व्यापार
इस साल भारत में इंटरनेट यूजर्स की संख्या पहुंचेगी 900 मिलियन के पार, एआई साबित होगा ‘गेमचेंजर’
नई दिल्ली, 16 जनवरी। डिजिटल कंटेंट के लिए इंडिक भाषाओं के बढ़ते इस्तेमाल की वजह से भारत में इंटरनेट यूजर बेस 2025 तक 900 मिलियन को पार कर जाएगा। गुरुवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
भारत में एक्टिव इंटरनेट यूजर्स की संख्या 2024 में 886 मिलियन तक पहुंच गई, जो सालाना आधार पर 8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि को दर्शाता है। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) और कंतार की रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण भारत इस मामले में पीछे नहीं है। 488 मिलियन यूजर्स के साथ वह काफी आगे है और कुल इंटरनेट आबादी का 55 प्रतिशत हिस्सा यहां बसता है।
लगभग सभी इंटरनेट यूजर्स (98 प्रतिशत) ने इंडिक भाषाओं में कंटेंट का इस्तेमाल किया, जिसमें तमिल, तेलुगू और मलयालम अपनी व्यापक उपलब्धता के कारण सबसे लोकप्रिय बनकर उभरे।
रिपोर्ट के अनुसार, शहरी इंटरनेट यूजर्स में से आधे से अधिक (57 प्रतिशत) क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेंट का उपभोग करना पसंद करते हैं, जो विभिन्न प्लेटफार्मों पर स्थानीय भाषा के कंटेंट की बढ़ती मांग को दर्शाता है।
पिछले एक साल में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ (एआई) एक महत्वपूर्ण गेम चेंजर के रूप में उभरा है।
10 में से नौ इंटरनेट यूजर्स ने एम्बेडेड एआई क्षमताओं वाले ऐप्स का प्रयोग किया है।
कंतार इनसाइट्स-दक्षिण एशिया के निदेशक बीटूबी और प्रौद्योगिकी, बिस्वप्रिया भट्टाचार्य ने कहा, “एआई को लेकर व्यापक स्वीकृति और उत्साह डिजिटल कंपनियों को भारत में अगली पीढ़ी के एआई फीचर पेश करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।”
भारत में डिजिटल जेंडर गैप लगातार कम हो रहा है, देश में सभी इंटरनेट यूजर्स में से 47 प्रतिशत महिलाएं हैं – जो अब तक का सबसे अधिक है। ग्रामीण भारत में शेयर डिवाइस यूजर्स का एक महत्वपूर्ण हिस्सा अब 58 प्रतिशत है, जो महिला इंटरनेट यूजर्स हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल एक्सेस को अधिक इंक्लूसिव और न्यायसंगत बनाने में प्रगति को दर्शाता है।
ग्रामीण भारत टॉप एक्टिविटी के लिए ऑनलाइन इंगेजमेंट पर हावी है, जिसमें ओटीटी वीडियो और म्यूजिक स्ट्रीमिंग, ऑनलाइन कम्युनिकेशन और सोशल मीडिया का इस्तेमाल शामिल है। इन कैटेगरी में ग्रामीण, शहरी यूजर्स से आगे हैं।
शहरी भारत स्मार्ट टीवी और स्मार्ट स्पीकर जैसे नॉन-ट्रेडिशनल डिवाइस को अपनाने में सबसे आगे है, जो 2023 और 2024 के बीच 54 प्रतिशत बढ़ गया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि इसके साथ ही, शहरी और ग्रामीण दोनों डेमोग्राफी में मोबाइल डिवाइस इंटरनेट तक पहुंचने का प्राथमिक साधन बने हुए हैं।
व्यापार
केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग को दी मंजूरी, कर्मचारियों के वेतन में होगी बड़ी वृद्धि
नई दिल्ली, 16 जनवरी। केंद्र सरकार ने आम बजट 2025 से पहले कर्मचारियों के हित में बड़ा फैसला लिया है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में गुरुवार को आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी गई है। इस फैसले का इंतजार बड़ी संख्या में केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनधारकों की ओर से किया जा रहा है। इस फैसले से वेतन और पेंशन बढ़ोतरी का रास्ता खुल गया है।
केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के द्वारा लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि आठवें वेतन आयोग के गठन का फैसला लिया गया है। यह निर्णय सरकारी कर्मचारियों के लिए लाभ सुनिश्चित करने के मद्देनजर लिया गया है। यह नया आयोग 2026 तक रिपोर्ट सौंपेगा।
नया वेतन आयोग हर 10 साल में लागू किया जाता है। इससे पहले सातवां वेतन आयोग 2016 में लागू किया गया था। इस वजह से माना जा रहा है कि आठवां वेतन आयोग 2026 से लागू किया जा सकता है।
आठवां वेतन आयोग लागू होने के साथ ही केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में बड़ा इजाफा देखने को मिल सकता है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, आठवें वेतन आयोग में न्यूनतम आधार वेतन को बढ़ाकर 34,650 रुपये किया जा सकता है, जो कि सातवें वेतन आयोग में 18,000 रुपये है। वहीं, पेंशन को 9,000 रुपये से बढ़ाकर 17,280 रुपये किया जा सकता है।
केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन को तय करने में फिटमेंट फैक्टर की अहम भूमिका होती है। इस बार यह 1.92 हो सकता है।
आठवें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन और उसकी सिफारिशें स्वीकार होने पर लगभग 49 लाख सरकारी कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनभोगियों के वेतन पर इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा और उन्हें इसका लाभ मिलेगा।
केंद्रीय वेतन आयोग का गठन समय-समय पर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन ढांचे और भत्तों में बदलाव की समीक्षा और सिफारिशों के लिए किया जाता है।
राष्ट्रीय समाचार
दिसंबर 2024 में भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स सामान निर्यात में 35 प्रतिशत का जबरदस्त उछाल
नई दिल्ली, 16 जनवरी। वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 में भारत के ‘इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात’ में 35.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो 2023 के इसी महीने में 2.65 बिलियन डॉलर से बढ़कर दो साल के उच्चतम स्तर 3.58 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया है। यह उच्च मूल्य वाले भारतीय सामानों की विदेशी मांग में वृद्धि और घरेलू उत्पादन क्षमताओं में वृद्धि को दर्शाता है।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा, “दिसंबर 2024 में इलेक्ट्रॉनिक सामान का निर्यात पिछले 24 महीनों में अब तक का सबसे अधिक रहा है।”
केंद्र की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की सफलता से प्रेरित होकर देश में नई मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी सामने आने के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स सामान भारत के निर्यात बास्केट में सबसे तेजी से बढ़ने वाले सेगमेंट के रूप में उभरे हैं।
देश का इलेक्ट्रॉनिक निर्यात 2024-25 के अप्रैल-नवंबर में 27.4 प्रतिशत बढ़कर 22.5 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि 2023-24 में इसी अवधि में यह 17.66 बिलियन डॉलर था।
उद्योग निकाय इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आईसीईए) ने कहा है कि पिछले दो वर्षों में इस सेक्टर में निरंतर वृद्धि हुई है, क्योंकि भारत से अमेरिका को इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात जनवरी-सितंबर 2023 के दौरान सालाना आधार पर दोगुना बढ़कर 6.6 बिलियन डॉलर हो गया है।
इलेक्ट्रॉनिक सामान अब भारत के निर्यात सेक्टर में शीर्ष प्रदर्शन करने वालों में तीसरे स्थान पर आ गए हैं, जो पिछले साल छठे स्थान से इंजीनियरिंग उत्पादों और पेट्रोलियम के बाद अब तीसरे स्थान पर है। इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में स्मार्टफोन निर्यात में 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है, क्योंकि एप्पल और सैमसंग जैसी प्रमुख कंपनियां देश में उत्पादन का विस्तार कर रही हैं।
पीएलआई योजना और सरकार द्वारा तुरंत मंजूरी एक बड़ी सफलता साबित हो रही है क्योंकि वैश्विक दिग्गज अल्टरनेटिव सप्लाई चेन स्थापित करने के लिए अलग-थलग पड़े चीन से आगे बढ़कर देख रहे हैं।
भारत में एप्पल के प्रवेश ने इस वर्ष स्मार्टफोन निर्यात को बढ़ावा दिया है। उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर मॉड्यूल, डेस्कटॉप और राउटर के निर्यात में भी शानदार वृद्धि दर्ज की गई है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश में सेमीकंडक्टर विनिर्माण क्षमताएं स्थापित होने के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में और तेजी आने की उम्मीद है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में गुजरात के साणंद में 3,307 करोड़ रुपये के निवेश से सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करने के लिए केनेस सेमीकॉन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
यह भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के तहत स्वीकृत की जाने वाली पांचवीं सेमीकंडक्टर यूनिट है और साणंद में स्थापित होने वाली दूसरी इकाई है।
व्यापार
भारत ‘दुनिया का जीसीसी कैपिटल’ बनने के लिए पूरी तरह तैयार
नई दिल्ली, 16 जनवरी। सरकार ने गुरुवार को कहा कि भारत 1,700 वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के साथ ‘दुनिया का जीसीसी कैपिटल’ बनने के लिए तैयार है, जिसमें दो मिलियन से अधिक लोग काम करेंगे। यह संख्या 2030 तक तेजी से बढ़ने का अनुमान है।
जीसीसी एआई, डेटा एनालिटिक्स, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, डिजिटल कॉमर्स, साइबर सिक्योरिटी, ब्लॉकचेन, ऑगेमेंटेड रिएल्टी और वर्चुअल रिएल्टी जैसी उभरती टेक्नोलॉजी को अपनाने में अग्रणी हैं।
केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया के अनुसार, शिक्षा और रोजगार में तालमेल बिठाने के लिए ‘स्किल डेवलपमेंट’ हमारे प्रयासों के मूल में होना चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “इनोवेशन को बढ़ावा देने, उत्पादकता बढ़ाने और कार्यबल के लिए व्यक्तियों को तैयार करने के जरिए, हम नौकरियां पैदा कर रहे हैं और ग्लोबल टैलेंट हब का निर्माण कर रहे हैं।”
उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में सीआईआई के सहयोग से श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बात की।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उद्योग-अकादमिक संबंधों को मजबूत कर, हम भारत की अनूठी जरूरतों के अनुरूप कौशल मॉडल बना सकते हैं।
कौशल, सर्टिफिकेट से आगे बढ़कर व्यक्तियों को उद्योग और स्वरोजगार क्षेत्रों की गतिशील मांगों को पूरा करने के लिए प्रैक्टिकल विशेषज्ञता से लैस करने पर केंद्रित होना चाहिए।”
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की सचिव सुमिता डावरा के अनुसार, तेजी से विकसित हो रहे परिदृश्य में सफल होने के लिए, तीन प्रमुख प्रश्न उभरे हैं। ये तीन प्रश्न हैं- हम तेजी से टेक-संचालित जॉब मार्केट में आगे बढ़ने के लिए डिजिटल रूप से कुशल वर्कफोर्स कैसे विकसित कर सकते हैं?
हम वास्तव में इंक्लूसिव वर्कफोर्स बनाने के लिए कौन सी रणनीति अपना सकते हैं, जहां विविधता को महत्व दिया जाता है और सभी को समान अवसर दिए जाते हैं?
इसके अलावा, जैसा कि उद्योग पर्यावरणीय सस्टेनेबिलिटी को प्राथमिकता देते हैं, हम अपने वर्कफोर्स कल्चर में इको-फ्रेंडली प्रैक्टिस और वैल्यू को कैसे इंटीग्रेट कर सकते हैं?
हेल्थकेयर, मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स और ग्रीन जॉब्स जैसे प्रमुख क्षेत्रों में निवेश आकर्षित करने के लिए एक स्किल और अडॉप्टेबल वर्कफोर्स महत्वपूर्ण है।
उन्होंने जोर देकर कहा, “श्रम-प्रधान उद्योगों को मजबूत करने से विविध जनसांख्यिकी के लिए समान अवसर सुनिश्चित होते हैं, जिनमें एडवांस एजुकेशन तक सीमित पहुंच वाले लोग भी शामिल हैं।”
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