उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आजकल AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी यूपी में अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं..शिवसेना ने ओवैसी पर दैनिक हिंदी सामना में लिखे संपादकीय के जरिए तीखा प्रहार किया है और ओवैसी को बीजेपी का अंडरगारमेंट तक कह दिया है..
सामना संपादकीय में कहा गया है कि ओवैसी बीजेपी की सफल यात्रा के सूत्रधार रहे हैं. ओवैसी की राजनीति चल गई, इसलिए बिहार में तेजस्वी की सरकार नहीं बन पाई. लेकिन पश्चिम बंगाल की जनता समझदार रही, इसलिए ममता बनर्जी जीत कर आईं. अब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए ओवैसी सक्रिय हो गए हैं.
सामना में ओवैसी और बीजेपी की राजनीति को तोड़ो-फोड़ो और जीतो की राजनीति कहा गया है. सामना में लिखा है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव होने तक क्या-क्या देखना पड़ेगा, कराया जाएगा, ये कहा नहीं जा सकता. भारतीय जनता पार्टी की सफल यात्रा के परदे के पीछे के सूत्रधार मियां असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी बेहतरीन ढंग से काम में जुटी नजर आ रही है. उत्तर प्रदेश चुनाव के मौके पर जातीय, धार्मिक विद्वेष निर्माण करने की पूरी तैयारी ओवैसी महाशय ने कर ली है, ऐसा नजर आ रहा है.
शिवसेना ने आगे सामना संपादकीय में लिखा है कि दो दिन पहले ओवैसी के प्रयागराज से लखनऊ जाने के दौरान रास्ते में उनके समर्थक जुट गए और उन्होंने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाए. इतने दिन उत्तर प्रदेश में इस तरह की नारेबाजी का ब्योरा दर्ज नहीं है, परंतु उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मौके पर ओवैसी आते क्या हैं, जगह-जगह भड़काऊ भाषण क्या देते हैं, अपने निरंकुश समर्थकों को उकसाते क्या हैं कि ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ की नारेबाजी क्या शुरू होती है, यह पूरा मामला योजनाबद्ध ढंग से लिखी गई पटकथा की तरह दिखाई दे रहा है.
शिवसेना ने सामना संपादकीय में मुसलमानों से अपील की है कि वे मुख्यधारा में रहें. सामना में लिखा है, ओवैसी और उनकी एमआईएम पार्टी की नीति निश्चित तौर पर क्या है? ये महाशय देशभर में मुसलमानों पर अन्याय का डंका पीटते हुए घूमते हैं. लेकिन उनकी राजनीति का मकसद कुछ और है. देश का मुसलमान समझदार हो गया है. उसे अपना हित किसमें है, यह समझ आने लगा है. ओवैसी जैसे को यहां के मुसलमान नेता मानने को तैयार नहीं हैं. ओवैसी अथवा उसके जैसे नेता अब तक कई बार तैयार हुए और समय के साथ खत्म हो गए. देश की राजनीति में मुस्लिम समाज को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. मुसलमान जब तक राष्ट्र की मुख्यधारा में नहीं आएंगे, उन्हें सही अधिकार और प्रतिष्ठा नहीं मिलेगी.
आज ओवैसी की सभा में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लग रहे हैं. इसके पीछे भी तोड़ो-फोड़ो और जीत हासिल करो, की मंशा है. ओवैसी को इसी जीत का सूत्रधार मानकर इस्तेमाल किया जा रहा है. पाकिस्तान का इस्तेमाल किए बगैर बीजेपी की राजनीति आगे नहीं बढ़ेगी क्या…?