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Tuesday,02-December-2025
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सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण पर लगाम कसने में नाकाम केंद्र को खरी-खोटी सुनाते हुए कहा, नौकरशाही आलस्य का शिकार

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र और राज्य सरकारों को राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए एक स्पष्ट रास्ता पेश करने में असमर्थता के लिए फटकार लगाई। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत के साथ ही प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमणा की अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के वकील की दलीलें सुनने के बाद कहा कि राजधानी में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कदमों पर स्पष्ट जवाब की जरूरत है, जो पिछले कई सालों से एक वार्षिक घटनाक्रम बन चुका है।

न्यायमूर्ति कांत ने दिल्ली सरकार के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी से कहा कि कोई भी किसानों की दुर्दशा को नहीं समझता है कि आखिर उन्हें किन परिस्थितियों में पराली जलाने पर मजबूर होना पड़ता है।

न्यायमूर्ति कांत ने कहा, “दिल्ली में 5-स्टार और 7-स्टार सुविधाओं में बैठे लोग किसानों पर आरोप लगाते रहते हैं (प्रदूषण में चार प्रतिशत और जनसंख्या का 30 या 40 प्रतिशत)। किसानों को दोष देने के बजाय, अगर आपके पास एक वैज्ञानिक विकल्प (एक संकल्प) है.. तो आइए और इस पर ध्यान दीजिए।”

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि आईआईटी कानपुर के एक अध्ययन के अनुसार प्रदूषण में पराली जलाने और पटाखे फोड़ने की घटनाएं मुख्य योगदान नहीं देती हैं।

पीठ ने वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने के लिए सरकार और नौकरशाही की खिंचाई की।

पीठ ने कहा कि नौकरशाही आलस्य का शिकार हो चुकी है और वे कुछ भी नहीं करना चाहते हैं। बेंच ने नौकरशाही के रवैये की आलोचना करते हुए कहा, “नौकरशाही को लकवा मार चुका है.. हमें ये सारी बातें कहनी हैं- स्प्रिंकलर का इस्तेमाल कैसे करना है, वाहनों को कैसे रोकना है.. वे कोई फैसला नहीं लेना चाहते हैं।”

पीठ ने जोर देकर कहा कि किसी को जिम्मेदारी लेनी होगी और न्यायिक आदेश से सब कुछ नहीं किया जा सकता है। इसने बताया कि प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली में पटाखे जलाए गए।

इसने आगे कहा कि सरकारी रिपोर्ट के अनुसार वाहन मुख्य कारण हैं, लेकिन दिल्ली की सड़कों पर हाई-फाई कारें चलती हैं। अदालत ने दिल्ली की सड़कों से 10-15 साल पुराने वाहनों को हटाने की नीति के कार्यान्वयन पर भी सवाल उठाए। पीठ ने कहा, “उन्हें इसे रोकने के लिए कौन प्रोत्साहित करेगा? दिल्ली कहती है कि वाहनों पर प्रतिबंध लगाने या डब्ल्यूएफएच (वर्क-फ्रॉम-होम) शुरू करने का कोई मतलब नहीं है अगर पड़ोसी राज्यों में यह लागू नहीं किया गया है।”

पीठ ने यह भी कहा कि टीवी पर बहस अधिक प्रदूषण पैदा कर रही है और कहा कि वे इस मुद्दे को नहीं समझते हैं और बयानों को संदर्भ से बाहर कर दिया जाता है। पीठ ने कहा, “सबका अपना एजेंडा है।”

पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उन्हें कार्यालय में सभी 100 अधिकारियों को बुलाने की जरूरत नहीं है, बल्कि 50 अधिकारियों को बुलाने की जरूरत है। पीठ ने कहा, “कई सरकारी इलाके हैं (सरकारी कार्यालयों के आसपास), क्या वे सार्वजनिक परिवहन में यात्रा नहीं कर सकते?”

शीर्ष अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई अगले बुधवार को तय की है।

अपराध

नवी मुंबई अपराध: मानव तस्करी निरोधक इकाई ने वाशी स्पा में वेश्यावृत्ति रैकेट का भंडाफोड़ किया; 6 महिलाओं को बचाया गया, प्रबंधक गिरफ्तार

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नवी मुंबई, 2 दिसंबर: नवी मुंबई पुलिस की मानव तस्करी निरोधक इकाई (एएचटीयू) ने शनिवार को वाशी के जुहूगांव के सेक्टर 11 स्थित अर्पणा सैलून एंड स्पा में मसाज सेवाओं की आड़ में चल रहे एक वेश्यावृत्ति रैकेट का भंडाफोड़ किया और परिसर से छह महिलाओं को मुक्त कराया। स्पा की मैनेजर असीमा रॉबिन घोष (34) को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि उसका साथी नूर आलम शेख अभी भी फरार है।

पुलिस के अनुसार, स्पा कथित तौर पर प्रति ग्राहक 6,000 रुपये वसूल रहा था और महिलाओं को वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर कर रहा था। एक विशिष्ट सूचना पर कार्रवाई करते हुए, AHTU ने 30 नवंबर को इस गतिविधि की पुष्टि के लिए एक फर्जी ग्राहक को तैनात किया।

जब अवैध गतिविधियों की पुष्टि हो गई, तो वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक पृथ्वीराज घोरपड़े के नेतृत्व में एक टीम ने एपीआई योगेश देशमुख, पीएसआई सरिता गुडे और अन्य कर्मियों के साथ प्रतिष्ठान पर त्वरित छापेमारी की।

कार्रवाई के दौरान, अधिकारियों को छह महिलाएँ मिलीं जिन्होंने बताया कि उन्हें मसाज सेवा देने के नाम पर जबरन देह व्यापार में धकेला जा रहा था। उनके बयानों के आधार पर, पुलिस ने घोष और शेख के खिलाफ बीएनएस धारा 143(3) और अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 की धारा 3, 4, 7 और 7(1) के तहत मामला दर्ज किया।

वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक पृथ्वीराज घोरपड़े ने कहा, “स्पा और मसाज सेवाओं के बहाने महिलाओं का शोषण करने वाले प्रतिष्ठानों पर हम कार्रवाई जारी रखेंगे। फरार आरोपियों सहित सभी संबंधित लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।”

अधिकारियों ने बताया कि घोष को 4 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है और नूर आलम शेख की तलाश जारी है।

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अपराध

अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद सिद्दीकी की बड़ी रिमांड, 14 दिन की ईडी हिरासत में भेजा गया

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नई दिल्ली, 1 दिसंबर: अल फलाह यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद अहमद सिद्दीकी को साकेत कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। अब मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी।

जावेद अहमद सिद्दीकी से पूछताछ के दौरान कई अहम खुलासे होने की संभावनाएं हैं।

बता दें कि इससे पहले भी जावेद अहमद सिद्दीकी को ईडी की 13 दिनों की हिरासत में भेजा गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) शीतल चौधरी प्रधान ने 20 नवंबर को जावेद अहमद सिद्दीकी को ईडी रिमांड पर भेजने का आदेश दिया था।

अपने आदेश में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा था कि ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों का पालन किया है और अपराध की गंभीरता को देखते हुए सिद्दीकी को 13 दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेजा जाना चाहिए।

यूनिवर्सिटी के फाउंडर जावेद को 19 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के पास हुए आतंकी हमले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार किया गया था।

यूनिवर्सिटी की तरफ से किए जा रहे कथित फर्जी मान्यता और भ्रामक दावों की पड़ताल में एक बड़ा खुलासा हुआ था।

रिमांड नोट के अनुसार, इस संस्था ने कथित तौर पर पिछले कई सालों में छात्रों को भ्रमित कर न सिर्फ एडमिशन लिए, बल्कि भारी भरकम रकम भी वसूली है। आईटीआर के विश्लेषण से यह भी पता चला है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2024-25 तक यूनिवर्सिटी ने करोड़ों रुपए की आय दिखाई थी।

ईडी की जांच में सामने आया कि वित्तीय वर्ष 2014-15 और 2015-16 में क्रमश: 30.89 करोड़ और 29.48 करोड़ रुपए को स्वैच्छिक योगदान यानी वॉलंटरी कंट्रीब्यूशन बताया गया था, लेकिन 2016-17 के बाद इनकम को सीधे मेन ऑब्जेक्ट या एजुकेशनल रेवेन्यू के रूप में दिखाया जाने लगा था।

जांच में पता चला कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में 24.21 करोड़ रुपए और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 80.01 करोड़ रुपए की आय दर्ज की गई थी। कुल मिलाकर कथित तौर पर फर्जी मान्यता के नाम पर लगभग 415.10 करोड़ रुपए की रकम हासिल की गई थी।

एजेंसियों का दावा है कि यूनिवर्सिटी ने झूठे दावों और भ्रामक प्रैक्टिस के जरिए छात्रों के विश्वास, भविष्य और उम्मीदों के साथ खिलवाड़ किया है। इस मामले में ईडी की जांच दिल्ली पुलिस की एफआईआर से शुरू हुई, जिसके आधार पर अब मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से भी पड़ताल जारी है।

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दिल्ली ब्लास्ट मामले में बड़ी कार्रवाई, एनआईए ने जम्मू-कश्मीर में 10 ठिकानों पर की छापेमारी

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नई दिल्ली, 1 दिसंबर: दिल्ली के लाल किले के पास हुए ब्लास्ट मामले में जांच अब और तीव्र हो गई है। सोमवार सुबह राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर में 10 स्थानों पर व्यापक तलाशी अभियान चलाया। यह छापेमारी पुलवामा, शोपियां और आसपास के कई इलाकों में की गई, जिसका उद्देश्य सबूत जुटाना और ब्लास्ट से जुड़े व्यक्तियों की भूमिका खंगालना है।

जांच एजेंसी ने शोपियां में मुफ्ती इरफान अहमद वागे के घर और पुलवामा में डॉ. अदील अहमद राथर, डॉ. मुअज्जमिल शकील और अमीर राशिद के घरों पर छापे मारे। सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसी डिजिटल सबूत, दस्तावेज और किसी तरह की आपत्तिजनक सामग्री की तलाश कर रही है।

शनिवार को दिल्ली की एक अदालत ने मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों की एनआईए हिरासत 10 दिनों के लिए बढ़ा दी। गिरफ्तार चार आरोपियों में डॉ. मुअज्जमिल शकील, डॉ. शहीन सईद, मुफ्ती इरफान अहमद वागे और डॉ. अदील अहमद राथर के नाम शामिल हैं।

अदालत से अनुमति मिलने के बाद सभी आरोपियों को पटियाला हाउस कोर्ट से एनआईए मुख्यालय ले जाया गया, जहां उनसे गहन पूछताछ जारी है।

10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास स्थित रेड फोर्ट मेट्रो स्टेशन के करीब एक कार अचानक विस्फोट से उड़ गई थी। शाम 6:52 बजे हुए इस धमाके में 13 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई गंभीर रूप से घायल हो गए थे। घटनास्थल पर कारों के मलबे और क्षत-विक्षत शवों से पूरा इलाका दहल गया था।

जांच में सामने आया कि इस हमले को ‘व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क’ ने अंजाम दिया, जिसका संबंध आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से बताया गया। धमाके से पहले ही कई राज्यों में गिरफ्तारियां हो चुकी थीं और ‘इंटरस्टेट मॉड्यूल’ के सुराग मिलने लगे थे।

एनआईए ने इस मामले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। ब्लास्ट वाली कार डॉ. उमर मोहम्मद चला रहा था। ये कार आमिर राशिद अली के नाम रजिस्टर्ड थी, जो अब जांच एजेंसी की कस्टडी में है।

आरोपियों में शामिल डॉ. शकील पुलवामा, डॉ. राथर अनंतनाग, वागे शोपियां और डॉ. शाहीन सईद लखनऊ से ताल्लुक रखता है।इन लोगों ने हमले को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई।

वहीं आरोपी जसीर बिलाल वानी ने आतंकवादी को टेक्निकल मदद दी और शोएब ने कथित तौर पर उमर को पनाह दी और ब्लास्ट से कुछ समय पहले लॉजिस्टिक मदद दी, जिन्हें पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है।

एनआईए की लगातार जारी छापेमार कार्रवाई से साफ है कि एजेंसी इस पूरे मॉड्यूल को जड़ों तक तोड़ने के लिए अब और तेज कदम उठा रही है।

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