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केंद्र ने एक लाख से अधिक महिला पशुपालकों को जूनोटिक बीमारियों को लेकर किया जागरुक

नई दिल्ली, 8 मार्च। मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने शनिवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर 1 लाख से अधिक पशुपालक महिला किसानों को अलग-अलग जूनोटिक बीमारियों के बारे में जानकारी दी गई है।
विशेषज्ञों और पशु चिकित्सकों द्वारा महिलाओं को एक वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से स्वच्छ दूध उत्पादन और रोग की रोकथाम में एथनोवेटरनरी दवाओं की भूमिका के बारे में जानकारी दी गई।
पशुपालन और डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने वर्चुअल सेशन की अध्यक्षता करते हुए कहा, “डेयरी सहकारी समितियों (डीसीएस) में महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।”
उपाध्याय ने कहा, “महिला डेयरी किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), समुदाय से जुड़े किसानों (सीएलएफ) और स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के माध्यम से खुद को संगठित करने में सक्षम रही हैं, जहां डेयरी सहकारी समितियां (डीसीएस) मौजूद नहीं थीं।”
उन्होंने कहा, “डेयरी क्षेत्र में महिलाओं का योगदान बहुत बड़ा है, उन्हें इस क्षेत्र में केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ उठाने पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि बकरी और भेड़ पालन की योजनाएं महिला किसानों को कम लागत पर अच्छा रिटर्न पाने में मदद कर सकती हैं।
कोविड महामारी का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पशुओं से मनुष्यों में बीमारी फैलने और उत्पादकता में कमी को रोकने के लिए जूनोटिक बीमारियों की रोकथाम पर ध्यान देने की जरूरत है।
वर्चुअल सेशन में 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की महिलाओं ने भाग लिया। ग्राम स्तरीय उद्यमियों (विलेज लेवल एंटरप्रेन्योर) द्वारा लगभग 2,050 शिविर आयोजित किए गए।
डीएएचडी की अतिरिक्त सचिव वर्षा जोशी ने कहा, “महिला किसानों को पशुपालन प्रैक्टिस और सार्वजनिक स्वास्थ्य के बीच संबंध पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।”
उन्होंने इस क्षेत्र में स्वच्छ, सस्टेनेबल प्रैक्टिस की जरूरत पर जोर दिया और स्वच्छ दूध उत्पादन के महत्व और पशुओं से मनुष्यों में बीमारियों के फैलने को रोकने के लिए जैव सुरक्षा उपाय करने पर चर्चा की।
हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3,880 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ पशुधन स्वास्थ्य एवं रोग नियंत्रण योजना (एलएचडीसीपी) के संशोधन को मंजूरी दी।
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पिछले 10 वर्षों में भारत का अंतरिक्ष बजट लगभग तीन गुना बढ़ा: केंद्रीय मंत्री

नई दिल्ली, 8 मार्च। केंद्र सरकार ने शनिवार को जानकारी देते हुए कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत का अंतरिक्ष बजट लगभग तीन गुना बढ़ा है, जो कि 2013-14 में 5,615 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में 13,416 करोड़ रुपये हो गया है।
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार, ”भारत की अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी अब केवल रॉकेट के लॉन्च तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पारदर्शिता, शिकायत निवारण और नागरिक भागीदारी को बढ़ावा देकर शासन में क्रांति लाने में भी प्रमुख भूमिका निभा रही है।”
उन्होंने ‘स्पेस टेक फॉर गुड गवर्नेंस’ सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, “इस प्रक्रिया में भ्रष्ट आचरण की गुंजाइश कम हुई है, समयसीमा का पालन करने में अधिक अनुशासन आया है और लालफीताशाही कम हुई है।”
अंतरिक्ष स्टार्टअप की संख्या एक से बढ़कर 300 से अधिक हो गई है, जिससे भारत वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में प्रमुख राजस्व जनरेटर के रूप में स्थापित हो गया है।
भारत ने 433 विदेशी सैटेलाइट लॉन्च किए हैं, जिनमें से 396 को 2014 से लॉन्च किया गया है, जिससे 192 मिलियन डॉलर और 272 मिलियन यूरो का राजस्व प्राप्त हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर जोर देते हुए डॉ. सिंह ने बताया कि कैसे अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी सुशासन के माध्यम से आम नागरिकों के जीवन को आसान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी अब हर भारतीय घर का अभिन्न अंग बन गई है, जो अंतरिक्ष विभाग के सैटेलाइट द्वारा सक्षम विभिन्न शासन सेवाओं को सशक्त बना रही है।
डॉ. सिंह ने बताया कि अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी राष्ट्रीय रक्षा, सीमा निगरानी और भू-राजनीतिक खुफिया जानकारी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो भारत की सुरक्षा में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
केंद्रीय मंत्री ने स्टार्टअप और आजीविका सृजन के साथ शासन प्रथाओं को बदलने के लिए भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के बढ़ते महत्व को एक आकर्षक अवसर के रूप में रेखांकित किया।
केंद्रीय मंत्री ने भारत के कृषि क्षेत्र में अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह निर्णय लेने, मौसम पूर्वानुमान, संचार, आपदा तैयारी, पूर्व चेतावनी प्रणाली, शहरी नियोजन और सुरक्षा में सुधार करने में एक अमूल्य शक्ति गुणक बन गया है।
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आरबीआई ब्याज दरों में कर सकता है कटौती, मुद्रास्फीति में कमी का दिखेगा असर : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 8 मार्च। भारत की मुद्रास्फीति जनवरी में 5.22 प्रतिशत से घटकर 4.31 प्रतिशत हो गई। लगातार चार महीने तक मुद्रास्फीति 5 प्रतिशत से ऊपर रहने के बाद, यह आरबीआई के 4 प्रतिशत लक्ष्य के करीब पहुंच गई। यह ट्रेंड संभावित दरों में कटौती की संभावना को मजबूत करता है, जिसमें रेपो रेट 6.25 प्रतिशत पर है। शनिवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
मोतीलाल ओसवाल म्यूचुअल फंड की रिपोर्ट के अनुसार, बाजार की स्थिति निवेशकों के बीच सतर्कता की भावना को दर्शाती है, जो आर्थिक स्थितियों, सेक्टर-स्पेसिफिक विकास और ग्लोबल फाइनेंशियल मार्केट के रुझानों से जुड़ी है।
फरवरी में निफ्टी 500 इंडेक्स में 7.88 प्रतिशत की गिरावट आई। फैक्टर-बेस्ड रणनीतियों ने बाजार मूवमेंट को दर्शाया, जबकि निफ्टी 5 ईयर बेंचमार्क जी-सेक (+0.53 प्रतिशत) सहित निश्चित आय वाले साधनों ने स्थिरता प्रदर्शित की।
रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक स्तर पर विकसित बाजारों में मिश्रित गतिविधियां देखने को मिलीं, जहां स्विट्जरलैंड ने 3.47 प्रतिशत और यूनाइटेड किंगडम ने 3.08 प्रतिशत बढ़त दर्ज की, जबकि जापान ने 1.38 प्रतिशत गिरावट दर्ज की।
अमेरिका में सीपीआई मुद्रास्फीति 3 प्रतिशत रही, जो पिछले महीने के 2.90 प्रतिशत से मामूली वृद्धि को दर्शाती है।
एचएसबीसी की एक दूसरी रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत का लॉन्ग-टर्म आउटलुक मजबूत बना हुआ है और इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग में सरकारी निवेश, निजी निवेश में तेजी और रियल एस्टेट साइकल में सुधार के कारण निवेश साइकल मध्यम अवधि में तेजी की ओर बढ़ने का अनुमान है।
एचएसबीसी म्यूचुअल फंड की ‘मार्केट आउटलुक रिपोर्ट 2025’ में रिन्यूएबल एनर्जी और इससे जुड़े सप्लाई चेन में ज्यादा निजी निवेश, हाई-एंड टेक्नोलॉजी कंपोनेंट्स का स्थानीयकरण और भारत के तेजी से विकास का सपोर्ट करने के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन का सार्थक हिस्सा बनने की उम्मीद है।
अभी तक वास्तविक अर्थव्यवस्था ने वैश्विक विकास के प्रति लचीलापन दिखाया है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है, “विकास-मुद्रास्फीति के आंकड़ों, एमपीसी की पिछली नीति कार्रवाई और एमपीसी के मिनटों के आधार पर, हमारा मानना है कि आरबीआई-एमपीसी अपनी अप्रैल नीति में एक और 25 बीपीएस कटौती करेगा, जबकि अपनी लिक्विडिटी रणनीति पर चुस्त और लचीला बने रहना जारी रखेगा।”
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भारतीय यूनिकॉर्न कंपनियों में 5.8 प्रतिशत बोर्ड सीट्स महिलाओं के पास: रिपोर्ट

बेंगलुरु, 8 मार्च।116 भारतीय यूनिकॉर्न कंपनियों की 1,314 बोर्ड सीटों में से 76 सीटें महिलाओं के पास हैं, जो कि कुल सीटों का 5.8 प्रतिशत भाग है। शनिवार को जारी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। यह रिपोर्ट देश में यूनिकॉर्न इकोसिस्टम में जेंडर डायवर्सिटी को बेहतर बनाने के अवसर पर प्रकाश डालती है।
इसके विपरीत, हाल ही में डेलॉइट की ‘वूमन इन द बेडरूम: ए ग्लोबल परस्पेक्टिव’ रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारतीय इंक में महिलाओं के पास 18.3 प्रतिशत बोर्ड सीटें थीं, जबकि वैश्विक औसत 23.3 प्रतिशत है।
एक प्राइवेट मार्केट इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म, प्राइवेट सर्किल रिसर्च के अनुसार, कंपनी लेवल पर 116 यूनिकॉर्न कंपनियों में से 48 प्रतिशत के बोर्ड में कम से कम एक महिला निदेशक थीं, जबकि उनमें से केवल 11 प्रतिशत के पास एक से अधिक महिला निदेशक थीं।
यह भारतीय यूनिकॉर्न द्वारा बोर्डरूम में जेंडर गैप को पाटने के निरंतर प्रयासों का संकेत है।
प्राइवेटसर्किल रिसर्च के शोध निदेशक मुरली लोगनाथन ने कहा, “यह लंबे समय से चला आ रहा है कि वे कंपनियां जिनके पास ज्यादा डायवर्स बोर्ड है, वे वित्तीय रूप से बेहतर प्रदर्शन करती हैं। मैकिन्से की 2023 डायवर्सिटी मैटर्स इवन मोर रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि ज्यादा डायवर्स बोर्ड वाली कंपनियां बेहतर वित्तीय प्रदर्शन हासिल करती हैं।”
विश्लेषण के अनुसार, दूसरे क्षेत्र के यूनिकॉर्न की तुलना में वित्त यूनिकॉर्न में महिला निदेशकों (16) का प्रतिनिधित्व सबसे अधिक था। इसके बाद सॉफ्टवेयर (8), खुदरा (7), बीमा (5), यात्रा और आतिथ्य (5), और उभरती हुई टेक्नोलॉजी (4) यूनिकॉर्न का स्थान रहा।
कई यूनिकॉर्न अपने बोर्ड में एक से अधिक महिला निदेशकों के साथ बोर्डरूम डायवर्सिटी के प्रति अपने कमिटमेंट के लिए आगे आए हैं।
उनके बोर्ड में कई महिलाओं की मौजूदगी ब्रॉडर इकोसिस्टम के लिए एक सकारात्मक उदाहरण स्थापित करती है, जो दर्शाती है कि जेंडर-इंक्लूसिव लीडरशिप संभव है और व्यवसाय के विकास के लिए फायदेमंद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बोर्डरूम में महिलाओं की रिपोर्ट के मार्च 2024 एडिशन के अनुसार, 2022 से बोर्डरूम में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 3.6 प्रतिशत बढ़ा है और जेंडर पैरिटी प्राप्त करने की अनुमानित समयसीमा भी सात साल कम हो गई है।
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