अंतरराष्ट्रीय
एक टीम के रूप में हम सब रहाणे और पुजारा का कर रहे समर्थन : म्हाम्ब्रे
भारत के गेंदबाजी कोच पारस म्हाम्ब्रे ने बुधवार को कहा कि न्यूजीलैंड के खिलाफ शुक्रवार को दूसरे टेस्ट मैच से पहले टीम सीनियर बल्लेबाजों अजिंक्य रहाणे और चेतेश्वर पुजारा का समर्थन कर रही है। उनका मानना है कि यह बल्लेबाज जल्द ही फॉर्म में वापस लौटेंगे। 2021 में खेले गए टेस्ट मैचों में रहाणे ने 21 पारियों में 19.57 की औसत से सिर्फ 411 रन बनाए हैं, जिसमें केवल दो अर्धशतक शामिल हैं।
कानपुर टेस्ट में रहाणे ने 35 और 4 रन का स्कोर बनाया, जिसके बाद उनका बल्लेबाजी औसत 40 से नीचे चला गया।
दूसरी ओर, पुजारा ने 2019 सिडनी टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 193 रनों की पारी के बाद से अभी तक शतक नहीं लगाया है।
रहाणे की तरह, पुजारा कानपुर टेस्ट में बल्ले से कमाल करने में असमर्थ रहे, उन्होंने दोनों पारियों में 26 और 22 रन बनाए।
गेंदबाजी कोच ने कहा, “मुझे लगता है कि अजिंक्य और पुजारा दोनों को हम जानते हैं कि उनके पास बहुत अनुभव है। उन्होंने पर्याप्त क्रिकेट खेला और हम एक टीम के रूप में भी जानते हैं कि वे फॉर्म में वापस आने से एक पारी दूर हैं। इसलिए, एक टीम के रूप में हम सब उनका समर्थन कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय
बांग्लादेश भारत के बिना नहीं रह सकता है, हमारे ऊपर वह निर्भर है : पूर्व राजनयिक महेश कुमार सचदेव

नई दिल्ली, 22 दिसंबर : बांग्लादेश में जिस तरह के हालात हैं, उसकी वजह से भारत में भी लोगों के अंदर नाराजगी देखी जा रही है। चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद से बांग्लादेश में हिंसा में बढ़ोतरी देखी जा रही है। खासतौर से बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू युवक को जिस बर्बरता के साथ मौत के घाट उतारा गया और फिर उसके शव को आग के हवाले किया गया, इसकी खूब आलोचना हो रही है।
इस बीच पूर्व डिप्लोमैट महेश कुमार सचदेव ने बांग्लादेश के हालात को लेकर आईएएनएस के साथ खास बातचीत की है।
भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव को लेकर पूर्व राजनयिक महेश कुमार सचदेव ने कहा, “12 फरवरी को होने वाले चुनाव से पहले कुछ समय के लिए तनाव हो सकता है। लेकिन लंबे समय में, अच्छे पड़ोस और ठोस आर्थिक तालमेल का लॉजिक दोनों देशों के रिश्तों को बनाए रखेगा।”
उन्होंने कहा, “बांग्लादेश और भारत के बीच रिश्ता ऐतिहासिक है। दोनों ही दक्षिणी एशिया के इलाके का हिस्सा हैं, और दोनों देशों के लोगों के बीच गहरी दोस्ती है। लेकिन अभी कुछ चुनौतियां हैं। मैं इसे इसी नजरिए से देखता हूं, और मेरे हिसाब से, ये चुनौतियां कुछ समय के लिए हैं, और ये राजनीतिक वजहों से हैं। उम्मीद है कि ये जल्द ही हल हो जाएंगी।”
दोनों देशों के बीच इस तनाव के असर को लेकर महेश कुमार सचदेव ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि लंबे समय में कोई बड़ी समस्या होगी। लेकिन शॉर्ट टर्म में साफ है कि यह तनाव है। इसे इनकार नहीं किया जा सकता। शेख हसीना पहले भारत को समर्थन करती थीं और वह लंबे समय तक बांग्लादेश की प्रधानमंत्री रही हैं। उनके निर्वासन को लेकर ये हुआ है, क्योंकि वह भारत में हैं। और उनके विरोधी इस समय सत्ता में हैं, या सत्ता के करीब हैं। क्योंकि बांग्लादेश में 12 फरवरी को चुनाव होने हैं। इसलिए, राजनीतिक कारणों से भारत विरोध की लहर चल रही है, जो कि काफी निंदनीय है। ऐसे लोग गैर-जिम्मेदाराना तरीके से बर्ताव कर रहे हैं। वे अपने ही देश में हालात को और मुश्किल बना रहे हैं। चाहे वह समाज हो या उनका धर्मनिरपेक्षता की नीति का विरोध हो।”
कुमार सचदेव ने कहा, “वो दिखाना चाहते हैं कि जो भारत है, बांग्लादेश उसका उल्टा है। यह बड़ा ही सहज तरीका है, क्योंकि उनके पास उपलब्धियों के नाम पर बहुत कम चीजें हैं। उनके पास नकारात्मक उपलब्धियां हैं और जनअसंतोष को विपरीत करने के लिए उसकी दिशा बदलने के लिए भारत जैसे बड़े पड़ोसी के ऊपर दोषारोपण करना चाहते हैं। यह एक अल्पकालिक तरीका है। बांग्लादेश भारत के बिना नहीं रह सकता है, क्योंकि उसकी भारत पर काफी निर्भरता है।”
बांग्लादेश से जुड़े खतरे की चिंता को लेकर उन्होंने कहा, “बांग्लादेश में इस्लामिक चरमपंथियों की जो परिस्थितियां बन रही हैं, उससे भारत को अपने पड़ोसी और पड़ोस के राज्यों में दूर तक भी एक समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ये समस्याएं नई नहीं हैं। भारत ने पिछले 40 सालों में कई बार भारत के बाहर से आतंकवाद का सामना किया है। बांग्लादेश से पहले भी सामना किया जा चुका है और यह फिर से परिस्थितियां इस तरह से जटिल हो जाती हैं, और बांग्लादेश एक पनाह की जगह बन जाती है, जो भारत पर हजारों टुकड़ों में प्रतिघात करना चाहता है। भारत को इससे सावधान रहने की जरूरत है।”
अंतरराष्ट्रीय
प्रधानमंत्री मोदी और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते की घोषणा की।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (22 दिसंबर) को अपने न्यूजीलैंड समकक्ष क्रिस्टोफर लक्सन से टेलीफोन पर बातचीत की। दोनों नेताओं ने “ऐतिहासिक, महत्वाकांक्षी और पारस्परिक रूप से लाभकारी” भारत-न्यूजीलैंड मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के सफल समापन की घोषणा की।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक बयान में कहा, “मार्च 2025 में प्रधानमंत्री लक्सन की भारत यात्रा के दौरान वार्ता शुरू होने के बाद, दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि रिकॉर्ड 9 महीनों में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) का संपन्न होना दोनों देशों के बीच संबंधों को और गहरा करने की साझा महत्वाकांक्षा और राजनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाता है।”
प्रधानमंत्री कार्यालय ने आगे कहा, “यह मुक्त समझौता द्विपक्षीय आर्थिक जुड़ाव को काफी गहरा करेगा, बाजार पहुंच को बढ़ाएगा, निवेश प्रवाह को बढ़ावा देगा, दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग को मजबूत करेगा और साथ ही दोनों देशों के नवोन्मेषकों, उद्यमियों, किसानों, लघु एवं मध्यम उद्यमों, छात्रों और युवाओं के लिए विभिन्न क्षेत्रों में नए अवसर खोलेगा।”
दोनों नेताओं ने अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने के साथ-साथ अगले 15 वर्षों में न्यूजीलैंड द्वारा भारत में 20 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश पर विश्वास व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री मोदी और उनके न्यूजीलैंड समकक्ष ने खेल, शिक्षा और जन-जन संबंधों जैसे द्विपक्षीय सहयोग के अन्य क्षेत्रों में हासिल की गई प्रगति का स्वागत किया और भारत-न्यूजीलैंड साझेदारी को और मजबूत करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
इस साल नवंबर में, भारत और न्यूजीलैंड ने ऑकलैंड और रोटोरुआ में मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर वार्ता के चौथे दौर को सफलतापूर्वक संपन्न किया।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में न्यूजीलैंड के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 1.3 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 49 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से कृषि, खाद्य प्रसंस्करण, नवीकरणीय ऊर्जा, फार्मास्यूटिकल्स, शिक्षा और सेवाओं जैसे क्षेत्रों में और अधिक संभावनाएं खुलने की उम्मीद है, जिससे व्यवसायों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए नए अवसर पैदा होंगे।
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तोशाखाना मामला: इमरान खान और बुशरा बीबी को 17 साल की सजा, 1.64 करोड़ का लगा जुर्माना

इस्लामाबाद, 20 दिसंबर : पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के संस्थापक इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को बड़ा झटका लगा है। संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) की विशेष अदालत ने शनिवार को तोशाखाना-2 मामले में दोनों को 17-17 साल की कैद की सजा सुनाई।
अदालत ने दोनों पर 1.64 करोड़ पाकिस्तानी रुपए का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न भरने की स्थिति में उन्हें अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
पाकिस्तानी मीडिया द डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक विशेष न्यायाधीश (सेंट्रल) शाहरुख अर्जुमंद ने रावलपिंडी की अदियाला जेल में सुनवाई के दौरान यह फैसला सुनाया, जहां इमरान खान पहले से ही बंद हैं।
यह मामला मई 2021 का है, जब इमरान खान को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने एक आधिकारिक दौरे के दौरान बुल्गारी ब्रांड का महंगा आभूषण सेट उपहार में दिया था। आरोप है कि बाद में सरकारी खजाने से इस कीमती तोहफे को बेहद कम कीमत पर खरीद लिया गया, जो नियमों का उल्लंघन है।
केस की सुनवाई के दौरान इमरान खान ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 342 के तहत विशेष अदालत में अपना बयान दर्ज कराते हुए अभियोजन पक्ष के आरोप को खारिज कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पूरा मामला दुर्भावनापूर्ण, मनगढ़ंत और राजनीतिक रूप से प्रेरित है।
उन्होंने तर्क दिया कि वे पाकिस्तान दंड संहिता के तहत लोक सेवक की श्रेणी में नहीं आते, क्योंकि प्रधानमंत्री होने के बावजूद उन्हें उस उपहार के विशिष्ट विवरणों की जानकारी नहीं थी, जो उनकी पत्नी को दिया गया था। पीटीआई के संस्थापक ने कहा कि तोशाखाना नीति 2018 के अनुसार उचित प्रक्रिया का पालन किया गया। दान की सूचना प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रोटोकॉल अनुभाग को विधिवत दी गई, उसका मूल्यांकन किया गया और भुगतान राष्ट्रीय खजाने में जमा होने के बाद उसे कानूनी रूप से अपने पास रख लिया गया। उन्होंने कहा कि हमने तोशखाना नीति का भावनापूर्वक पालन किया है।
अदालत ने इमरान खान को पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 34 और धारा 409 के तहत 10 साल की कठोर कैद, जबकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 5(2) के तहत 7 साल की सजा सुनाई। इसी तरह बुशरा बीबी को भी उन्हीं धाराओं के तहत कुल 17 साल की सजा सुनाई।
अदालत के आदेश में कहा गया कि सजा तय करते समय इमरान खान की उम्र और बुशरा बीबी के महिला होने के पहलू को ध्यान में रखा गया। इसी आधार पर अपेक्षाकृत नरमी बरती गई और कम सजा दी गई। साथ ही अदालत ने कहा कि जेल में बिताई गई अवधि को सजा में जोड़ा जाएगा। फैसले के बाद इमरान खान और बुशरा बीबी के वकीलों ने संकेत दिए हैं कि वे इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे।
इस मामले में दोनों को पिछले साल दिसंबर में आरोपी बनाया गया था। इस साल अक्टूबर में इमरान और बुशरा बीबी ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिक साजिश करार दिया था।
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