राजनीति
हाथरस घटना पर स्मृति बोलीं, योगी करेंगे न्याय, राहुल कर रहे राजनीति

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी शनिवार को वाराणसी दौरे पर थीं। इस दौरान उन्होंने हाथरस में की घटना को बेहद दर्दनाक बताया है। कहा कि, “इस मामले में मुख्यमंत्री योगी न्याय करेंगे। कांग्रेस नेता राहुल गांधी व प्रियंका का हाथरस जाना सिर्फ राजनीति है।” केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी ने कहा कि, “उन्हें भरोसा है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले में न्याय करेंगे। मेरी इस मामले में मुख्यमंत्री के साथ फोन पर बात भी हुई है।”
उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि, “उनका हाथरस कूच करना सिर्फ अपनी राजनीति करना है। देश व प्रदेश की जनता खूब समझती है। उनको तो राजस्थान जाकर पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की पहल करनी चाहिए, लेकिन वोट की खातिर हाथरस बार-बार आने के प्रयास में हैं।”
हाथरस कांड पर स्मृति ईरानी ने कहा कि, “अपनी संवैधानिक मर्यादा के चलते मैं किसी प्रदेश के मामले में दखल नहीं देती, लेकिन मैंने हाथरस कांड पर योगी आदित्यनाथ से बात की है। मुख्यमंत्री ने एसआईटी का गठन किया है। प्रारंभिक रिपोर्ट पर एसपी के साथ सीओ तथा अन्य के खिलाफ तो कल ही कार्रवाई हुई है। एसआईटी की रिपोर्ट आने दीजिए। उसके बाद जिन लोगों ने हस्तक्षेप किया या जिन लोगों ने पीड़िता को न्याय न मिल पाए इसकी साजिश की है, उनके खिलाफ योगी आदित्यनाथ सख्त कार्रवाई करेंगे।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, “राहुल गांधी राजनीति के लिए हमेशा प्रयासरत रहे हैं, लेकिन राष्ट्रनीति में सफल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रहे हैं। मुझे लगता है कि स्वतंत्र देश की जनता ने कांग्रेस के हथकंडों को भलीभांति समझा है। कोई भी नेता किसी भी विषय में राजनीति करना चाहता है, तो मैं उसे रोक नहीं सकती है, लेकिन जनता समझती है कि हाथरस के लिए कूच उनकी अपनी राजनीति के लिए है, न कि पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए।”
बनारस में सर्किट हाउस के बाहर सपा और कांग्रेस महिला कार्यकर्ताओं ने हाथरस मामले को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्हें मनाने के लिए भाजपा विधायक सौरभ श्रीवास्तव बाहर आए। काफी देर तक विधायक ने महिला कार्यकर्ताओं को मनाने की कोशिश की। लेकिन महिलाओं का विरोध-प्रदर्शन जारी रहा। इसी बीच स्मृति ईरानी सर्किट हाउस से बाहर कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए आईं और कार्यकर्ताओं को अंदर लेकर चली गईं। सर्किट हाउस में उन्होने महिला कार्यकर्ताओं से बातचीत भी की है।
राष्ट्रीय समाचार
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कब्रिस्तान के स्थान विवाद का हवाला देते हुए पुणे दरगाह में उर्स समारोह पर रोक लगाई

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने पुणे के देहू रोड स्थित हजरत सलामती पीर दरगाह पर वार्षिक उर्स समारोह पर रोक लगा दी है। यह दरगाह भाजपा नेता और महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष हाजी अरफात शेख के पिता की मजार है।
अदालत ने कहा कि दरगाह एक कब्रिस्तान में है जहाँ समारोह आयोजित नहीं किए जा सकते। सलामती पीर एक सूफी उपदेशक थे जिनका असली नाम हज़रत सूफी ख्वाजा शेख आलमगीर शाह कादरी अल चिश्ती इफ्तेखारी था। मुंबई निवासी शेख ने कहा कि वह, दरगाह ट्रस्ट और वक्फ बोर्ड के साथ, इस आदेश के खिलाफ अपील करेंगे। उन्होंने कहा कि अदालत के समक्ष तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया था। उन्होंने बताया कि दरगाह ईदगाह की ज़मीन पर बनी है जिसका इस्तेमाल नमाज़ और सभाओं के लिए किया जाता है, न कि कब्रिस्तान में। उन्होंने कट्टरपंथी संप्रदायों के सदस्यों पर हिंदू रीति-रिवाजों को अपनाने के लिए सूफियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया। हज़रत सलामती पीर का जन्मदिन 15 अगस्त को है।
सलामती पीर का जन्म 15 अगस्त, 1947 को हुआ था। सूफी संत का वार्षिक उत्सव, उर्स, वर्ष में दो बार आयोजित किया जा सकता है, जिसमें इस्लामी पवित्र महीने रमज़ान के दौरान एक बार आयोजित किया जाना भी शामिल है। 31 जुलाई को, अदालत ने कहा कि मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं पर प्रशासनिक अधिकार रखने वाली वैधानिक संस्था, वक्फ बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने 25 अप्रैल, 2018 के एक आदेश में पुलिस को दरगाह संरचना के निर्माण के लिए पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा, “हम यह समझने में असमर्थ हैं कि वक्फ बोर्ड ने कानून के किस प्रावधान के तहत ऐसी शक्तियाँ प्राप्त कीं और पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश जारी किए।”
न्यायमूर्ति एमएस सोनक और न्यायमूर्ति जितेंद्र जैन की पीठ ने वक्फ बोर्ड को आज से दो हफ्ते के भीतर इस मामले में हलफनामा दाखिल करने को कहा। वक्फ बोर्ड को यह भी पता लगाने को कहा गया कि क्या कब्रिस्तान में ऐसे स्मारक बनाने की अनुमति किसी व्यक्ति को दी जा सकती है।
अदालत ने कहा कि मामले में याचिकाकर्ताओं ने बताया है कि इस ढांचे में कुछ उत्सव आयोजित किए जाने हैं, जो प्रथम दृष्टया अवैध प्रतीत होता है।
तदनुसार, अगले आदेशों तक, हम प्रतिवादियों, विशेष रूप से प्रतिवादी संख्या 3 सहित, को कब्रिस्तान के भीतर निर्मित इन स्मारकों पर कोई भी उत्सव आयोजित करने से रोकते हैं। वक्फ बोर्ड, जो कब्रिस्तान को नियंत्रित करता है, को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस आदेश का पालन किया जाए, अन्यथा, उसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
शेख ने कहा कि उनके पास नक्शे और दस्तावेज़ हैं जो साबित करते हैं कि दरगाह का निर्माण सभी क़ानूनी ज़रूरतों को पूरा करने के बाद किया गया था। शेख ने पूछा, “यह न तो कब्रिस्तान में है और न ही किसी जंगल में। मैं चरमपंथी समूहों के निशाने पर रहा हूँ जिन्होंने मुझ पर गैर-मुसलमानों को दरगाह में प्रवेश देने के लिए पाखंड का आरोप लगाया है। जिस ज़मीन पर दरगाह बनी है, वहाँ सार्वजनिक समारोह और धार्मिक आयोजन होते रहे हैं। क्या किसी कब्रिस्तान में ऐसे आयोजन हो सकते हैं?”
“मैं इस आदेश के ख़िलाफ़ अपील करूँगा। तथ्यों को ग़लत तरीक़े से पेश किया गया और हमारे वकील सही तथ्य पेश नहीं कर सके। उर्स रोकने से संत के लाखों अनुयायियों की धार्मिक भावनाएँ आहत होंगी।”
राजनीति
तेजस्वी बिहार की जनता से फर्जी वोटर आईडी कार्ड न बनवाने का वादा करें: भाजपा सांसद संजय जायसवाल

नई दिल्ली, 5 अगस्त। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी एवं बिहार विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव बिहार में एक साथ पदयात्रा निकालने वाले हैं। मंगलवार को भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने विपक्ष की पदयात्रा पर तंज कसते हुए कहा कि तेजस्वी को बिहार की जनता से फर्जी वोटर आईडी कार्ड नहीं बनवाने का वादा करना चाहिए।
भाजपा सांसद संजय जायसवाल ने मिडिया से कहा, “उन दोनों नेताओं को हर नागरिक के सामने वादा करना चाहिए कि वे अपना फर्जी वोटर आईडी कार्ड नहीं बनवाएंगे। दोनों नेता गड़बड़ करते हैं। एक साहब राहुल गांधी को लेकर पासपोर्ट का विवाद होता है। वहीं, दूसरे साहब तेजस्वी यादव हैं, जिन्होंने बताया कि उनके पास दो-दो वोटर आईडी कार्ड हैं। ऐसे में बिहार यात्रा के दौरान तेजस्वी सभी नागरिकों से कहें कि एक-एक राजद कार्यकर्ता, जिनके पास 8-10 फर्जी वोटर आईडी कार्ड हैं, वे सभी सरेंडर करें। भारत के हर नागरिक को एक वोट देने का अधिकार है। तेजस्वी यादव के चक्कर में पड़कर दो-चार वोटर आईडी कार्ड नहीं बनाने चाहिए, ऐसा करने पर भविष्य में उनके परिवार को नुकसान हो सकता है, तेजस्वी तो बच जाएंगे।”
बिहार की मतदाता सूची में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मुद्दा गर्माया हुआ है। विपक्ष के संसद में एसआईआर पर चर्चा की मांग करने को लेकर भाजपा सांसद ने कहा, “यह चुनाव आयोग का मुद्दा है, लेकिन विपक्ष आयोग के पास नहीं जा रहा है। इससे पहले भी विपक्ष ने एसआईआर के खिलाफ एक रैली निकाली थी, लेकिन चुनाव आयोग के दफ्तर से पहले भाग खड़े हुए थे। बिहार की एक भी जनता को एसआईआर पर संशय नहीं है।”
आरजेडी के दबाव में बिहार शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल बहाली करने वाले तेजस्वी के बयान पर उन्होंने कहा, “आरजेडी का विजन कमीशन खाने और घोटाले करने का है। उन्हें सभी को यह विजन बताना चाहिए। जब तेजस्वी 17 महीने ग्रामीण विकास के मंत्री थे, तो एक भी गांव की सड़क क्यों नहीं बनी? नगर विकास के भी मंत्री वही थे, लेकिन एक भी शहर की सड़क नहीं बनी। तेजस्वी को यह लूट बंद करनी चाहिए। उन्हें घोषणा करनी चाहिए कि अगली बार वो विभागीय कमीशन मंत्रालय बनाएंगे, जिससे वह सारे विभागों से अच्छे से कमीशन ले सकें।”
राजनीति
अमित शाह बने भारत के सबसे लंबे समय तक केंद्रीय गृह मंत्री, लाल कृष्ण आडवाणी को पीछे छोड़ा

AMIT SHAH
नई दिल्ली, 5 अगस्त। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लिए 5 अगस्त का दिन ऐतिहासिक है। वह भारत के इतिहास में सबसे लंबे समय तक केंद्रीय गृह मंत्री पद पर रहने वाले राजनेता बने हैं। वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी को पीछे छोड़ते हुए अमित शाह ने यह रिकॉर्ड बनाया है।
अमित शाह ने 30 मई 2019 को देश के गृह मंत्री पद पर अपनी जिम्मेदारी संभाली थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में राजनाथ सिंह गृह मंत्री बनाए गए थे। 2019 लोकसभा चुनाव में जब भाजपा ने रिकॉर्ड जीत हासिल की, उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे कार्यकाल में अमित शाह को गृह मंत्री बनाया गया था और वर्तमान में भी वह इस पद पर कार्यरत हैं। 10 जून 2024 को अमित शाह ने दूसरी बार गृह मंत्री पद की शपथ ली थी।
फिलहाल, गृह मंत्री के तौर पर अमित शाह ने 2,258 दिन (30 मई 2019 से 5 अगस्त 2025 तक) पूरे किए हैं। इससे पहले, सबसे लंबे समय तक गृह मंत्री रहने का रिकॉर्ड लाल कृष्ण आडवाणी के नाम था। उन्होंने इस पद पर 2,256 दिनों (19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक) तक सेवाएं दीं। तब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे।
गृह मंत्री के रूप में सबसे लंबे कार्यकाल वाले नेताओं में कांग्रेस नेता गोविंद बल्लभ पंत भी शामिल हैं, जिन्होंने 10 जनवरी 1955 से 7 मार्च 1961 तक कुल 6 साल 56 दिन इस पद पर सेवाएं दीं। भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने 1,218 दिनों (15 अगस्त 1947 से 12 दिसंबर 1950) तक गृह मंत्री के रूप में कार्य किया था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का कार्यकाल अब तक साहसिक और ऐतिहासिक निर्णयों से भरा रहा है। उनके कार्यकाल में आतंकवाद पर कड़ी कार्रवाई और आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए गए। ऐतिहासिक फैसलों में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करना, नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) देश में लागू करना, नए आपराधिक न्याय कानून के अलावा वामपंथी उग्रवाद और नक्सलवाद को मिटाने के लिए कई अहम ऑपरेशन शामिल हैं।
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