राजनीति
डेल्टा प्लस वैरिएंट पर अंकुश लगाने के लिए योगी के नए दिशानिर्देश तैयार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को टीम 9, कोर ग्रुप जो उत्तर प्रदेश में कोविड प्रबंधन के लिए और कोरोनावायरस के नए ‘डेल्टा प्लस’ संस्करण से संक्रमित रोगियों से निपटने के लिए के लिए काम करता है, उसके लिए दिशानिदेशरें का एक नया सेट जारी किया।
जानकारों के मुताबिक यह वेरिएंट पहले से ज्यादा खतरनाक है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमें बहुत सावधान रहना होगा। बिना देरी किए विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार सभी आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए। कोरोना महामारी को देखते हुए राज्य की स्थिति हर दिन बेहतर हो रही है। यह व्यायाम करने का समय है। अतिरिक्त सतर्कता और सावधानी बरतें। थोड़ी सी लापरवाही बड़ी समस्या का कारण बन सकती है।”
सरकारी प्रवक्ता के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 2,37,783 टेस्ट किए गए।
इसी अवधि में 174 नए मामले सामने आए हैं और 254 लोग ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुके हैं।
दैनिक सकारात्मकता दर 0.1 प्रतिशत से कम हो गई है, जबकि ठीक होने की दर 98.5 प्रतिशत से और ऊपर जा रही है।
वर्तमान में कुल सक्रिय मामले घटकर 2,946 हो गए हैं जबकि 1,810 लोगों का इलाज होम आइसोलेशन में किया जा रहा है। राज्य में अब तक 5.75 करोड़ से ज्यादा कोविड टेस्ट किए जा चुके हैं।
प्रदेश में कोरोना वायरस के गहन अध्ययन एवं परीक्षण के लिए जीनोम अनुक्रमण सुविधा को भी बढ़ाया जा रहा है।
परीक्षण किए गए पिछले 550 नमूनों में, आईजीआईबी, नई दिल्ली में किसी भी नमूने में कोरोनावायरस के डेल्टा प्लस संस्करण की पुष्टि नहीं हुई है।
80 फीसदी सैंपल कोविड की दूसरी लहर के डेल्टा वेरिएंट के पाए गए।
बीएचयू वाराणसी, केजीएमयू लखनऊ और सीडीआरआई, आईजीआईबी, दिल्ली के सहयोग से वायरस जीनोम परीक्षण प्रक्रिया को और तेज किया जा रहा है।
यह अध्ययन रिपोर्ट डेल्टा प्लस संस्करण को प्रबंधित करने और उससे बचने में सहायक होगी।
मुख्यमंत्री ने रेखांकित किया कि कोविड 19 से बचाव के लिए टीकाकरण सबसे अच्छा सुरक्षा कवच है।
राज्य में अब तक 3.10 करोड़ से अधिक वैक्सीन डोज दी जा चुकी हैं। 44 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज मिल चुकी हैं।
ऑक्सीजन उत्पादन के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भरता के लिए तेजी से काम चल रहा है।
हापुड़, सिद्धार्थ नगर और कुशीनगर में ऑक्सीजन प्लांट सोमवार से चालू हो गए हैं, अब तक 121 प्लांट चालू हो गए हैं। शेष निमार्णाधीन प्लांटों को स्थापित करने की प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर ली जाएगी।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई के बांद्रा कोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी, जांच में जुटी साइबर सेल

मुंबई, 18 दिसंबर: मुंबई के बांद्रा कोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी मिलने से हड़कंप मच गया। कोर्ट प्रशासन को गुरुवार को एक धमकी भरा ईमेल प्राप्त हुआ, जिसमें कोर्ट परिसर को बम से उड़ाने की बात कही गई थी। धमकी भरे ईमेल के बाद मुंबई पुलिस, बम निरोधक दस्ता समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियां मौके पर पहुंची।
पुलिस और बम स्क्वॉड की टीम ने कोर्ट परिसर और उसके आसपास के इलाकों की गहन तलाशी की। सुरक्षा कारणों से कोर्ट परिसर में मौजूद लोगों को सतर्क किया गया और जांच के दौरान किसी भी तरह की लापरवाही न बरतने के निर्देश दिए गए। काफी देर तक चली जांच के बाद कोई भी संदिग्ध वस्तु या विस्फोटक बरामद नहीं हुआ।
पुलिस अब उस ईमेल की तकनीकी जांच में जुट गई है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि धमकी भरा मेल कहां से भेजा गया, किसने भेजा और इसके पीछे क्या मकसद था। साइबर सेल की मदद से मेल के स्रोत और आईपी एड्रेस की जांच की जा रही है।
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब मुंबई या देश के अन्य हिस्सों में इस तरह की धमकियां सामने आई हैं।
इससे पहले, 1 दिसंबर को मुंबई के सांताक्रूज इलाके में स्थित एक स्कूल को बम से उड़ाने की धमकी भेजी गई थी। उस समय स्कूल प्रशासन ने तुरंत मुंबई पुलिस और बम निरोधक दस्ते को इसकी सूचना दी थी। मौके पर पहुंची टीमों ने स्कूल परिसर की गहन तलाशी ली थी, लेकिन वहां भी कोई विस्फोटक नहीं मिला था। पुलिस ने उस मामले में भी धमकी को झूठा बताया था।
इसी तरह नवंबर में देश की राजधानी दिल्ली में भी बम धमकियों की घटनाएं सामने आई थीं। दिल्ली के दो स्कूलों और तीन अदालतों को धमकी भरे ईमेल मिले थे। जानकारी के अनुसार, द्वारका स्थित एक सीआरपीएफ स्कूल और प्रशांत विहार के एक अन्य स्कूल को धमकी मिली थी। इसके अलावा, साकेत कोर्ट, पटियाला हाउस कोर्ट और रोहिणी कोर्ट को भी बम से उड़ाने की धमकियां मिली थीं।
बम की सूचना मिलते ही दिल्ली पुलिस, अग्निशमन विभाग और बम निरोधक दस्ते मौके पर पहुंचे थे और छात्रों व अधिकारियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया था। हालांकि, उन मामलों में भी कोई विस्फोटक बरामद नहीं हुआ था।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
बांग्लादेश में बढ़ती राजनीतिक और धार्मिक हिंसा पर ब्रिटेन की संसद में चर्चा, सांसदों ने जताई चिंता

लंदन, 18 दिसंबर: बांग्लादेश में जारी हिंसक घटनाओं की चर्चा ब्रिटेन की संसद तक शुरू हो गई है। दरअसल, ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने संसद में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस इवेंट में बांग्लादेश में राजनीतिक और धार्मिक हिंसा में खतरनाक बढ़ोतरी और लोकतंत्र के लिए बढ़ते खतरों को लेकर चर्चा हुई। कार्यक्रम में बांग्लादेश यूनिटी फोरम और डॉटी स्ट्रीट चैंबर्स के बैरिस्टर आदि शामिल हुए।
बांग्लादेश में जिस तरह के हालात बने हुए हैं, वह पूरी दुनिया के सामने है। इसे लेकर अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने भी चिंता जाहिर की है। अगले साल फरवरी में आम चुनाव से पहले चुनावी हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। यूनुस की अंतरिम सरकार में अवामी लीग पर चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया गया है। इसे लेकर ब्रिटेन के सांसदों ने भी चिंता जाहिर की।
कार्यक्रम के दौरान ब्रिटेन के सांसदों, वकीलों और कार्यकर्ताओं ने अवामी लीग पर गैर-कानूनी बैन के बाद बांग्लादेश में फरवरी 2026 में होने वाले चुनावों से पहले हमलों को लेकर चर्चा की।
उन्होंने देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और सबको साथ लेकर चलने वाले चुनावों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अवामी लीग को भाग लेने की इजाजत नहीं दी गई तो आने वाले चुनावों में संवैधानिक वैधता की कमी होगी और लाखों आम बांग्लादेशियों को वोट देने का अधिकार नहीं मिलेगा।
कार्यक्रम में शामिल लोगों ने देश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ कार्यवाही के दौरान सही प्रक्रिया की कमी की भी आलोचना की। इसके अलावा, अधिकारियों पर न्यायपालिका को राजनीतिक दबाव के एक टूल के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
ब्रिटेन के बैरिस्टरों ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट और यूए के स्पेशल रिपोर्टरों को पत्र लिखकर बांग्लादेश में बदले की हिंसा, बिना कानूनी कार्रवाई के फांसी, मनमानी हिरासत और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकारों के गलत इस्तेमाल में बढ़ोतरी पर चिंता जताई है।
पिछले महीने, बॉब ब्लैकमैन ने बांग्लादेश की मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार से देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और सबको साथ लेकर चलने वाले चुनाव सुनिश्चित करने की अपील की थी।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछले साल जुलाई में हुए प्रदर्शनों के बाद मुश्किलों का सामना करने वाले अल्पसंख्यकों को देश के सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में बराबर का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
ब्लैकमैन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किए गए पोस्ट में कहा, “मैं बांग्लादेश की मौजूदा सरकार से बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी, हिस्सा लेने वाले और सबको साथ लेकर चलने वाले चुनाव सुनिश्चित करने की अपील करता हूं। चुनाव लोकतंत्र की नींव हैं और लोगों की इच्छा की सच्ची झलक हैं।”
बयान में कहा गया, “यूनुस सरकार ने कानून का राज फिर से स्थापित करने और न्याय और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के वादे के साथ पद संभाला था। हालांकि वादों के बावजूद, लोकतांत्रिक सुधार और संवैधानिक मूल्यों और शासन को फिर से शुरू करने की दिशा में उम्मीद के मुताबिक प्रगति नहीं हुई है।”
राष्ट्रीय समाचार
यूपीआई पेमेंट में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, एक्टिव क्यूआर कोड की संख्या बढ़कर हुई 70.9 करोड़

UPI
मुंबई, 18 दिसंबर: भारत में डिजिटल लेनदेन तेजी से बढ़ रहा है और अब रोजमर्रा की खरीदारी में खासकर दुकानों पर लोग इसका ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। जुलाई से सितंबर के बीच यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) माध्यम से 59.33 अरब ट्रांजैक्शन हुए, जो पिछले साल के मुकाबले 33.5 प्रतिशत ज्यादा है।
इस अवधि में कुल 74.84 लाख करोड़ रुपए का लेन-देन हुआ, जो पिछले साल की तुलना में 21 प्रतिशत ज्यादा है। यह वृद्धि देश में डिजिटल पेमेंट्स के तेजी से बढ़ने को दिखाता है।
वर्ल्डलाइन इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अब 70.9 करोड़ सक्रिय यूपीआई क्यूआर कोड हो गए हैं। यह संख्या जुलाई, 2024 से अब तक 21 प्रतिशत बढ़ी है। इन क्यूआर कोड्स का इस्तेमाल अब किराना दुकानों, दवाइयों की दुकानों, बस-रेलवे स्टेशनों और गांवों तक पहुंच चुका है। इ
इस रिपोर्ट के मुताबिक, यूपीआई का इस्तेमाल अब दुकानों पर भुगतान (पीटूएम– पर्सन टू मर्चेंट) के लिए ज्यादा हो रहा है। दुकानों पर होने वाले लेन-देन में 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो कि 37.46 अरब ट्रांजैक्शन तक पहुंच गई है। लोगों के बीच होने वाले लेन-देन (पीटूपी– पर्सन टू पर्सन) में 29 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो कि 21.65 अरब ट्रांजैक्शन तक पहुंच गई है।
हालांकि अगर हम एक ट्रांजैक्शन की औसत रकम देखें तो वह घटकर 1,262 रुपए रह गई है, जो पहले 1,363 रुपए थी। इसका मतलब यह है कि लोग अब यूपीआई का ज्यादा इस्तेमाल छोटी-मोटी खरीदारी जैसे खाना, यात्रा, दवाइयां और अन्य रोजमर्रा की चीजों के लिए कर रहे हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) मशीनों की संख्या भी बढ़ी है। ये मशीनें अब 35 प्रतिशत बढ़कर 12.12 मिलियन हो गई हैं। हालांकि, भारत क्यूआर की संख्या में थोड़ी कमी आई है, क्योंकि लोग अब यूपीआई क्यूआर कोड का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके साथ ही क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड से होने वाले लेन-देन में भी बदलाव आया है। क्रेडिट कार्ड से लेन-देन में 26 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि डेबिट कार्ड से लेन-देन में 22 प्रतिशत की कमी आई है, क्योंकि लोग अब छोटी रकम के लेन-देन के लिए यूपीआई का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं।
मोबाइल और टैप आधारित पेमेंट्स भी तेजी से बढ़ रहे हैं। खासकर शहरों में और मेट्रो, टैक्सी जैसी सेवाओं में लोग अब बिना कार्ड स्वाइप किए मोबाइल से पेमेंट करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
आने वाले समय में भारत में यूपीआई का इस्तेमाल और भी बढ़ने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार 2025 के अंत और 2026 की शुरुआत में इंटरऑपरेबल क्यूआर कोड को आम इस्तेमाल में लाया जाएगा, जिससे लोग पेट्रोल पंप, अस्पतालों, सार्वजनिक सेवाओं और यात्रा जैसे स्थानों पर एक ही क्यूआर कोड से पेमेंट कर सकेंगे।
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