अंतरराष्ट्रीय समाचार
सैन फ्रांसिस्को नगर निकाय में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित

अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा संचालित सैन फ्रांसिस्को नगरपालिका परिषद ने सर्वसम्मति से भारत के नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और संबंधित अन्य विधानों का विरोध करते हुए प्रस्ताव पारित किया है।
प्रस्ताव रखने वाले गॉर्डन मार ने मंगलवार को वोट से पहले दावा किया कि भारत में मुसलमानों के साथ-साथ महिलाओं, दलितों, समलैंगिकों और ट्रांसजेंडर लोगों को ‘बड़े पैमाने पर हिरासत केंद्रों में कैद’ किया जा रहा है।
प्रस्ताव में नेशनल रजिस्टर आफ सिटिजन्स (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का भी विरोध करते हुए इन्हें भेदभावपूर्ण बताया गया है।
इस निकाय को औपचारिक रूप से पर्यवेक्षकों के बोर्ड (बोर्ड आफ सुपरवाइजर्स) के रूप में जाना जाता है और इसके सभी 11 निर्वाचित सदस्य डेमोक्रेट हैं जिनके पास पर्यवेक्षक (सुपरवाइजर) का पद है।
सिलिकन वैली के केंद्र में स्थित इस नगर निकाय ने प्रस्ताव में भारतीय कानून और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ जोड़ा है और इसमें ‘सैन फ्रांसिस्को के दक्षिण एशियाई समुदाय के साथ एकजुटता’ जताई गई है।
मार ने दावा किया कि ‘धुर दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी ट्रम्प के सबसे बड़े प्रवासी दानदाता (डोनर) हैं’ और चेतावनी दी कि ‘हिंदू राष्ट्रवादी पारिस्थितिकी तंत्र बे एरिया से सिलिकॉन वैली तक फैला हुआ है।’
पर्यवेक्षकों में से एक, आरोन पेसकिन ने नगरपालिका निकाय को अंतर्राष्ट्रीय मामलों में कदम रखने के बारे में आगाह करते हुए कहा कि ‘हम कोई कांग्रेस (अमेरिकी संसद) के सदस्य नहीं हैं। हमें इस तरह के मामलों में बहुत एहतियात से कदम उठाना चाहिए,’ लेकिन उन्होंने भी अन्य 10 डेमोक्रेट के साथ प्रस्ताव के पक्ष में मत दिया।
सैन फ्रांसिस्को में डेमोक्रेटिक पार्टी में वामपंथी हिस्से का दबदबा है जो पार्टी के भीतर शक्तिशाली बनकर उभर रहा है और भारत के प्रति एजेंडा सेट करने की कोशिश कर रहा है।
इसी वामपंथ के असर में पूर्व उप राष्ट्रपति जो बिडेन ने अपने ‘एजेंडा फार मुस्लिम अमेरिकन कम्युनिटीज’ में मुस्लिम मतदाताओं से कश्मीर और सीएए के मुद्दों को लेकर खुलेआम सांप्रदायिक अपील की है। बिडेन का पार्टी का राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनना तय माना जा रहा है।
इस बीच, वाशिंगटन राज्य में सिएटल में, मिनेसोटा में सेंट पॉल, मैसाचुसेट्स में कैम्ब्रिज और न्यूयॉर्क में अल्बानी नगर निकाय भी इस्लामिक संगठनों द्वारा आगे बढ़ाए गए ऐसे ही प्रस्तावों को पारित कर चुके हैं।
हालांकि, वे अफगानिस्तान और पाकिस्तान में हिंदुओं और सिखों पर हमलों और वहां मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चुप रहे हैं।
मार ने प्रस्ताव पेश करते हुए भारत के साथ तीन अरब डालर के अमेरिकी हथियारों के सौदे का उल्लेख किया। प्रस्ताव में भारत के खिलाफ प्रतिबंधों की संभावनाओं का पता लगाने का भी उल्लेख है।
डेमोक्रेटिक पार्टी नियंत्रित नगरपालिकाओं द्वारा भारत के खिलाफ ऐसे कदम ट्रम्प के विरोध और आने वाले राष्ट्रपति चुनाव से भी प्रेरित हैं।
सैन फ्रांसिस्को के प्रस्ताव में कहा गया है, “राष्ट्रपति ट्रम्प की अमेरिका के भीतर धार्मिक आधार पर भेदभाव करने की नीति, कमजोर समुदायों को निशाना बनाने, नागरिकता छीनने, संकटों को गढ़ने और घृणा फैलाने की नीति सहित कई नीतियां भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उनकी हिंदू चरमपंथी भारतीय जनता पार्टी सरकार और उनकी हिंदू नस्लीय और सांस्कृतिक रूप से दूसरों से बेहतर हैं, जैसी खतरनाक विचारधारा से मेल खाती हैं।”
प्रस्ताव में गलत तरीके से सीएए, एनसीआर और एनपीआर को मुस्लिम, दलित, महिला, एलजीबीटीक्यू विरोधी बताया गया है, जबकि एनसीआर के मुख्य उद्देश्यों में से एक भारत के पूर्वोत्तर में मूल निवासियों की संख्या को अवैध आव्रजकों से कम होने से बचाना है।
इसी तरह सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान के प्रताड़ित गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है। मुस्लिम आव्रजकों के लिए अन्य नियमित नियमों के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त करने का रास्ता पहले की तरह खुला हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को ‘लगभग तुरंत’ खत्म कर सकते हैं : ट्रंप

TRUMP
वाशिंगटन, 18 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत खत्म करने का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि, रूस के कब्जे वाले क्रीमिया को वापस लेना या नाटो में शामिल होना उनके लिए संभव नहीं है।
ट्रंप ने रविवार को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर कहा, “यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की यदि चाहें तो रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत समाप्त कर सकते हैं, या फिर वे लड़ाई जारी रख सकते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब ओबामा के समय (12 साल पहले) की तरह क्रीमिया वापस नहीं मिलेगा, और यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा।
जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ बेहद महत्वपूर्ण वार्ता की पूर्व संध्या पर, राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस में स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए जेलेंस्की को रूस की कुछ शर्तों पर सहमत होना होगा।
इन शर्तों में दो मुख्य बातें हैं: यूक्रेन क्रीमिया रूस को दे दे (जिसे रूस ने 2014 में अपने साथ मिला लिया था) और कभी नाटो में शामिल न हो। ये वही शर्तें हैं जो रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध खत्म करने के लिए रखी हैं।
यूरोपीय नेता, जो सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस जा रहे हैं, वह इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ट्रंप इस मुलाकात में जेलेंस्की पर दबाव डाल सकते हैं ताकि वे पुतिन की अलास्का शिखर सम्मेलन में रखी शर्तों को मान लें।
वे ट्रंप से यह जानना चाहते हैं कि शांति समझौते में रूस क्या छोड़ सकता है और भविष्य में अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी में क्या भूमिका निभाएगा।
ट्रंप ने जेलेंस्की को भेजे अपने संदेश के बाद लिखा, “कल व्हाइट हाउस में बड़ा दिन है। इतने सारे यूरोपीय नेता एक साथ कभी नहीं आए। उनकी मेजबानी करना मेरे लिए सम्मान की बात है!!!”
यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब और नाटो महासचिव मार्क रुटे सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस की यात्रा में शामिल होंगे।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
भारत ने ट्रंप-पुतिन की बैठक का किया स्वागत, कहा- संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह संभव

नई दिल्ली, 16 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बैठक पर भारत की पहली प्रतिक्रिया आई। भारत ने कहा कि संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह बनेगी।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि भारत अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन का स्वागत करता है। शांति की दिशा में उनका नेतृत्व अत्यंत सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि भारत शिखर सम्मेलन में हुई प्रगति की सराहना करता है। आगे का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति से ही निकल सकता है। दुनिया यूक्रेन में संघर्ष का शीघ्र अंत देखना चाहती है।
अलास्का में ट्रंप और पुतिन के बीच करीब तीन घंटे तक बैठक चली। इसके बाद यूएस राष्ट्रपति वाशिंगटन लौट गए। इससे पहले ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि वह नाटो नेताओं, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और अन्य संबंधित अधिकारियों को बैठक में हुई चर्चाओं के बारे में जानकारी देने की योजना बना रहे हैं।
वहीं, अलास्का के एंकोरेज से मास्को रवाना होने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फोर्ट रिचर्डसन मेमोरियल कब्रिस्तान का दौरा किया, जहां उन्होंने सोवियत संघ के सैनिकों की कब्रों पर फूल चढ़ाए। ये कब्रें उन सोवियत पायलटों और नाविकों को श्रद्धांजलि हैं, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे।
ट्रंप के साथ हुई बैठक को लेकर पुतिन ने कहा कि हमारी बातचीत रचनात्मक और परस्पर सम्मान के माहौल में हुई। उन्होंने एक पड़ोसी के रूप में ट्रंप का स्वागत किया और उनके साथ बहुत अच्छे सीधे संपर्क स्थापित किए। साथ ही उन्होंने ट्रंप को साथ मिलकर काम करने और बातचीत में एक दोस्ताना और भरोसेमंद माहौल बनाए रखने के लिए धन्यवाद दिया। खास बात यह है कि दोनों पक्ष परिणाम हासिल करने के लिए दृढ़ थे। हमारी बातचीत सकारात्मक रही।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
ट्रंप, पुतिन ने यूक्रेन पर तीन घंटे की बातचीत के बाद बड़ी सफलता की घोषणा की

न्यूयॉर्क, 16 अगस्त। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को अलास्का के एंकोरेज में तीन घंटे की वार्ता के बाद बड़ी सफलता की घोषणा की।
ट्रंप ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि हम जिस समझौते पर पहुंचे हैं, वह हमें उस लक्ष्य (समाधान खोजने) के और करीब लाने में मदद करेगा और यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा। मुझे लगता है कि हमारी बैठक बहुत ही उपयोगी रही। ऐसे कई मुद्दे थे जिन पर हम (राष्ट्रपति पुतिन और मैं) सहमत हुए।”
यह समझौता भारत के लिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यूएस ने रूसी तेल खरीदने पर भारत पर 25 प्रतिशत दंडात्मक शुल्क की घोषणा की है।
हालांकि, अभी किसी भी नेता ने समझौते का कोई विवरण नहीं दिया और न ही यह बताया कि युद्धविराम होगा या नहीं।
ट्रंप ने रहस्यमय ढंग से कहा, “कुछ बड़े समझौते ऐसे हैं जिन तक हम अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं, लेकिन हमने कुछ प्रगति की है। एक समझौता शायद सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन हमारे पास उस तक पहुंचने की बहुत अच्छी संभावना है। हम वहां तक नहीं पहुंच पाए, लेकिन हमारे पास वहां पहुंचने की बहुत अच्छी संभावना है।”
उन्होंने कहा, “मैं नाटो और उन सभी लोगों को फोन करूंगा जिन्हें मैं उपयुक्त समझता हूं, और निश्चित रूप से, राष्ट्रपति (वोलोदिमिर) जेलेंस्की को फोन करके उन्हें आज की बैठक के बारे में बताऊंगा।”
शिखर सम्मेलन में जाते हुए, ट्रंप ने कहा कि वह यूक्रेन की ओर से बातचीत नहीं करेंगे, और समझौता करना जेलेंस्की पर निर्भर है।
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “इसलिए जब तक समझौता नहीं हो जाता, तब तक कोई समझौता नहीं है।”
दोनों राष्ट्रपतियों ने पत्रकारों के सवालों के जवाब नहीं दिए।
पुतिन ने कहा, “हमें टकराव से बातचीत की ओर बढ़ने के लिए स्थिति में सुधार करना होगा।”
उन्होंने कहा, “इन परिस्थितियों में यह कितना भी अजीब लगे, हमारी (रूस और यूक्रेन की) जड़ें एक ही हैं और जो कुछ भी हो रहा है वह हमारे लिए एक त्रासदी और एक भयानक घाव है। इसलिए, देश ईमानदारी से इसे समाप्त करने में रुचि रखता है।”
शिखर सम्मेलन की शुरुआत में पहले से तय तीन चरणों को बदलकर, वे सीधे दूसरे चरण में चले गए। इस चरण में ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और विदेश मंत्री मार्को रुबियो, और पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूडी उषाकोवा, रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव, और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हिस्सा लिया।
ऐसा नहीं लग रहा था कि अधिकारियों के साथ तीसरे चरण का लंच हो रहा था। ट्रंप ने पुतिन का रेड कार्पेट पर स्वागत किया और लिमोजीन में बैठते ही उन्होंने दोस्ताना अंदाज में बातचीत जारी रखी।
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