व्यापार
बढ़ते घाटे के बीच रियल एस्टेट फर्म ओमेक्स का शेयर 52 सप्ताह के नए निचले स्तर पर पहुंचा

नई दिल्ली, 22 मार्च। रियल एस्टेट कंपनी ओमेक्स का शेयर इस सप्ताह बढ़ते घाटे और बिक्री में गिरावट के बीच 71.81 रुपये प्रति शेयर के अपने नए 52 सप्ताह के निचले स्तर पर पहुंच गया। कंपनी के शेयर में यह गिरावट ऐसे समय में दर्ज की गई है, जब बेंचमार्क इक्विटी सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने लगभग चार वर्षों में अपनी सर्वश्रेष्ठ साप्ताहिक बढ़त दर्ज की है।
ओमेक्स का 52 सप्ताह का उच्चतम मूल्य पिछले वर्ष 30 जुलाई को 162.45 रुपये प्रति शेयर दर्ज किया गया था।
कारोबारी हफ्ते के आखिरी दिन शुक्रवार को ओमेक्स का शेयर 74.75 रुपये प्रति शेयर पर खुला। ट्रेडिंग सत्र के दौरान शेयर ने 78.00 रुपये पर अपने उच्चतम स्तर को छुआ। साथ ही 74.41 रुपये के निचले स्तर पर पहुंचा।
कारोबार के अंत में कंपनी का शेयर 2.81 रुपये या 3.79 प्रतिशत की मामूली बढ़त के साथ 77 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ।
रियल एस्टेट कंपनी कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसमें कंपनी का परिचालन घाटा और 7.49 गुना का हाई डेट-टू-ईबीआईटीडीए अनुपात शामिल है।
कंपनी ने लगातार तीन तिमाहियों में नकारात्मक परिणाम दर्ज किए हैं, क्योंकि इसकी शुद्ध बिक्री और मुनाफे में तेजी से गिरावट आई है।
चालू वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में, ओमेक्स ने 150.59 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दर्ज किया, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही के 71.77 करोड़ रुपये से 109.82 प्रतिशत अधिक है।
कंपनी की अक्टूबर-दिसंबर की अवधि में शुद्ध बिक्री 288.94 करोड़ रुपये रही, जो 2023 दिसंबर तिमाही में 599.21 करोड़ रुपये से 51.78 प्रतिशत कम है।
कंपनी के वित्तीय आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 में कंपनी का ईबीआईटीडीए नकारात्मक रूप से 115.30 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में 34.71 करोड़ रुपये से 232.18 प्रतिशत कम है।
इस बीच, चंडीगढ़ के राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ओमेक्स चंडीगढ़ एक्सटेंशन डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को छह साल से अधिक की देरी के बावजूद आवास परियोजना में फ्लैट का कब्जा देने में विफल रहने के लिए कंपनी के घर खरीदार को मुआवजा देने का निर्देश दिया।
हालांकि, ओमेक्स ने कहा कि यह देरी कानूनी जटिलताओं और कोविड-19 महामारी सहित अप्रत्याशित परिस्थितियों की वजह से हुई।
अंतरराष्ट्रीय
26/11 हमले के आरोपी तहव्वुर राणा ने झाड़ा पल्ला, दोस्त डेविड हेडली पर फोड़ा ठीकरा

नई दिल्ली, 26 अप्रैल। 26/11 आतंकी हमले के मास्टरमाइंड के रूप में जाना जाने वाले तहव्वुर हुसैन राणा ने मुंबई क्राइम ब्रांच की पूछताछ में चौंकाने वाला दावा किया। राणा ने 26/11 आतंकी हमले से अपना पल्ला पूरी तरह से झाड़ लिया है।
अधिकारियों ने बताया कि खुद को इस हमले से पूरी तरह बेगुनाह बताते हुए राणा ने कहा कि उसे 26/11 हमले से कोई लेना-देना नहीं है। इस हमले के लिए उसने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली को जिम्मेदार ठहराया है। राणा ने पूछताछ के दौरान यह भी कहा कि मुंबई हमले की साजिश में उसकी कोई भूमिका नहीं थी। इसमें डेविड हेडली का हाथ था।
पूछताछ में राणा ने यह भी बताया कि वह दिल्ली और मुंबई के अलावा केरल भी गया था। जब अधिकारियों ने उससे केरल जाने की वजह पूछी, तो उसने बताया कि वह वहां अपने जानने वालों से मिलने गया था। राणा ने केरल में अपने परिचित व्यक्ति का नाम और पता भी एजेंसी को सौंपा है। इस जानकारी के बाद क्राइम ब्रांच अब राणा के दावों की पुष्टि करने की तैयारी में जुट गई है। संभावना जताई जा रही है कि जांच एजेंसी की एक टीम जल्द ही केरल रवाना हो सकती है, ताकि सच्चाई का पता लगाया जा सके।
बता दें कि 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। राणा को लॉस एंजेल्स से एनआईए और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की टीमों के साथ एक विशेष विमान से भारत लाया गया। अमेरिका में राणा ने अपने प्रत्यर्पण को रोकने के लिए कई कानूनी कोशिश की, जिसमें अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में आपातकालीन याचिका भी शामिल थी। सभी याचिकाएं खारिज होने के बाद प्रत्यर्पण संभव हो सका। भारत के विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने अमेरिकी अधिकारियों के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को पूरा किया।
एनआईए ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए वर्षों तक प्रयास किए। एजेंसी ने अमेरिका की एफबीआई, न्याय विभाग (यूएसडीओजे) और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम किया। राणा पर आरोप है कि उसने मुंबई हमलों की साजिश में अहम भूमिका निभाई थी।
मुंबई हमले 26 नवंबर 2008 को हुए थे, जब 10 आतंकियों ने ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस और नरीमन हाउस समेत कई जगहों पर हमला किया था। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर दिया था। राणा पर लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर हमले की योजना बनाने का आरोप है।
राष्ट्रीय समाचार
‘नेशनल गवर्नमेंट क्लाउड’ में तकनीकी गड़बड़ी से प्रभावित आईटी सेवाएं हो रहीं बहाल: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 26 अप्रैल। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को कहा कि नेशनल गवर्नमेंट क्लाउड (एनजीसी) में तकनीकी गड़बड़ी आने के कारण कई सूचना संचार प्रौद्योगिकी आधारित सेवाएं प्रभावित हुई हैं। कोर्ट ने यह भी बताया कि प्रभावित सेवाओं को बहाल करने का काम जारी है।
एक नोटिस के जरिए बताया गया कि रजिस्ट्री से जुड़ी विभिन्न सूचना संचार प्रौद्योगिकी आधारित सेवाएं एनजीसी में तकनीकी गड़बड़ी के कारण प्रभावित रहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस में बताया, “सुबह से ही नेशनल गवर्नमेंट क्लाउड (एनजीसी) में तकनीकी गड़बड़ी के कारण रजिस्ट्री द्वारा प्रदान की जाने वाली विभिन्न सूचना संचार प्रौद्योगिकी-आधारित सेवाएं, जैसे वेबसाइट, ई-फाइलिंग, एससीआर और डिजीएससीआर पोर्टल पर प्रतिकूल असर पड़ा है।”
कोर्ट ने आगे कहा कि सभी संबंधित टीम सेवाओं की शीघ्र बहाली पर काम कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा, “आपको हुई किसी भी असुविधा के लिए हमें खेद है। हम आपके धैर्य, समझ और सहयोग की सराहना करते हैं।”
नेशनल गवर्नमेंट क्लाउड एक यूनिक क्लाउड सर्विस है। यह सर्विस एनआईसी के तहत विभिन्न सरकारी परियोजनाओं को दी जा रही है।
यह संगठनों को सिंगल एंड यूज पोर्टल का इस्तेमाल कर कई निजी और सार्वजनिक क्लाउड सेवाओं को चुनने की अनुमति देता है।
नेशनल गवर्नमेंट क्लाउड, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा संचालित एक सुरक्षित डेटा सेंटर में कंप्यूट, स्टोरेज, डेटाबेस और नेटवर्क जैसी विभिन्न ऑन-प्रिमाइस सेवाएं प्रदान करता है।
सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री अपने डिजिटलीकरण और डिजिटल संरक्षण प्रयासों के के रूप में क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करती है। इसमें नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) शामिल है।
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जो भारत में जिला और अधीनस्थ न्यायालयों और उच्च न्यायालयों के आदेशों, निर्णयों और मामले की डिटेल्स का डेटाबेस प्रदान करता है। एनजेडीजी ई-कोर्ट परियोजना के तहत बनाया गया है और देश के सभी कंप्यूटराइज्ड न्यायालयों की न्यायिक कार्यवाही से जुड़ा डेटा प्रदान करता है।
इसके अलावा, ई-कोर्ट सर्विस केस से जुड़ी जानकारियों और दूसरे संसाधनों तक ऑनलाइन पहुंच को सुनिश्चित करती है।
केस रिकॉर्ड और कोर्ट के आदेशों को डिजिटल बनाने में भी रजिस्ट्री सक्रिय रूप से शामिल है, जिससे उन्हें विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से सुलभ बनाया जा सके।
राजनीति
केंद्र सरकार ‘मेडिकल वैल्यू ट्रैवल’ के लिए पेश करेगी डिजिटल पोर्टल: आयुष राज्य मंत्री

नई दिल्ली, 26 अप्रैल। आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि केंद्र सरकार एक ऑनलाइन पोर्टल पर काम कर रही है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य सेवा गंतव्य के रूप में देश की स्थिति को मजबूत करना है।
राज्य मंत्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि नया डिजिटल प्लेटफॉर्म अस्पताल, सुविधा प्रदाता, ट्रैवल एजेंट, होटल, ट्रांसलेटर और दूसरी सपोर्ट सुविधाओं को एक ही प्लेस पर इंटीग्रेट करेगा।
उन्होंने फिक्की के ‘मेडिकल वैल्यू ट्रैवल’ (एमवीटी) कॉन्फ्रेंस में अपने संबोधन में कहा, “हमारा लक्ष्य ट्रीटमेंट से लेकर यात्रा व्यवस्था तक और उपचार के बाद की देखभाल को लेकर रोगी के अनुभव को बेहतर बनाना है।”
सरकार की रणनीति में हेल्थकेयर इकोसिस्टम को प्रमुख शहरों से आगे बढ़कर टियर-2 और टियर-3 क्षेत्रों तक बढ़ाना भी शामिल है।
इसके अलावा, सरकार ‘मेडिकल वैल्यू ट्रैवल’ प्रॉसेस को बेहतर बनाने के लिए प्राइवेट प्लेयर्स के साथ अपने सहयोग को मजबूत करना चाहती है।
मेडिकल वैल्यू ट्रैवल को मेडिकल टूरिज्म भी कहा जाता है, इसमें उन रोगियों को शामिल किया जाता है जो किसी हेल्थकेयर सर्विस के लिए विदेश यात्रा करते हैं।
नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर विनोद के. पॉल ने अपने भाषण में इस क्षेत्र में विनियमन के महत्व पर बात की।
उन्होंने उद्योग जगत के खिलाड़ियों से स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं के लिए अनुपालन बोझ को कम करने के तरीकों पर सुझाव देने का भी आग्रह किया।
उन्होंने कहा, “मेडिकल वैल्यू ट्रैवल के विकास में वीजा सुविधा महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो अलग-अलग देशों के बीच पारदर्शिता और विश्वास निर्माण की जरूरत को उजागर करती है।”
टेलीमेडिसिन को लेकर पॉल ने कहा कि दूसरे देशों में रोगियों को दूर से सलाह देते समय कानूनी चुनौतियां पैदा होती हैं।
उन्होंने टेलीमेडिसिन में भारत की महत्वपूर्ण विशेषज्ञता को देखते हुए देश को इन मुद्दों को संबोधित करने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित किया।
भारत का एमवीटी बाजार (मेडिकल वैल्यू ट्रैवल मार्केट) 2024 में 7.69 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया और 2029 तक इसके 14.31 बिलियन डॉलर तक बढ़ने की उम्मीद है।
देश वर्तमान में वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का 18 प्रतिशत रखता है, जो एमवीटी सूचकांक में दुनिया में 10वें स्थान पर है।
सरकार के नए डिजिटल पोर्टल से अंतरराष्ट्रीय रोगियों के लिए भारत की स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने और देश की विविध चिकित्सा सेवाओं को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
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