राजनीति
प्रसिद्ध अभिनेता दिलीप कुमार के निधन पर मुख्यमंत्री योगी, केशव, अखिलेश, माया ने दी श्रद्धाजंलि
प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार का बुधवार को मुंबई को निधन हो गया। वह 98 वर्ष के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। दिलीप कुमार के निधन के समाचार से उत्तर प्रदेश में उनके चाहने वाले के बीच शोक की लहर दौड़ गई है। उनके निधन पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, सपा मुखिया अखिलेश यादव, बसपा अध्यक्ष मायावती ने भी शोक जताया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दु:ख जताते हुए लिखा, ” भारतीय सिनेमा जगत के पुरोधा, अभिनय सम्राट, असंख्य कलाकारों के प्रेरणास्रोत श्री दिलीप कुमार जी का निधन फिल्म जगत की अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान व शोकाकुल परिजनों को यह अथाह दु:ख सहने की शक्ति प्रदान करें।”
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने लिखा, ” ट्रेजडी किंग के नाम से प्रसिद्ध बॉलीवुड के अभिनय सम्राट श्री दिलीप कुमार जी के निधन का दु:खद समाचार प्राप्त हुआ। फिल्म जगत में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए सदैव उन्हें याद रखा जाएगा। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें एवं परिवारजनों को इस गहन दुरूख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें। विनम्र श्रद्धांजलि।”
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा कि ” मौत उन्हें कहीं ले जा नहीं सकती और चाहने वालों की याद उन्हें कहीं जाने नहीं देगी। वो ‘मुगल-ए-आजम का बगावती अंदाज, सलीम का अमर किरदार। आप कहीं नहीं जा सकते, दिलीप साहब।”
बसपा मुखिया मायावती ने लिखा, ” भारतीय फिल्मजगत बॉलीवुड की प्रसिद्ध व जानी-मानी हस्ती दिलीप कुमार के आज निधन की खबर अति-दु:खद। उनकी पत्नी सायरा बानो व उनके चाहने वालों के प्रति मेरी गहरी संवेदना। अपनी अदाकारी से फिल्मजगत में अमिट छाप छोड़ने वाले दिलीप कुमार को विनम्र श्रद्धांजलि। उनकी फिल्में हमेशा यादगार रहेंगी।”
महाराष्ट्र
कल्याण कॉलेज नमाज़ विवाद: SIO ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

SIO ने मुंबई के कल्याण कॉलेज में नमाज़ पढ़ने पर बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की गुंडागर्दी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इधर, SIO के स्टेट सेक्रेटरी अज़ीज़ अहमद ने कहा कि कल्याण के आइडियल कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी एंड रिसर्च में हुई घटना बहुत निंदनीय और अस्वीकार्य है, जहाँ बजरंग दल से जुड़े गुंडों ने कॉलेज कैंपस में घुसकर, नमाज़ पढ़ने वाले मुस्लिम स्टूडेंट्स को धमकाया और परेशान किया और यहाँ तक कि उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के सामने बैठाने की कोशिश की। यह घटना धार्मिक आज़ादी और एकेडमिक कैंपस की पवित्रता पर सीधा हमला है।
SIO इस घटना की कड़ी निंदा करता है और प्रभावित स्टूडेंट्स के साथ पूरी एकजुटता दिखाता है। हम महाराष्ट्र सरकार और पुलिस से मांग करते हैं कि वे जल्द से जल्द आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन स्टूडेंट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। हम पूरे स्टूडेंट कम्युनिटी से अपील करते हैं कि वे धार्मिक सद्भाव बनाए रखें और ऐसे सांप्रदायिक रवैये के खिलाफ एकजुट रहें और मजबूत एकजुटता दिखाएं।
राष्ट्रीय समाचार
सीबीआई की बड़ी कार्रवाई: ईएसआईसी के दो अधिकारियों को 50 हजार रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा

CRIME
विजयवाड़ा, 26 नवंबर: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) विजयवाड़ा के दो अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपियों में रेवेन्यू रिकवरी ऑफिसर (आरआरओ) और सोशल सिक्योरिटी ऑफिसर (एसएसओ) का नाम शामिल है। दोनों ने एक शख्स से 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी।
सीबीआई के मुताबिक, मामला 2020 का है। शिकायतकर्ता ने फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के टेंडर में हिस्सा लेने के लिए एक प्रोप्राइटरशिप फर्म शुरू की थी और उसे ईएसआईसी में रजिस्टर भी कराया था। तकनीकी वजहों से एफसीआई ने उसकी फर्म को तीन साल के लिए डिबार कर दिया, जिससे वह कोई ठेका नहीं ले सका।
20 नवंबर 2025 को दोनों ईएसआईसी अधिकारी शिकायतकर्ता के घर पहुंचे और उसका घर कुर्क करने का नोटिस थमा दिया। साथ ही कहा कि अगर 31 दिसंबर 2025 तक कुर्की और नीलामी की कार्रवाई रोकनी है, तो 50 हजार रुपये देने होंगे, जिसमें 30 हजार आरआरओ के लिए और 20 हजार एसएसओ खुद के लिए मांगे।
शिकायत मिलते ही सीबीआई ने 25 नवंबर को केस दर्ज किया और अगले ही दिन जाल बिछाया। सोशल सिक्योरिटी ऑफिसर को जैसे ही शिकायतकर्ता से 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते देखा गया, सीबीआई की टीम ने उसे धर दबोचा। इसके बाद रेवेन्यू रिकवरी ऑफिसर को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
दोनों को आज विजयवाड़ा में सीबीआई के स्पेशल जज कोर्ट में पेश किया जाएगा। आरोपियों के ठिकानों पर तलाशी अभी जारी है। सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का हिस्सा है। आम लोगों को परेशान कर रिश्वत मांगने वालों पर अब कड़ी नजर रखी जा रही है।
राष्ट्रीय समाचार
केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 26 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट में केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से जुड़े मामलों को लेकर सुनवाई जारी है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच सुनवाई कर रही है।
केरल में एसआईआर के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वह इस मामले में अलग से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि केरल में अभी स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, इसलिए मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को टालने की मांग पर बिना आयोग को सुने कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। चुनाव आयोग को 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।
पश्चिम बंगाल में भी एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। पश्चिम बंगाल से जुड़े मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को तय की गई है। राज्य की ओर से पेश वकील कल्याण बनर्जी ने दावा किया कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान अत्यधिक दबाव के कारण अब तक 23 बीएलओ की मौत हो चुकी है।
तमिलनाडु में एसआईआर से जुड़े मामले की सुनवाई 4 दिसंबर को होगी। कोर्ट ने कहा कि तीनों राज्यों के मामलों में चुनाव आयोग की राय सुने बिना कोई रोक लगाने जैसा आदेश पारित नहीं किया जाएगा।
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने बताया कि यह मामला पहले मद्रास हाईकोर्ट में भी गया था, जहां स्टेट इलेक्शन कमीशन ने कहा था कि उन्हें एसआईआर प्रक्रिया से कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने बताया कि 99 फीसदी वोटरों को फॉर्म मिल चुके हैं और 50 फीसदी से अधिक डेटा डिजिटाइज हो चुका है। राकेश द्विवेदी ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल इस मुद्दे पर लोगों में अनावश्यक भय पैदा कर रहे हैं।
इधर, याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया बहुत जल्दबाजी में चलाई जा रही है और बीएलओ पर अत्यधिक दबाव है। उन्होंने दावा किया कि असम में लागू फॉर्म की पद्धति की पूरे देश में कोई आवश्यकता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट अब सभी राज्यों और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया के बाद अगली सुनवाई में आगे की दिशा तय करेगा।
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