राजनीति
आरएसएस : ऑनलाइन एजूकेशन की सफलता के लिए शिक्षण-व्यवस्था में बड़े बदलावों की जरूरत

देश की शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलाव लाने की दिशा में काम कर रही आरएसएस से जुड़ी संस्था शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने यूजीसी को कोरोना काल में मिश्रित शिक्षण व्यवस्था अपनाने का सुझाव दिया है। न्यास ने कहा है कि एक हफ्ते में अगर पांच दिन पढ़ाई हो तो उसमें दो दिन ऑनलाइन, दो दिन ऑफलाइन और एक दिन प्रोजेक्ट या प्रैक्टिकल के लिए हो। आरएसएस से जुड़ी इस संस्था ने कॉलेजों को दो शिफ्ट में चलाने सहित ऑनलाइन एजूकेशन को लेकर कई अहम सुझाव शिक्षा मंत्रालय से लेकर यूजीसी को दिए हैं।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास संघ परिवार की ऐसी संस्था है, जिसकी कई सिफारिशों को नई शिक्षा नीति में जगह भी मिली है। संस्था का कहना है कि नई शिक्षा नीति भारतीय मूल्यों के अनुसार बनी है, आने वाले समय में इससे बहुत सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे।
आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी ने आईएएनएस से कहा, “कोरोना काल ने शिक्षा व्यवस्था में बड़े बदलावों की जरूरत पर बल दिया है। औसतन 40 प्रतिशत विद्यार्थी कॉलेजों में आते हैं। अगर कॉलेजों को दो शिफ्टों में चलाएंगे, तो फिर सोशल डिस्टेंसिंग खुद मेंटेन हो जाएगी। दो दिन ऑनलाइन और दो दिन ऑफलाइन पढ़ाई होने से न कॉलेजों में भीड़ होगी और न ही सड़क पर। जिससे कॉलेज खुलने पर भी कोरोना की चुनौती से पार पाया जा सकता है।”
आरएसएस प्रचारक अतुल कोठारी ने ऑनलाइन एजूकेशन को लेकर बताया कि शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने कोरोना काल में शिक्षाविदों के साथ दर्जनों ई-संगोष्ठियां कर उनके सुझाव लेकर एक प्रारूप तैयार किया था, जिसे सरकार को भेजा जा चुका है, जिसमें ऑनलाइन एजूकेशन की सफलता के लिए शिक्षण-व्यवस्था में बड़े बदलावों की जरूरत बताई गई है।
मसलन, ऑनलाइन एजूकेशन में विद्यार्थियों के लिए शिक्षकों के लंबे-लंबे लेक्चर सुविधाजनक नहीं हैं। इससे छात्रों को परेशानी होती है। ऑनलाइन एजूकेशन को इंटरैक्टिव(परस्पर संवाद) करना होगा । जिससे छात्र और शिक्षक दोनों बोर नहीं होंगे। शिक्षा के तीन आयाम होते हैं-छात्र, शिक्षक और अभिभावक। ऑनलाइन एजूकेशन में अभिभावकों की भी सहभागिता बढ़ानी होगी।
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के मुताबिक, ऑनलाइन पढ़ाई तब और सफल होगी, जब ऑनलाइन कोर्सेज भी संचालित होंगे। अतुल कोठारी ने बताया कि नई शिक्षा नीति में ऐसे विश्वविद्यालयों को भी मान्यता दी जाएगी, जो ऑनलाइन कोर्स का संचालन करेंगे। जिससे गांवों और शहरों में रहने वाले विद्यार्थियों घर बैठे पढ़ाई कर सकेंगे। नौकरी करने वाले भी ऑनलाइन कोर्स का लाभ उठा सकेंगे।
ऑनलाइन एजूकेशन की सफलता की राह में देश के सुदूर गांवों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की सबसे बड़ी चुनौती है। संघ से जुड़ी संस्था का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बार 15 अगस्त पर लाल किले की प्राचीर से तीन साल के अंदर छह लाख गांवों को ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से लैस होने की बात कही है। इससे गांवों में कनेक्टिविटी होने से ग्रामीण परिवेश के छात्रों को ऑनलाइन शिक्षा हासिल करने में मदद मिलेगी।
राजनीति
पीएम मोदी के खिलाफ भाषा की मर्यादा तोड़ने वाले को कड़ी सजा मिलनी चाहिए : आनंद दुबे

मुंबई, 4 सितंबर। शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने बिहार के दरभंगा में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे अस्वीकार्य बताते हुए कहा कि ऐसी भाषा लोकतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन है और दोषी के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
मिडिया से बातचीत में शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता ने कहा कि सिर्फ पीएम मोदी ही नहीं किसी भी नेता का अपमान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राजनीति के लिए कई सारे मुद्दे हैं, लेकिन किसी के खिलाफ गलत शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जो भी दोषी है, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव इस मामले में अपनी व्यथा बता चुके हैं, मुझे नहीं लगता है कि इस मामले को ज्यादा तूल देने की जररूत है। बिहार बंद के बाद सुचारू रूप से कार्य होगा, ऐसी उम्मीद लगाई जा रही है।
जीएसटी सुधारों पर उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि जीएसटी लागू होने के समय 28 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 12 प्रतिशत और 5 प्रतिशत की दरें थीं, लेकिन अब सरकार ने 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत स्लैब को हटाकर केवल 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दरें बरकरार रखी हैं। दुबे ने आरोप लगाया कि विपक्ष, विशेष रूप से राहुल गांधी, ने शुरू से ही 28 प्रतिशत की ऊंची दर को जनता पर बोझ बताते हुए चेतावनी दी थी, लेकिन सरकार ने 8-9 साल तक इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस दौरान नागरिकों से भारी कर वसूला और अब बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले जीएसटी दरों में बदलाव की घोषणा की है।
दुबे ने इस देरी को सरकार की उदासीनता और जनता की चिंताओं के प्रति असंवेदनशीलता का प्रतीक बताया है।
उन्होंने कहा कि बिहार चुनाव जीतना है इसीलिए नई जीएसटी दरें लाई गई। सरकार की अर्थनीति फेल है और जीएसटी से लोगों को परेशानी हुई, जीएसटी बदलाव को जनता भी समझ रही है।
आनंद दुबे ने महायुति सरकार पर मराठा आरक्षण और ओबीसी समाज की नाराजगी के मुद्दों को संभालने में विफलता का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार हर मुश्किल समय में नाकाम रही है। उन्होंने विशेष रूप से महायुति सरकार के मंत्री छगन भुजबल की नाराजगी का जिक्र किया।
दुबे ने यह भी कहा कि मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे के दबाव में सरकार ने जल्दबाजी में सरकारी आदेश (जीआर) जारी किया, जिसका उद्देश्य जरांगे के आंदोलन को समाप्त करना था। हालांकि, इस जीआर से कितना लाभ या नुकसान होगा, इस पर अभी चर्चा होनी बाकी है।
उन्होंने कहा कि महायुति सरकार दोनों समुदायों मराठा और ओबीसी के हितों को संतुलित करने में असमर्थ रही है, जिसके परिणामस्वरूप सामाजिक और राजनीतिक अस्थिरता बढ़ रही है।
महाराष्ट्र
उर्दू स्वर्ण जयंती समारोह: अबू आसिम आज़मी ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री बाबुन कोकाटे से की मुलाकात, सभी मांगों का तत्काल समाधान, उर्दू अकादमी की जल्द स्थापना की जाएगी

मुंबई: मुंबई महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक अबू आसिम आज़मी द्वारा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री कोकाटे से मुस्लिम मुद्दों और उर्दू अकादमी के संबंध में की गई मांगों को सरकार ने स्वीकार कर लिया है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने जल्द से जल्द उर्दू अकादमी की स्थापना और वैश्विक स्तर पर उर्दू स्वर्ण जयंती समारोह मनाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि नाडियाडवाला द्वारा यहां उर्दू समारोह आयोजित किए जाएंगे। इसके साथ ही उर्दू अकादमी की स्थापना में उर्दू भाषी और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से सदस्यों की नियुक्ति की जाएगी। इसके साथ ही माणिक राव कोकाटे ने अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों से जुड़े मुद्दों को हल करने का आश्वासन भी दिया है। आज़मी ने अल्पसंख्यकों के लिए छात्रवृत्ति और ओबीसी मॉडल पर मुसलमानों और छात्रों के लिए शैक्षिक छात्रवृत्ति की भी मांग की। आज़मी ने पिछड़े और आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए शैक्षिक छात्रवृत्ति पर भी जोर दिया। इसके अलावा, उन्होंने नेट और यूपीएससी प्रशिक्षण शिविर और कक्षाएं शुरू करने की भी मांग की। उन्होंने एमपीएससी परीक्षा में उर्दू भाषा के उम्मीदवारों को उर्दू में परीक्षा देने की सुविधा की भी मांग की। मुसलमानों के शैक्षिक, आर्थिक और अन्य पिछड़ेपन का अध्ययन करने के लिए एक समिति बनाने की भी मांग की गई। इसी सिलसिले में आज अबू आसिम आज़मी ने अल्पसंख्यक कार्य मंत्री माणिक राव कोकाटे से मुलाकात की और सभी मुद्दों पर ध्यान दिलाते हुए उनके समाधान की माँग की। मंत्री ने सकारात्मक आश्वासन दिया और समस्याओं के समाधान का वादा किया। इस दौरान अबू आसिम आज़मी के साथ वरिष्ठ पत्रकार सईद हमीद भी थे और उन्होंने भी अल्पसंख्यक कार्य मंत्री से उर्दू के मुद्दों पर चर्चा की। इस पर मंत्री ने सभी माँगों पर तुरंत कार्रवाई के निर्देश दिए।
राजनीति
‘देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर लगा टैक्स’, जीएसटी सुधार को लेकर खड़गे का वार

नई दिल्ली, 4 सितंबर। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को जीएसटी सुधार को लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर टैक्स लगा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि क्षेत्र की कम से कम 36 वस्तुओं पर जीएसटी लगाया था। इसीलिए हमने भाजपा के इस जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ का नाम दिया।
खड़गे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया और लिखा, ”कांग्रेस पार्टी ने अपने 2019 और 2024 के घोषणा पत्रों में सरल और तर्कसंगत कर व्यवस्था के साथ जीएसटी 2.0 की मांग की थी। हमने जीएसटी के जटिल कंप्लायंस को भी सरल बनाने की मांग की थी, जिससे एमएसएमई और छोटे व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुए थे। 28 फरवरी 2005 को कांग्रेस-यूपीए सरकार ने लोकसभा में जीएसटी की औपचारिक घोषणा की थी। 2011 में ही जब तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी जीएसटी बिल लेकर आए थे तब भाजपा ने इसका विरोध किया था। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, उन्होंने भी जीएसटी का विरोध किया था। आज यही भाजपा सरकार रिकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन का जश्न मनाती है, जैसे कि आम जनता से टैक्स वसूलकर उसने कोई बहुत बड़ा काम किया हो।”
उन्होंने आगे लिखा, ”देश के इतिहास में पहली बार किसानों पर टैक्स लगाया गया है। इस मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र की कम से कम 36 वस्तुओं पर जीएसटी लगाया था। दूध-दही, आटा-अनाज, यहां तक कि बच्चों की पेंसिल-किताबें, ऑक्सीजन, इंशोरेशन और अस्पताल के खर्च जैसी रोज इस्तेमाल करने वाले वस्तुओं पर भी जीएसटी लगाया गया। इसीलिए हमने भाजपा के इस जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ का नाम दिया। कुल जीएसटी का दो-तिहाई यानी 64 प्रतिशत हिस्सा गरीबों और मध्यम वर्ग की जेब से आता है, लेकिन अरबपतियों से केवल 3 प्रतिशत जीएसटी लिया जाता है, जबकि कॉर्पोरेट टैक्स की दर 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दी गई है। वहीं, पिछले 5 वर्षों में इनकम टैक्स वसूली में 240 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई और जीएसटी वसूली में 177 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।”
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आखिर में लिखा, ”ये अच्छा है कि सरकार की 8 वर्ष देर से ही सही जीएसटी पर कुंभकर्णी नींद खुली और उन्होंने जागकर रेट रेशनलाइजेशन की बात की है। सभी राज्यों को 2024-25 को आधार वर्ष मानकर 5 वर्षों की अवधि के लिए कंपनसेशन दिया जाए, क्योंकि दरों में कटौती से उनके राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना तय है।”
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