राजनीति
यशवंत शनिवार को आएंगे झारखंड, पहले ही करीब 64 फीसदी वोट अपने पक्ष में कर गईं दौपदी मुर्मू!
राष्ट्रपति पद के लिए विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा अपने पक्ष में समर्थन जुटाने की मुहिम के तहत 16 जुलाई को गृह राज्य झारखंड आ रहे हैं, लेकिन उनके आने से पहले ही एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू राज्य के 64 फीसदी वोटों को अपने पक्ष में कर चुकी हैं।
राज्य में राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल के कुल वोटों का मूल्य (वैल्यू) 28256 है। सब कुछ पार्टियों के सार्वजनिक स्टैंड के मुताबिक हुआ तो यह तय है कि इनमें से 22808 मूल्य के वोट मुर्मू के पक्ष में जायेंगे। दूसरी तरफ यशवंत सिन्हा को झारखंड से कांग्रेस के दो सांसदों और 17 विधायकों के मत मिलते दिख रहे हैं। इनके मतों की कुल वैल्यू 4392 बैठ रही है।
देश में राष्ट्रपति चुनाव के इतिहास में यह कीर्तिमान भी शायद पहली बार बनेगा, जब एक उम्मीदवार यानी यशवंत सिन्हा को अपने पुत्र तक का वोट नहीं मिल पायेगा। उनके पुत्र जयंत सिन्हा हजारीबाग लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के सांसद हैं और उन्होंने साफ तौर पर एलान कर दिया है कि वह पार्टी धर्म का निर्वाह करेंगे यानी राष्ट्रपति चुनाव में उनका वोट एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को जायेगा। यहां यह जिक्र करना भी दिलचस्प है कि हजारीबाग के भाजपा सांसद रहे यशवंत सिन्हा ने 2014 में सक्रिय राजनीति से किनारा करते हुए अपने पुत्र जयंत सिन्हा को राजनीति के मैदान में आगे किया था। भाजपा ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए जयंत सिन्हा को यहां से प्रत्याशी बनाया और उन्होंने लगातार दो चुनावों में जीत दर्ज की। यशवंत सिन्हा और जयंत सिन्हा हजारीबाग में ऋषभ वाटिका नामक फॉर्म हाउस में एक साथ रहते हैं पर सियासी तौर पर दोनों की राहें अब जुदा-जुदा हैं।
द्रौपदी मुर्मू की बात करें तो उनका झारखंड की धरती से गहरा लगाव रहा है। वह पांच साल तक यहां राज्यपाल तो रही हीं, वह अपने पूर्वजों और ननिहाल पक्ष के झारखंड में पुश्तैनी निवास का जिक्र कर भावनात्मक तौर पर यहां से अपने लिए अधिकाधिक वोट जुटाने में सफल दिख रही हैं। एनडीए के घटक दलों भाजपा और आजसू के वोट द्रौपदी मुर्मू को मिलेंगे, यह तो उनकी उम्मीदवारी की घोषणा के साथ स्वाभाविक तौर पर साफ हो गया था। अब यूपीए फोल्डर की पार्टी झामुमो ने भी 14 जुलाई को आधिकारिक तौर पर एलान कर दिया कि वह चुनाव में मुर्मू का समर्थन करेंगे। झामुमो का कहना है कि पहली बार आदिवासी महिला को देश का राष्ट्रपति बनने का गौरव प्राप्त होने वाला है, इसलिए पार्टी ने उन्हें समर्थन देने का फैसला लिया है। बता दें कि 4 जुलाई को द्रौपदी मुर्मू ने अपने झारखंड दौरे के दौरान एनडीए विधायकों-सांसदों के साथ बैठक के बाद झामुमो के सुप्रीमो शिबू सोरेन और उनके पुत्र हेमंत सोरेन से मुलाकात कर समर्थन मांगा था। झामुमो ने उसी दिन उन्हें समर्थन का संकेत दे दिया था। अब आधिकारिक तौर पर घोषणा के बाद द्रौपदी मुर्मू ने झामुमो के प्रति आभार जताया है।
झारखंड में राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटों के गणित की बात करें तो यहां के एक विधायक के वोट का मूल्य 176 और एक सांसद के वोट का मूल्य 700 है। झारखंड में भाजपा के 26 विधायक हैं, जबकि लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों की संख्या 14 है। इस तरह राज्य में बीजेपी के पास कुल 14,376 मूल्य के वोट हैं। इसी तरह एनडीए के घटक दल आजसू के पास दो विधायक और एक सांसद हैं। आजसू के कुल वोटों का मूल्य 1052 है। इस तरह से एनडीए के पास कुल 15,428 मूल्य के वोट हैं। झामुमो के पास 30 विधायक और तीन सांसद हैं, जिनके कुल वोटों का मूल्य 7380 है। इसके अलावा बरकट्ठा क्षेत्र के निर्दलीय विधायक अमित यादव ने भी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान की घोषणा की है। इस तरह झारखंड में कुल 28256 में स े22808 मूल्य यानी 64 फीसदी वोट द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में जाते दिख रहे हैं।
महाराष्ट्र
समाजवादी पार्टी के MLA रईस शेख ने उर्दू के प्रति BJP की दुश्मनी की आलोचना की

RAIS SHAIKH
मुंबई; राज्य में नगर पंचायत और म्युनिसिपल काउंसिल चुनाव का प्रचार अपने चरम पर है और BJP नेताओं ने अपने उम्मीदवारों के प्रचार के लिए उर्दू में बुकलेट छपवाई हैं। ‘भिवंडी ईस्ट’ से समाजवादी पार्टी के MLA रईस शेख ने BJP की उर्दू बुकलेट का स्वागत किया है। MLA शेख ने दावा किया कि BJP को देर से ही सही, यह एहसास हो गया है कि उर्दू किसी एक धर्म की भाषा नहीं है।
रायगढ़ जिले के ‘अरण’ से BJP MLA महेश बाल्दी के कार्यकर्ता म्युनिसिपल काउंसिल चुनाव के दौरान उर्दू में बुकलेट बांट रहे हैं। इस ओर इशारा करते हुए MLA रईस शेख ने कहा कि ‘एक तरफ वे धर्म के आधार पर मुसलमानों से नफरत करते हैं और जब उनके वोटों की जरूरत होती है, तो वे उर्दू भाषा का सहारा लेते हैं’, जो BJP की दोधारी तलवार है। राज्य के मत्स्य पालन और बंदरगाह मंत्री नीतीश राणे को BJP की उर्दू में प्रचार बुकलेट छपवाने पर अपनी भावनाएं जाहिर करनी चाहिए।
राज्य में एक उर्दू साहित्य अकादमी है। हालांकि, इस अकादमी को मुसलमानों के लिए काम करने वाली संस्था माना जाता है। उर्दू अकादमी की हालत ऐसी है कि न कोई फंड है, न कोई ऑफिस, न कोई स्टाफ। उर्दू भाषा के सेंटर, उर्दू स्कूल, उर्दू बोलने वाले टीचर, उर्दू घरों को फंड और जगह नहीं दी जा रही है। BJP सरकार ने पांच दशकों से चल रही उर्दू महीने की ‘लोक राज्य’ को बंद कर दिया है। MLA रईस शेख ने पूछा है कि उर्दू भाषा और मुसलमानों की इतनी दुश्मनी रखने वाली BJP को चुनाव के समय उर्दू मुस्लिम वोटों पर अफसोस क्यों होना चाहिए? उर्दू किसी धर्म की भाषा नहीं है। उर्दू बोलने वाले लेखकों और गीतकारों ने बॉलीवुड के विकास में बहुत योगदान दिया है। राज्य में 75 लाख उर्दू बोलने वाले हैं और राज्य में रोज़ाना 25 उर्दू अखबार छपते हैं। MLA रईस शेख ने BJP को सलाह दी है कि वह अपनी मतलबी राजनीति के लिए भाषा और धर्म के आधार पर नफरत फैलाने की अपनी साजिश पर रोक लगाए।
अपराध
वसई स्कूली छात्रा की मौत का मामला: 13 साल की बच्ची के लिए 100 स्क्वाट की सजा जानलेवा साबित होने पर शिक्षक गिरफ्तार

CRIME
वसई: वसई स्थित श्री हनुमंत विद्या मंदिर स्कूल में 13 वर्षीय छात्रा की मौत के मामले में शिक्षिका ममता यादव के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है। आरोप है कि शिक्षिका द्वारा दी गई सजा के कारण छात्रा की तबीयत बिगड़ गई और अंततः उसकी मौत हो गई। पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट मिलने के बाद मामला दर्ज कर बुधवार को शिक्षिका को गिरफ्तार कर लिया।
छात्रा काजल गौंड, वसई पूर्व के सातीवली स्थित श्री हनुमंत विद्या मंदिर स्कूल में छठी कक्षा में पढ़ती थी। 8 नवंबर को कुछ बच्चे स्कूल देर से पहुँचे। कक्षा शिक्षिका ममता यादव ने काजल समेत सभी बच्चों को स्कूल बैग कंधे पर लादकर 100 उठक-बैठक करने की सज़ा दी।
स्कूल से घर लौटने के बाद काजल की तबीयत बिगड़ गई। उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस घटना के गंभीर परिणाम हुए। मंगलवार को पुलिस को जेजे अस्पताल से पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिली।
नतीजतन, वालिव पुलिस ने आखिरकार शिक्षिका ममता यादव पर भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और किशोर न्याय (बालकों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम की धारा 75 के तहत मौत के लिए ज़िम्मेदार होने का मामला दर्ज किया। शिक्षिका को बुधवार शाम को गिरफ्तार कर लिया गया।
वालिव पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक दिलीप घुगे ने बताया, “शुरुआत में इस मामले में आकस्मिक मौत का मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, जांच और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर शिक्षिका के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है और उसे कल शाम गिरफ्तार कर लिया गया।”
राष्ट्रीय समाचार
महाराष्ट्र: वसई में 100 सिट-अप्स की सजा के बाद स्टूडेंट की मौत, एसआईटी जांच की मांग

HIGH COURT
मुंबई, 20 नवंबर: वसई की 13 साल की बच्ची काजल गौड़ की मौत ने पूरे महाराष्ट्र को हिलाकर रख दिया है। स्कूल में 10 मिनट देर से आने पर टीचर ने उसे 100 सिट-अप्स करने की सजा दी। इसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ती गई और जेजे हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
इस पूरे मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक पिटीशन दायर की गई है, जिसमें कोर्ट से खुद संज्ञान लेकर कार्रवाई करने की मांग की गई है।
यह पिटीशन वकील स्वप्ना प्रमोद कोडे ने चीफ जस्टिस चंद्रशेखर को संबोधित करते हुए फाइल की है। उन्होंने कोर्ट से अपील की है कि इस मामले की जांच तेजी से करवाई जाए, क्योंकि यह सिर्फ एक बच्ची की मौत का मामला नहीं, बल्कि एक इंसानी और संवैधानिक मुद्दा है।
पिटीशन में मांग की गई है कि एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाई जाए, जो स्कूल के गैरकानूनी कामकाज और इस मौत के पीछे की सभी परिस्थितियों की जांच करे। साथ ही स्कूल मैनेजमेंट और आरोपी टीचर के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए।
पिटीशन के मुताबिक, 8 नवंबर 2025 को क्लास 6 की स्टूडेंट काजल गौड़ को देर से आने पर 100 सिट-अप्स करने को कहा गया। काजल की हालत स्कूल से घर लौटने के बाद बिगड़ने लगी। उसे पहले वसई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया, फिर हालात खराब होने पर जेजे हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां 14 नवंबर को उसकी मौत हो गई।
वालिव पुलिस ने अभी तक सिर्फ एक्सीडेंटल डेथ की रिपोर्ट दर्ज की है और एफआईआर दर्ज करने के लिए फॉरेंसिक रिपोर्ट के नतीजों का इंतजार कर रही है।
वहीं, स्कूल की तरफ से दावा किया गया कि उन्हें काजल की खराब सेहत के बारे में पता था और उन्होंने उसके माता-पिता से मेडिकल मदद लेने को कहा था, लेकिन सजा देने वाली टीचर ममता यादव को पता नहीं था कि काजल सजा पाने वाले बच्चों के समूह में है। प्रिंसिपल का कहना है कि टीचर उसे पहचान नहीं पाई क्योंकि उसकी हाइट छोटी थी, हालांकि जांच पूरी होने तक टीचर को सस्पेंड कर दिया गया है।
पिटीशन में बताया गया है कि हर नागरिक को जीवन और गरिमा से जीने का हक है। किसी भी इंसान की जान कानून के बिना नहीं ली जा सकती। यहां एक नाबालिग बच्ची को ऐसी सजा दी गई जो उसकी जान ले बैठी। यह न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और एक बड़े अपराध की ओर इशारा करता है।
वकील स्वप्ना कोडे ने कोर्ट से मांग की है कि एसआईटी गठित की जाए जो पूरी घटना की तेजी से जांच करे और स्कूल प्रबंधन व आरोपी टीचर के खिलाफ मामला दर्ज करे। स्कूल के अवैध संचालन की जांच हो और जरूरत पड़े तो उसकी मान्यता रद्द कर दी जाए। पूरे राज्य में शारीरिक सजा पर रोक लगाने के लिए निर्देश जारी किए जाएं। काजल के भाई समेत प्रभावित स्टूडेंट्स की पढ़ाई का भविष्य सुरक्षित किया जाए।
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