राजनीति
मोटिवेशन का नहीं है कोई इंजेक्शन, आत्म विश्लेषण से सशक्त और स्थिर बनें छात्र: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा संवाद शुरू करते हुए छात्रों से कहा कि मुझे उम्मीद है कि इस वर्ष आपको परीक्षा का तनाव नहीं होगा। प्रधानमंत्री ने छात्रों को आने वाले त्योहारों की शुभकामनाएं दी और कहा है परीक्षाओं के बीच में त्यौहार आने पर त्यौहार का आनंद नहीं ले ले पाते लेकिन यदि हम परीक्षा को ही त्यौहार मान लें तो हम भरपूर आनंद ले सकते हैं।
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में प्रधानमंत्री ने छात्रों अभिभावकों एवं शिक्षकों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा नामक’ संवाद किया। प्रधानमंत्री से सबसे पहला प्रश्न दिल्ली के विवेकानंद स्कूल में 12वीं कक्षा की छात्रा खुशी जैन ने पूछा। खुशी ने प्रधानमंत्री से पूछा कि जब हम घबराहट की स्थिति में होते हैं तो परीक्षा की तैयारी कैसे करें। कुछ ऐसा ही प्रश्न छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित रेलवे स्कूल के छात्र ए श्रीधर शर्मा और वड़ोदरा की कैनी पटेल का भी था।
प्रधानमंत्री ने जवाब में कहा कि आपके मन में यह में क्यों होता है। क्या आप पहली बार परीक्षा देने जा रहे हैं। आप में से कोई नहीं है जो पहली बार परीक्षा देने जा रहा है। आप सभी बहुत सारे एग्जाम दे चुके हैं। आप एग्जाम के आखरी छोर की ओर पहुंच चुके हैं। आप एक बात तय कर लीजिए की परीक्षा जीवन का एक सहज हिस्सा है। जीवन के यह छोटे-छोटे पड़ाव है जिनसे हमें गुजारना है और हम पहले गुजर भी चुके हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा आप सुनी सुनाई बातों से प्रभावित मत होइए। आप यह मत देखिए कि दूसरे क्या कर रहे हैं। फिर आप बहुत सरलता से उमंग से उत्साह से परीक्षा दे पाएंगे और सफल होंगे।
मैसूर के तरुण और दिल्ली के साहिर अली ने पूछा कि पिछले 2 वर्षों से हम पढ़ाई ऑनलाइन मोड में कर रहे हैं। हमें ऑनलाइन का एडिक्शन सा हो गया है, इससे बाहर निकलने के लिए हम क्या करें। कई अन्य छात्रों एवं यहां तक कि शिक्षकों ने भी ऑनलाइन शिक्षा की चुनौतियों को लेकर प्रधानमंत्री से प्रश्न पूछे।
इसके जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे मन में एक सवाल आता है थोड़ा अपने आप को पूछिए जब आप ऑनलाइन रीडिंग करते हैं तो सच सचमुच में रीडिंग करते हैं या रील देखते हैं। आपने अनुभव किया हुआ की क्लास में भी बहुत बाहर आपकी आंखें टीचर की तरफ होगी लेकिन दिमाग में एक भी बात नहीं जाती क्योंकि आपका दिमाग कहीं और रहता है। मन यदि कहीं और हो तो सुनना ही बंद हो जाता है।
पीएम मोदी ने कहा कि माध्यम समस्या नहीं है। मन समस्या है। माध्यम ऑनलाइन हो या ऑफलाइन अगर हमारा मन पूरी तरह से उस से जुड़ा हुआ है तो ऑनलाइन या ऑफलाइन से खास फर्क नहीं पड़ता है। जब युग बदलता है तो माध्यम भी बदलते हैं। पहले जब गुरुकुल थे तब किताब भी नहीं थी तब सब कंठस्थ होता था और पीढ़ी दर पीढ़ी कान के द्वारा सीखा जाता था। यह एक तकनीक का हिस्सा है कि आज टेक्नोलॉजी के माध्यम से सीख सकते हैं। ऑनलाइन को एक अवसर मानना चाहिए चुनौती नहीं मानना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऑनलाइन पाने के लिए है ऑफलाइन बनने के लिए है। ऑनलाइन से जो हमने हासिल किया है ऑफलाइन के माध्यम से हम उसे पनपने का अवसर दे सकते हैं। मान लीजिए आपने ऑनलाइन डोसा कैसे बनता है इसकी रेसिपी देखी और इस जान का आपने इस्तेमाल करते हुए डोसा बना दिया तो आपका पेट भरेगा। ऑनलाइन का इस्तेमाल अपने ज्ञान का आधार मजबूत करने के लिए करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी की बजाय हमें कहना चाहिए कि यह नेशनल एजुकेशन पॉलिसी है। हमारी नेशनल एजुकेशन पॉलिसी पर देश भर से 15 से 20 लाख इनपुट्स आए थे। देश के लाखों लोग हैं जिन्होंने इस पॉलिसी को बनाया है। यह पॉलिसी सरकार ने नहीं बनाई है। इसे देश के टीचर्स ने बनाया है और देश के भविष्य के लिए बनाया है। प्रधानमंत्री ने शिक्षा नीति के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले हमारे यहां खेलकूद को एक्स्ट्रा एक्टिविटी माना जाता था। अब शिक्षा नीति में इसे शिक्षा का हिस्सा बना दिया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि खिलने के लिए खेलना जरूरी होता है बिना खेले कोई खिल नहीं सकता कोई खुल नहीं सकता।
प्रधानमंत्री ने अभिभावकों से कहा कि आप अपने सपने, अपनी आकांक्षाओं को एक प्रकार से अपने बच्चों में इंजेक्ट करने की कोशिश करते हैं। वहीं स्कूल में टीचर बच्चों को बताते हैं कि आप ऐसा करो, वैसा करो, हमारे स्कूल की यह परंपरा है आप इसके मुताबिक कार्य करो। पहले टीचर और छात्र के परिवार के बीच में संपर्क रहता था। अब ऐसा नहीं है। जब स्कूल, शिक्षक और पेरेंट्स छात्रों की इच्छाएं, उनकी अपेक्षा, उनकी सीमाओं को जानने की कोशिश नहीं करते तो छात्र ऐसी स्थिति में लड़खड़ा जाते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं सभी टीचर्स और पेरेंट्स को कहना चाहूंगा कि आपके मन की आशा आकांक्षाओं के कारण आपके बच्चों पर बोझ पड़ जाए इससे बचने की कोशिश करें। पीएम मोदी ने पेरेंट्स से कहा कि यह अभिभावकों की कमी है यदि वह बच्चे के टैलेंट को पहचान नहीं पाते हैं। पीएम ने यह भी कहा कि मैं यह नहीं कहूंगा कि छात्र टीचर या पेरेंट्स की बात न सुने छात्रों को टीचर पर पेरेंट्स की बात सुननी भी है और समझनी भी है।
प्रधानमंत्री ने छात्रों से कहा कि आप समय स्वयं के विषय में स्वयं ही विश्लेषण कीजिए। यदि आप ऐसे में किसी और की मदद ढूंढ लेंगे तो फिर आपने एक ऐसी प्रवृत्ति पैदा होगी जो हर बार आप किसी की मदद के भरोसे रहेंगे।
प्रधानमंत्री ने अपनी पुस्तक एग्जाम वारियर का जिक्र करते हुए छात्रों से कहा कि आप कभी परीक्षा को ही एक पत्र लिख दो और इस पत्र में बता दो कि मैंने क्या-क्या तैयारियां की है। परीक्षा को बता दो कि मैं इतना तो सीख कर आया हूं कि तुम होते कौन हो मेरे मुकाबला करने वाले। परीक्षा को बता दो कि तुम होते ही कौन हूं मेरा एग्जाम लेने वाले मैंने इतनी तैयारी की है कि मैं तुम्हारा एग्जाम लूंगा।
कई अन्य छात्रों ने कॉलेज अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं व अन्य परीक्षाओं में बढ़ते कंपटीशन को लेकर प्रश्न पूछा। प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों को पढ़ाई अलग-अलग एग्जाम को ध्यान में रखते हुए नहीं करनी चाहिए। अपने आपको एग्जाम में खपाने की बजाय अपने आप को योग्य शिक्षित व्यक्ति बनाने का प्रयास करें। ऐसा होने पर आप किसी भी परीक्षा एग्जाम या मुकाबले की तैयारी के लिए स्वयं को तैयार कर सकेंगे।
दुर्घटना
विरार हादसा: सीएम फडणवीस का ऐलान, ‘मृतकों के परिजनों को मिलेगी 5-5 लाख रुपए की आर्थिक मदद’

मुंबई, 28 अगस्त। महाराष्ट्र के पालघर जिले के विरार इलाके में हुए हादसे पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दुख जताया है। साथ ही उन्होंने हादसे में जान गंवाने वाले मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए की आर्थिक मदद देने की घोषणा की।
सीएम फडणवीस ने बताया कि एनडीआरएफ की मदद से यह बचाव अभियान 48 घंटों से चल रहा है और अगले कुछ ही घंटों में पूरा कर लिया जाएगा। अब तक 9 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है।
महाराष्ट्र सीएमओ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विरार इलाके में इमारत ढहने की दुर्घटना में 17 लोगों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है और मृतकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है। सभी परिवारों के दुःख में अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए, मुख्यमंत्री फडणवीस ने मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए का मुआवजा देने का ऐलान किया है। एनडीआरएफ की मदद से यह बचाव अभियान 48 घंटों से चल रहा है और अगले कुछ घंटों में पूरा हो जाएगा। अब तक 9 लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है।”
महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने हादसे पर दुख जताते हुए एक्स पोस्ट में लिखा, ”विरार इलाके में इमारत ढहने की दुर्घटना में अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है और कुछ घायल हैं। इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना में जान गंवाने वाले सभी नागरिकों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे। मैं उनके परिवारों के दुख में शामिल हूं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है। सभी एजेंसियों ने तुरंत बचाव कार्य शुरू कर दिया है और पिछले 48 घंटों से एनडीआरएफ की टीमों की मदद से यह कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि इस दुर्घटना में घायल हुए लोगों के स्वास्थ्य में शीघ्र सुधार हो।”
मुंबई में विरार ईस्ट के नारंगी इलाके में बुधवार को एक अनधिकृत चार मंजिला इमारत का एक हिस्सा अचानक ढह गया था। हादसे में अब तक 17 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि कई लोग जख्मी हुए हैं।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई: असहयोग को लेकर बीएमसी के विरोध के बीच बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद विलिंगटन हाइट्स ताड़देव के निवासियों ने 17वीं-34वीं मंजिलें खाली कर दीं

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद, ताड़देव स्थित विलिंगटन हाइट्स की सबसे ऊपरी मंजिलों के निवासियों ने अपने अपार्टमेंट खाली करना शुरू कर दिया है। उन्हें परिसर खाली करने के लिए तीन हफ़्ते का समय दिया गया था, जो कल 27 अगस्त की रात को समाप्त हो गया। अदालत की किसी भी अवमानना से बचने के लिए, 17वीं से 34वीं मंजिल तक के निवासियों ने अपार्टमेंट खाली करने का फैसला किया है।
इस बीच, कुछ निवासी निगम के असहयोग के विरोध में बीएमसी मुख्यालय पर एकत्रित हुए हैं। बैठक में मौजूद एक निवासी सतीश मेहता ने कहा, “हमें समय सीमा बढ़ने की उम्मीद थी क्योंकि हमें मुंबई फायर ब्रिगेड से अनुपालन पत्र मिल गया था। लेकिन बीएमसी वकील ने अदालत में कहा कि यह सिर्फ़ एक पत्र था, एनओसी नहीं। अगर बीएमसी सहयोग करती, तो हमें कुछ राहत मिलती।”
बैठक सुबह 11 बजे निर्धारित थी और निवासी पहली मंजिल पर संबंधित बीएमसी अधिकारियों का इंतज़ार कर रहे हैं। मुंबई के संरक्षक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा के भी बैठक में शामिल होने की उम्मीद है।
मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने निवासियों को कोई राहत देने से इनकार कर दिया। इस तरह, 34 मंजिला इमारत की 17वीं से 34वीं मंजिल तक के अपार्टमेंट खाली करने की उनकी समय सीमा 27 अगस्त ही रह गई। कुल 27 परिवार अपने घर खाली करेंगे।
निवासियों ने कहा, “कुछ निवासी पास ही अपने दोस्तों और परिवार के घरों में चले गए हैं, जबकि कुछ किराए के अपार्टमेंट में रहने लगे हैं। हमें उम्मीद है कि 2 सितंबर की सुनवाई के दौरान अदालत हमें कुछ राहत देगी।”
बीएमसी ने स्पष्ट किया था कि अगर निवासी अदालत के आदेश के अनुसार परिसर खाली नहीं करते हैं, तो उन्हें जबरन बेदखली की प्रक्रिया के तहत आज ही नोटिस भेजा जाएगा। अदालती आदेशों की अवमानना और जबरन बेदखली से बचने के लिए, निवासियों ने बीएमसी को दिए गए वचन के अनुसार खुद ही परिसर खाली करने का फैसला किया।
जिन्हें नहीं पता, उन्हें बता दें कि मुंबई फायर ब्रिगेड से एनओसी न मिलने के कारण इमारत के पास बीएमसी से अधिभोग प्रमाण पत्र (ओसी) नहीं है।
राष्ट्रीय समाचार
भारत अगले 10 वर्षों में औसतन 6.5 प्रतिशत की विकास दर करेगा दर्ज, मैक्रो बैलेंस शीट मजबूत : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 28 अगस्त। मॉर्गन स्टेनली की गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की मैक्रो बैलेंस शीट की शुरुआत सकारात्मक स्थिति में है, जो एक मजबूत मैक्रो-स्टेबिलिटी फ्रेमवर्क (राजकोषीय समेकन और फ्लेक्सिबल इंफ्लेशन टारगेटिंग फ्रेमवर्क), उत्पादकता बढ़ाने वाले नीतिगत सुधारों और जनसांख्यिकी जैसे अनुकूल संरचनात्मक कारकों पर आधारित है, जो विकास की गति को सहारा देते हैं।
रिपोर्ट में अगले 10 वर्षों में औसतन 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है, जिसमें मुद्रास्फीति के आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप रहने की संभावना है, जिससे पूंजी की लागत के लिए एक अनुकूल पृष्ठभूमि तैयार होगी और ऋण स्थिरता सुनिश्चित होगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, “भारत का समग्र ऋणग्रस्तता स्तर निजी क्षेत्र के ऋण में वृद्धि के साथ एक प्रारंभिक बदलाव को दर्शाता है। हमारा अनुमान है कि निजी क्षेत्र के ऋण में मामूली वृद्धि जारी रहेगी, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के ऋण में गिरावट समग्र ऋण को प्रबंधनीय बनाए रखेगी और वृद्धिशील ऋण की उत्पादकता में सुधार करेगी।”
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि समग्र ऋण स्तरों के विस्तार की गति धीमी रहने की संभावना है, भले ही मिश्रण उत्पादकता बढ़ाने वाले निजी क्षेत्र के ऋण के पक्ष में अधिक बदल रहा हो।
रिपोर्ट के अनुसार, “इस प्रकार, हमारा अनुमान है कि अगले दो वर्षों में समग्र ऋण स्तर सकल घरेलू उत्पाद के 157-158 प्रतिशत के बीच सीमित रहेगा। निजी क्षेत्र के पूंजीगत व्यय में वृद्धि से कॉर्पोरेट ऋण में वृद्धि हो सकती है, यद्यपि यह मामूली स्तर पर होगी, जबकि घरेलू ऋण में विस्तार जारी रह सकता है। सार्वजनिक क्षेत्र के ऋण में कमी क्रमिक राजकोषीय समेकन द्वारा संचालित होनी चाहिए, भले ही व्यय की गुणवत्ता पूंजीगत व्यय की ओर झुकी हुई हो।”
समग्र ऋण स्तरों में निजी क्षेत्र के ऋण की हिस्सेदारी में वृद्धि के शुरुआती संकेत दिखाई दे रहे हैं, जिसकी भरपाई सार्वजनिक क्षेत्र के ऋण में समान रूप से गिरावट से हो रही है, जो बेहतर ऋण गतिशीलता का संकेत है।
निजी क्षेत्र का ऋण वित्त वर्ष 2024 के निम्नतम स्तर 73.9 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद का 76 प्रतिशत हो गया है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र का ऋण वित्त वर्ष 2024 के निम्नतम स्तर 83.4 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2025 में सकल घरेलू उत्पाद का 82 प्रतिशत हो गया है।
इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि वृद्धिशील ऋण की उत्पादकता में भी व्यापक रूप से सुधार हुआ है, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र भी शामिल है, जिसने अपने धन को इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार की ओर निर्देशित किया है।
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