राष्ट्रीय समाचार
भविष्य की सैन्य तैयारी के लिए त्रि-सेवा में समन्वय, संयुक्तता और थिएटराइजेशन आवश्यकः सीडीएस
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर: त्रि-सेवा यानी आर्मी, नेवी, एयरफोर्स के बीच समन्वय, संयुक्तता और थिएटराइजेशन भविष्य की सैन्य तैयारी और परिचालन दक्षता के लिए अत्यंत आवश्यक स्तंभ हैं। यह बात चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने नौसेना कमांडर्स कांफ्रेंस में कही।
नौसेना कमांडर्स कांफ्रेंस नई दिल्ली स्थित नौसेना भवन में आयोजित की गई है। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने भारतीय नौसेना के इस ‘कमांडर्स कांफ्रेंस 2025’ को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने भारतीय नौसेना की देश के समुद्री हितों की रक्षा करने और राष्ट्रीय सुरक्षा को सशक्त बनाने में निभाई जा रही अहम भूमिका की सराहना की।
उन्होंने कहा कि त्रि-सेवा समन्वय को अत्यंत आवश्यक बताया है। बदलते वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्यों में सशस्त्र बलों को एकीकृत योजना और क्रियान्वयन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जनरल चौहान ने कमांडर्स कांफ्रेंस में सैन्य सेवाओं के बीच अंतर-संचालन क्षमता, संयुक्त प्रशिक्षण और एकीकृत कमांड संरचना को और सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि सभी क्षेत्रों में संचालन की दक्षता और प्रभावशीलता बढ़ाई जा सके।
वहीं, सम्मेलन के दूसरे दिन कैबिनेट सचिव डॉ. टी. वी. सोमनाथन ने भी नौसेना कमांडरों को संबोधित किया। उन्होंने भारतीय नौसेना की राष्ट्रीय हितों की रक्षा और क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में निभाई जा रही भूमिका की प्रशंसा की। वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए डॉ. सोमनाथन ने अपने वक्तव्य में कहा कि दक्षता, उत्तरदायित्व और एकीकरण राष्ट्रीय और समुद्री क्षमताओं को सशक्त बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।
इस अवसर पर नौसेना को प्रोत्साहित किया गया कि वह आधुनिक तकनीक, मानव संसाधन और संगठनात्मक समन्वय के माध्यम से भविष्य की चुनौतियों के लिए और अधिक सशक्त बने। सम्मेलन के दौरान नौसेना के शीर्ष कमांडरों ने रक्षा तैयारी, समुद्री रणनीति, संचालनात्मक योजनाओं और राष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया। यह सम्मेलन भारतीय नौसेना की भविष्य की दिशा तय करने और त्रि-सेवा समन्वय को और मजबूत करने का एक महत्वपूर्ण मंच साबित हुआ है।
इससे पहले कमांडर कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की इच्छाशक्ति और क्षमता का प्रतीक है। यह दुनिया के लिए संदेश है कि भारत हर चुनौती का सामना करने के लिए सदैव तैयार है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को नई दिल्ली में नौसेना कमांडर्स को संबोधित किया था।
रक्षा मंत्री ने भारतीय नौसेना की सराहना करते हुए कहा कि नौसेना ने ऐसा निवारक रुख बनाया जिससे पाकिस्तान को अपने बंदरगाहों में या तट के निकट ही सीमित रहना पड़ा। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन के दौरान पूरी दुनिया ने भारतीय नौसेना की ऑपरेशनल तत्परता, पेशेवर क्षमता और सामर्थ्य को देखा।
राजनाथ सिंह ने कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र अब आधुनिक भू-राजनीति का केंद्र बन चुका है। यह अब निष्क्रिय नहीं, बल्कि प्रतिस्पर्धा और सहयोग दोनों का क्षेत्र बन गया है। उन्होंने बताया कि पिछले छह महीनों में भारतीय नौसेना के जहाजों, पनडुब्बियों और नौसैनिक विमानों की तैनाती अभूतपूर्व स्तर पर की गई।
इस दौरान नौसेना ने लगभग 335 व्यापारी जहाजों को सुरक्षित मार्ग प्रदान किया, जिनमें लगभग 1.2 मिलियन मीट्रिक टन माल और 5.6 अरब डॉलर मूल्य का व्यापार शामिल था। यह इस बात का प्रमाण है कि भारत अब वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में एक विश्वसनीय और सक्षम भागीदार बन चुका है।
राष्ट्रीय समाचार
महाराष्ट्र : सांगली जिले के इस्लामपुर का नाम अब होगा ईश्वरपुर

सांगली, 24 अक्टूबर: महाराष्ट्र के सांगली जिले के शहर इस्लामपुर का नाम बदलकर ईश्वरपुर करने का प्रस्ताव भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने अनुमोदित कर दिया है।
यह निर्णय गृह मंत्रालय, भारत सरकार के 13 अगस्त 2025 के पत्र के आधार पर लिया गया है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने इस प्रस्ताव की जांच और स्थल सत्यापन के बाद इसे मंजूरी दी है।
इस्लामपुर नगर परिषद ने 4 जून 2025 को संकल्प संख्या 825 के तहत शहर का नाम बदलकर ईश्वरपुर करने का प्रस्ताव पारित किया था। महाराष्ट्र सरकार के इस प्रस्ताव को वरिष्ठ डाकघर अधीक्षक, सांगली और सहायक मंडल अभियंता, मध्य रेलवे, मिराज ने भी अनापत्ति प्रमाण पत्र देकर समर्थन किया है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने अपने परीक्षण में पाया कि प्रस्तावित नाम परिवर्तन मान्य प्रक्रियाओं के अनुरूप है।
नाम परिवर्तन के लिए देवनागरी और रोमन वर्तनी में शुद्ध नाम “ईश्वरपुर” तय किया गया है। यह लिप्यंतरण (ट्रांसलिटरेशन) भारतीय लिपियों की ध्वनियों को सटीक रूप से दर्शाने के लिए डायक्रिटिक्स पद्धति के अनुसार किया गया है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने सुझाव दिया है कि नाम परिवर्तन का गजट नोटिफिकेशन जारी होने पर इसकी प्रति उनके देहरादून स्थित मुख्य कार्यालय और पुणे के महाराष्ट्र एवं गोवा भू-स्थानिक निदेशालय को भेजी जाए।
यह नाम परिवर्तन सांगली जिले के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस्लामपुर, जो अब ईश्वरपुर कहलाएगा, सांगली जिले का एक प्रमुख शहर है। इस बदलाव से स्थानीय लोगों की भावनाओं और सांस्कृतिक पहचान को सम्मान देने का प्रयास किया गया है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अधीक्षण सर्वेक्षक तुषार वैश्य ने इस संबंध में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय को पत्र लिखकर औपचारिक अनुरोध किया है कि गजट अधिसूचना जल्द जारी की जाए।
इसके साथ ही, विभाग ने गृह मंत्रालय, भारत के महासर्वेक्षक कार्यालय, पश्चिमी क्षेत्र जयपुर और पुणे निदेशालय को इसकी जानकारी भेजी है।
राजनीति
बरेली: वक्फ संपत्ति में फर्जी गिफ्ट डीड बनवाने के आरोप में मौलाना तौकीर रजा के करीबी नफीस पर मुकदमा दर्ज

बरेली, 12 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश के बरेली में मौलाना तौकीर रजा के करीबी नफीस की मुश्किलें बढ़ गई हैं। बरेली पुलिस ने नफीस और उनकी पत्नी फरहत बेगम के खिलाफ वक्फ संपत्ति में फर्जी गिफ्ट डीड बनवाने और कब्जा करने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया है।
मुकदमे की शुरुआत पीड़ित मोहम्मद कमर अख्तर की तहरीर पर हुई। तहरीर में बताया गया कि नन्हों कुजडी, जिन्हें मोहम्मद कमर अख्तर दादी कहते थे, ने अपनी मृत्यु से पहले वक्फ संख्या 26ए की संपत्ति को शिकायतकर्ता के दादा साबिर हुसैन और उनके तीन बेटों (साकिर हुसैन, जाकिर हुसैन और नासिर हुसैन) के नाम वसीयत कर दी थी।
वक्फ संख्या 26ए की संपत्ति में 95 गज का मकान बना हुआ है, जबकि नीचे 5 दुकानें हैं। इनमें से एक दुकान में नन्हों कुजडी खुद सब्जी की दुकान चलाती थीं। उनकी खुद कोई संतान नहीं थी, इसलिए साबिर हुसैन को वह अपना मुंहबोला भाई मानती थीं।
शिकायतकर्ता का कहना है कि उसके पिता साकिर हुसैन का नफीस की दुकान पर आना-जाना था। नफीस ने अपने विश्वास में लेकर साल 1996 में उस वक्फ संपत्ति को 30 साल के लिए अपनी पत्नी फरहत बेगम के नाम लीज पर लिया था। शिकायतकर्ता के पिता के 2022 में निधन के बाद नफीस और फरहत बेगम ने धोखाधड़ी कर फर्जी गिफ्ट डीड तैयार कर संपत्ति को अपने दोनों बेटों (नौमान खान और फरहान खान) के नाम करा लिया और उस पर कब्जा जमा लिया।
इसी को लेकर मोहम्मद कमर अख्तर ने बरेली पुलिस में शिकायत की है। उसने पुलिस से अनुरोध किया है कि वक्फ संपत्ति उसे वापस दिलाई जाए और दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।
फिलहाल, मोहम्मद कमर अख्तर की शिकायत पर तौकीर रजा के करीबी नफीस के खिलाफ बरेली पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है और आरोपी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है।
राजनीति
सीएम योगी का बड़ा फैसला, 30 वर्ष बाद बढ़ेंगे पीडब्ल्यूडी अधिकारियों के वित्तीय अधिकार

CM YOGI
लखनऊ, 24 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोक निर्माण विभाग के विभागीय अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों में पांच गुना तक की वृद्धि किए जाने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि बदलावों से विभागीय अधिकारियों को निर्णय लेने में अधिक स्वायत्तता प्राप्त होगी। उच्च स्तर पर अनुमोदन की आवश्यकता घटने से निविदा, अनुबंध गठन एवं कार्यारंभ की प्रक्रिया में गति आएगी। यह सुधार वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाने में सहायक होगा। शुक्रवार को लोक निर्माण विभाग की बैठक में यह तथ्य सामने आया कि विभाग के अधिकारियों के वित्तीय अधिकार वर्ष 1995 में निर्धारित किए गए थे। इस बीच निर्माण कार्यों की लागत में पांच गुना से अधिक की वृद्धि हुई है। कॉस्ट इन्फ्लेशन इंडेक्स के अनुसार वर्ष 1995 की तुलना में वर्ष 2025 तक लगभग 5.52 गुना वृद्धि दर्ज की गई है।
सीएम योगी ने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में वित्तीय अधिकारों का पुनर्निर्धारण आवश्यक है, जिससे निर्णय प्रक्रिया में तेजी आए और परियोजनाओं का क्रियान्वयन समयबद्ध रूप से किया जा सके। अपर मुख्य सचिव, लोक निर्माण विभाग ने मुख्यमंत्री को सिविल, विद्युत एवं यांत्रिक कार्यों के लिए वित्तीय अधिकारों की वर्तमान व्यवस्था की जानकारी दी। विमर्श के उपरांत निर्णय लिया गया कि सिविल कार्यों के लिए अधिकारियों के वित्तीय अधिकारों की सीमा अधिकतम पांच गुना तक तथा विद्युत एवं यांत्रिक कार्यों के लिए कम से कम दो गुना तक बढ़ाई जाएगी।
मुख्यमंत्री के निर्णय के अनुसार मुख्य अभियंता को अब 2 करोड़ के स्थान पर 10 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार होगा। अधीक्षण अभियंता को 1 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ तक के कार्यों की स्वीकृति का अधिकार दिया जाएगा। अधिशासी अभियंता के वित्तीय अधिकार 40 लाख से बढ़ाकर 2 करोड़ किए जाएंगे। सहायक अभियंता को भी सीमित दायरे में टेंडर स्वीकृति एवं छोटे कार्यों की अनुमति देने के अधिकार बढ़ाए जाएंगे।
बता दें कि यह पुनर्निर्धारण तीन दशकों के बाद होने जा रहा है। बैठक में उत्तर प्रदेश अभियंता सेवा (लोक निर्माण विभाग) (उच्चतर) नियमावली, 1990 में संशोधन के माध्यम से विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग की सेवा संरचना, पदोन्नति व्यवस्था तथा वेतनमान के पुनर्गठन से जुड़े प्रस्तावों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। बैठक में बताया गया कि नियमावली में किया जा रहा यह संशोधन विभागीय अभियंताओं की सेवा संरचना को वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप बनाने के उद्देश्य से किया गया है। संशोधित नियमावली में विद्युत एवं यांत्रिक संवर्ग में पहली बार मुख्य अभियंता (स्तर-एक) का नया पद सम्मिलित किया गया है। इसके साथ मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों की संख्या में वृद्धि की गई है।
नवसृजित पदों को नियमावली में समाहित करते हुए उनके पदोन्नति स्रोत, प्रक्रिया और वेतनमान को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है, जिससे सेवा संरचना अधिक पारदर्शी और संगठित हो सके। बैठक में यह भी बताया गया कि मुख्य अभियंता (स्तर-एक) के पद पर पदोन्नति अब मुख्य अभियंता (स्तर-दो) से वरिष्ठता के आधार पर की जाएगी। इसी प्रकार मुख्य अभियंता (स्तर-दो) और अधीक्षण अभियंता के पदों पर भी पदोन्नति की प्रक्रिया को नियमावली में स्पष्ट किया गया है।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप अधिशासी अभियंता से लेकर मुख्य अभियंता (स्तर-एक) तक के पदों के वेतनमान और मैट्रिक्स पे लेवल भी निर्धारित किए गए हैं। इसके साथ चयन समिति की संरचना को अद्यतन किया गया है, ताकि पदोन्नति और नियुक्ति की कार्यवाही अधिक पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ की जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक निर्माण विभाग राज्य की विकास परियोजनाओं के क्रियान्वयन में एक प्रमुख विभाग है, इसलिए अभियंताओं की सेवा नियमावली को समयानुकूल, व्यावहारिक और पारदर्शी बनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि योग्यता, अनुभव और वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति व्यवस्था से विभाग की कार्यकुशलता, तकनीकी गुणवत्ता और सेवा भावना को नई दिशा मिलेगी।
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