के इक्विटी खरीदे।

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व्यापार

भारत के हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में 2024 में हुई 25 डील, 42,000 नए कमरे जुड़े

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मुंबई, 14 अप्रैल। वर्ष 2024 भारत के हॉस्पिटैलिटी सेक्टर के लिए शानदार रहा। इस दौरान करीब 42,071 नए कमरे जोड़े गए। यह जानकारी एक रिपोर्ट में सोमवार को दी गई।

मीडिया के अनुसार, हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में वर्ष 2024 में लगभग 25 डील हुई। इसमें बिजनेस और अवकाश स्थल दोनों प्रकार की डील शामिल थीं।

मीडिया के मुताबिक, हाई-नेट-वर्थ व्यक्तियों, फैमिली ऑफिस और प्राइवेट होटल व्यवसायियों ने इस सेक्टर का नेतृत्व किया और कुल लेनदेन वॉल्यूम में इनका योगदान 51 प्रतिशत का था।

वहीं, लिस्टेड होटल कंपनियों का 34 प्रतिशत, मालिक-संचालकों और रियल एस्टेट डेवलपर्स ने क्रमशः 8 प्रतिशत और 7 प्रतिशत का छोटा लेकिन महत्वपूर्ण योगदान दिया।

रिपोर्ट में कहा गया कि बड़ी बात यह है कि टियर 2 और 3 शहरों की ओर बड़ा बदलाव हुआ है और सभी होटल लेनदेन में इन शहरों की हिस्सेदारी करीब 50 प्रतिशत हो गई है।

इस ट्रेड से उद्योग की पहुंच बढ़ी है और अमृतसर, मथुरा, बीकानेर और कई अन्य जैसे पहले से उपेक्षित बाजारों में गुणवत्तापूर्ण होटल की उपलब्धता बढ़ी है।

जेएलएल के होटल और हॉस्पिटैलिटी समूह में भारत के प्रबंध निदेशक जयदीप डांग ने कहा कि 2025 की पहली तिमाही में होटल लेनदेन बाजार में मजबूती देखने को मिली है, जिसमें जेएलएल ने चेन्नई और गोवा में दो सौदे किए हैं। परिचालन परिसंपत्तियों और भूमि पार्सल दोनों के लिए निवेशकों का उत्साह इस क्षेत्र के आकर्षण को दिखाता है, जो अनुकूल आर्थिक स्थितियों, वाणिज्यिक बाजारों के विस्तार और पर्यटन के लिए सरकार के हालिया बजट प्रोत्साहन से प्रेरित है।

डांग ने कहा कि 2024 होटल निवेश, उद्घाटन और हस्ताक्षर में रिकॉर्ड तोड़ने वाला वर्ष रहा है और 2025 की शुरुआत मजबूत हुई है और इस गति को आगे भी बनाए रखने की उम्मीद है।

इन समझौतों में मैनेजमेंट कॉन्ट्रैक्ट का प्रभुत्व रहा, जो साइन किए गए कुल एग्रीमेंट का 81 प्रतिशत था, जबकि फ्रेंचाइजी और लीज/आय हिस्सेदारी समझौते क्रमशः 14 प्रतिशत और 5 प्रतिशत थे।

रिपोर्ट में कहा गया कि 2024 में ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स की संख्या (28,281) पूरे वर्ष 2023 (13,600) को पार कर गई है, जो इस क्षेत्र के दीर्घकालिक विकास में होटल डेवलपर्स के स्थायी विश्वास को दर्शाता है।

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