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Friday,23-May-2025
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एमवाई के साथ-साथ अन्य जातियों को भी साध कर भाजपा को हराने की सपा की रणनीति

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 2022 में होने जा रहा उत्तर प्रदेश का विधान सभा चुनाव समाजवादी पार्टी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण चुनाव माना जा रहा है क्योंकि प्रदेश में लगातार 3 चुनाव हार चुकी सपा के अस्तित्व के लिए यह चुनाव काफी मायने रखता है। सपा इस बार नई रणनीति और जबरदस्त तैयारी के साथ चुनावी मैदान में उतरने जा रही है। 2017 के पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा ने बूथ स्तर तक की जबरदस्त तैयारी के साथ-साथ प्रदेश में छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन कर महत्वपूर्ण जातीय समीकरण को भी साधा था, जिसका भाजपा को सबसे ज्यादा लाभ भी मिला था।

भाजपा की इसी रणनीति से सबक लेते हुए सपा ने इस बार बड़े दलों के साथ गठबंधन करने की बजाय छोटे-छोटे दलों को साथ लेकर चुनाव में जाने का फैसला किया है। सपा अब तक सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी , राष्ट्रीय लोकदल, महान दल, जनवादी पार्टी और अपना दल ( कमेरावादी) के साथ गठबंधन कर चुकी है और हाल के दिनों में आप राज्य सभा सांसद संजय सिंह के साथ भी अखिलेश यादव की मुलाकात हो चुकी है।

आईएएनएस के साथ खास बातचीत में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी दावा किया कि 2014, 2017 और 2019 की परिस्थितियां अलग थी और 2022 के हालात अलग है। इन छोटे दलों के बेस वोट बैंक के सहारे चुनाव जीतने को आश्वस्त अखिलेश ने तो आईएएनएस के साथ बातचीत में यहां तक दावा कर दिया कि इस बार प्रदेश की जनता भाजपा का सफाया करने जा रही है।

दरअसल, 2017 के विधान सभा चुनाव की बात करे तो इसमें भाजपा को सहयोगी दलों के साथ मिलाकर लगभग 3.59 करोड़ वोट के साथ 325 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, जबकि कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ी सपा को लगभग 1.89 करोड़ और कांग्रेस को लगभग 54 लाख वोट मिले थे। उस समय सपा को सिर्फ 47 सीटों पर ही जीत हासिल हुई थी जबकि कांग्रेस महज 7 सीट पर ही सिमट कर रह गई थी।

इस बार राजनीतिक हालात बदले हुए हैं। 2017 में एनडीए गठबंधन का हिस्सा रही ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी इस बार सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। वहीं कांग्रेस भी इस बार सपा से अलग होकर चुनाव लड़ने जा रही है। ऐसे में सपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती 1.7 करोड़ के लगभग वोटों के अंतर को पाटने की है ताकि उसे भाजपा से अधिक वोट हासिल हो सके।

समाजवादी पार्टी के पूर्व सांसद और यादव परिवार के महत्वपूर्ण सदस्य धर्मेन्द्र यादव ने आईएएनएस के साथ बातचीत करते हुए दावा किया कि वोटों का यह अंतर बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता क्योंकि इससे पहले 2012 में हमने प्रदेश में सरकार बनाई थी। उन्होंने भाजपा पर 2017 में मतदाताओं को ठगने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2017 में भाजपा ने हर जाति के एक नेता को मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के तौर पर पेश किया था और चुनाव जीतने के बाद किसी और को मुख्यमंत्री बना दिया था इसलिए इस बार ये जातियां इनके झांसे में नहीं आएगी।

कभी एमवाई ( मुस्लिम और यादव ) समीकरण के सहारे प्रदेश में जीत हासिल करते रहने वाली सपा इस बार खास रणनीति के तहत सबको लुभाने का प्रयास कर रही है।

आईएएनएस के साथ बातचीत में अखिलेश यादव ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में किसान, नौजवान और व्यापारी समेत प्रदेश की जनता इस बार उनके साथ है। सपा नेता धर्मेन्द्र यादव ने भी इस बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जाति, धर्म और वर्ग की सीमा से अलग हटकर इस बार समाज के सभी तबके का समर्थन सपा को मिल रहा है । धर्मेन्द्र यादव 2012 से 2017 के दौरान अखिलेश यादव सरकार की तमाम उपलब्धियों को गिनाते हुए दावा कर रहे हैं कि 2022 में किसान, युवा, व्यापारी , महिला , दलित और ओबीसी समेत समाज का हर तबका सपा को वोट करेगा। जाहिर तौर पर इसमें छोटे दलों के साथ गठबंधन की बड़ी भूमिका रहने वाली है।

ओवैसी के उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ने के बावजूद सपा मुस्लिम वोटों को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नजर आ रही है। धर्मेन्द्र यादव ने कहा कि हर राजनीतिक दल चुनाव लड़ना चाहता है लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश में सिर्फ अखिलेश यादव का ही जादू चलने जा रहा है। धर्मेन्द्र यादव ने दावा किया कि इस बार सपा को कोई नकार नहीं रहा है।

दरअसल , इस बार सपा एक साथ कई मोचरे पर काम कर रही है। एक तरफ जहां सपा अपने आधार वोट बैंक रहे मुस्लिम और यादवों को पूरी तरह से अपने पाले में बनाए रखने का प्रयास कर रही है तो वहीं दूसरी तरफ छोटे दलों के साथ गठबंधन कर उनके बेस वोट बैंक के सहारे मत प्रतिशत और सीटों की संख्या में भाजपा पर बढ़त भी हासिल करने की योजना पर काम कर रही है।

चुनावी रैलियों की तारीखों और उसमें भारी भीड़ जुटाकर भी सपा भाजपा के नहले पर दहला मारने का लगातार प्रयास कर रही है। ‘ लाल टोपी’ विवाद पर सीधे प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साध कर भी अखिलेश अपने समर्थक मतदाताओं को यह संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि वो अकेले मोदी और योगी जैसे हैवीवेट नेताओं से भिड़ने को तैयार हैं।

महाराष्ट्र

आईएसआई एजेंट ज्योति मल्होत्रा ​​की मुंबई यात्रा, वह किन लोगों से मिली यात्रा के दौरान, कहां रुकी और किसने सहायता प्रदान की, जांच जारी

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मुंबई: मुंबई पाकिस्तानी जासूस ज्योति मल्होत्रा ​​ने भी मुंबई में निरीक्षण किया। ज्योति की जांच के दौरान यह बात सामने आई। ज्योति ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए महत्वपूर्ण स्थानों की गुप्त सूचनाएं और विवरण एकत्र किए थे। ज्योति ने यात्रा कार्यक्रम से संबंधित गतिविधियों को यूट्यूब पर अपलोड करके पाकिस्तान में भारतीय स्थानों का विवरण भी उपलब्ध कराया है। ज्योति की मुंबई यात्रा के बाद अब एजेंसियों ने उनकी यात्रा से संबंधित विवरण एकत्र करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ज्योति ने 2023 में मुंबई का दौरा किया था और इस दौरान उन्होंने तीन शहरों का भी दौरा किया था।

ज्योति का मोबाइल फोन और लैपटॉप भी जब्त कर लिया गया है। ज्योति 12 मई 2023 को राजधानी एक्सप्रेस से मुंबई आईं. 14 मई को उन्होंने शहर में कई स्थानों का दौरा किया। वह फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी करती थीं। वह 20 जुलाई 2023 को गरीब रथ एक्सप्रेस से मुंबई पहुंचीं और कुछ दिनों तक कई स्थानों का विवरण रिकॉर्ड किया और एकत्र किया। वह 3 अक्टूबर 2023 को विमान से मुंबई आईं और 22 दिन तक यहां रहीं। इस दौरान उन्होंने मेट्रो ट्रेन और अन्य साधनों से मुंबई की यात्रा भी की। वीडियोग्राफी और ट्रॉपिकल चैनल ने 25 अक्टूबर 2024 को विमान से दिल्ली की यात्रा, मुंबई की तीन यात्राएं और शहर का निरीक्षण और अवलोकन, जुलाई में लक्जरी बस द्वारा मुंबई की यात्रा, अगस्त में कांकोली एक्सप्रेस द्वारा अहमदाबाद की यात्रा और 2024 में पंजाब मेल द्वारा दिल्ली की यात्रा का विवरण भी साझा किया। ज्योति जांच में कई महत्वपूर्ण खुलासे कर रही हैं।

मुंबई यात्रा के दौरान उन्होंने लालबाग के राजा के दर्शन भी किए। मुंबई यात्रा के दौरान उसने यहां किससे संपर्क किया और इसके पीछे क्या मकसद था, इसकी जांच की जा रही है। ज्योति ने न केवल भारत की यात्रा की है, बल्कि उन्होंने विभिन्न देशों की भी यात्रा की है। यहां तक ​​कि पाकिस्तान में आईएसआई ने भी उनकी मेजबानी की है। उसने भारत के बारे में कई गुप्त जानकारियां पाकिस्तान को दी हैं। इतना ही नहीं, यह भी पता लगाने के लिए जांच जारी है कि ज्योति ने मुंबई यात्रा के दौरान पाकिस्तान को महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की क्या जानकारी और विवरण दिया है, तथा ज्योति के सहयोगियों और संपर्कों से पूछताछ की प्रक्रिया भी जारी है। एनआईए भी ज्योति से पूछताछ कर रही है।

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राजनीति

संजय राउत ने राहुल गांधी के सवाल को बताया जनता की आवाज, बोले- पाकिस्तान पर नहीं कर सकते भरोसा

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मुंबई, 23 मई। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सवालों का समर्थन करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने जो सवाल पूछे हैं, वे देश के 140 करोड़ लोगों के मन की बात है।

संजय राउत ने कहा, “राहुल गांधी ने पूछा है कि पाकिस्तान पर भरोसा क्यों करें? यह सवाल गलत कैसे हो सकता है? पूरा विश्व जानता है कि पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सिर्फ भाजपा के ट्रोलर्स को ही शायद यह सवाल नहीं समझ आता।”

संजय राउत ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “ट्रंप से भारत को क्या फायदा हुआ? ट्रंप ने तो भारत को नुकसान ही पहुंचाया। हमारा आतंकवाद के खिलाफ युद्ध जमीन हड़पने के लिए नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए था। हमने पाकिस्तान से आतंकवाद खत्म करने के लिए लड़ाई शुरू की थी, लेकिन ट्रंप ने हमारा साथ देने के बजाय नुकसान पहुंचाया। राहुल गांधी का यह सवाल जनता की आवाज है। अगर राहुल गांधी ने यह सवाल पूछा है, तो मैं समझता हूं कि यह जनता के मन की बात है।”

संजय राउत ने आगे कहा, “हमारा खून खौलता है। हमारी रगों में देशभक्ति और भारत प्रेम का खून दौड़ता है। जब हमारे 26 निर्दोष लोग मारे गए, जब हमारी महिलाओं का सिंदूर मिटा, तब भी हमारा खून खौलता है। हमारे पास खून के अलावा कुछ नहीं, और वही खून देश के लिए बहता है।”

संजय राउत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “क्या भाजपा डोनाल्ड ट्रंप की पोस्टर बॉय बन गई है? राहुल गांधी ने क्या गलत सवाल पूछा है? पहले सवाल को समझिए। जब आपको सवाल की समझ नहीं होती तो आपको विपक्ष के सांसदों को विदेश भेजना पड़ता है ताकि वे देश की भूमिका स्पष्ट करें।”

उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बयान पर भी आपत्ति जताई, जिसमें शरीफ ने कहा था कि उन्होंने 1971 की हार का बदला ले लिया है। उन्होंने कहा, “मैंने देखा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्होंने 1971 की हार का बदला ले लिया है। यह कहने की हिम्मत उन्हें कैसे हो गई? 1971 में जब इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को हराया था, तब भी पाकिस्तान की भाषा ऐसी नहीं थी। 1965 में लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में हमने पाकिस्तान को लोहे के चने चबवाए थे। तब भी उनके नेताओं की भाषा इतनी उग्र नहीं थी। लेकिन आज मोदी सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ कह रहे हैं कि उन्होंने भारत से 1971 का बदला लिया है, यह सरकार के लिए शर्म की बात है।”

तमिलनाडु में टीएएसएमएसी छापों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर राउत ने कहा, “ईडी भाजपा, पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का हथियार है। मैं भी ईडी का शिकार रहा हूं। मेरे जैसे कई लोग इससे गुजर चुके हैं। जब तक ईडी है, तब तक मोदी-शाह और भाजपा का राज है।”

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राजनीति

मध्य प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल करने की उठी मांग

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भोपाल 23 मई। भारतीय सेना ने अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर पाकिस्तान को सबक सिखाया है। मध्य प्रदेश के राजनेताओं ने मांग की है कि स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए। ताकि ऑपरेशन सिंदूर के बारे में अगली पीढ़ी जान सके।

दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्य के भाजपा और कांग्रेस के नेता ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सेना की बड़ी सफलता मानते हैं। उनका मानना है कि सेना के शौर्य और पराक्रम को अगली पीढ़ी को भी जानना जरूरी है। यह तभी संभव है जब स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया जाए।

उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने ऑपरेशन सिंदूर को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय पहले ही ले लिया है। ऐसे ही भोपाल से भाजपा के सांसद आलोक शर्मा ने ऑपरेशन सिंदूर को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने की मांग करते हुए कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने से आने वाली पीढ़ी को पता चलेगा कि किस प्रकार से देश की सेना के वीर सैनिकों ने हिंदुस्तान की रक्षा की और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया।

उन्होंने आगे कहा कि पूरा देश सिंदूर विजय का उत्सव मना रहा है, जगह-जगह तिरंगा यात्राएं निकाली जा रही हैं, देश की जनता अपनी सेना का आभार व्यक्त कर रही है और देश के कई हिस्सों के पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल किया जा रहा है। इसलिए मध्य प्रदेश में भी इसे स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए।

वहीं भोपाल के हुजूर क्षेत्र से भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि हमारी सेना ने उतनी देर में आतंकवादियों के नौ ठिकानों को नष्ट कर दिया जितनी देर में हम होटल में नाश्ता करते हैं। स्वदेशी हथियारों से दुश्मन के ठिकानों को कब्र में बदल दिया। अगली पीढ़ी इसे जान सके, इसके लिए जरूरी है कि स्कूल के पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल किया जाए।

भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरा देश एक साथ खड़ा था और इस दौरान भारत की ओर से लड़ी गई आजादी की लड़ाई की याद आ गई। भारत की दो महिला सैन्य अधिकारियों ने जिस तरह से देश का प्रतिनिधित्व किया, उसे भुलाया नहीं जा सकता। इसलिए ऑपरेशन सिंदूर को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। साथ में यह भी शामिल किया जाना चाहिए कि मध्य प्रदेश के दो मंत्रियों ने किस तरह से महिला सैन्य अधिकारी का अपमान किया था, जिस पर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि हाई कोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए।

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