अपराध
26/11 हमला : दो न्यायायिक क्षेत्राधिकार वाला दुर्लभ मामला
भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में हुआ 26/11 आतंकवादी हमला, निस्संदेह भारत के लिए 9/11 जैसा ही क्षण था, जिसने भारत और पाकिस्तान को एक तरह से युद्ध की कगार पर लाकर रख दिया था और अमेरिका जैसी बाहरी शक्तियों को दोनों देशों की बीच बढ़ते तनाव को कम करने के लिए आगे आना पड़ा था।
हालांकि, आज भी, जैसा कि आतंकी हमलों के जिम्मेदार अपराधियों को सजा नहीं मिली है, दोनों कट्टर प्रतिद्वंद्वियों के बीच तनाव बढ़ना जारी है।
मुंबई आतंकवादी हमले और भारत में और पाकिस्तान में किए गए मामले की समानांतर जांच कई कानूनविदों और विशेषज्ञों के लिए अनोखा है क्योंकि इसकी जांच में दो न्यायालय और दो ट्रायल रहे हैं।
भारत की तरफ से 10 हमलावरों में से एक अकेला अजमल कसाब पकड़ा गया था। उसने अपना आपराधिक कृत्य का विवरण देते हुए हमले में अपनी भूमिका स्वीकारी थी जिसके कारण बाद में उसे दोषी ठहराया गया और मृत्युदंड दिया गया।
कई कानूनविदों ने कसाब मामले की जल्दबाजी और त्वरित सुनवाई पर सवाल उठाए लेकिन भारतीय विधान की ओर से, सभी कानूनी बाध्यताओं और आवश्यकताओं को पूरा किया गया था।
जबकि भारतीय पक्ष ने अपने अधिकार क्षेत्र के तहत मामले की जांच की, पाकिस्तान ने भी एक मामला दर्ज किया और अपने स्वयं के संवैधानिक कानूनों और न्यायालयों के तहत एक समानांतर जांच शुरू की, जो समय बीतने के साथ पता चला कि एक अलग क्षेत्राधिकार में एक साजिश साबित करना अधिक जटिल है और इसके लिए और बेहतर व पुख्ता सबूत की आवश्यकता होती है।
शुरू में, पाकिस्तान की जांच, जिसमें जमात उल दावा प्रमुख हाफिज मुहम्मद सईद और लश्कर के सुप्रीम लीडर जकीउर रहमान लखवी सहित हमले के कम से कम सात अपराधियों की गिरफ्तारी हुई, को 2009 में मिस्र में दोनों देशों के तत्कालीन प्रधानमंत्रियों के बीच वार्ता के दौरान भारत द्वारा सराहा गया।
हालांकि, समय बीतने के साथ और मामले में निर्णय बार-बार स्थगित होने के कारण पाकिस्तान की मंशा के प्रति भारत का नजरिया संदेह में बदल गया, क्योंकि अब नई दिल्ली ने पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान और उसकी खुफिया एजेंसियों पर भारत विरोधी आतंकी समूहों को समर्थन देने का आरोप लगाया, जिसका कारण यह है कि मुंबई आतंकवादी हमले के अपराधी अभी भी सजा से बचे हुए हैं।
दूसरी ओर, पाकिस्तान ने लगातार यह कहा कि हाफिज सईद के मास्टरमाइंड होने और लखवी के मुंबई हमलों के पीछे मुख्य संचालक होने के खिलाफ भारतीय सबूत, भारतीय डोजियर पाकिस्तानी अदालतों को संतुष्ट करने में नाकाम रहे हैं और ममाला रुक गया। वहीं, दूसरी ओर भारत, पाकिस्तान के रुख को खारिज करता है और कहता है कि इस्लामाबाद ने उसके डोजियर को जानबूझकर नजरअंदाज किया है।
यह उल्लेख करना उचित है कि पाकिस्तान में सुने जा रहे मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले को विभिन्न रूपों में देरी का सामना करना पड़ा है। प्रतिवादियों ने अपने वकीलों के माध्यम से देरी करने की रणनीति का इस्तेमाल किया है, जबकि ट्रायल जजों के बार-बार बदलाव और अभियोजक की हत्या कई विविधताओं के बीच हुई है, जिसने मामले को पाकिस्तान में वर्षों से लटकाए रखा है।
कई बार देखा गया है कि मामले के गवाह अपनी मूल गवाही से मुकर गए और अभियोजकों को गंभीर झटका दिया।
मुकदमे के दौरान, मामले को और लंबा करने वाले हिस्से के तौर पर पाकिस्तान द्वारा कथित कमांडर और उसके डिप्टी की आवाज के नमूने को रिकॉर्डेड आवाज से मिलाने के लिए मांग की गई थी।
पाकिस्तान द्वारा भारतीय पुलिस अधिकारियों के साथ कई जांच डोजियर के आदान-प्रदान के बाद ट्रायल कोर्ट से वॉइस सैंपल प्राप्त करने की मंजूरी देने का अनुरोध किया गया था। हालांकि, अदालत ने फैसला सुनाया कि अभियुक्तों की सहमति प्राप्त की जानी चाहिए, एक आवश्यकता, जिसमें संदिग्धों से स्पष्ट इनकार देखा गया।
यहां तक कि सत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत एक याचिका, जिसमें सहमति की कमी के बावजूद जांचकर्ताओं को आवाज के नमूने लेने के लिए अधिकृत करने का अनुरोध किया गया था, को नकार दिया गया था कि साक्ष्य अधिनियम या इस समय लागू आतंकवाद रोधी कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
दो मुख्य अपराधी हाफिज सईद और लखवी को बाद में पाकिस्तान की अदालत ने मामले में जमानत पर रिहा कर दिया था। लखवी को दिसंबर 2014 में रिहा किया गया था, लेकिन उसे तीन महीने तक हिरासत में रखा गया। फिर आतंकवाद रोधी अदालत (एटीसी) द्वारा अप्रैल 2015 में उसे रिहा किया गया।
अदालत ने कहा कि सबूत उसकी सजा के लिए पर्याप्त नहीं थे।
इसी तरह की कार्रवाई हाफिज सईद के मामले में देखी गई थी, जिसे जमानत पर रिहा भी किया गया था, अदालतों द्वारा रिहा होने से पहले उसे हिरासत में रखा गया था। लखवी के मामले में भी ऐसा ही किया गया।
इस मामले में छह अन्य अपराधी भी इन्हीं कारणों से जमानत पर बाहर हैं, जिन पर भारत ने गहरी निराशा जताई है।
जबकि पाकिस्तानी अदालतें यह कहती रहती हैं कि मुंबई हमले के मास्टरमाइंड और अपराधियों को दोषी ठहराने के लिए सबूतों का अभाव है, तत्कालीन उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारियों ने माना था कि हमले पाकिस्तान में रचे गए थे।
तत्कालीन संघीय गृह मंत्री रहमान मलिक ने ग्राफिक विवरण प्रदान किया था कि कैसे मुंबई हमलों का एक हिस्सा पाकिस्तान में रचा गया था।
दूसरी ओर, हाफिज सईद और लखवी के खिलाफ सबूतों के साथ ज्यादातर डोजियर को पाकिस्तानी अभियोजकों द्वारा मामले के रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं बनाया गया है, जो कानूनी जटिलताओं का संकेत देता है।
आगे के विवरणों से यह भी पता चला कि लखवी और सईद पाकिस्तानी जेल में अपने समय के दौरान वीआईपी मेहमानों से कम नहीं थे। रावलपिंडी के अदियाला जेल के अधिकारी और लाहौर की कोट लखपत जेल के जेल अधिकारियों ने यह खुलासा किया।
जेल के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “उनके पास टेलीविजन, मोबाइल फोन और इंटरनेट जैसी सुवधिाएं होने के साथ-साथ एक दिन में दर्जनों लोग उनसे मिलने आते थे।”
लखवी के जमानत पर रिहा होने के बाद से उसके ठौर-ठिकाने का पता नहीं चला है। जबकि हाफिज सईद को आतंकी वित्त पोषण के लिए अपने संगठन से संबंधित आउटलेट का इस्तेमाल करने के लिए दोषी पाए जाने पर 10 साल कैद की सजा सुनाई गई।
लेकिन जब पाकिस्तानी अधिकारियों ने सईद को आतंकवाद से जुड़े दो दर्जन से अधिक मामलों में दोषी पाया, तब भी उन्होंने मुंबई आतंकवादी हमलों में उसकी संलिप्तता को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, एक ऐसा मामला जिसने पाकिस्तान और भारत दोनों को जंग की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया था।
अपराध
अरुणाचल प्रदेश में पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में कश्मीरी युवक गिरफ्तार

डिब्रूगढ़, 13 दिसंबर: अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग जिले के आलो से जासूसी के एक मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। खुफिया एजेंसियों से मिली अहम जानकारी के आधार पर जम्मू-कश्मीर के एक युवक को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
यह पिछले एक सप्ताह के भीतर जासूसी के आरोप में हुई तीसरी गिरफ्तारी बताई जा रही है, जिससे सुरक्षा एजेंसियां और अधिक सतर्क हो गई हैं।
गिरफ्तार युवक की पहचान जम्मू-कश्मीर निवासी हिलाल अहमद (26) के रूप में हुई है। अधिकारियों के अनुसार, हिलाल अहमद को 11 दिसंबर की रात करीब 11 बजे हिरासत में लिया गया। आरोप है कि वह संवेदनशील और गोपनीय जानकारियां साझा कर रहा था, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता था।
गिरफ्तारी के बाद 12 दिसंबर की सुबह हिलाल अहमद को ईटानगर पुलिस थाने को सौंप दिया गया। अब मामले की आगे की जांच ईटानगर पुलिस कर रही है। सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि वह किन लोगों के संपर्क में था और क्या इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोग भी राज्य में सक्रिय हैं।
पश्चिमी सियांग जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कर्दक रिबा ने बताया कि हिलाल अहमद 25 नवंबर से आलो में मौजूद था। वह एक व्यापार मेले में हिस्सा लेने के लिए आया था। उसने यह मेला पापुम पारे जिले से प्रतिनिधित्व करते हुए अटैंड किया था।
पुलिस के अनुसार, हिलाल अहमद के पास वैध इनर लाइन परमिट (आईएलपी) था और उसके सभी दस्तावेज सही पाए गए हैं। इसके बावजूद खुफिया एजेंसियों को उसके व्यवहार और गतिविधियों पर शक हुआ, जिसके बाद निगरानी बढ़ाई गई और उसे गिरफ्तार किया गया।
अधिकारियों का कहना है कि इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है, खासकर इसलिए क्योंकि सीमावर्ती राज्यों में इस तरह की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं।
फिलहाल पुलिस और खुफिया एजेंसियां मिलकर पूरे मामले की गहन जांच कर रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह केवल एक व्यक्ति की हरकत थी या इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है।
अपराध
मुंबई: अवैध कॉल सेंटर से 5 लोग गिरफ्तार, विदेशी ग्राहकों को बेचते थे प्रतिबंधित दवाएं

CRIME
मुंबई, 12 दिसंबर: मुंबई के मलाड इलाके में बांगुर नगर पुलिस ने एक अवैध कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने इस मामले में 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान अयूब शेख (30), फैजान भलीम (27), फारुख शेख (29), मोइन अहमद शेख (32) और जीशान नासिर अंसारी (22) के रूप में हुई है। ये आरोपी मुंबई के मलाड स्थित चिंचोली बंदर इलाके में एक फर्जी कॉल सेंटर चला रहे थे।
ये आरोपी कथित रूप से विदेशों में बैन दवाओं की बिक्री में शामिल थे। आरोपी विदेशी ऑनलाइन फार्मेसियों के प्रतिनिधि बनकर अंतर्राष्ट्रीय और अमेरिकी कंपनियों के नाम पर ग्राहकों से संपर्क करते थे और विदेशी ग्राहकों को धोखा देकर उन्हें बैन दवाएं बेचने का काम करते थे।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों ने विदेशी ग्राहकों को फोन करके उन्हें दवाएं भेजने के नाम पर पैसे वसूलने का तरीका अपनाया था। इन दवाओं का निर्यात किसी वैध चैनल से नहीं किया जा सकता था, लेकिन आरोपी इसे बेचने में जुटे हुए थे।
मुंबई पुलिस को मामले की जानकारी हुई तो उन्होंने अभियान चलाकर इन्हें गिरफ्तार किया। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ बीएनएस और आईटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
पुलिस ने कहा कि आरोपियों को 15 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है और इस मामले में आगे की जांच जारी है। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। इसका मास्टरमाइंड कौन है और कितने समय से ये लोग इस तरह का काम कर रहे हैं? पुलिस ने इनके साथियों को गिरफ्तार करने के लिए टीम बनाकर तलाश शुरू कर दी है।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस मामले की जानकारी होने के बाद पहले इनकी लोकेशन पता की गई, फिर मुखबिर और एजेंसी की सहायता से पता किया गया कि ये लोग किस तरह के अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों से संपर्क करते हैं और उन्हें बैन दवाओं की बिक्री के नाम पर पैसे लेते हैं। पूरे मामले की जांच होने पर उनको गिरफ्तार कर लिया गया।
अपराध
कल्याण: सिद्धेश्वर एक्सप्रेस से 5.5 करोड़ रुपये के आभूषण चोरी; सीसीटीवी फुटेज में नकाबपोश संदिग्ध दिखे

KALYAN POLICE STATION
मुंबई: सिद्धेश्वर एक्सप्रेस में हुई एक सनसनीखेज चोरी ने यात्रियों और पुलिस दोनों को चौंका दिया है, जब कथित तौर पर नकाबपोश संदिग्धों के एक समूह ने 5.50 करोड़ रुपये के आभूषण चुरा लिए, जिन्हें लोनावला रेलवे स्टेशन पर ट्रेन से उतरते हुए देखा गया था।
रेलवे पुलिस के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज में पांच से छह नकाबपोश व्यक्ति दो ट्रॉली बैग ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिनमें चोरी के गहने होने का संदेह है। उनके चेहरे ढके होने के कारण उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया है।
रेलवे अपराध शाखा ने एक व्यक्ति को हिरासत में लिया है और इस मामले में उसकी भूमिका की वर्तमान में जांच की जा रही है।
शिकायतकर्ता अभयकुमार जैन, जो मुंबई के गोरेगांव के निवासी हैं, अपनी बेटी तनिष्का के साथ कई करोड़ रुपये के गहने लेकर सोलापुर गए थे।
पुलिस ने बताया कि तनिष्का ने अपने पिता से सामान में जीपीएस ट्रैकिंग लगाने का आग्रह किया था, लेकिन उनकी सलाह को नजरअंदाज कर दिया गया।
जैन ने कुछ गहने सोलापुर में बेच दिए थे और बाकी गहने लेकर लौट रहे थे तभी चोरी की घटना घट गई।
ट्रेन यात्रा समाप्त होने के बाद ही चोरी का पता चला। जैन ने कल्याण सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
कल्याण जीआरपी और रेलवे अपराध शाखा संयुक्त रूप से मामले की जांच कर रहे हैं।
प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि संदिग्ध सोलापुर जिले के मंधा के निवासी हो सकते हैं।
पुलिस का मानना है कि चोरों को संभवतः गहनों और जैन की यात्रा संबंधी जानकारियों की पहले से ही जानकारी थी, जो अंदरूनी जानकारी या पूर्व निगरानी की संभावना की ओर इशारा करती है।
जांचकर्ता सोलापुर और मुंबई के बीच स्थित कई स्टेशनों से सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं, संदिग्धों की गतिविधियों के पैटर्न का विश्लेषण कर रहे हैं और विभिन्न जिलों में संभावित संबंधों का पता लगा रहे हैं।
जांच जारी है और नकाबपोश चोरों की पहचान करने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
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