बॉलीवुड
ऑस्कर की रेस में शामिल विद्या बालन की फिल्म ‘नटखट’

रॉनी स्क्रूवाला व विद्या बालन द्वारा निर्मित और शान व्यास द्वारा निर्देशित ‘नटखट’ 33 मिनट लंबी एक शार्ट फिल्म है, जो यह रेखांकित करती है कि घर वह जगह है जहां हम उन मूल्यों को सीखते हैं जो हमें आकार देते हैं और जो हमें बनाते हैं। एक ऐसी कहानी जहां एक मां (विद्या बालन) का ध्यान अपने स्कूल जाने वाले बेटे सोनू (सानिका पटेल) पर जाता है, जो अपने परिवार के पुरुषों की तरह ही दूसरे लिंग के प्रति दुराचार और अपमान की भावना रखता है। इस फिल्म के साथ निर्माता बनीं विद्या बालन यहां पितृसत्तात्मक सेटअप में एक गृहिणी की भूमिका निभा रही हैं। फिल्म में मां-बेटे के खूबसूरत रिश्ते को दिखाया गया है, जिसमें कई सारे उथल-पुथल के साथ एक सुखद स्पर्श भी होता है।
साल 2020 में कोविड-19 महामारी के चलते ‘नटखट’ को दुनिया भर के कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में इसकी वर्चुअली स्क्रीनिंग की गई। ट्रिबेका के वी आर वन: ए ग्लोबल फिल्म फेस्टिवल (2 जून 2020) में इसका वल्र्ड प्रीमियर किया गया था। जिसके बाद इंडियन फिल्म फेस्टिवल स्टटगार्ट (15-20 जुलाई, 2020) में इसकी स्क्रीनिंग की गई थी। यह फिल्म जर्मन स्टार ऑफ इंडिया अवार्ड को भी अपने नाम करने में सफल रही। इस शॉर्ट फिल्म को लंदन और बर्मिघम में लंदन इंडियन फिल्म फेस्टिवल (17-20 सिंतबर 2020), साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवल – ऑरलैंडो/फ्लोरिडा फिल्म फेस्टिवल (10-11 अक्टूबर, 2020) के लिए भी आमंत्रित किया गया था और मेलबर्न में इंडियन फिल्म फेस्टिवल (16-23 अक्टूबर 2020) की शुरुआत कभी इसी फिल्म से हुई थी।
बेस्ट ऑफ इंडिया शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल (7 नवंबर, 2020) में ‘नटखट’ को विजेता घोषित किया गया था और इसे साल 2021 के ऑस्कर के लिए भी नामांकित किया गया है।
इटली के गिफोनी फिल्म फेस्टिवल में एक चाइल्ड ज्यूरी एंजेलिका ला रोक्का कहती हैं, “यह शार्ट फिल्म एकदम परफेक्ट है। ‘नटखट’ कुप्रथाओं और पितृसत्ता के सामाजिक खतरे के खिलाफ एक संभावित समाधान के विचार को पुष्ट करता है। यह दिखाता है कि घर पर बच्चे का पालन-पोषण ही वास्तविक रूप से शिक्षा की शुरुआत है।”
निर्देशक शान व्यास ने इस उपलब्धि पर कहा, “‘नटखट’ को चीजों को बदलने के लिए बहुत शांत लेकिन शक्तिशाली आग्रह के साथ बनाया गया है। इसमें बताया गया है कि बदलाव की शुरुआत घर से होती है। ऑस्कर की दौड़ के लिए इस चयन से हम बहुत खुश हैं।”
अभिनेत्री विद्या बालन इस पर कहती हैं, “ऑस्कर के लिए फिल्म को चुने जाने से बेहद खुश हूं। यह फिल्म अविश्वसनीय रूप से मेरे काफी करीब है क्योंकि इसने मुझे एक कलाकार और निर्माता की दोहरी भूमिकाएं निभाने का मौका दिया है।”
बॉलीवुड
रितेश देशमुख ने छत्रपति शिवाजी महाराज पर अपनी फिल्म की रिलीजिंग डेट की अनाउंस

मुंबई, 21 मई। रितेश देशमुख ने छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन पर आधारित अपनी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘राजा शिवाजी’ की रिलीज की तारीख की आधिकारिक घोषणा कर दी है।
सोशल मीडिया पर अभिनेता ने अपने आगामी निर्देशन का पोस्टर साझा किया और लिखा, “महाराष्ट्र के आराध्य देवता, महान शक्तिशाली राजाधिराज छत्रपति शिवाजी महाराज को सिनेमाई शुभकामनाएं प्रस्तुत करते हुए राजा शिवाजी 1 मई, 2026 को मराठी, हिंदी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम में रिलीज होगी।”
फिल्म के बारे में बात करते हुए निर्देशक और मुख्य अभिनेता रितेश देशमुख ने कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज सिर्फ एक ऐतिहासिक व्यक्ति नहीं हैं, वे एक भावना हैं, जो लाखों लोगों के दिलों में बसती है। उनकी असाधारण कहानी का एक हिस्सा बता पाना सम्मान और बड़ी जिम्मेदारी दोनों है। मैं ज्योति देशपांडे और जियो स्टूडियोज का इस विजन में अपना विश्वास रखने के लिए बहुत आभारी हूं। महाराष्ट्र दिवस पर फिल्म रिलीज करना विशेष रूप से सार्थक लगता है और जिस कास्ट के बारे में हम केवल सपने ही देख सकते थे, उसके साथ हम वास्तव में भाग्यशाली महसूस करते हैं। हमें उम्मीद है कि विभिन्न भाषाओं के दर्शक राजा शिवाजी की भावना से उतनी ही गहराई से जुड़ेंगे, जितनी हम जुड़े हैं।”
मुंबई फिल्म कंपनी की निर्माता जेनेलिया देशमुख ने कहा, “यह फिल्म प्रेम का श्रम रही है, वर्षों के विचार, शोध और श्रद्धा से बनी एक यात्रा। फिल्म छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत को एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि है, जो पीढ़ियों को प्रेरित करती रहती है। हम इस कहानी में हमारे विश्वास को साझा करने और इसे जीवंत करने में हमें सक्षम बनाने के लिए जियो स्टूडियो के आभारी हैं। यह इतिहास का सम्मान करने और इसे देश भर और उससे आगे के दर्शकों के साथ साझा करने का हमारा विनम्र प्रयास है।”
जियो स्टूडियोज (मीडिया और कंटेंट बिजनेस, आरआईएल) की अध्यक्ष ज्योति देशपांडे ने कहा, “राजा शिवाजी सिर्फ एक फिल्म नहीं है, यह स्वराज्य का उत्सव है और हर भारतीय के लिए इसका क्या मतलब है। इस विजन को केवल वही व्यक्ति जीवंत कर सकता है, जो कहानी को अपने दिल के करीब रखता हो और रितेश ने जेनेलिया के साथ मिलकर जुनून और उद्देश्य के साथ ऐसा ही किया है। हमारा लक्ष्य भारतीय धरती पर पैदा हुए सबसे महान नायकों में से एक शिवाजी महाराज के विस्मयकारी जीवन को दुनिया के सामने लाना है।”
रितेश देशमुख द्वारा निर्देशित, जो मुख्य भूमिका भी निभा रहे हैं, ऐतिहासिक एक्शन ड्रामा में संजय दत्त, अभिषेक बच्चन, महेश मांजरेकर, सचिन खेडेकर, भाग्यश्री, फरदीन खान, जितेंद्र जोशी, अमोल गुप्ते और जेनेलिया देशमुख भी हैं। “राजा शिवाजी” युद्धरत साम्राज्यों और बढ़ते विद्रोहों से चिह्नित एक अशांत युग की पृष्ठभूमि पर आधारित है।
यह फिल्म एक युवा शिवाजी के प्रेरक उत्थान को दर्शाती है, जिन्होंने शक्तिशाली ताकतों को चुनौती दी, क्रांति की चिंगारी जलाई और स्वराज्य का मार्ग प्रशस्त करते हुए प्रतिष्ठित राजा शिवाजी के रूप में उभरे। फिल्म की शूटिंग फिलहाल मुंबई और महाराष्ट्र के वाई में विभिन्न स्थानों पर की जा रही है।
यह फिल्म 1 मई, 2026 को दुनिया भर में रिलीज होने वाली है।
बॉलीवुड
एनटीआर के लिए ‘वॉर 2’ में खलनायक की भूमिका बेहद खास, बताई वजह

मुंबई, 22 मई। सुपरस्टार एनटीआर अपनी आने वाली फिल्म ‘वॉर 2’ के टीजर को मिल रही शानदार प्रतिक्रिया से बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि इस फिल्म में जो किरदार वह निभा रहे हैं, वह उनके लिए बेहद खास है।
‘वॉर 2’ के लिए मिल रहे प्यार से खुश एनटीआर ने कहा, ”एक्टर होना वाकई एक आशीर्वाद है, क्योंकि इससे लोगों का बिना शर्त प्यार मिलता है। ये बहुत कीमती और दुर्लभ एहसास है, और मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मुझे ‘वॉर 2’ के लिए ऐसा प्यार मिल रहा है।”
उन्होंने कहा कि इस फिल्म में वह बिलकुल नए अवतार में नजर आएंगे।
अभिनेता ने कहा, ”इस वाईआरएफ स्पाई यूनिवर्स फिल्म में मैं बिलकुल नए अवतार में दिख रहा हूं, जिसे निभाने में मुझे बहुत मजा आया। पूरे देश से जो प्यार और सकारात्मकता मिल रही है, उससे मैं बहुत खुश और भावुक हूं।”
उन्होंने आगे कहा, ”यह किरदार मेरे लिए बहुत खास है। जब आप अपने किरदार में इतना सारा इमोशन और एनर्जी लगाते हैं, तो अपने फैंस और उन लोगों से इस तरह की प्रतिक्रिया देखना और भी ज्यादा रोमांचक हो जाता है, जो अच्छे सिनेमा को बड़े पर्दे पर देखना पसंद करते हैं।”
एक्टर ने कहा, ”मैं बहुत खुश हूं कि हमारी फिल्म का प्रचार लोगों पर इतना बड़ा असर डाल रहा है। 14 अगस्त से सिनेमाघरों में जो जोश और मस्ती दिखेगी, उसे देखने का इंतजार मैं नहीं कर पा रहा हूं।”
‘वॉर 2’ में एनटीआर खलनायक की भूमिका निभा रहे हैं। वहीं ऋतिक रॉ एजेंट मेजर कबीर धालीवाल के अपने पुराने किरदार में लौट रहे हैं। दोनों आमने-सामने एक-दूसरे को टक्कर देंगे।
फिल्म का निर्देशन अयान मुखर्जी कर रहे हैं, जो ‘ब्रह्मास्त्र’ जैसी फिल्म के लिए जाने जाते हैं। यह 14 अगस्त को हिंदी, तमिल, तेलुगू, मलयालम और कन्नड़ में सिनेमाघरों में रिलीज की जाएगी। फिल्म यशराज स्पाई यूनिवर्स का हिस्सा है, जिसमें पहले ‘एक था टाइगर’, ‘टाइगर जिंदा है’, ‘वॉर’ और ‘पठान’ जैसी दमदार फिल्में आ चुकी हैं।
बॉलीवुड
हेमा मालिनी ने छेड़ी ‘सीवीआई’ के खिलाफ जंग, मथुरा में शुरू होंगे कार्यक्रम, जाने क्या है ये बीमारी?

मुंबई, 17 मई। बॉलीवुड एक्ट्रेस और बीजेपी सांसद हेमा मालिनी इन दिनों अमेरिका यात्रा पर हैं। वह बोस्टन शहर में आयोजित प्रेरणादायक कार्यक्रम में शामिल हुईं। इस कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों के जीवन को बेहतर बनाना था। यह कार्यक्रम ‘कॉर्टिकल विजुअल इम्पेयरमेंट’ (सीवीआई) यानी मस्तिष्क से जुड़ी दृष्टि संबंधी समस्या को लेकर था, जो आज के समय में बचपन में अंधेपन की सबसे बड़ी वजह बन चुकी है।
इस कार्यक्रम की कुछ तस्वीरें हेमा मालिनी ने अपने इंस्टाग्राम पर शेयर कीं और कैप्शन में लिखा, ”मैं इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर हूं। यह सुंदर कार्यक्रम बोस्टन में हुआ और यह एक नेक उद्देश्य के लिए था। ‘कॉर्टिकल विजुअल इम्पेयरमेंट’ (सीवीआई) बचपन में अंधेपन का प्रमुख कारण है। हालांकि, सही इलाज से इसमें काफी सुधार किया जा सकता है। इस फंड रेजिंग कार्यक्रम का आयोजन अनुराधा जूजू, जूजूगाना और प्रशांत पलकुर्थी ने किया था, और यह विजन-एड नाम की संस्था के समर्थन में था। मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि मथुरा में जल्द ही ऐसे खास कार्यक्रम शुरू किए जाएंगे, जिनका मकसद सीवीआई से प्रभावित बच्चों की मदद करना है।”
बता दें कि ‘कॉर्टिकल विजुअल इम्पेयरमेंट’ यानी सीवीआई एक ऐसी समस्या है, जिसमें आंखें देख तो सकती हैं, लेकिन मस्तिष्क को समझने में दिक्कत होती है। इससे लोगों को चीजें धुंधली दिख सकती हैं, चेहरों को पहचानना मुश्किल हो सकता है, या दूरी और आकार समझने में परेशानी हो सकती है। यह मस्तिष्क में चोट, ऑक्सीजन की कमी, स्ट्रोक या जन्मजात कारणों से हो सकता है। इसके लक्षण हर व्यक्ति में अलग हो सकते हैं। यह बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकता है, लेकिन यह बच्चों को अपनी चपेट में जल्दी लेता है।
जब कोई बच्चा ठीक से देख नहीं पाता, तो उसकी दुनिया अधूरी सी हो जाती है। लेकिन आशा की किरण तब जगती है, जब हम जान पाते हैं कि सही इलाज और थैरेपी से ऐसे बच्चों की नजर में सुधार लाया जा सकता है। यही संदेश इस कार्यक्रम के ज़रिए लोगों तक पहुंचाया गया। यह कदम मेडिकल क्षेत्र की दिशा में शानदार योगदान है।
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