अपराध
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा : हिजाब फर्ज है, इसकी अनिवार्यता अदालतें नहीं समझ सकतीं

याचिकाकर्ताओं ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस्लामी धार्मिक ग्रंथ के मुताबिक हिजाब पहनना ‘फर्ज’ (कर्तव्य) है और अदालतें इसकी अनिवार्यता अदालतें नहीं समझ सकतीं। कुछ याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष कहा कि बिजो इमैनुएल मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए एक बार जब यह बताया गया कि हिजाब पहनना एक वास्तविक प्रथा है, तब इसकी अनुमति दी गई थी।
धवन ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट का यह निष्कर्ष हैरान करने वाला है कि चूंकि न पहनने पर दंड का प्रावधान नहीं है, इसलिए हिजाब अनिवार्य नहीं है।
पीठ ने धवन से सवाल किया कि अगर अदालतें ऐसे मामलों को समझ नहीं सकतीं, तब कोई विवाद पैदा होगा तो कौन सा मंच इसका फैसला करेगा?
धवन ने कहा कहा कि हिजाब पूरे देश में पहना जाता है और जब तक यह वास्तविक और प्रचलित है, इस प्रथा की अनुमति दी जानी चाहिए और इससे धार्मिक पाठ को संदर्भित करने की कोई जरूरत नहीं है।
धवन ने तर्क दिया कि आस्था के सिद्धांतों के अनुसार, यदि कुछ का पालन किया जाता है, तो इसकी अनुमति भी दी जानी चाहिए। अगर इसमें किसी समुदाय की आस्था साबित हो जाती है तो एक न्यायाधीश उस आस्था को स्वीकार करने के लिए बाध्य होता है।
उन्होंने केरल हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि कुरान के आदेशों और हदीसों के विश्लेषण से पता चलता है कि सिर ढकना एक ‘फर्ज’ है। पीठ ने पूछा, इसे फर्ज कहने का आधार क्या है?
जस्टिस गुप्ता ने धवन से कहा, “आप चाहते हैं कि हम वो न करें जो केरल हाईकोर्ट ने किया है?”
उन्होंने जवाब दिया, “यदि धार्मिक पाठ की व्याख्या की जाए तो इसका उत्तर मिलेगा कि यह फर्ज है, और यदि यह एक अनुष्ठान है जो प्रचलित है और प्रामाणिक है, तो यह आपके प्रभुत्व में है कि इसकी अनुमति दें।”
धवन ने आगे कहा कि केरल मामले में बोर्ड द्वारा दिया गया तर्क था कि यह 2016 में अखिल भारतीय प्री मेडिकल टेस्ट (एआईपीएमटी) में कदाचार को रोकने का एक उपाय था, लेकिन कर्नाटक मामले में कोई तर्क नहीं दिया गया था।
उन्होंने कहा कि जब सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनने की अनुमति थी, तो यह कहने का आधार क्या था कि कक्षा में हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दी जा सकती?
धवन ने अपनी दलील खत्म करते हुए कहा कि सरकार के आदेश में जिस तरह हिजाब का विरोध किया गया है, उसकर कोई आधार नहीं है। यह अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है और संविधान इसकी अनुमति नहीं देता।
शीर्ष अदालत कर्नाटक हाईकोर्ट के 15 मार्च के फैसले के खिलाफ पांचवें दिन सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में हिजाब पर प्रतिबंध को बरकरार रखा गया है।
अपराध
आईआईटी बॉम्बे हॉस्टल वीडियो रिकॉर्डिंग विवाद में पूर्व एमटेक छात्र पर मामला दर्ज

CRIME
मुंबई, 17 अक्टूबर: मुंबई के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे के हॉस्टल में छात्रों की निजता भंग करने का एक गंभीर मामला सामने आया है। पवई पुलिस ने संस्थान के एक 32 वर्षीय पूर्व एमटेक छात्र के खिलाफ हॉस्टल के अंदर छात्रों की वीडियो रिकॉर्डिंग करने के आरोप में मामला दर्ज किया है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, यह घटना हॉस्टल नंबर 14 में हुई, जहां आरोपी ने लड़कों के बाथरूम में नहाते हुए छात्रों के चुपके से वीडियो रिकॉर्ड किए। हॉस्टल में रह रहे एक छात्र ने संदिग्ध गतिविधि देखी और तुरंत आईआईटी बॉम्बे के सुरक्षा विभाग को सूचित किया।
जांच में पता चला है कि आरोपी ने जून 2025 में एमटेक की पढ़ाई पूरी की थी और वह नौकरी की तलाश में था। वह एक दोस्त से मिलने के उद्देश्य से कैंपस में आया था, क्योंकि उस समय प्लेसमेंट प्रक्रिया चल रही थी। वह अपने दोस्त के कमरे में रुका हुआ था और उसी दौरान उसने यह सब किया। छात्रों ने उसे मौके पर ही पकड़ लिया और सुरक्षाकर्मियों को सौंप दिया।
पुलिस ने आरोपी के मोबाइल की जांच में कुछ आपत्तिजनक वीडियो मिलने की पुष्टि की है। हालांकि, शुरुआत में न तो छात्रों और न ही सुरक्षा अधिकारियों ने औपचारिक शिकायत दर्ज कराने में रुचि दिखाई थी। बाद में, पुलिस ने आईआईटी बॉम्बे के सुरक्षा अधिकारी का बयान दर्ज किया, जिसके आधार पर आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता और आईटी एक्ट की धारा 66 (ई) के तहत मामला दर्ज किया गया है। यह धारा बिना सहमति के किसी की निजी तस्वीर या वीडियो कैप्चर या साझा करने पर लागू होती है।
इस घटना से हॉस्टल में रहने वाले छात्रों के बीच चिंता का माहौल है, क्योंकि उन्हें अपनी निजता भंग होने का डर सता रहा है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है, लेकिन आरोपी को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। पुलिस का कहना है कि मामले की पूरी जांच के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
मुंबई: अवैध रूप से भारत में रह रहे बांग्लादेशी नागरिक गिरफ्तार, वर्षों से दे रहा था धोखा

मुंबई, 16 अक्टूबर: मुंबई की सहार पुलिस ने एक बांग्लादेशी नागरिक को हिरासत में लिया है, जो करीब दो दशकों से अवैध रूप से भारत में रह रहा था। आरोपित की पहचान एमडी इक्लाज मोल्ला एमडी बाजिलियर मोल्ला के रूप में हुई है। वह 2005 में अवैध तरीके से भारत आया था।
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि मोल्ला ने साल 2014 में कोलकाता पासपोर्ट कार्यालय में फर्जी नाम और पते सहित कई गलत जानकारी देकर धोखे से भारतीय पासपोर्ट हासिल कर लिया था। कथित तौर पर, उसने इस जाली पासपोर्ट का इस्तेमाल करके कई बार विदेश यात्राएं भी कीं।
मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को तब हुई जब 14 अक्टूबर 2025 को उसने इंडिगो की उड़ान 6ई-1236 से कुवैत से मुंबई जाने की कोशिश की, लेकिन मुंबई हवाई अड्डे पर इमीग्रेशन अधिकारियों ने उसे रोक लिया।
अधिकारियों ने बताया कि धोखाधड़ी से हासिल किए गए भारतीय पासपोर्ट का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय यात्रा के लिए करके, आरोपी ने भारतीय पासपोर्ट प्राधिकरण और मुंबई आव्रजन विभाग, दोनों को धोखा दिया।
अधिकारी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के बाद, सहार पुलिस स्टेशन ने आरोपी के खिलाफ बीएनएस की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
मोल्ला पिछले ग्यारह सालों से कुवैत में नौकरी कर रहा था और वहां उसने खुद को भारतीय नागरिक बताकर कुवैती विदेश मंत्रालय के माध्यम से अपने भारतीय पासपोर्ट का नवीनीकरण भी करवाता रहा। इसी नकली पासपोर्ट का इस्तेमाल करके उसने कुवैत में नौकरी हासिल की और कोलकाता में संपत्ति भी खरीदी थी।
फिलहाल पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि इस बांग्लादेशी नागरिक ने भारतीय नागरिकता के दस्तावेज कैसे हासिल किए और बार-बार अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कैसे कीं। यह मामला भारतीय आव्रजन और पासपोर्ट प्रणाली में सेंधमारी के गंभीर सवाल खड़े करता है। उसे अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने और बिना अनुमति के रहने के आरोप में हिरासत में लिया गया है और अब उसे डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
अपराध
महाराष्ट्र : सपा नेता फहद आजमी पर मारपीट का आरोप, पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की

FIR
महाराष्ट्र, 15 अक्टूबर: मुंबई के गोवंडी इलाके में बैगनवाड़ी डंपिंग ग्राउंड पर बने एक ओपन जिम के उद्घाटन समारोह में उस समय तनाव पैदा हो गया, जब समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता फहद आजमी पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। उस वक्त पार्टी विधायक तथा महाराष्ट्र अध्यक्ष अबू आसिम आजमी भी मौके पर मौजूद थे।
मामला तब शुरू हुआ जब अब्दुल करीम बादशाह खान नामक एक युवक विधायक अबू आजमी के साथ फोटो खिंचवाने गया था। उसी समय वहां पर मौजूद करीम ने आरोप लगाया कि सपा नेता फहद आजमी और उनके साथियों ने उसे धक्का दिया और हमला कर भी किया, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं। फिर देखते ही देखते यह घटना दो समूहों के बीच हिंसक झड़प में बदल गई।
इस मामले में मुंबई की शिवाजीनगर पुलिस ने दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज की हैं और जांच शुरू कर दी है।
पहली एफआईआर करीम की शिकायत पर दर्ज की गई है, जिसमें समाजवादी पार्टी के नेता फहद आजमी और दो अज्ञात लोगों पर मारपीट करने और जान से मारने की धमकी देने का मामला दर्ज किया गया है।
करीम ने तहरीर में बताया कि 13 अक्टूबर की शाम जब वह अबू आजमी के साथ फोटो खिंचवाने आगे बढ़ा, तो फहद आजमी ने उसे धक्का दिया और कान पर थप्पड़ जड़ा था। इसके बाद फहद के साथ मौजूद दो अज्ञात व्यक्तियों ने भी उसकी पिटाई कर दी।
वहीं, दूसरी एफआईआर सपा कार्यकर्ता की शिकायत पर दर्ज कराई गई है, जिसमें करीम और उसके तीन साथियों पर मारपीट और डकैती का आरोप लगाया गया है। शेख ने बताया कि उद्घाटन समारोह के बाद, बुर्का पहने एक महिला ने विधायक को इलाके में हो रही बदमाशी की शिकायत की थी।
पुलिस ने दोनों मामलों में एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह घटना विधायक की पुलिस सुरक्षा में चूक को लेकर भी गंभीर चिंताएं पैदा करती है, क्योंकि हिंसा उनके काफिले के ठीक बीच में भड़की थी।
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