राजनीति
समग्र विकास की योजनाओं के रोडमैप से बढ़ेगी पूर्वाचल की तरक्की की रफ्तार

उत्तर प्रदेश के पूवार्ंचल के समग्र विकास को लेकर ये महीना मील का पत्थर साबित होगा। यहां के 28 जिलों में पढ़ाई तथा बेहतर इलाज के साथ कृषि एवं उद्योग धंधों को बढ़ावा देने का एक दीर्घकालीन रोडमैप देश एवं विदेश के विशेषज्ञों के विचार विमर्श से तैयार होगा। इस रोडमैप के आधार पर ही प्रदेश सरकार पूवार्ंचल के विकास की योजनायें तैयार करेगी। सरकारी प्रवक्ता के अनुसार रोडमैप तैयार करने के लिए राज्य का नियोजन विभाग दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के अकादमिक सहयोग से पूवार्ंचल का सतत विकास पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए एक नई पहल को लेकर तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार एवं संगोष्ठी का आयोजन 10 दिसंबर से कर रहा है।
इसका उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। और समापन सत्र में केंद्रीय आयुष मंत्री स्वतन्त्र प्रभार श्रीपद यशो नाइक की विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूदगी होगी। इस राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी के संयोजक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आर्थिक सलाहकार डॉ. के.वी. राजू के अनुसार, पूवार्ंचल में शिक्षा, कृषि के क्षेत्र में दीर्घकालीन योजनाओं का रोडमैप तैयार करके समूचे पूर्वाचल में खुशहाली लाई जा सकती है।
पूवार्ंचल में आईटी कारोबार को बढ़ावा देने के लिए बारहवीं पास बच्चों को अंग्रेजी सीखने की व्यवस्था करनी होगी, ताकि वह कालसेंटर में तथा आईटी सेक्टर में काम कर सकें। इसी प्रकार पूवार्ंचल में हर वर्ष आने वाली बाढ़ से होने वाले नुकसान को रोकने की जरूरत है। इन सबके लिए राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी में आये विद्वान अपना शोधपत्र रखेंगे। जिनके आधार पर सरकार पूवार्ंचल के समग्र विकास का रोड मैप बनायेगी।
पूवार्ंचल में खेती के क्षेत्र में क्या बदलाव किये जाएं। मछली पालन तथा पशुपालन कारोबार को लाभप्रद कैसे बनाया जाए। इस संबंध में भी शोधपत्र संगोष्ठी के दौरान विशेषज्ञ रखेंगे।
लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता व जनसंचार विभाग में एसोशिएट प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष मुकुल श्रीवास्तव कहते हैं, ‘पूवार्ंचल में इंडस्ट्री नहीं है। यहां इंफ्रास्ट्रक्च र बेहतर नहीं है। सड़कों की हालत भी ठीक नहीं है। बिजली आपूर्ति में भी खामियां है। इसके अलावा शिक्षा का हाल भी बेहाल है। यहां पर दिखता है कि पढ़ाई हो रही है लोग पढ़ रहे हैं, पास हो रहे हैं लेकिन वास्तव में यह बिना गुणवत्ता की पढ़ाई है। जिसके चलते पूवार्ंचल के लोग पलायन को मजबूर हैं। ये तस्वीर तब ही बदलेगी जब पूवार्ंचल में शिक्षित लोग अपने जिले में ही रोजगार पा सकेंगे और यह तब होगा जबकि सरकार शिक्षा, कृषि, चिकित्सा, उद्योग और पर्यटन के क्षेत्र में ऐसी योजनाओं को बढ़ावा दे, जिनके लोगों की आर्थिक स्थिति में बदलाव हो।
उत्कर्ष सिन्हा कहते हैं कि पहली बार पूवार्ंचल के समग्र विकास को लेकर गोरखपुर में कोई राष्ट्रीय स्तर का आयोजन हो रहा है। वह कहते हैं कि पूवार्ंचल में पढ़ाई, खेती, सिंचाई, उद्योग, इलाज, पेयजल आदि की व्यवस्था कैसे विश्वस्तरीय बनाया जाए, इसे लेकर रोडमैप तैयार करने की पहल को समर्थन किया जाना चाहिए। प्रदेश सरकार का यह नया प्रयास है क्योंकि बीते तीस सालों से तो वह यही सुनते रहें हैं कि पूवार्ंचल उत्तर प्रदेश का सबसे पिछड़ा क्षेत्र है।
मालूम हो कि मुख्यमंत्री खुद गोरखपुर से हैं। इसके पहले वह गोरखपुर से पांच बार सांसद भी रह चुके हैं। पूवार्ंचल के हर मुद्दे से वह बखूबी वाकिफ हैं। यही नहीं सड़क से लेकर संसद तक पुरजोर तरीके से वह इन मुद्दों को उठाते भी रहे हैं। मुख्यमंत्री के रूप में पूवार्ंचल के करोड़ों लोगों से उनसे बेशुमार उम्मीदें हैं।
राजनीति
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी तंत्र लगभग समाप्त हो गया है : अमित शाह

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर : केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में जम्मू और कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे सुरक्षा बलों को क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने की पूरी स्वतंत्रता है।
गृह मंत्री ने कहा कि सर्दियों में आतंकवादी बर्फबारी का फायदा उठाकर घुसपैठ नहीं कर सके, इसके लिए सुरक्षाबल को हर तरह से तैयार रहना होगा।
बैठक में जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय गृह सचिव, निदेशक, आसूचना ब्यूरो, थल सेनाध्यक्ष, जम्मू और कश्मीर के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशक तथा भारत सरकार, सेना और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकवाद-मुक्त जम्मू-कश्मीर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों के ठोस प्रयासों से जम्मू-कश्मीर में देश के दुश्मनों द्वारा पोषित आतंकवादी तंत्र लगभग समाप्त हो गया है।
उन्होंने कहा कि हमारे सुरक्षा बलों को क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने की पूरी स्वतंत्रता है।
बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप जम्मू और कश्मीर के सुरक्षा परिदृश्य को मजबूत करने में मदद मिली है।
गृह मंत्री ने जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे के लिए सभी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सतर्क रहते हुए समन्वित तरीके से काम करने की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि सर्दियां आ रही हैं, आतंकवादी बर्फबारी का फायदा उठाकर घुसपैठ ना कर पाएं, इसके लिए हमारे सुरक्षा बल हर तरह से तैयार रहें।
राजनीति
बिहार में 200 सीट जीतकर एनडीए बनाएगा मजबूत सरकार: सुशील सिंह

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर : बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही राजनीतिक दलों ने सरकार बनाने के दावे शुरू कर दिए हैं। चुनाव की घोषणा के बाद एनडीए और महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कवायद जारी है। इस बीच भाजपा नेता सुशील सिंह ने दावा किया है कि एनडीए इस बार बिहार में 200 सीटें जीतकर मजबूत सरकार बनाएगा।
आईएएनएस से बातचीत में सुशील सिंह ने कहा, “बिहार की जनता का भरोसा एनडीए के साथ है। हम पिछले चुनाव की तुलना में अधिक सीटें जीतेंगे और 200 सीटों के साथ मजबूत सरकार बनाएंगे।”
सीट बंटवारे को लेकर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की नाराजगी पर सुशील सिंह ने कहा, “कोई नाराजगी नहीं है, यह सामान्य बात है। हर पार्टी चाहती है कि उसे अधिक सीटें मिलें। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है। राजनीतिक दल चुनाव में अधिक सीट की मांग करते हैं, जिससे वे अपने ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ा सके। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
उन्होंने कहा कि एक-दो दिन में सीट बंटवारे की तस्वीर साफ हो जाएगी। नामांकन से पहले सभी चीजें समय पर पूरी हो जाएंगी।”
राजद नेता तेजस्वी यादव के बयानों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि वे जो बोलते हैं, उसका कोई मतलब नहीं है। जनता उन्हें गंभीरता से नहीं लेती।
विधानसभा चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की पहली लिस्ट पर सुशील सिंह ने कहा कि उनकी सूची जारी होने पर स्पष्ट हो जाएगा कि वे तेजस्वी यादव और महागठबंधन की मदद करना चाहते हैं या नहीं। बिहार की जनता जागरूक है और सब समझ रही है।
उन्होंने एक बार फिर इस बात को दोहराया कि बिहार में एनडीए की टक्कर में महागठबंधन दूर-दूर तक नहीं है। बिहार की जनता का भरोसा पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के विकास पर है। 14 नवंबर को एनडीए सरकार बनाएगी और बिहार के लोगों के विकास के लिए निरंतर कार्य जारी रखेगी। हमें कोई भ्रम नहीं है। उन्होंने दोहराया कि एनडीए बिहार में अधिक सीटों के साथ सरकार बनाएगा।
राजनीति
‘बसपा को कमजोर करने के लिए रची गई साजिश’, मायावती ने लगाए बड़े आरोप

लखनऊ, 9 अक्टूबर : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने गुरुवार को पार्टी के संस्थापक कांशीराम के ‘परिनिर्वाण दिवस’ पर लखनऊ स्थित कांशीराम स्मारक स्थल पर आयोजित महारैली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने विरोधी दलों पर तीखा हमला बोला।
रैली को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी को केंद्र की सत्ता तक पहुंचने से रोकने के लिए कांग्रेस, भाजपा और सपा जैसे जातिवादी दलों ने मिलकर षड्यंत्र रचा। इन दलों ने न सिर्फ राजनीतिक रूप से बसपा को कमजोर करने की कोशिश की, बल्कि दलित वोटों को बांटने के लिए बिकाऊ लोगों को खरीदकर साजिश की।
मायावती ने कहा कि साल 2007 में जब उत्तर प्रदेश में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी, तब इन जातिवादी पार्टियों के चेहरे बेनकाब हो गए। उन्होंने कहा, “कांग्रेस, भाजपा और सपा ने मिलकर षड्यंत्र किया कि बसपा को केंद्र की सत्ता तक न पहुंचने दिया जाए। रही-सही कसर ईवीएम ने पूरी कर दी।”
बसपा सुप्रीमो मायावती ने आरोप लगाया कि इन दलों ने बैलेट पेपर की जगह ईवीएम का इस्तेमाल कर लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ किया, जबकि चुनाव बैलेट पेपर से भी शांति और पारदर्शिता के साथ कराए जा सकते हैं।
बसपा प्रमुख ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर सबसे पहले निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर देश के संविधान और बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के सिद्धांतों का अपमान किया था। मायावती ने तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस ने कभी भी डॉ. आंबेडकर और दलित समाज का सच्चा सम्मान नहीं किया। आज वही कांग्रेस नेता संविधान की कॉपी लेकर नाटकबाजी कर रहे हैं।”
उन्होंने सपा पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि सपा के शासन में दलितों और पिछड़ों का उत्पीड़न हुआ। मायावती बोलीं, “सपा सरकार में कानून व्यवस्था चरमरा गई थी। गुंडों और अराजक तत्वों को संरक्षण दिया गया। प्रदेश में भय और अराजकता का माहौल था।”
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सवाल उठाते हुए कहा, “अभी मैंने सुना कि अखिलेश यादव कह रहे थे कि अगर उनकी सरकार बनी तो कांशीराम जी के नाम पर स्मारक बनाएंगे, लेकिन जब वे सत्ता में थे तो ऐसा क्यों नहीं किया? जब सत्ता से बाहर होते हैं, तभी इन्हें बसपा के नेता और दलित समाज के संतों की याद आती है। सत्ता में आते ही सब भूल जाते हैं।”
मायावती ने कहा कि बसपा की सरकार में जिन स्मारकों और संस्थानों का नाम कांशीराम जी के नाम पर रखा गया था, उन्हें सपा सरकार ने बदलने का काम किया। उन्होंने आगे कहा कि डॉ. आंबेडकर का सपना था कि दलितों और पिछड़ों को एकजुट होकर सत्ता की मास्टर चाबी अपने हाथ में लेनी चाहिए।
बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा, “डॉ. आंबेडकर का यह सपना मान्यवर कांशीराम जी के जीवनकाल में तो पूरा नहीं हो सका, लेकिन हमने इसे पूरा किया। हमने तीन बार गठबंधन सरकार और एक बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाकर इतिहास रचा। हमने दलितों, पिछड़ों और समानतावादी विचारधारा रखने वाले लोगों को साथ लेकर ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की नीति पर काम किया।”
उन्होंने फिर से आरोप लगाया कि जब बसपा सरकार मजबूत होती गई, तब कांग्रेस और भाजपा की केंद्र सरकारों ने सीबीआई और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की। हम पर झूठे केस लगाए गए, ताकि बसपा का मनोबल टूट जाए। लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी और न्याय पाने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाया।
इस मौके पर मायावती ने कांशीराम जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और बड़ी संख्या में पहुंचे कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बसपा महज एक राजनीतिक दल नहीं बल्कि एक आंदोलन है, जो समाज के दबे-कुचले वर्गों को सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए सतत संघर्षरत है।
उन्होंने कहा कि हमारे विरोधी चाहे कितनी भी साजिशें रच लें, बसपा का आंदोलन न कभी झुका है, न झुकेगा।
रैली के लिए रमाबाई अंबेडकर मैदान में बसपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के ठहरने की व्यवस्था की गई। रैली में प्रदेशभर से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पहुंचे। बसपा संगठन ने करीब पांच लाख लोगों के जुटान का दावा किया है।
सुरक्षा के लिए कई हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए, जबकि ट्रैफिक पुलिस ने वैकल्पिक मार्ग भी निर्धारित किए। यह रैली सिर्फ श्रद्धांजलि कार्यक्रम नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखी जा रही है।
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