राजनीति
उत्तर प्रदेश में खुले धार्मिक स्थल, योगी ने की गोरखनाथ में पूजा

कोरोना वायरस के कारण लम्बे समय से चल रहा लॉकडाउन अब खुलने लगा है। सरकार ने धार्मिक स्थलों को खोलने की इजाजत दे दी है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाध्वीश्वर योगी आदित्यनाथ ने सुबह उठने के बाद गुरु गोरखनाथ का दर्शन-पूजन करने के बाद मंदिर का भ्रमण किया। सोमवार सुबह सबसे पहले धार्मिक स्थल खोले गए। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा में लोग फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए पहुंचे। लोगों ने वहां पर पूजा-अर्चना, नमाज तथा अरदास की। चर्च में भी काफी लोग पहुंचे हैं। लखनऊ में मनकामेश्वर मंदिर की महंत दिव्यागिरी भगवान शिव की पूजा करती नजर आयी। इस प्रकार हनुमान सेतु में भी भक्त पूजा के लिए कतार में दिखे। सभी ने मास्क पहन रखा था।
लखनऊ के हनुमान सेतु मंदिर में भक्त पूजा करने पहुंचे। एक ने कहा कि लॉकडाउन के बाद आज पहली बार मंदिर खुला है तो बहुत अच्छा लग रहा है। यहां बहुत अच्छी व्यवस्था की गई है फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ ही हर जगह सैनिटाइजर का प्रयोग किया गया है।
गोरखपुर में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद लोग बड़ी संख्या में कतार में खड़े होकर दर्शन के लिए इंतजार करते हुए मंदिर में पहुंचे। गेट पर ही लोगों को सेनेटाइज किया जा रहा है। इसके साथ ही बिना मास्क के किसी को भी प्रवेश की इजाजत नहीं है।
कोरोना संक्रमण से निजात और लोक कल्याण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार की सुबह गोरखनाथ मन्दिर में रुद्राभिषेक किया। मंदिर के शक्तिपीठ में आयोजित इस आनुष्ठानिक पूजन को प्रधान पुरोहित आचार्य रामानुज त्रिपाठी वैदिक ने वेदपाठी ब्राह्मणों के साथ सम्पन्न कराया। इससे पहले मुख्यमंत्री ने गुरु गोरखनाथ की वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की और अपने गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ के समाधि स्थल पर जाकर आशीर्वाद लिया।
इसी क्रम में उन्होंने मन्दिर परिसर का भ्रमण कर उस इंतजाम को देखा, जिसके लिए उन्होंने रविवार की देर रात निर्देशित किया था। 80 दिन बाद सोमवार से मन्दिर के कपाट श्रद्घालुओं के लिए खोल दिये गए हैं। अभी तक मंदिर में कम श्रद्घालु ही आये है। मुख्यमंत्री का निर्देश दर्शन-पूजन के दौरान हर हाल में फिजिकल डिस्टेंसिंग के पालन को लेकर है।
लखनऊ के ईदगाह मस्जिद में लोगों ने नमाज अदा की। मस्जिद में प्रवेश करने से पहले लोगों की स्क्रीनिंग और हाथ सैनिटाइज कराए गए। यहां पर भी लोग मास्क लगाकर पहुंचे जबकि फिजिकल डिस्टेंसिंग का भी कड़ाई से पालन किया जा रहा है।
मथुरा में सोमवार को भले ही मथुरा और वृन्दावन के कुछ प्रमुख मंदिर नहीं खोले गए है, लेकिन श्रीष्ण जन्मभूमि को खोला गया है। यहां पर सुबह से ही लोग दर्शन करने पहुंचे हैं। मथुरा में इसको लेकर सुरक्षा-व्यवस्था काफी कड़ी की गई है और लोगों से मानकों का पालन भी करने की अपील की गई है। यहां पर सुबह सात से दोपहर 12 बजे तक और शाम को चार बजे से रात के 8 बजे तक श्रद्घालु यहां दर्शन कर सकेंगे।
आलमबाग और नाका गुरूद्वारा में भक्त कतार में पहुंचे और वहां पर भी सेनिटाइजर और मास्क में लोग नजर आए। वहां भी सारी गाइडलाइनों का पालन हो रहा था। राजधानी के गिरजाघरों में भी श्रद्घालु अपनी बारी का इंतजार करते दिखे।
महाराष्ट्र
हजरत सैयद बाले शाह पीर दरगाह ध्वस्तीकरण आदेश, चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश, दरगाह प्रबंधन को राहत

मुंबई: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई के मीरा भयंदर स्थित हजरत सैयद बाले शाह पीर दरगाह को संरक्षण प्रदान किया है तथा चार सप्ताह के लिए ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। महाराष्ट्र सरकार चार सप्ताह के भीतर अदालत में जवाब दाखिल करेगी, जिसके बाद ही दरगाह को गिराने की प्रक्रिया पर निर्णय लिया जाएगा।
राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बांकोले ने सदन में 20 मई तक धर्मस्थल को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था और सार्वजनिक बयान भी जारी किया था, लेकिन किसी तरह का कोई नोटिस जारी नहीं किया गया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर प्रभावी रोक लगाने का आदेश दिया और दरगाह प्रशासन द्वारा दायर याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब भी मांगा।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि किसी सरकारी नोटिस के अभाव के बावजूद, राज्य विधानसभा में मंत्री के सार्वजनिक बयानों और हाल की पुलिस रिपोर्ट के आधार पर ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि दरगाह 350 साल पुरानी है और फिर भी राज्य सरकार ने इसे अवैध संरचना के रूप में वर्गीकृत किया है। ट्रस्ट ने दावा किया है कि संपत्ति का औपचारिक पंजीकरण भी 2022 में कराने की मांग की गई है और यह मंदिर दशकों से उसी स्थान पर स्थित है। याचिकाकर्ता के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने 15 और 16 मई को तत्काल सुनवाई की याचिकाओं को गलती से खारिज कर दिया था। दरगाह प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पुलिस ने 15 मई को एक नोटिस भी जारी किया था। नोटिस में ट्रस्ट के सदस्यों को चेतावनी दी गई थी कि वे विध्वंस प्रक्रिया में बाधा या व्यवधान न डालें। ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया 20 मई के लिए निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बिना किसी कानूनी आदेश या उचित प्रक्रिया, जैसे नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए बिना की गई, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन है। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी और महाराष्ट्र सरकार को उस समयावधि के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।
अपराध
झारखंड के शराब घोटाले में आईएएस विनय चौबे से एंटी करप्शन ब्यूरो ने शुरू की पूछताछ

रांची, 20 मई। झारखंड में शराब घोटाले में पीई (प्रिलिमिनरी इन्क्वायरी) दर्ज करने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने आईएएस और तत्कालीन एक्साइज सेक्रेटरी विनय कुमार चौबे से पूछताछ शुरू की है।
मंगलवार को एसीबी की टीम उनके आवास पर पहुंची और इसके बाद उन्हें अपने साथ कार्यालय लेकर पहुंची है।
सूत्रों के अनुसार, उनसे उनके कार्यकाल में झारखंड में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर लागू हुई एक्साइज पॉलिसी की कथित गड़बड़ियों के बारे में पूछताछ की जा रही है।
दरअसल, इस मामले की जड़ें छत्तीसगढ़ से जुड़ी हैं, जहां शराब घोटाले में स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के अफसरों और कई बड़े कारोबारियों की भूमिका सामने आई है।
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच वहां की आर्थिक अपराध शाखा ने शुरू की थी। इसके बाद ईडी ने भी इस मामले में जांच शुरू की।
ईडी को इस दौरान यह भी जानकारी मिली कि जिस सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला किया, उसी ने झारखंड में भी नई उत्पाद नीति लागू करवाई और यहां भी उसी तर्ज पर घोटाला दोहराया गया।
इसी आधार पर ईडी की छत्तीसगढ़ इकाई ने झारखंड के तत्कालीन एक्साइज सेक्रेटरी विनय चौबे को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था।
पूछताछ के दौरान चौबे ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि उत्पाद नीति सरकार की सहमति से लागू की गई थी। बाद में झारखंड के एक व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट ने ही झारखंड में सुनियोजित घोटाला किया।
इसके बाद ईडी ने इसमें ईसीआईआर दर्ज कर जांच शुरू की और अक्टूबर 2024 में आईएएस विनय चौबे सहित कई लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी।
जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा में एक प्राथमिकी दर्ज होने के बाद झारखंड एसीबी ने राज्य सरकार की अनुमति के बाद पीई दर्ज कर जांच शुरू की है।
राजनीति
नाना पटोले ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखा पत्र, प्रोटोकॉल न मानने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

नई दिल्ली, 20 मई। महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। पत्र में मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई के दौरे को लेकर प्रोटोकॉल का पालन न करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।
नाना पटोले ने लिखा, “आपको यह पत्र लिखते समय अत्यंत पीड़ा हो रही है। बहुजन समाज के गौरव, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई का महाराष्ट्र सरकार एवं राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपमान किया गया है। एक महाराष्ट्र पुत्र के रूप में उनका मुंबई में सत्कार करने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के अनुसार राज्य महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त की उपस्थिति अपेक्षित थी, परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। अंततः मुख्य न्यायाधीश ने अपने भाषण में यह टिप्पणी की कि मेरे इस कार्यक्रम में इन अधिकारियों को आने की योग्यता नहीं लगती, तो यह विचार उन्हें स्वयं करना चाहिए। यह वक्तव्य अत्यंत दुखदायक है और यह स्पष्ट संकेत देता है कि महाराष्ट्र सरकार अपने ही सुपुत्र का सम्मान करने में विफल रही है।”
उन्होंने आगे लिखा, “न्यायमूर्ति भूषण गवई डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों के अनुयायी हैं, इस कारण उनके साथ यह व्यवहार जानबूझकर किया गया ऐसा संदेह संपूर्ण महाराष्ट्र में व्यक्त किया जा रहा है। संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के सम्मान के लिए एक निर्धारित प्रोटोकॉल होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र सरकार ने इस प्रोटोकॉल की अवहेलना की है।”
पटोले ने अंत में विनम्र अपील की। कहा- यह अपमान केवल भूषण गवई का नहीं, बल्कि महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहू महाराज और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का भी है। इस अपमान के लिए राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए, ऐसी आपसे विनम्र प्रार्थना करता हूं। आपकी कार्रवाई से भविष्य में कोई भी सरकार और अधिकारी किसी संवैधानिक पद पर बैठे शख्स का अपमान करने का साहस नहीं करेंगे, ऐसी अपेक्षा करता हूं।
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