अपराध
रांची में कोयला कंपनी के रिटायर अफसर को 11 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट कर 2.27 करोड़ की ठगी
रांची, 14 जनवरी। साइबर क्रिमिनल के एक गैंग ने रांची में रहने वाले कोयला कंपनी के एक रिटायर अफसर को 11 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट कर उनसे 2.27 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। जेल भेजने और सख्त एक्शन का खौफ दिखाकर उनसे यह रकम आठ अलग-अलग बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कराई गई। इस मामले की एफआईआर सीआईडी साइबर थाना में दर्ज कराई गई है। इसके अलावा साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज कराई गई है। सीआईडी की प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आ रही है कि इस ठगी को अंजाम देने वाला गिरोह महाराष्ट्र का है। गिरोह ने जिन बैंक अकाउंट में रकम ली है, वे महाराष्ट्र के हैं।
ठगी का शिकार हुए कोल इंडिया के रिटायर अफसर रांची के बरियातू इलाके में रहते हैं। उन्होंने एफआईआर में बताया है कि 10 दिसंबर, 2024 को उनके मोबाइल पर कॉल आया। कॉल करने वाले ने अपना नाम अभिराज शुक्ला बताया और अपना परिचय ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के अफसर के रूप में दिया। उनसे कहा गया कि उनके नंबर से कई लोगों को भ्रामक विज्ञापन और मेसेज ट्रांसफर किए गए हैं। भुक्तभोगी ने जब अपने नंबर से किसी तरह का मेसेज भेजे जाने से इनकार किया, तो उन्हें बताया गया कि हो सकता है कि किसी जगह पर जमा किए गए उनके दस्तावेज के आधार पर सिम कार्ड लेकर साइबर क्रिमिनल ने इस तरह की हरकत की हो। उन्हें बताया गया कि चूंकि आपके नंबर के जरिए बड़े पैमाने पर ठगी की गई है, इसलिए उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस बन रहा है। उन्हें अरेस्ट करने की धमकी दी गई।
इसके साथ ही कॉल करने वाले ने उन्हें भरोसा दिया कि अगर वे खुद को निर्दोष मानते हैं तो गिरफ्तारी और कार्रवाई से बचाने के लिए दिल्ली साइबर ब्रांच से उनकी मदद कराई जा सकती है। इसके बाद उन्हें दिल्ली साइबर क्राइम ब्रांच की अफसर बताने वाली पूनम गुप्ता नामक महिला का कॉल आया। उन्हें मोबाइल कैमरा ऑन करने कर उसके सामने रहने को कहा गया। फिर, उनकी बात कई लोगों से कराई गई, जिसमें एक व्यक्ति को सीनियर आईपीएस बताया गया। उन्हें लगातार धमकी देकर असली अपराधियों के पकड़े जाने तक वीडियो कॉल पर रहने की हिदायत की गई। यह सिलसिला लगातार 11 दिनों तक जारी रहा। इस दौरान उनसे अलग-अलग अकाउंट में यह कहकर रकम ट्रांसफर कराई गई कि ऐसा करने से ही यह साबित होगा कि उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग नहीं की है। भयभीत भुक्तभोगी ने खुद और अपनी पत्नी के अकाउंट में जमा 2.27 करोड की राशि ट्रांसफर कर दी।
इस घटना में पीड़ित की जिंदगीभर की जमा पूंजी चली गई। जब उन्हें ठगी का एहसास हुआ, तो उन्होंने ठगों के नबंर पर कॉल करने की कोशिश की। लेकिन नबंर ब्लॉक कर दिया गया था।
अपराध
मुंबई: कफ परेड चॉल में आग लगने से 15 वर्षीय किशोर की मौत, 3 अन्य घायल

मुंबई: कफ परेड के मच्छीमार नगर स्थित एक चॉल में सोमवार सुबह लगी आग में एक 15 वर्षीय किशोर की दर्दनाक मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। मुंबई फायर ब्रिगेड (एमएफबी) के अधिकारियों ने एक घंटे के भीतर आग पर काबू पा लिया। घायलों को इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल ले जाया गया।
बीएमसी के आपदा प्रबंधन प्रकोष्ठ से प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह घटना कैप्टन प्रकाश पेठे मार्ग स्थित एक चॉल में सुबह करीब 4:00 बजे हुई। एमएफबी के अग्निशमन अधिकारी, स्थानीय पुलिस और बेस्ट कर्मियों के साथ, अग्निशमन और बचाव अभियान चलाने के लिए घटनास्थल पर पहुँचे।
आग बिजली के तारों, बिजली के उपकरणों, तीन इलेक्ट्रिक वाहनों की बैटरियों और घरेलू सामानों तक ही सीमित थी। इसने वन-प्लस-वन चॉल की पहली मंजिल पर लगभग 10×10 फीट के क्षेत्र को प्रभावित किया।
चार लोगों को बचाकर सेंट जॉर्ज अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ एक पीड़ित यश खोत (15) को मृत घोषित कर दिया गया। देवेंद्र चौधरी (30) फिलहाल आईसीयू में भर्ती हैं, जबकि अन्य दो घायलों – विराज खोत (13) और संग्राम कुरने (25) की हालत स्थिर बताई जा रही है। आग बुझाने का काम अभी चल रहा है और आग लगने का सही कारण अभी पता नहीं चल पाया है।
अपराध
मुंबई : सीबीआई और दिल्ली पुलिस अधिकारी बनकर रिटायर्ड बुजुर्ग से 1.08 करोड़ की ठगी

CRIME
मुंबई, 20 अक्टूबर: देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में साइबर ठगी का एक बड़ा मामला सामने आया है, जहां विले पार्ले के 82 वर्षीय एक रिटायर्ड व्यक्ति से सीबीआई और दिल्ली पुलिस का अधिकारी बनकर ठगों ने 1.08 करोड़ रुपए की ठगी कर ली। मुंबई साइबर पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
मुंबई पुलिस के अनुसार, ठगी का शिकार हुए बख्शी को सबसे पहले एक व्यक्ति का व्हाट्सएप वीडियो कॉल आया, जिसने खुद को दिल्ली के टेलीकॉम डिपार्टमेंट का ‘पवन कुमार’ बताया।
कॉल करने वाले ने आरोप लगाया कि पीड़ित के आधार कार्ड का इस्तेमाल करके केनरा बैंक में एक फर्जी खाता खोला गया है, जिसका उपयोग गैर-कानूनी इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन के लिए किया जा रहा है।
इसके बाद, पीड़ित को खुद को दिल्ली पुलिस की सब-इंस्पेक्टर ‘खुशी शर्मा’ और सीबीआई अधिकारी ‘हेमराज कोहली’ बताने वाले लोगों के कॉल आए। उन्होंने बख्शी को आने वाले गिरफ्तारी वारंट की धमकी दी और ‘क्लियरेंस सर्टिफिकेट’ जारी करने के नाम पर उनके बैंक अकाउंट की डिटेल्स मांगीं।
ठगों के झांसे में आकर और गिरफ्तारी के डर से, बख्शी ने अपने और पत्नी के खातों से 1.08 करोड़ रुपए जालसाजों के खातों में ट्रांसफर कर दिए। स्कैमर्स व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए लगातार संपर्क में रहे और उन्हें धमकाते रहे कि वे अपने बच्चों सहित किसी को भी इस बारे में न बताएं।
जब बख्शी को ठगी का एहसास हुआ तो उन्होंने वेस्ट रीजन साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने बीएनएस सेक्शन और आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज कर लिया है। पुलिस अब मोबाइल नंबरों और बैंक अकाउंट डिटेल्स का इस्तेमाल करके ट्रांसफर किए गए पैसों का पता लगाने और आरोपियों की पहचान करने की कोशिश कर रही है।
मुंबई पुलिस के अधिकारियों ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और सरकारी अधिकारी बनकर कॉल करने वाले अनजान लोगों के साथ अपनी पर्सनल या बैंकिंग जानकारी कभी शेयर न करें।
अपराध
महाराष्ट्र : शिरडी साईं बाबा संस्थान में 76 लाख का विद्युत घोटाला, 47 अधिकारियों-कर्मचारियों पर एफआईआर

शिरडी, 18 अक्टूबर: देशभर के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के सबसे बड़े केंद्र शिरडी के श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट में एक बड़ा आर्थिक घोटाला सामने आया है। संस्थान के विद्युत विभाग में 76 लाख रुपए के विद्युत सामान के गबन का खुलासा लेखा परीक्षण (ऑडिट) के दौरान हुआ है। इस मामले में शिरडी पुलिस ने संस्थान के 47 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और गबन का मामला दर्ज किया है।
न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। जांच में खुलासा हुआ कि यह बात एक साल पहले हुए ऑडिट में सामने आई थी, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया था। प्रशासन की लापरवाही को देखते हुए सामाजिक कार्यकर्ता संजय बाबुताई काले ने न्याय के लिए औरंगाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ में क्रिमिनल रिट याचिका दायर की।
न्यायालय ने मामले की गंभीरता को देखते हुए, दिनांक 15 अक्टूबर को शिरडी पुलिस को सभी 47 आरोपियों पर तत्काल एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। कोर्ट के इस सख्त रुख के बाद ही शिर्डी पुलिस ने मामला दर्ज करने की कार्रवाई पूरी की।
एक रिपोर्ट के अनुसार, विद्युत विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने मिलकर साजिश रची। उन्होंने अपने अधीनस्थ विद्युत सामग्री का सही पंजीकरण नहीं किया। कई कीमती वस्तुओं को जानबूझकर ‘डेड स्टॉक रजिस्टर’ में फर्जी तरीके से दर्ज कर दिया गया, जबकि हकीकत में वे सामग्री संस्थान से गायब थीं। इस तरह, अधिकारियों-कर्मचारियों ने संस्थान को करोड़ों का आर्थिक नुकसान पहुंचाया।
पुलिस जांच में सामने आया है कि 39 आरोपियों ने अपनी जिम्मेदारी की राशि संस्थान को चुका दी है, लेकिन 8 आरोपी पर अभी भी बकाया हैं।
फरियादी संजय काले ने इस पूरे घोटाले से जुड़े सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत हासिल किए थे। उनकी गहन छानबीन ने विद्युत विभाग में चल रही गैरव्यवस्था, फर्जी प्रविष्टियां और सामग्री की हेराफेरी का पूरा ब्यौरा सामने ला दिया। स्थानीय स्तर पर शिकायतों के बावजूद कार्रवाई न होने पर उन्हें अंततः उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज होने के बाद, शिरडी पुलिस ने दस्तावेजों, ऑडिट रिपोर्टों और जवाबदेही की समीक्षा के लिए एक टीम का गठन किया है।
इस घटना ने ट्रस्ट के वरिष्ठ अधिकारियों और उनकी निगरानी प्रणाली के लिए एक बड़ी चेतावनी जारी की है कि अब उन्हें आर्थिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने और कड़ाई से लेखापरीक्षण लागू करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
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