राजनीति
वैक्सीनेशन में लापरवाही करने वालों की खैर नहीं : योगी सरकार
वैक्सीनेशन में किसी तरह की लापरवाही भारी पड़ेगी। वैक्सीनेशन अभियान को हलके में लेने वालों की अब खैर नहीं है। वैक्सीनेशन अभियान को लेकर योगी सरकार ने अफसरों को सख्त दिशानिर्देश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री योगी ने वैक्सीनेशन अभियान को और रफ्तार देने के निर्देश भी अफसरों को जारी किए हैं, ताकि तय समय पर वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा किया जा सके। 1 जून से शुरू हुए वैक्सीनेशन महाभियान के तहत पिछले 24 घंटे में साढ़े तीन लाख से अधिक लोगों को वैक्सीन की डोज दी गई है। मुख्यमंत्री योगी ने वैक्सीन सेंटरों पर कोविड प्रोटोकाल का पालन हर हाल में कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने प्रदेश के लोगों से अनिवार्य रूप से वैक्सीन लगवाने की अपील की है।
उन्होंने कहा कि कोविड वैक्सीनेशन संक्रमण से बचाव का सुरक्षा कवर है। केंद्र सरकार के सहयोग से उत्तर प्रदेश सरकार सभी नागरिकों को बहुत जल्द टीका कवर देने के लिए काम कर रही है।
अब तक प्रदेश में कुल 1 करोड़ 90 लाख 48 हजार 748 डोज लगाए जा चुके हैं। सभी 75 जिलों में 18 से अधिक आयु के लोगों का वैक्सीनेशन हो रहा है। पिछले 24 घंटे में साढ़े तीन लाख लोगों ने वैक्सीन की डोज ली है। सीएम ने वैक्सीनेशन क्षमता में और बढ़ोत्तरी करने के भी निर्देश अफसरों को दिए हैं, ताकि प्रदेश के हर नागरिक को कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन कवर दिया जा सके।
कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ी जंग छेड़ चुकी योगी सरकार की नजर वैक्सीनेशन को लेकर शरारतपूर्ण हरकत करने वालों पर भी है। ऐसे लोगों पर राज्य सरकार शिकंजा कसने की तैयारी में है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
20 अमेरिकी राज्यों ने एच-1बी वीजा फीस को लेकर ट्रंप पर किया मुकदमा

TRUMP
वाशिंगटन, 13 दिसंबर: अमेरिका के 20 राज्यों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया है। इन राज्यों का कहना है कि एच-1बी वीजा के नए आवेदनों पर 1 लाख अमेरिकी डॉलर की भारी फीस लगाना गैरकानूनी है और इससे जरूरी सार्वजनिक सेवाओं पर बुरा असर पड़ेगा।
यह मुकदमा डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी द्वारा लागू की गई एक नीति को निशाना बनाता है, जिसमें एच-1बी वीज़ा के तहत विदेशी कुशल कर्मचारियों को रखने के लिए नियोक्ताओं पर अचानक बहुत ज़्यादा शुल्क लगा दिया गया। इस वीज़ा का इस्तेमाल अस्पताल, विश्वविद्यालय और सरकारी स्कूल में बड़े पैमाने पर किया जाता है।
कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बॉन्टा इस मामले का नेतृत्व कर रहे हैं। उनके कार्यालय के हवाले से कहा गया कि प्रशासन के पास इतनी बड़ी फीस लगाने का अधिकार नहीं है। बॉन्टा ने कहा कि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते कैलिफोर्निया जानता है कि जब दुनिया भर से कुशल लोग यहाँ काम करने आते हैं, तो राज्य आगे बढ़ता है।
बॉन्टा ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा लगाई गई यह 1 लाख डॉलर की एच-1बी फीस न सिर्फ़ बेवजह है, बल्कि अवैध भी है। इससे स्कूलों, अस्पतालों और अन्य जरूरी सेवाएं देने वाले संस्थानों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा और कर्मचारियों की कमी और बढ़ जाएगी।
राष्ट्रपति ट्रंप ने 19 सितंबर, 2025 को जारी एक घोषणा के ज़रिए इस फीस का आदेश दिया था। 21 सितंबर के बाद दायर किए गए एच-1बी आवेदनों पर इसे लागू किया गया। होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी को यह तय करने का अधिकार दिया कि कौन से आवेदन इस फीस के दायरे में आएंगे या छूट के लिए योग्य होंगे।
राज्यों का कहना है कि यह नीति प्रशासनिक प्रक्रिया, कानून, और अमेरिकी संविधान का उल्लंघन करती है, क्योंकि बिना तय प्रक्रिया अपनाए नियम बनाए गए हैं और कांग्रेस की सीमा से बाहर जाकर फैसला लिया गया है। अब तक एच-1बी से जुड़ी फीस सिर्फ़ व्यवस्था चलाने के खर्च तक सीमित रहती थी।
फिलहाल नियोक्ता एच-1बी वीज़ा के लिए अलग-अलग शुल्क मिलाकर लगभग 960 से 7,595 डॉलर तक देते हैं। संघीय कानून के अनुसार उन्हें यह भी प्रमाण देना होता है कि विदेशी कर्मचारी रखने से अमेरिकी कर्मचारियों की सैलरी या काम की स्थिति पर बुरा असर नहीं पड़ेगा।
कांग्रेस अधिकांश निजी क्षेत्र के एच-1बी वीजा की संख्या सालाना 65,000 तक सीमित रखती है, जबकि उच्च डिग्री वालों के लिए 20,000 अतिरिक्त वीजा होते हैं। स्कूल, विश्वविद्यालय और अस्पताल जैसे सरकारी और गैर-लाभकारी संस्थानों को इस सीमा से छूट मिली हुई है।
अटॉर्नी जनरल का कहना है कि नई फीस से शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में कर्मचारियों की कमी और बढ़ जाएगी। यह मुकदमा बोंटा और मैसाचुसेट्स के अटॉर्नी जनरल एंड्रिया जॉय कैंपबेल ने दायर किया था, जिसमें एरिज़ोना, कोलोराडो, कनेक्टिकट, डेलावेयर, हवाई, इलिनोइस, मैरीलैंड, मिशिगन, मिनेसोटा, नेवाडा, नॉर्थ कैरोलिना, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, ओरेगन, रोड आइलैंड, वर्मोंट, वाशिंगटन और विस्कॉन्सिन के अटॉर्नी जनरल भी शामिल हुए।
एच-1बी वीज़ा कार्यक्रम विदेशी कुशल पेशेवरों के लिए एक अहम रास्ता है। इसके तहत बड़ी संख्या में भारतीय पेशेवर अमेरिका में तकनीक, स्वास्थ्य और शोध के क्षेत्र में काम करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
शीत युद्ध की ऐतिहासिक खेल जीत से रूस-यूक्रेन संघर्ष की तुलना, ट्रंप ने 1980 के ‘मिरेकल ऑन आइस’ को किया याद

TRUMP
वाशिंगटन, 13 दिसंबर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को शीत युद्ध के दौर की एक प्रसिद्ध खेल जीत की तुलना आज के वैश्विक संघर्ष से की। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की चल रही कोशिशों के बारे में बात करते हुए 1980 में सोवियत संघ पर “मिरेकल ऑन आइस” जीत का जिक्र किया।
अमेरिकी हॉकी टीम की सोवियत संघ पर मिली ऐतिहासिक जीत पर व्हाइट हाउस में आयोजित एक कार्यक्रम में ट्रंप ने कहा कि यह जीत केवल खेल तक सीमित नहीं थी, बल्कि इससे बड़े सबक मिलते हैं। उन्होंने कहा कि उस समय अमेरिकी टीम ने बेहद मजबूत सोवियत टीम को हराया था और किसी को भी इसकी उम्मीद नहीं थी। यह कार्यक्रम अमेरिकी ओलंपिक हॉकी टीम को सम्मानित करने के लिए एक बिल साइनिंग सेरेमनी के तौर पर हुआ।
जब ट्रंप से पूछा गया कि आज के संघर्षों के लिए इस जीत से क्या सीख मिलती है, तो ट्रंप ने सीधे यूक्रेन का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि स्थिति कुछ हद तक वैसी ही है और आगे क्या होता है, यह देखा जाएगा।
ट्रंप ने कहा कि उनका प्रशासन युद्ध को खत्म करने के लिए काम कर रहा है, जबकि हर महीने बड़ी संख्या में सैनिक मारे जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रूस और यूक्रेन में पिछले महीने करीब 25 हजार सैनिकों की मौत हुई और उनका उद्देश्य इन मौतों को रोकना है।
इस मौके पर ट्रंप ने 1980 की हॉकी टीम के लिए यादगार मेडल देने वाले कानून पर साइन किए, जिसे उन्होंने “अमेरिकी खेलों के इतिहास के सबसे महान पलों में से एक” बताया। ट्रंप ने कहा कि इस टीम ने देश को एकजुट किया और लोगों को प्रेरित किया।
टीम के कप्तान माइक एरज़ियोन ने भी कहा कि समय के साथ इस मैच का राजनीतिक और ऐतिहासिक महत्व और स्पष्ट होता गया।
ट्रंप ने इस जीत को अमेरिका की बड़ी वापसी की शुरुआत बताया। वहीं सांसद पीट स्टॉबर ने कहा कि इस टीम ने देश को उस समय मजबूती दी, जब इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी।
ट्रंप ने यह भी दावा किया कि उन्होंने पहले ही कई युद्ध रुकवाए हैं और अब एक और युद्ध को खत्म करना बाकी है। हालांकि उन्होंने कोई ठोस कूटनीतिक कदम नहीं बताए, लेकिन कहा कि इस दिशा में प्रगति हो रही है।
“मिरेकल ऑन आइस” 1980 के शीतकालीन ओलंपिक में अमेरिकी टीम की सोवियत संघ पर 4–3 की जीत को कहा जाता है, जिसके बाद फिनलैंड को हराकर स्वर्ण पदक जीता गया था। यह मैच उस समय अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीतयुद्ध के माहौल में हुआ था और अमेरिका के आत्मविश्वास का प्रतीक बन गया।
अपराध
अरुणाचल प्रदेश में पाकिस्तान के लिए जासूसी के आरोप में कश्मीरी युवक गिरफ्तार

डिब्रूगढ़, 13 दिसंबर: अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमी सियांग जिले के आलो से जासूसी के एक मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। खुफिया एजेंसियों से मिली अहम जानकारी के आधार पर जम्मू-कश्मीर के एक युवक को पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
यह पिछले एक सप्ताह के भीतर जासूसी के आरोप में हुई तीसरी गिरफ्तारी बताई जा रही है, जिससे सुरक्षा एजेंसियां और अधिक सतर्क हो गई हैं।
गिरफ्तार युवक की पहचान जम्मू-कश्मीर निवासी हिलाल अहमद (26) के रूप में हुई है। अधिकारियों के अनुसार, हिलाल अहमद को 11 दिसंबर की रात करीब 11 बजे हिरासत में लिया गया। आरोप है कि वह संवेदनशील और गोपनीय जानकारियां साझा कर रहा था, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता था।
गिरफ्तारी के बाद 12 दिसंबर की सुबह हिलाल अहमद को ईटानगर पुलिस थाने को सौंप दिया गया। अब मामले की आगे की जांच ईटानगर पुलिस कर रही है। सुरक्षा एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि वह किन लोगों के संपर्क में था और क्या इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोग भी राज्य में सक्रिय हैं।
पश्चिमी सियांग जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) कर्दक रिबा ने बताया कि हिलाल अहमद 25 नवंबर से आलो में मौजूद था। वह एक व्यापार मेले में हिस्सा लेने के लिए आया था। उसने यह मेला पापुम पारे जिले से प्रतिनिधित्व करते हुए अटैंड किया था।
पुलिस के अनुसार, हिलाल अहमद के पास वैध इनर लाइन परमिट (आईएलपी) था और उसके सभी दस्तावेज सही पाए गए हैं। इसके बावजूद खुफिया एजेंसियों को उसके व्यवहार और गतिविधियों पर शक हुआ, जिसके बाद निगरानी बढ़ाई गई और उसे गिरफ्तार किया गया।
अधिकारियों का कहना है कि इस मामले को बेहद गंभीरता से लिया जा रहा है, खासकर इसलिए क्योंकि सीमावर्ती राज्यों में इस तरह की गतिविधियां देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकती हैं।
फिलहाल पुलिस और खुफिया एजेंसियां मिलकर पूरे मामले की गहन जांच कर रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह केवल एक व्यक्ति की हरकत थी या इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है।
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