अपराध
26/11 हमला : कब, कैसे क्या हुआ
26 नवंबर, 2008 की वह शाम थी, जिसने भारत के इतिहास में अब तक के सबसे भयावह आतंकी हमलों में से एक को देखा, जिसमें मुंबई के कई लैंडमार्क स्थानों पर आतंकियों ने हमला किया। हमलों में कम से कम 166 निर्दोष लोग मारे गए थे और 300 से अधिक घायल हुए थे। हमले ने अपना असर न सिर्फ उन लोगों के जीवन पर छोड़ा जिन्होंने जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया, बल्कि लाखों भारतीयों के मन पर भी गहरा असर छोड़ा, जिन्होंने नरसंहार देखा।
10 जुलाई 2015 को, पाकिस्तान और भारत के प्रधानमंत्रियों ने ‘आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की’ और दक्षिण एशिया से खतरे को खत्म करने के लिए सहयोग करने के लिए सहमत हुए, लेकिन दो परमाणु संपन्न देश मुंबई आतंकी हमले के मामले की जांच, ट्रायल और निर्णय पर आमने-सामने आ गए।
एक दशक से भी अधिक समय पहले हुए आतंकी हमले के बाद, पाकिस्तान अभी भी हमले के पीछे के मास्टरमाइंड हाफिज मुहम्मद सईद और उसके गुर्गों को सजा नहीं दे पाया है।
पाकिस्तान ने कहा है कि भारत ने पाकिस्तानी अदालतों को दोषियों को दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं दिए हैं।
पाकिस्तान द्वारा भारतीय डोजियर और साक्ष्य से इनकार मामले के कारण मामला अभी भी अधर में लटका हुआ है। उन तथ्यों पर गौर करना महत्वपूर्ण है जो निर्विवाद हैं और पहले से ही सामने आ चुके हैं।
पहला और सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि जिन 10 आतंकवादियों ने 26/11 हमले को अंजाम दिया था, उनमें से एकमात्र जीवित व्यक्ति अजमल कसाब पाकिस्तानी नागरिक था। कसाब, जिसे 2012 में भारत में फांसी दी गई थी, का जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के फरीदकोट इलाके में हुआ था। उसकी शुरूआती स्कूली शिक्षा फैसलाबाद में हुई थी जिसके बाद उसने 2005 में अपना घर छोड़ दिया और अपने एक दोस्त के साथ छोटी-मोटी डकैतियों में शामिल रहा।
उसी दौरान कसाब जमात-उद-दावा (जेयूडी) के प्रतिनिधियों के संपर्क में आया जो प्रतिबंधित संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का राजनीतिक विंग था, जिसने उसे भर्ती किया और उसे सिंध प्रांत के थाटा में आंतकवादी प्रशिक्षण शिविरों में भेजा।
पाकिस्तानी जांचकर्ताओं की जांच में इस विवरण का सत्यापन किया गया, जिन्होंने मुंबई हमलों के मामले की जांच की।
प्रशिक्षण के दौरान, कसाब को समुद्री मार्ग के माध्यम से भारत में प्रवेश करने और आतंकवादी हमले में महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों को टारगेट करने की योजना के बारे में बताया गया था।
कसाब को थाटा में लश्कर के सदस्यों द्वारा हथियारों और गोला-बारूद के साथ कमांडो ट्रेनिंग दिया गया था। इस तथ्य को भी सत्यापित किया गया है कि मुंबई हमले में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक उपकरणों को थाटा प्रशिक्षण शिविर से बरामद किया गया था और उनका विधिवत मिलान किया गया था।
कसाब को उसकी टीम के नौ सदस्यों के साथ कराची बंदरगाह ले जाया गया, जहां से उन्होंने फिशिंग ट्रॉलर का इस्तेमाल किया, जो मुंबई की ओर रवाना हुआ। उनके द्वारा उपयोग किए गए ट्रॉलर को बाद में बंदरगाह पर वापस लाया गया था। पहचान छिपाने के लिए उसे पेंट किया गया था।
मुंबई बंदरगाह के पास आतंकवादियों द्वारा छोड़े गए डिंगी के इंजन से यह भी खुलासा हुआ कि इसे जापान से लाहौर और फिर कराची स्थित एक स्पोर्ट्स शॉप से आयात किया गया था जहां से लश्कर के आतंकवादियों ने इसे खरीदा था।
भारत का दावा है कि इस हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी और कराची में ऑपरेशन रूम के रूप में इसका दावा सही साबित हुआ, जहां से ऑपरेशन का निर्देश दिया गया था, जिसे जांचकर्ताओं द्वारा पहचाना और सिक्योर किया गया था।
हमलावरों और कराची में बैठे उनके ऑपरेटरों के बीच कम्युनिकेशन वॉइस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआइपी) के माध्यम से किए गए थे, जैसा कि पाकिस्तानी जांचकर्ताओं द्वारा पुष्टि की गई थी।
हमले के पीछे कथित कमांडर और मास्टरमाइंड, जेयूडी प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद, कश्मीर में लश्कर के ऑपरेशन के डिप्टी और सुप्रीम कमांडर जकीउर रहमान लखवी को गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, बाद में पाकिस्तान की अदालत ने दोनों को ‘सबूतों की कमी’ का हवाला देते हुए रिहा कर दिया था।
मनी ट्रेल का भी खुलासा किया गया था और विदेश में रहने वाले कुछ फाइनेंसरों और फैसिलिटेटर्स को गिरफ्तार किया गया था।
हर गुजरते साल के साथ, पाकिस्तानी अदालतों में मुंबई हमलों का मामला भारतीय डोजियर के प्रति अनदेखी और पाकिस्तान द्वारा मामले में अधिक सबूत की मांग के साथ खिंचता ही चला रहा है।
अपराध
वसई स्कूली छात्रा की मौत का मामला: 13 साल की बच्ची के लिए 100 स्क्वाट की सजा जानलेवा साबित होने पर शिक्षक गिरफ्तार

CRIME
वसई: वसई स्थित श्री हनुमंत विद्या मंदिर स्कूल में 13 वर्षीय छात्रा की मौत के मामले में शिक्षिका ममता यादव के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि शिक्षिका द्वारा दी गई सजा के कारण छात्रा की तबीयत बिगड़ गई और अंततः उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद मामला दर्ज कर बुधवार को शिक्षिका को गिरफ्तार कर लिया।
छात्रा काजल गौंड, वसई पूर्व के सातीवली स्थित श्री हनुमंत विद्या मंदिर स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ती थी। 8 नवंबर को कुछ बच्चे स्कूल देर से पहुँचे। कक्षा शिक्षिका ममता यादव ने काजल समेत सभी बच्चों को स्कूल बैग कंधे पर लादकर 100 उठक-बैठक करने की सज़ा दी।
स्कूल से घर लौटने के बाद काजल की तबीयत बिगड़ गई। उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस घटना के गंभीर परिणाम हुए। मंगलवार को पुलिस को जेजे अस्पताल से पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली।
नतीजतन, वालिव पुलिस ने आखिरकार शिक्षिका ममता यादव पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम की धारा 75 के तहत मौत के लिए ज़िम्मेदार होने का मामला दर्ज किया। शिक्षिका को बुधवार शाम को गिरफ्तार कर लिया गया।
वालिव पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक दिलीप घुगे ने बताया, “शुरुआत में इस मामले में आकस्मिक मौत का मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, जांच और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर शिक्षिका के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है और उसे कल शाम गिरफ्तार कर लिया गया।”
अपराध
महाराष्ट्र : अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट का भंडाफोड़, एनसीबी ने 25 किग्रा नारकोटिक ड्रग्स को जलाकर किया नष्ट

मुंबई, 20 नवंबर: नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) की मुंबई जोनल यूनिट ने एक सफल अभियान चलाते हुए नवी मुंबई में सक्रिय एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग सिंडिकेट को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। बुधवार को एनसीबी ने इस मामले में जब्त किए गए लगभग 25 किलोग्राम नशीले पदार्थों को विधिवत नष्ट कर दिया।
जब्त किए गए ड्रग्स में उच्च गुणवत्ता वाली कोकीन, हाइड्रोपोनिक गांजा (हाइड्रो गांजा) और गांजा गमीज शामिल थे। इनकी अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत करोड़ों रुपए आंकी जा रही है। जांच के दौरान पता चला कि यह सिंडिकेट विदेशी तस्करों से सीधा संपर्क रखता था और ड्रग्स को छिपाकर भारत में लाने की कोशिश कर रहा था।
एनसीबी ने लगातार निगरानी और खुफिया जानकारी के आधार पर दो मुख्य ड्रग तस्करों को भारत में घुसते ही दबोच लिया। आगे की जांच में इनके तार मलेशिया तक जुड़े पाए गए। टीम ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग से सिंडिकेट के किंगपिन को मलेशिया से डिपोर्ट करवाया और भारत लाकर गिरफ्तार कर लिया।
अब तक इस मामले में कुल 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें किंगपिन, उसके मुख्य सहयोगी, हवाला ऑपरेटर, ड्रग कैरियर, स्टोरेज रखने वाले और लोकल डिस्ट्रीब्यूटर शामिल हैं। एनसीबी ने ‘बॉटम टू टॉप’ रणनीति अपनाते हुए पूरे नेटवर्क को नेस्तनाबूद कर दिया।
वित्तीय जांच में किंगपिन से जुड़ी 10 करोड़ रुपए से अधिक की चल-अचल संपत्तियों को फ्रीज किया गया है। जांच पूरी होने के बाद केस की चार्जशीट नवी मुंबई की बेलापुर कोर्ट में दाखिल कर दी गई है।
ड्रग्स के नष्ट करने की प्रक्रिया भी पूरी पारदर्शिता के साथ हुई। एक हाई-लेवल ड्रग डिस्पोजल कमेटी (एचएलडीडीसी) का गठन किया गया था, जिसमें एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र), मुंबई जोनल यूनिट के एडिशनल डायरेक्टर और डीआरआई के एडिशनल डायरेक्टर शामिल थे। कमेटी की मौजूदगी में 19 नवंबर को तलोजा स्थित एमडब्ल्यूएमएल इंसीनरेशन प्लांट में सभी 25 किग्रा ड्रग्स को जलाकर सुरक्षित रूप से नष्ट कर दिया गया।
एनसीबी के अधिकारियों ने बताया कि ट्रायल से पहले ही ड्रग्स को नष्ट करना जरूरी होता है ताकि ये दोबारा बाजार में न पहुंच सकें। यह अभियान देश में संगठित ड्रग माफिया के खिलाफ चल रही मुहिम का हिस्सा है। एनसीबी ने फिर दोहराया कि वह जन स्वास्थ्य की रक्षा और प्रधानमंत्री के ‘2047 तक नशा मुक्त भारत’ के विजन को पूरा करने के लिए कटिबद्ध है।
अपराध
इस्लाम में खुदकुशी हराम, मासूमों का खून बहाना सबसे बड़ा गुनाह : असदुद्दीन ओवैसी

हैदराबाद, 19 नवंबर: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने दिल्ली ब्लास्ट के मुख्य आरोपी उमर नबी के एक पुराने वीडियो पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
वीडियो में उमर सुसाइड बॉम्बिंग को ‘शहादत’ और ‘गलत समझा गया अमल’ बता रहा है। ओवैसी ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “इस्लाम में खुदकुशी सख्त हराम है और मासूम लोगों का खून बहाना सबसे बड़ा गुनाह है। सुसाइड बॉम्बिंग को ‘शहादत’ कहना इस्लाम का अपमान है। यह किसी भी तरह ‘गलत समझा गया’ नहीं है। यह पूरी तरह आतंकवाद है और देश के कानून के खिलाफ जघन्य अपराध है।”
उन्होंने आगे केंद्र सरकार और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए आतंकी हमले को रोकने में विफल रहने की जिम्मेदारी लेने की बात कही। उन्होंने कहा, “पार्लियामेंट में गृह मंत्री अमित शाह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ‘ऑपरेशन महादेव’ का हवाला देते हुए दावा किया था कि पिछले छह महीनों में एक भी स्थानीय कश्मीरी युवक आतंकी संगठन में शामिल नहीं हुआ। फिर यह नया आतंकी मॉड्यूल कहां से पैदा हो गया?”
उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे संवेदनशील शहर में आईईडी प्लांट करने वाला यह ग्रुप खुफिया एजेंसियों की नाक के नीचे कैसे तैयार हुआ? इसका पता न लगा पाने की जिम्मेदारी कौन लेगा?
दिल्ली ब्लास्ट को लेकर जांच जारी है। अल फलाह यूनिवर्सिटी की भूमिका भी संदिग्ध है, जिसके कारण वो भी जांच के दायरे में हैं। इस बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद सिद्दीकी को 13 दिन की हिरासत में लिया है, जिसमें कई खुलासे होने की संभावना है। सिद्दीकी को आतंकी हमले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हिरासत में लिया गया है।
ईडी ने जावेद अहमद सिद्दीकी को मंगलवार देर रात दिल्ली की साकेत कोर्ट में पेश किया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) शीतल चौधरी प्रधान ने बुधवार रात करीब एक बजे जावेद अहमद सिद्दीकी को ईडी रिमांड पर भेजने का आदेश पारित किया।
अपने आदेश में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा कि ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों का पालन किया है और अपराध की गंभीरता को देखते हुए सिद्दीकी को 13 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेजा जाना चाहिए।
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