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2024-25 में भारत में सोने के आभूषणों की खरीद में 18 प्रतिशत के उछाल की उम्मीद : आईसीआरए
नई दिल्ली, 17 दिसंबर। मंगलवार को जारी आईसीआरए की रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में घरेलू सोने के आभूषणों की खपत को लेकर मूल्य के संदर्भ में 14-18 प्रतिशत की अनुमानित वृद्धि हो सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2024 में केंद्रीय बजट में आयात शुल्क में 900 आधार अंकों (बीपीएस) की तीव्र कटौती हुई और इसके परिणामस्वरूप थोड़े समय के लिए सोने की कीमतों में सुधार हुआ।
इसी के साथ वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान आभूषणों के साथ-साथ बार और सिक्कों की कुछ प्री-खरीद हुई, जो आम तौर पर मौसमी रूप से कमजोर तिमाही होती है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद उपभोक्ता भावनाओं में सुधार और त्योहारों के कारण मांग में वृद्धि ने हाल के महीनों में खपत में वृद्धि को बढ़ावा दिया।
इसके साथ ही शुभ दिनों और विवाह के दिनों की संख्या में वृद्धि और बेहतर ग्रामीण उत्पादन में सहायक अनुकूल मानसून से वित्त वर्ष 2025 की दूसरी छमाही में आभूषणों की मांग में वृद्धि होने की संभावना है।”
वित्त वर्ष 2024 में संगठित आभूषणों के लिए राजस्व वृद्धि को प्राप्तियों से समर्थन मिला था, जिसमें सोने की कीमतों में सालाना आधार पर 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इस वित्त वर्ष में भी यही प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है।
चालू वित्त वर्ष में अब तक, सोने की औसत कीमत वित्त वर्ष 2024 की औसत कीमत के मुकाबले 25 प्रतिशत की तेज वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछली सात तिमाहियों से सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी वैश्विक आर्थिक और भू-राजनीतिक परिदृश्य और सोने की बढ़ती निवेश मांग से प्रेरित है।
आपूर्ति को लेकर संगठित ज्वैलर्स द्वारा वित्त वर्ष 2025 में अपने मौजूदा खुदरा नेटवर्क में 16-18 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है।
इसमें कहा गया है कि अधिकांश बड़े ज्वैलर्स नए बाजारों में विस्तार करने के लिए फ्रेंचाइजी मॉडल का विकल्प चुन रहे हैं, क्योंकि उन्हें कम पूंजीगत व्यय और फ्रैंचाइजी-पार्टनर के साथ स्थानीय बाजार के ज्ञान के लाभ मिलते हैं।
आईसीआरए के उपाध्यक्ष सुजॉय साहा ने कहा, “आईसीआरए के 15 बड़े खुदरा विक्रेताओं का सैंपल सेट, जो संगठित बाजार का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा है, वित्त वर्ष 2025 में 18-20 प्रतिशत का स्वस्थ वार्षिक विस्तार दर्ज करने का अनुमान है।
टियर टू और थ्री शहरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए योजनाबद्ध स्टोर जोड़ना, सोने की बढ़ती कीमतें, ब्रांडेड ज्वेलरी की ओर वरीयता में बदलाव और वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में कुछ संभावित प्री-खरीदारी, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में शुभ दिनों की अधिक संख्या के कारण वृद्धि को बढ़ावा देगी। सीमा शुल्क में कटौती से अनौपचारिक आयातों को हतोत्साहित करने की भी उम्मीद है, जिससे संगठित व्यापार में वृद्धि को समर्थन मिलेगा।”
आईसीआरए का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 में उद्योग का परिचालन मार्जिन वित्त वर्ष 2023 और वित्त वर्ष 2024 के 7.2-7.4 प्रतिशत के स्तर से 50-70 बीपीएस तक कम हो जाएगा। फिर भी, आईसीआरए को उम्मीद है कि उसके सैंपल सेट के डेट प्रोटेक्शन मीट्रिक आरामदायक बने रहेंगे, जिसमें ब्याज कवर वित्त वर्ष 2024 में 6 गुना से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 6.2-6.4 गुना हो जाएगा।
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भारत में करीब 50 प्रतिशत मिलेनियल्स को एआई से नौकरी खोने का डर : रिपोर्ट

मुंबई, 3 नवंबर: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते चलन के कारण भारत में 50 प्रतिशत मिलेनियल्स को अगले तीन से पांच वर्षों में नौकरी खोने का डर है। यह जानकारी सोमवार को एक रिपोर्ट में दी गई।
ग्रेट प्लेस टू वर्क इंडिया की ओर से जारी रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय कर्मचारी काम पर एआई के बढ़ते असर के साथ कैसे तालमेल बिठा रहे हैं।
रिपोर्ट में बताया गया कि पूरे भारत में 54 प्रतिशत कर्मचारियों का मानना है कि उनकी ऑर्गनाइजेशन अभी एआई इम्प्लीमेंटेशन के पायलट या इंटरमीडिएट स्टेज पर हैं। यह ज्यादा टेक-पावर्ड और कुशल काम के माहौल की ओर लगातार हो रही तरक्की को दिखाता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 10 में से चार कर्मचारियों को लगता है कि एआई अगले तीन से पांच सालों में उनकी जगह ले सकता है। यह डर किसी एक खास ग्रुप तक सीमित नहीं है, बल्कि हर स्तर के कर्मचारियों में है।
रिपोर्ट के अनुसार, एआई की वजह से अपनी नौकरी जाने को लेकर चिंतित कम से कम 40 परसेंट कर्मचारी अपनी मौजूदा कंपनी को छोड़ने की योजना बना रहे हैं। यह एचआर डिपार्टमेंट और सीनियर लीडरशिप के लिए एक जरूरी और गंभीर मुद्दा है।
ग्रेट प्लेस टू वर्क, इंडिया के सीईओ, बलबीर सिंह ने कहा, “जैसे-जैसे अलग-अलग इंडस्ट्रीज में ऑर्गनाइजेशन एआई को लागू करने में आगे बढ़ रहे हैं, लीडर्स ऐसे हाई-इम्पैक्ट एआई स्ट्रेटेजी बना रहे हैं जो इंसानी क्षमताओं को बढ़ाते हैं। अभी जिन रुकावटों पर ध्यान देने की जरूरत है, वह ऑर्गनाइजेशनल रेसिस्टेंस, साथ ही कर्मचारियों की तैयारी है।”
रिपोर्ट में आगे बताया गया कि इसके अलावा, जिन कंपनियों ने अभी तक एआई को नहीं अपनाया है, उनमें लगभग 57 प्रतिशत कर्मचारियों ने इनसिक्योर महसूस किया, जबकि एआई अपनाने के एडवांस्ड स्टेज वाली कंपनियों में यह आंकड़ा 8 प्रतिशत है।
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भारतीय शेयर बाजार हल्की गिरावट के साथ खुला, सरकारी बैंकिंग शेयरों में तेजी

मुंबई, 3 नवंबर: भारतीय शेयर बाजार सोमवार के कारोबारी सत्र में हल्की गिरावट के साथ खुला। सुबह 9:19 पर सेंसेक्स 126 अंक या 0.15 प्रतिशत की गिरावट के साथ 83,811 और निफ्टी 20 अंक या 0.08 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 25,688 पर था।
शुरुआती कारोबार में सरकारी बैंकिंग शेयरों में तेजी देखी गई। निफ्टी पीएसयू बैंक करीब 2 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा था। इसके अलावा निफ्टी फार्मा, निफ्टी मेटल, निफ्टी रियल्टी, निफ्टी हेल्थकेयर और निफ्टी ऑयल एंड गैस भी हरे निशान में थे। हालांकि, निफ्टी आईटी, निफ्टी एफएमसीजी और निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेज लाल निशान में थे।
लार्जकैप की अपेक्षा मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर हरे निशान में थे। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 114 अंक या 0.19 प्रतिशत की तेजी के साथ 59,940 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 120 अंक या 0.66 प्रतिशत की मजबूती के साथ 18,501 पर था।
सेंसेक्स पैक में एमएंडएम, एसबीआई, टाटा मोटर्स पैसेंजर व्हीकल, भारती एयरटेल, सन फार्मा, टाटा स्टील और पावर ग्रिड हरे निशान में थे। मारुति सुजुकी, बीईएल, टाइटन, इटरनल (जोमैटो), बजाज फाइनेंस, एक्सिस बैंक, बजाज फिनसर्व, एनटीपीसी, ट्रेंट, कोटक महिंद्र बैंक, टीसीएस, टेक महिंद्रा, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक लूजर्स थे।
चॉइस ब्रोकिंग के मुताबिक, निफ्टी एक सीमित दायरे में कारोबार कर रहा है और गिरावट के बाद भी 25,800 के ऊपर बना हुआ है, जो दिखाता है बाजार में आने समय में एक छोटा कंसोलिडेशन देखने को मिल सकता है। निफ्टी के लिए सपोर्ट 25,600 से लेकर 25,500 पर है, जबकि रुकावट का स्तर 25,800 से लेकर 26,000 के बीच है।
ब्रोकिंग फर्म ने आगे कहा कि अगर निफ्टी 26,000 के पार निकलता है, तो यह 26,100 से लेकर 26,300 तक जा सकता है।
लगातार तीन महीनों तक बिकवाली के बाद, विदेशी निवेशकों ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार में मजबूत वापसी की है और करीब 14,610 करोड़ रुपए का निवेश किया।
विदेशी निवेशकों की वापसी की वजह कॉरपोरेट आय में उछाल, अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती करना और अमेरिका-भारत के बीच ट्रेड डील की संभावना है।
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भारत में इस वर्ष अक्टूबर में आईपीओ से रिकॉर्ड 46,000 करोड़ की फंड रेजिंग हुई

मुंबई, 31 अक्टूबर: भारत के प्राइमरी मार्केट के लिए अक्टूबर का महीना काफी शानदार रहा है, जो कि मुख्य आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) का एक व्यस्त महीना रहा। अब तक 14 कंपनियां 46,000 करोड़ रुपए से अधिक जुटाने के लक्ष्य के साथ बाजार में प्रवेश कर चुकी हैं।
घरेलू पूंजी बाजारों में इस महीने मंथली फंडरेजिंग को लेकर एक नया रिकॉर्ड स्थापित हुआ है, जो कि टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया की लिस्टिंग के साथ संभव हो पाया है। टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने मिलकर कुल फंड रेजिंग में आधे से ज्यादा का योगदान दर्ज करवाया।
जहां, टाटा कैपिटल की ओर से 15,512 करोड़ रुपए की राशि जुटाई गई वहीं, एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने 11,607 करोड़ रुपए आरंभिक शेयर बिक्री के माध्यम से जुटाए गए।
इस गति को रफ्तार देते हुए लेंसकार्ट सॉल्यूशन ने 31 अक्टूबर को अपना 7,278 करोड़ रुपए का इश्यू जारी किया, जो कि 4 नवंबर तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा। इस महीने वीवर्क इंडिया, केनरा एचएसबीसी लाइफ इंश्योरेंस, ओर्कला इंडिया और रूबिकॉन रिसर्च के ऑफर भी शामिल थे।
इससे पहले बीते वर्ष 2024 अक्टूबर में छह आईपीओ ने 38,690 करोड़ रुपए जुटा कर एक मंथली हाई रिकॉर्ड दर्ज करवाया था, जिसे इस बार के रिकॉर्ड-तोड़ प्रदर्शन ने पीछे छोड़ दिया। लेटेस्ट आकंड़ों ने पिछले सभी रिकॉर्ड को तोड़ दिया है, जब नवंबर 2021 के दौरान नौ आईपीओ से 35,665 करोड़ रुपए, और नवंबर 2024 में आठ आईपीओ से 31,145 करोड़ रुपए जुटाए गए थे।
वर्ष 2025 की बात करें तो अब तक 89 आईपीओ ने 1.38 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि जुटाई है, जो इसे एक मजबूत वर्ष के रूप में दर्ज करता है। जबकि अभी साल के आखिरी महीने नवंबर और दिसंबर में कई और आईपीओ प्राइमरी मार्केट में आने वाले हैं, जिससे बीते वर्ष 2024 का रिकॉर्ड टूटने की उम्मीद की जा रही है। वर्ष 2024 में फंड रेजिंग 1.60 लाख करोड़ रुपए के आकंड़े को पार कर गई थी।
विश्लेषकों का कहना है कि यह महत्वपूर्ण उपलब्धि भारत के प्राइमरी मार्केट की मजबूती और लिक्विडिटी की गहराई को दर्शाती है, जो कि वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता के बीच असमान सेकेंडरी मार्केट सेंटीमेंट के बावजूद भी वाइब्रेंट बना हुआ है।
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