राष्ट्रीय
धार्मिक पर्यटन ने यूपी को संवारा, 27 फीसद बढ़े पर्यटक

पर्यटन के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश अब देश में अव्वल है। वर्ष 2019 के आंकड़े तो यही गवाही दे रहे हैं। इसमें धार्मिक पर्यटन का विशेष योगदान है। भगवान श्रीराम-श्रीकृष्ण की धरती अयोध्या एवं मथुरा के अलावा भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी काशी और तीर्थराज प्रयाग में लगने वाले कुम्भ ने इसे परवान चढ़ाया है। इतना ही नहीं, पतित पावनी गंगा के नाते भी यूपी पर्यटन को बेशुमार सफलता मिली है। अयोध्या का दीपोत्सव, बरसाने की होली, काशी की देव दीपावली, बुद्धिस्ट और रामायण कॉन्क्लेव ने भी यूपी पर्यटन को मजबूत किया है। धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार-1 में किए गए प्रयास अब रंग लाने लगे हैं। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार, अब यह पर्यटकों के लिए देश का सबसे पसंदीदा स्थल बनता जा रहा है। वर्ष 2019 में देश में आने वाले भारतीय और विदेशी पर्यटकों की संख्या क्रमश: 53 करोड़ 58 लाख 55 हजार 162 एवं 47 लाख 45 हजार 181 रही।
पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2012 से 2017 के बीच में उत्तर प्रदेश में आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या क्रमश: 99.07 करोड़ एवं 1.19 करोड़ रही। वर्ष 2017 से 2021 के बीच बढ़कर यह संख्या क्रमश: 125.07 एवं 1.31 करोड़ हो गई। ओवरऑल यह वृद्धि 27 फीसद की है।
पर्यटकों की संख्या बढ़ने का असर होटल व्यवसाय भी पड़ा। इस दौरान होटलों के कमरों की संख्या में इजाफा हुआ। यह 3000 कमरों से बढ़कर 4500 हो गई। यह बढ़ोत्तरी उस समय दर्ज हुई, जब वैश्विक महामारी कोरोना के कारण पर्यटन और इससे जुड़े क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित रहे।
दरअसल धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र की संभावनाओं के मद्देनजर योगी सरकार-1 ने पर्यटन स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं को बेहतर किया। परंपरागत आयोजनों को भी नया स्वरूप दिया। अयोध्या में दीपावली के एक दिन पहले दीपोत्सव के आयोजन की शुरूआत की। यह आयोजन देश-दुनिया में यूपी का ब्रांड बने। वर्ष 2019 में प्रयाग में आयोजित कुंभ की दिव्यता एवं भव्यता के लिए तो सरकार ने खजाना ही खोल दिया था। भगवान श्रीराम के 14 साल बाद की वनवास से वापसी के एक दिन पूर्व जिस तरह अयोध्या के लोंगों ने खुशियां मनाई थीं, उसकी यादें ताजा करने के लिए हुए पहले दीपोत्सव का आयोजन न सिर्फ यादगार बना बल्कि पर्यटन को पंख लगाने वाला भी साबित हुआ। अब हर साल दीपोत्सव में नया रिकॉर्ड बनने का सिलसिला जारी है। इन आयोजनों ने देश और दुनिया में यूपी पर्यटन को ब्रांड बनाया। परंपरागत आयोजनों का नया कलेवर दिया। कई आयोजनों में तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद भी गये।
पिछले वर्ष 16 जगहों अयोध्या, गोरखपुर, बलिया, वाराणसी, विन्धयाचल, चित्रकूट, श्रृंगवेरपुर, बिठूर, ललितपुर, मथुरा, गढ़मुक्तेश्वर, सहारनपुर, गाजियाबाद, बिजनोर, बरेली और लखनऊ में रामायण कॉन्क्लेव आयोजित हुए। रामलीलाएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम, संगोष्ठियां, चित्रकला एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुए। स्थानीय लोगों के साथ बहुत सारे बुद्धिजीवियों ने भी इसमें हिस्सा लिया। इन्हें मजबूती मिली। वाराणसी की देव दीपावली, मथुरा का कृष्ण जन्मोत्सव, बरसाने की होली, कुशीनगर का बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव तथा काशी, अयोध्या, लखनऊ, प्रयागराज और चित्रकूट को केंद्र में रखकर टूर ऑपरेटर्स का फैम टूअर आदि के कार्यक्रमों ने भी पर्यटन को पंख लगाए।
योगी सरकार.2 में भी इस प्रयास का सिलसिला जारी रहेगा। अगले 100 दिन, 6 माह और पांच साल की कार्ययोजना तैयार है। मुख्यमंत्री द्वारा विभाग का प्रस्तुतीकरण भी देखा जा चुका है। इस कार्ययोजना के अनुसार अगले 100 दिनों में इको एंड रूरल टूरिज्म बोर्ड, सभी जिलों में जिला पर्यटन एवं संस्कृति परिषदों का गठन का काम पूरा करेगा। 291.53 करोड़ रुपए की लागत से शुरू होने वाली 170 परियोजनाओं का लोकार्पण भी होगा। बुद्धिस्ट कॉन्क्लेव एवं कबीर फेस्टिवल, ब्रज एवं आगरा में कार रैलियों का आयोजन होगा। राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय ट्रैवेल मार्ट और रोड शो का प्रतिभाग होगा।
प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने कहा पर्यटन संभावनाओं का क्षेत्र है। अपनी सम्पन्न ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक विरासत के नाते यूपी में और भी अधिक संभावनाएं हैं। पर्यटन बढ़ने से स्थानीय स्तर पर रोजी-रोजगार के अवसर बढ़ते हैं। इनको केंद्र में रखकर मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार काम हो रहा है।
राष्ट्रीय
भारत में 11 वर्षों में 269 मिलियन लोग अत्यधिक गरीबी से निकले बाहर: विश्व बैंक

नई दिल्ली, 7 जून। विश्व बैंक के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सरकार के तहत एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में भारत ने पिछले दशक में अपनी अत्यधिक गरीबी दर को कम करने में प्रगति की है। देश में अत्यधिक गरीबी दर 2011-12 में 27.1 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 5.3 प्रतिशत दर्ज की गई है।
भारत में 2011-12 के दौरान कुल 344.47 मिलियन लोग अत्यधिक गरीबी में रह रहे थे, जो कि 2022-23 के दौरान घटकर लगभग 75.24 मिलियन लोग रह गए हैं।
विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, भारत में एक महत्वपूर्ण प्रगति के रूप में लगभग 11 वर्षों में 269 मिलियन व्यक्तियों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाला गया।
उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश पांच राज्यों में 2011-12 के दौरान भारत के 65 प्रतिशत अत्यंत गरीब लोग रहते थे। वहीं, इन राज्यों ने 2022-23 तक अत्यधिक गरीबी में होने वाली कुल गिरावट में दो-तिहाई योगदान दिया।
विश्व बैंक के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि पूर्ण रूप से, अत्यधिक गरीबी में रहने वाले लोगों की संख्या 344.47 मिलियन से घटकर केवल 75.24 मिलियन रह गई है।
विश्व बैंक का आकलन 3.00 डॉलर प्रतिदिन की अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा (2021 की कीमतों का उपयोग कर) पर आधारित है, जो कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में व्यापक कमी दर्शाता है।
विश्व बैंक के अनुमानों के अनुसार, 2.15 डॉलर प्रतिदिन की खपत पर (2017 की कीमतों पर आधारित पिछली गरीबी रेखा) अत्यधिक गरीबी में रहने वाले भारतीयों की हिस्सेदारी 2.3 प्रतिशत है, जो 2011-12 में दर्ज 16.2 प्रतिशत से काफी कम है।
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 2.15 डॉलर प्रतिदिन की गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या 33.66 मिलियन दर्ज की गई है, जो 2011 में 205.93 मिलियन दर्ज की गई थी।
आंकड़ों से यह भी पता चला कि यह तीव्र गिरावट समान रूप से देखी गई, जिसमें ग्रामीण अत्यधिक गरीबी 18.4 प्रतिशत से घटकर 2.8 प्रतिशत हो गई और शहरी अत्यधिक गरीबी पिछले 11 वर्षों में 10.7 प्रतिशत से घटकर 1.1 प्रतिशत हो गई।
इसके अलावा, भारत ने बहुआयामी गरीबी को कम करने में भी शानदार प्रगति की है।
आंकड़ों के अनुसार, बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) 2005-06 में 53.8 प्रतिशत से घटकर 2019-21 तक 16.4 प्रतिशत हो गया और 2022-23 में और अधिक घटकर 15.5 प्रतिशत हो गया।
केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के 11 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को गरीबी से उबारने के लिए केंद्र द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों, इंफ्रास्ट्रक्चर और समावेशन पर फोकस को अहम बताया।
पीएम आवास योजना, पीएम उज्ज्वला योजना, जन धन योजना और आयुष्मान भारत जैसी पहलों ने आवास, स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन, बैंकिंग और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच को बढ़ाया है।
प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), डिजिटल समावेशन और मजबूत ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर ने पारदर्शिता और अंतिम छोर तक लाभों की तेजी से डिलीवरी सुनिश्चित की है, जिससे 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से उबरने में मदद मिली है।
राष्ट्रीय
दिल्ली : अगले दो दिन तक भारी बारिश और आंधी की आशंका, मौसम विभाग ने जारी किया ऑरेंज अलर्ट

नई दिल्ली, 29 मई। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने अगले दो दिनों के लिए कई इलाकों में मौसम को लेकर चेतावनी जारी की है। विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध ताजा जानकारी के अनुसार, 29 मई और 30 मई को तेज बारिश, बिजली गिरने और 40-50 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने की आशंका है।
इन दोनों दिनों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। 29 मई को अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 28 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। ह्यूमिडिटी का स्तर 70 प्रतिशत से 49 प्रतिशत के बीच रहेगा। इसी प्रकार, 30 मई को भी मौसम का मिजाज बिगड़ा रहेगा, तापमान वही रहेगा और हवाएं 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती हैं।
इन दोनों दिनों के लिए चेतावनी दी गई है कि लोग अनावश्यक रूप से बाहर निकलने से बचें और बिजली गिरने की स्थिति में सुरक्षित स्थानों की तलाश करें। 31 मई को मौसम विभाग ने ‘मध्यम वर्षा’ की संभावना जताई है, लेकिन आंधी-तूफान के साथ बिजली गिरने और तेज़ हवाओं की चेतावनी अब भी बनी हुई है।
हालांकि, इसके बाद मौसम सामान्य होने की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। 1 जून को “थंडरस्टॉर्म विथ रेन” की संभावना है, लेकिन इस दिन कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है। 2 जून से मौसम में काफी सुधार देखने को मिलेगा, जहां आंशिक रूप से बादल छाए रहने की संभावना है और कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है।
3 जून को आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे और हल्की बारिश या गरज-चमक के साथ बौछारें पड़ सकती हैं, लेकिन कोई विशेष चेतावनी नहीं है। 4 जून को मौसम पूरी तरह से सामान्य रहेगा, केवल आंशिक रूप से बादल छाए रहने की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग की ओर से नागरिकों से अपील की गई है कि वे अगले दो दिनों तक सतर्कता बरतें, विशेषकर बिजली गिरने और तेज़ हवाओं के दौरान। खेतों में काम कर रहे किसान, खुले में यात्रा कर रहे लोग और निर्माण स्थलों पर कार्यरत कर्मचारी विशेष सावधानी बरतें।
राजनीति
10 साल बाद सरकार वीर सावरकर की डिग्री वापस ला रही, हम उसका स्वागत करते हैं : संजय राउत

मुंबई, 28 मई। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से वीर सावरकर की डिग्री मंगाए जाने पर कहा कि हम उसका स्वागत करते हैं, लेकिन यह तो बस कागज का टुकड़ा है। हमारा सीधा सा सवाल है कि आखिर उन्हें भारत रत्न कब दिया जाएगा? दुर्भाग्य की बात है कि इसका जवाब न तो प्रधानमंत्री के पास है, न ही मुख्यमंत्री के पास और न ही गृह मंत्री के पास।
उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि निश्चित तौर पर सरकार ने वीर सावरकर की डिग्री मंगाकर अच्छा कदम उठाया है, लेकिन यहां पर मेरा एक सवाल है कि कल (27 मई) सरकार ने कई लोगों को भारत रत्न, पद्मभूषण, पद्मश्री और पद्मविभूषण दिया। ऐसे में सरकार ने सावरकर को भारत रत्न देना गवारा क्यों नहीं समझा?
उन्होंने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से वीर सावरकर की डिग्री ब्रिटेन से मंगाए जाने के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा “स्वातंत्र्यवीर सावरकर की डिग्री वो स्वतंत्रता संग्राम में ब्रिटिश गवर्नर ने जब्त की थी। फिर भी हम उन्हें बैरिस्टर सावरकर कहते है। 10 साल बाद अगर महाराष्ट्र की सरकार बैरिस्टर सावरकर की पदवी, डिग्री ला रहे है तो ये अच्छी बात है। हम इस फैसले का स्वागत करते है। लेकिन हमारी एक मांग है। अगर सरकार सही मायने में वीर सावरकर को सम्मान देना चाहती है, तो इसके लिए उन्हें भारत रत्न देना चाहिए, मगर सरकार ने ऐसा नहीं किया।”
इसके अलावा, उन्होंने भाजपा की तरफ से देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था कहने पर तंज कसा। कहा कि जिस देश में 85 करोड़ लोग सरकार की तरफ से मिलने मुफ्त के राशन पर आश्रित हो, जिस देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी हो, उसके बारे में यह कहना कि वह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, ठीक नहीं रहेगा। पता नहीं लोग कैसे कह दे रहे हैं कि हम जापान से आगे निकल गए हैं, तो चीन से आगे निकल गए, अब कल ये लोग बोलेंगे कि हम ट्रंप से आगे निकल गए। ट्रंप ने तो आपका मुंह बंद कर दिया।
शिवसेना नेता संजय शिरसाट के बेटे सिद्धांत पर महिला की तरफ से शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए जाने पर संजय राउत ने कहा कि यह उनका निजी मामला है। मैं इस पर किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं करना चाहूंगा। इस विषय पर बात करने के लिए राजनीतिक दलों में महिला नेता हैं, जो इस पर अपनी बात रखेंगे। महिला आयोग भी है, जो इस मामले में हस्तक्षेप करेगा, लेकिन मेरा अभी इस पर कुछ भी कहना उचित नहीं है।
मंत्री संजय शिरसाट के बेटे सिद्धांत पर एक महिला ने अपने वकील के जरिए नोटिस भेजकर शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किए जाने का आरोप लगाया और 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की है।
इसके अलावा, संजय राउत ने संजय शिरसाट के बेटे सिद्धांत पर घोटाला का आरोप लगाया। कहा कि मंत्री के बेटे ने ऑक्शन में 70 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी खरीदी है। ऐसे में उनसे यह सवाल किया जाना चाहिए कि उनके पास इतने पैसे कहां से आए? इनके पिता के पास सामाजिक न्याय जैसा विभाग है, जो मूल रूप से गरीबों के हितों का ख्याल रखता है, लेकिन इनके बेटे ने 70 करोड़ रुपये की संपत्ति खरीदी। यही नहीं, ऑक्शन की प्रक्रिया भी इस तरह से निर्धारित की जाती है, जिसमें यह सुनिश्चित हो सके कि इसका फायदा उन्हीं को मिले।
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