राजनीति
‘मोदी की गारंटी’ वाली गाड़ी फरवरी महीने में भी चलाएंगे, पीएम मोदी ने की घोषणा

‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ की कामयाबी से उत्साहित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब ‘मोदी की गारंटी’ वाली गाड़ी को फरवरी महीने में भी चलाने की घोषणा कर दी है।
देशभर के विभिन्न शहरों से जुड़े ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ के हजारों लाभार्थियों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “विकसित भारत संकल्प यात्रा के 2 महीने पूरे हो चुके हैं। इस यात्रा में चलने वाला विकास रथ, विश्वास रथ है और अब इसको लोग गारंटी वाला रथ भी कह रहे हैं। ये विश्वास है कि कोई भी वंचित नहीं रहेगा, कोई भी योजनाओं के लाभ से नहीं छूटेगा।
जिन गांवों में मोदी की गारंटी वाली गाड़ी अभी नहीं पहुंची है, वहां अब इसका बेसब्री से इंतजार हो रहा है। और, इसलिए पहले ये यात्रा 26 जनवरी तक हमने सोची थी, लेकिन, इतना समर्थन मिला है, इतनी मांग बढ़ी है, गांव-गांव से लोग कह रहे हैं कि ‘मोदी की गारंटी’ वाली गाड़ी हमारे यहां आनी चाहिए। जब ये मुझे पता चल रहा है तो मैंने सरकार के हमारे अफसरों से कहा है कि अब भई 26 जनवरी तक नहीं, थोड़ा आगे बढ़ाओ। लोगों को जरूरत है, लोगों की मांग है तो इसको जरा हमें पूरा करना होगा। इसलिए, शायद थोड़े दिन के बाद तय हो जाएगा ये मोदी की गारंटी वाली गाड़ी शायद फरवरी महीने में भी चलाएंगे।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “जब 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा के आशीर्वाद से, हमने ये यात्रा शुरू की थी, तो इसकी इतनी सफलता की कल्पना नहीं की थी। बीते दिनों में मुझे कई बार इस यात्रा से जुड़ने का अवसर मिला। अनेकों लाभार्थियों से मेरी खुद बातचीत हुई। सिर्फ दो महीने में विकसित भारत संकल्प यात्रा, एक जनआंदोलन में बदल गई है। जहां भी मोदी की गारंटी वाली गाड़ी पहुंच रही है, लोग बहुत अपनेपन के साथ स्वागत कर रहे हैं। विकसित भारत संकल्प यात्रा से अब तक 15 करोड़ लोग जुड़ चुके हैं। देश की लगभग 70-80 प्रतिशत पंचायतों तक ये यात्रा पहुंच चुकी है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ का सबसे प्रमुख ध्येय ऐसे लोगों तक पहुंचना था, जो किसी ना किसी वजह से अब तक सरकार की योजनाओं से वंचित रहे और मोदी ऐसे लोगों को पूजता है, मोदी ऐसे लोगों को पूछता है, जिनको किसी ने नहीं पूछा। आज कोई अध्ययन करे तो पाएगा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा जैसा अभियान लास्ट माइल डिलीवरी का सबसे बेहतरीन माध्यम है। इस यात्रा के दौरान 4 करोड़ से ज्यादा लोगों का हेल्थ चेकअप हुआ है।
ढाई करोड़ लोगों की टीबी की जांच हुई है, जनजातीय क्षेत्रों में 50 लाख से ज्यादा लोगों की सिकल सेल एनीमिया के लिए स्क्रीनिंग हुई है, 50 लाख से ज्यादा आयुष्मान कार्ड दिए गए हैं, 50 लाख से ज्यादा लोगों ने बीमा योजनाओं के लिए आवेदन किया, 33 लाख से ज्यादा नए लाभार्थी, पीएम किसान योजना से जोड़े गए, 25 लाख से ज्यादा नए लाभार्थी किसान क्रेडिट कार्ड के जोड़े गए, 22 लाख से ज्यादा नए लाभार्थियों ने मुफ्त गैस कनेक्शन के लिए अप्लाई किया और 10 लाख से ज्यादा लोगों ने पीएम स्वनिधि का लाभ उठाने के लिए आवेदन दिया।
उन्होंने अपने सरकार के कार्यकाल के दौरान गरीबों और वंचितों के लिए किए गए कई कामों का जिक्र करते हुए कहा कि अभी एक ताजा रिपोर्ट आई है जो बताती है कि पिछले 9 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। उन्होंने देश के किसानों, युवाओं, आदिवासियों, वंचितों और महिलाओं के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए यह भी कहा, “हमारी सरकार कैसे वंचितों को वरीयता दे रही है, इसका एक उदाहरण ट्रांसजेंडर समाज भी है, हमारा किन्नर समाज है। और, अभी मैं किन्नर समाज के प्रतिनिधि से विस्तार से बात कर रहा था, आपने सुना होगा।
”आजादी के बाद इतने दशकों तक ट्रांसजेंडर्स को किसी ने नहीं पूछा। ये हमारी सरकार है, जिसने पहली बार हमारे किन्नर समाज की मुश्किलों की चिंता की, उनका जीवन आसान बनाने को प्राथमिकता दी। हमारी सरकार ने साल 2019 में किन्नर समाज के अधिकारों को संरक्षण देने वाला कानून बनाया। इससे किन्नर समाज को समाज में सम्मानजनक स्थान मिलने के साथ ही उनके साथ होने वाले भेदभाव को भी खत्म करने में मदद मिली।
सरकार ने हजारों लोगों को ट्रांसजेंडर पहचान प्रमाण पत्र भी जारी किया जो अभी किन्नर समाज के प्रतिनिधि ने कहा कि उन्होंने आई-कार्ड दिए हैं सबको। उनके लिए सरकार की योजना है और वो किन्नर समाज हमारी मदद भी कर रहा है। और, जैसा अभी कुछ देर पहले हुए संवाद में जाहिर हुआ है, गरीब कल्याण की विभिन्न योजनाओं का लाभ भी हमारे किन्नर समाज को लगातार मिल रहा है।”
राष्ट्रीय समाचार
‘हे आमचा महाराष्ट्र आहे’: मुंबई लोकल ट्रेन में महिला ने सह-यात्री को मराठी बोलने के लिए मजबूर किया;

मुंबई: मुंबई की एक भीड़ भरी लोकल ट्रेन में दो महिलाओं के बीच हुई तीखी बहस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे महाराष्ट्र में भाषा, क्षेत्रीय पहचान और सार्वजनिक व्यवहार को लेकर व्यापक चर्चा शुरू हो गई है।
वीडियो में, एक महिला अपने बच्चे को गोद में लिए हुए एक साथी यात्री को मराठी में बात करने के लिए मजबूर करती हुई दिखाई दे रही है। बताया जा रहा है कि यह झगड़ा तब शुरू हुआ जब उसने दूसरी महिला को मराठी भाषा न बोलने के लिए टोका और तर्क दिया कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा बोली जानी चाहिए। मामला तेज़ी से बिगड़ गया और दोनों महिलाएँ अपने फ़ोन में एक-दूसरे की बातें रिकॉर्ड करने लगीं और दूसरे यात्री देखते ही देखते बहस जारी रखने लगीं।
वीडियो में, एक बच्चे को गोद में लिए महिला कहती सुनाई देती है, “नहीं रहूँ देनार महाराष्ट्र माधे। मराठी बोल। मज़ा महाराष्ट्र है।” (मैं तुम्हें महाराष्ट्र में नहीं रहने दूँगी, मराठी में बोलो। मैं महाराष्ट्र की हूँ।) दूसरी महिला उसे धक्का देते हुए पूछती है, “कहाँ लिखा है ये?” (यह कहाँ लिखा है?), सार्वजनिक स्थानों पर भाषा के पालन पर सवाल उठाती है। यह वीडियो, जो तब से ऑनलाइन व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है, ने तीखी बहस छेड़ दी है।
मुंबई की एक लोकल ट्रेन में एक अलग घटना में, सीट को लेकर शुरू हुई एक सामान्य बहस जल्द ही भाषा के एक गरमागरम विवाद में बदल गई, जहाँ एक महिला ने कथित तौर पर दूसरी महिला से कहा, “मराठी बोलो या बाहर निकल जाओ।” यह घटना 18 जुलाई की देर शाम सीएसएमटी-खोपोली लोकल ट्रेन में हुई और तब से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिससे महाराष्ट्र में भाषा को लेकर चल रहा तनाव फिर से भड़क गया है।
मध्य रेलवे के अधिकारियों के अनुसार, यह विवाद भायखला स्टेशन पर शुरू हुआ और मुलुंड तक जारी रहा, जहाँ रेलवे कर्मचारियों ने बीच-बचाव करने की कोशिश की। हालाँकि, महिला डिब्बे में भारी भीड़ के कारण, अधिकारी शिकायतकर्ता तक नहीं पहुँच पाए।
सोशल मीडिया पर कई जगहों पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कई महिलाओं के बीच बहस होती दिख रही है, जो मुंबई लोकल ट्रेनों में आम बात है। लेकिन इस बहस ने तब तूल पकड़ लिया जब एक महिला ने दूसरी महिला की मराठी न बोलने पर आलोचना करते हुए कहा, “अगर हमारी मुंबई में रहना है तो मराठी बोलो, वरना निकल जाओ।”
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी में विधायक रईस शेख का पत्ता कटा, यूसुफ अब्राहनी ने ली जगह

मुंबई: (कमर अंसारी) महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी में चल रही आंतरिक खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है। पिछले कई दिनों से पार्टी के वरिष्ठ नेता अबू असीम आज़मी, अपने ही विधायक रईस शेख से नाराज़ चल रहे थे। कई बार उन्होंने अपने बयानों में भी इस नाराज़गी का परोक्ष रूप से उल्लेख किया था। अब यह मामला पूरी तरह उजागर हो चुका है — महाराष्ट्र में अबू असीम आज़मी ने रईस शेख की जगह कांग्रेस छोड़कर आए यूसुफ अब्राहनी को तरजीह दी है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि रईस शेख को बाहर का रास्ता दिखाने की पूरी तैयारी हो चुकी है।
अगर जमीनी हकीकत पर नज़र डालें, तो रईस शेख की लोकप्रियता भी इस पूरे घटनाक्रम की एक बड़ी वजह मानी जा रही है। मुंबई और भिवंडी में रईस शेख ने अपने कार्यकाल के दौरान जनहित में कई अहम कार्य किए हैं, जिससे उनकी पकड़ जनता में मजबूत हुई है। भिवंडी विधानसभा क्षेत्र से वह लगातार दूसरी बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए हैं। क्षेत्र की जनता का भी मानना है कि उन्होंने रईस शेख को उनके काम के आधार पर ही दोबारा मौका दिया।
शिक्षा, सड़क, पानी जैसी मूलभूत समस्याओं को हल करने के साथ-साथ रईस शेख का आम जनता से सीधे जुड़ाव उनकी लोकप्रियता में इज़ाफा कर रहा है। यही नहीं, दक्षिण मुंबई में नगरसेवक के रूप में उनके किए गए कार्यों को आज भी लोग सराहते हैं। यही कारण है कि आगामी नगर निगम चुनावों में उनके समर्थित उम्मीदवारों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, अबू असीम आज़मी को रईस शेख की इसी बढ़ती लोकप्रियता से खतरा महसूस होने लगा था। पार्टी हाईकमान अखिलेश यादव की आज़मी से नाराज़गी भी इसी क्रम में देखी जा रही है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, रईस शेख को और अधिक सशक्त होने से रोकने के लिए उन्हें अबू असीम द्वारा पार्टी से बाहर किया जा रहा है।
वहीं, कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में आए यूसुफ अब्राहनी को अब पार्टी में नई जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन यह वही यूसुफ अब्राहनी हैं, जिन्होंने करीब 20 साल पहले समाजवादी पार्टी के दर्जनों नगरसेवकों को साथ लेकर कांग्रेस ज्वॉइन कर ली थी और मुंबई में समाजवादी पार्टी को लगभग तोड़ दिया था। कांग्रेस ने उन्हें मानखुर्द विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर विधायक बना दिया, लेकिन अगली बार वह चुनाव नहीं जीत सके।
बाद में मानखुर्द से अबू असीम आज़मी ने चुनाव लड़ा और यूसुफ अब्राहनी को हराया। दिलचस्प बात यह है कि आज़मी की इस जीत में रईस शेख की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। लेकिन अब पार्टी से रईस शेख को निकालने के लिए आज़मी ने उन्हीं यूसुफ अब्राहनी को पुनः पार्टी में शामिल कर लिया है, इस उम्मीद में कि वह फिर से दर्जनों नगरसेवक पार्टी में ला सकेंगे।
रईस शेख जिस पार्टी कार्यालय से वर्षों से कार्य कर रहे थे, उसे भी अब यूसुफ अब्राहनी को सौंप दिया गया है — एक स्पष्ट संकेत कि पार्टी में अब रईस शेख के लिए कोई स्थान नहीं है।
उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के हाईकमान और अखिलेश यादव के करीबी सूत्रों के अनुसार, पार्टी महाराष्ट्र में अब एक ऐसे नेता की तलाश में है, जो अबू असीम आज़मी की जगह ले सके। पार्टी को भविष्य में किसी नुकसान से बचाने के लिए आज़मी के हर निर्णय को अब अनदेखा किया जा रहा है।
महाराष्ट्र
उर्दू पत्रकारों के लिए पेंशन की मांग, विधायक अबू आसिम आज़मी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखा पत्र

मुंबई: महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक अबू आसिम आज़मी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उर्दू पत्रकारों को पेंशन और वजीफा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार को 60 साल की उम्र के बाद पेंशन, चिकित्सा सहायता और उनके बच्चों की शादी में सहायता प्रदान करनी चाहिए और इसके लिए एक कोष आवंटित किया जाना चाहिए। अबू आसिम आज़मी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि महाराष्ट्र में कई दैनिक और मासिक पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं, जिनमें कार्यरत पत्रकार सेवानिवृत्ति के बाद भी कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन उनका खर्चा पूरा नहीं हो पाता और वे बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित रहते हैं। इसलिए, ऐसे सेवानिवृत्त वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन दी जानी चाहिए जो अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और गरीबी से जूझ रहे हैं। आज़मी ने पत्र में मांग की है कि इन पत्रकारों को चिकित्सा सहायता प्रदान की जाए और उनके बच्चों की शादी में भी मदद की जाए ताकि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी से बचाया जा सके और उनकी दैनिक ज़रूरतें पूरी हो सकें।
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