राष्ट्रीय समाचार
1993 मुंबई बम विस्फोट मामला: विशेष टाडा अदालत ने तीसरे सेट के मुकदमों में स्वीकारोक्ति बयानों के इस्तेमाल को बरकरार रखा
मुंबई: 1993 बम विस्फोट मामले में कथित रूप से शामिल तीसरे आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चला रही विशेष टाडा अदालत ने पहले मुकदमे में अभियुक्त बनाए गए आरोपियों के इकबालिया बयानों को खारिज करने से इनकार कर दिया है।
अभियोजन पक्ष ने मुकदमे के पहले चरण में लगभग 34 अभियुक्तों के स्वीकारोक्ति बयान दर्ज किए थे, जो षड्यंत्र के आरोपों को साबित करने के लिए महत्वपूर्ण सबूत साबित हुए। अन्य साक्ष्यों से पुष्ट स्वीकारोक्ति बयानों के आधार पर, विशेष अदालत ने 2007 में लगभग 100 अभियुक्तों को दोषी ठहराया था।
बाद में गिरफ्तार किए गए अभियुक्तों, जिनमें गैंगस्टर अबू सलेम और मुस्तफा दोसा भी शामिल थे, ने भी अपने खिलाफ मुकदमे में इन स्वीकारोक्ति बयानों को सबूत के तौर पर इस्तेमाल करने पर सवाल उठाया था। अदालत ने तब उनकी आपत्ति खारिज कर दी थी। इसलिए, अब अभियुक्तों ने दोषसिद्धि के खिलाफ अपनी अपील में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह मुद्दा उठाया है।
इस मामले के लंबित रहने तक, तीसरे पक्ष के अभियुक्तों ने भी यही मुद्दा उठाया है। बचाव पक्ष ने दावा किया है कि इन बयानों का इस्तेमाल उनके खिलाफ नहीं किया जा सकता क्योंकि जिन अभियुक्तों के बयानों का इस्तेमाल करने की मांग की जा रही है, उन पर उनके साथ मुकदमा नहीं चलाया जा रहा है।
यह तर्क दिया गया है कि अभियुक्तों के स्वीकारोक्ति बयानों का इस्तेमाल तभी किया जा सकता है जब उन अभियुक्तों पर भी उन अन्य अभियुक्तों के साथ मुकदमा चलाया जाए जिनके ख़िलाफ़ बयानों का इस्तेमाल किया गया है। चूँकि अभियुक्तों पर पहले भी मुकदमा चलाया जा चुका है और उन पर वर्तमान अभियुक्तों के साथ संयुक्त रूप से मुकदमा नहीं चलाया जा रहा है, इसलिए अब इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
विशेष आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (टाडा) न्यायाधीश वीडी केदार ने आपत्ति को खारिज करने का फैसला किया और कहा कि मुकदमे के दूसरे चरण में पिछले न्यायाधीश ने पहले ही उन्हीं मुद्दों पर विचार किया था और “फैसला सुनाया था कि मुकदमे के पहले भाग में दर्ज सह-अभियुक्तों के इकबालिया बयानों का इस्तेमाल मुकदमे के बाद के भाग में सह-अभियुक्तों के खिलाफ किया जाएगा।”
अदालत ने यह भी कहा कि यही मुद्दा अब आरोपियों के दूसरे समूह द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर अपील में उठाया गया है और यह अभी भी लंबित है।
मुकदमे का सामना करने वालों में फारूक मंसूरी-उर्फ फारूक टकला, अहमद लम्बू, मुनाफ हलारी, अबू बकर, सोहैब कुरेशी, सईद कुरेशी और यूसुफ बटका शामिल हैं।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, मंसूरी ने कथित तौर पर चार पैदल सैनिकों के ठहरने और परिवहन की व्यवस्था की थी, जिन्हें प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेजे जाने से पहले विस्फोटों के लिए भर्ती किया गया था। लंबू, बकर, कुरैशी और बटका ने बम बनाने और हथियार चलाने का प्रशिक्षण लिया था। इसी बीच, हलारी ने कथित तौर पर विस्फोटों में इस्तेमाल किया गया स्कूटर खरीदा था।
राजनीति
कांग्रेस में बड़ा संगठनात्मक फैसला, संदीप दीक्षित बने रचनात्मक कांग्रेस के अध्यक्ष

नई दिल्ली, 29 दिसंबर: कांग्रेस संगठन में एक अहम सांगठनिक बदलाव करते हुए पार्टी नेतृत्व ने वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित को रचनात्मक कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है।
रचनात्मक कांग्रेस को पहले आउटरीच सेल के नाम से जाना जाता था, जिसे अब एक नए स्वरूप और विस्तृत भूमिका के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है।
ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी की ओर से यह जानकारी दी गई। बयान पर एआईसीसी के महासचिव केसी वेणुगोपाल के हस्ताक्षर हैं। कांग्रेस अध्यक्ष ने यह नियुक्ति पार्टी की वैचारिक और नीतिगत मजबूती को और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से की है।
रचनात्मक कांग्रेस को एक ऐसे विशेष मंच के रूप में विकसित किया जाएगा जो सिविल सोसायटी समूहों, विषय विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मुद्दा-आधारित संगठनों के साथ सीधा संवाद स्थापित करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और नीतिगत विषयों पर सार्थक चर्चा को बढ़ावा देना है ताकि जमीनी हकीकत और विविध दृष्टिकोण पार्टी की नीतियों तक पहुंच सकें।
कांग्रेस का मानना है कि इस पहल से पार्टी को समाज के अलग-अलग वर्गों से जुड़ने, नए विचारों को समझने और जनहित से जुड़े मुद्दों पर ठोस नीति निर्माण में मदद मिलेगी। रचनात्मक कांग्रेस के जरिए पार्टी नेतृत्व को जमीनी अनुभव और विशेषज्ञों की राय सीधे तौर पर प्राप्त होगी।
नए अध्यक्ष के रूप में संदीप दीक्षित की भूमिका अहम मानी जा रही है। उनके अनुभव और राजनीतिक समझ से रचनात्मक कांग्रेस को नई दिशा मिलने की उम्मीद है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, आने वाले समय में यह मंच कांग्रेस की वैचारिक रणनीति और सामाजिक संवाद का एक मजबूत आधार बनेगा।
संदीप दीक्षित ने फरवरी 2025 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों में नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन हार गए थे। वह 15वीं लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं और उन्होंने पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।
राष्ट्रीय समाचार
भारत 2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ बनेगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था

GDP
नई दिल्ली, 29 दिसंबर: भारत 4.18 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ जापान को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और अगले 2.5 से 3 वर्षों में जर्मनी को पछाड़कर तीसरी रैंक हासिल कर लेगा और 2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा। यह जानकारी सोमवार को एक आधिकारिक बयान में दी गई।
भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से विकास कर रही है। वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर छह तिमाही के उच्चतम स्तर पर रही है। यह दिखाता है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक उतार-चढ़ाव में भी मजबूत बनी हुई है।
बयान के कहा गया, “भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इस गति को बनाए रखने के लिए अच्छी स्थिति में है। 2047 तक – अपनी आजादी के सौवें साल तक – उच्च मध्यम-आय वाला देश बनने की महत्वाकांक्षा के साथ, देश आर्थिक विकास, संरचनात्मक सुधारों और सामाजिक प्रगति की मजबूत नींव पर आगे बढ़ रहा है।”
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान पहले के 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया है।
भारत की घरेलू ग्रोथ कई कारणों से ऊपर की ओर जा रही है जिसमें मजबूत घरेलू मांग, इनकम टैक्स और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) का सरलीकरण, कच्चे तेल की कम कीमतें, सरकारी पूंजीगत खर्च, साथ ही अनुकूल मौद्रिक और वित्तीय स्थितियां शामिल हैं, जिन्हें कम महंगाई का भी समर्थन मिल रहा है।
बयान में कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था की गति में निजी क्षेत्र मजबूत भूमिका निभा रहा है और लगातार ग्रोथ को सपोर्ट कर रहा है।
इसके अलावा, सरकार देश के निर्यात को आगे बढ़ाने के लिए लगातार अन्य देश के साथ व्यापारिक समझौता कर रही है। 2025 में सरकार ने यूके, ओमान और न्यूजीलैंड के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) किया है।
चालू वित्त वर्ष के अप्रैल-सितंबर 2025 के दौरान भारत के सामान और सेवाओं का कुल निर्यात बढ़कर रिकॉर्ड 418.91 अरब डॉलर हो गया। इसमें पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 5.86 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली है।
राजनीति
मनसे के लिए अब सीट के मायने नहीं, जीत सुनिश्चित करना जरूरी: यशवंत किल्लेदार

मुंबई, 29 दिसंबर: महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने सोमवार को एक बैठक में आगामी बीएमसी चुनाव को लेकर पार्टी नेताओं का मार्गदर्शन किया। राज ठाकरे ने बताया कि आगामी चुनाव में किस तरह से काम करना है और ऐसी कौन-सी रणनीति अपनानी है, जिससे मनसे के लिए राजनीतिक स्थिति अनुकूल साबित हो सके।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना पार्टी के नेता यशवंत किल्लेदार ने राज ठाकरे के इस मार्गदर्शन के बारे में मीडिया से बातचीत में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज ठाकरे ने हमें पूरे आत्मविश्वास के साथ यह चुनाव लड़ने का आदेश दिया है। हम लोग इस चुनाव को लेकर काफी उत्साहित हैं।
यशवंत किल्लेदार ने कहा कि निसंदेह इस बात को खारिज नहीं किया जा सकता है कि मनसे और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच 20 साल बाद यह गठबंधन हुआ है। राज ठाकरे ने हमें निर्देश दिया है कि हमें अपनी पुरानी कटुता को भूलकर यह चुनाव लड़ना होगा। हमें इस बात पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना है कि हमारे बीच किन मुद्दों को लेकर मतभेद हैं, किन मुद्दों को लेकर हमारे बीच तकरार है। इसकी जगह पर हमें विकास को प्राथमिकता देते हुए आगे बढ़ना होगा, तभी हमारे लिए आगामी दिनों में राजनीतिक स्थिति सकारात्मक हो सकेगी।
यशवंत किल्लेदार के मुताबिक राज ठाकरे ने हमें बताया है कि हो सकता है कि हमारे बीच कई मुद्दों को लेकर तकरार हो, लेकिन इस चुनाव में हमें यह लक्ष्य निर्धारित करना होगा कि हमारे ज्यादा से ज्यादा पार्षद चुनाव जीत सके, ताकि आगे चलकर स्थिति बेहतर हो सके। इसके अलावा हमें इस विवाद में भी नहीं पड़ना है कि किसे कितनी सीटें मिल रही हैं। किसे ज्यादा सीटें मिल रही है और किसे कम? यह सब विषय हमारे लिए अब निरर्थक हैं। अब हम सभी को एकजुट होकर यह लक्ष्य निर्धारित करना होगा कि हम आगामी बीएमसी चुनाव में जीत हासिल कर सके और यह सुनिश्चित करें कि हमारे ज्यादा से ज्यादा पार्षद चुनाव में जीत का झंडा बुलंद करें।
साथ ही उन्होंने चुनाव में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जाहिर सी बात है कि चुनाव है तो प्रतिस्पर्धा रहेगी ही है, लेकिन हम राजनीति के इस मैदान में हर प्रकार की प्रतिस्पर्धा को सहर्ष स्वीकार करते हैं।
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