राजनीति
राहुल गांधी ने संसद परिसर में नकली ‘इंटरव्यू’ के जरिए पीएम मोदी और अडानी पर निशाना साधा

कुछ भारतीय ब्लॉक पार्टियों के नेताओं ने सोमवार को अडानी विवाद को लेकर संसद परिसर में विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर एक नकली ‘साक्षात्कार’ किया और कांग्रेस सदस्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अडानी के मुखौटे पहनकर संसद के मकर द्वार के बाहर खड़े थे।
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित अन्य विपक्षी दलों के सांसदों ने “मोदी, अडानी एक हैं” और “हमें न्याय चाहिए” के नारे लगाए।
नारेबाजी के बाद राहुल गांधी ने मोदी और अडानी का मुखौटा पहने कांग्रेस नेताओं के साथ नकली ‘इंटरव्यू’ लिया।
गांधी ने अडानी का मुखौटा पहने पार्टी सदस्य से पूछा कि संसद को क्यों नहीं चलने दिया जा रहा है, जिस पर कांग्रेस सांसद (अडानी बनकर) ने कहा, “हमें अमित भाई से पूछना होगा…वह आदमी गायब है।” गांधी द्वारा दोनों के बीच संबंधों के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस सांसद ने कहा, “हम साथ-साथ हैं।”
अडानी का मुखौटा पहने कांग्रेस नेता ने यह भी कहा, ”मैं जो कहता हूं और चाहता हूं, वह वही करता है… चाहे वह एयरपोर्ट हो या कुछ और।” मोदी के चुप रहने के बारे में पूछे जाने पर अडानी बने कांग्रेस सांसद ने कहा, ”यह आदमी आजकल तनाव में है”, जिससे चारों ओर हंसी की लहर दौड़ गई।
यह पूछे जाने पर कि उनकी अगली योजना क्या है और अब वे क्या खरीदने का प्रस्ताव रखते हैं, अडानी का मुखौटा पहने कांग्रेस सांसद ने कहा, “हमने अभी तक फैसला नहीं किया है। आज शाम को हमारी बैठक है।” तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी इस विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं थे।
हालांकि, समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव ने कहा कि कुछ नेताओं की अनुपस्थिति का ज्यादा मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए और कहा कि विपक्षी खेमे में सब कुछ ठीक है।
वामपंथी, डीएमके, शिवसेना (यूबीटी), आरजेडी और एनसीपी के सांसद उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने नारे लगाए और अडानी समूह पर चर्चा और जांच की मांग की।
यह विरोध प्रदर्शन संसद भवन के मकर द्वार की सीढ़ियों के सामने हुआ, न कि संसद भवन की ओर जाने वाली सीढ़ियों पर। ऐसा लोकसभा सचिवालय द्वारा सीढ़ियों पर विरोध प्रदर्शन न करने की सलाह के बाद किया गया था।
शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही अडानी मुद्दे पर विपक्ष का विरोध प्रदर्शन संसद परिसर के अंदर हो रहा है।
कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल अमेरिकी अदालत में अडानी और कंपनी के अन्य अधिकारियों पर अभियोग चलाए जाने के बाद संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच की मांग कर रहे हैं।
कांग्रेस ने कहा है कि अडानी पर आरोप लगने से अरबपति उद्योगपति समूह से जुड़े विभिन्न “घोटालों” की जेपीसी जांच की उनकी मांग “सही साबित होती है”। राहुल गांधी ने अडानी की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है। अडानी समूह ने सभी आरोपों को “निराधार” बताते हुए खारिज कर दिया है।
राष्ट्रीय समाचार
दिल्ली : द्वारका के मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल में बम की धमकी, मौके पर पुलिस और बम निरोधक दस्ता

नई दिल्ली, 18 अगस्त। देश की राजधानी दिल्ली के द्वारका सेक्टर-4 स्थित मॉडर्न कॉन्वेंट स्कूल में सोमवार सुबह उस समय हड़कंप मच गया जब स्कूल को बम धमाके की धमकी भरा ईमेल प्राप्त हुआ। यह घटना 18 अगस्त की सुबह करीब 6:30 से 7:00 बजे के बीच की बताई जा रही है।
जैसे ही स्कूल प्रबंधन को धमकी भरा ईमेल मिला, तत्काल इसकी सूचना पुलिस को दी गई। सूचना पाकर मौके पर पुलिस और बम निरोधक दस्ता पहुंचा और पूरे स्कूल परिसर की गहन तलाशी ली। इस दौरान सुरक्षा के मद्देनजर बच्चों और अभिभावकों को स्कूल परिसर में प्रवेश करने से रोक दिया गया।
करीब 8:15 बजे तक बम निरोधक दस्ता और पुलिस ने पूरी जांच पूरी की। राहत की बात यह रही कि तलाशी के दौरान स्कूल परिसर से कोई भी संदिग्ध वस्तु या विस्फोटक सामग्री बरामद नहीं हुई। हालांकि, एहतियात के तौर पर एक छोटी पुलिस टीम को सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए वहीं तैनात किया गया।
यह पहला मौका नहीं है जब दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों को इस तरह की बम धमकी के ईमेल मिले हों। पिछले कुछ महीनों में कई स्कूलों को इस तरह के ईमेल भेजकर दहशत फैलाने की कोशिश की गई है।
इससे पहले, 18 जुलाई को दिल्ली के कई स्कूलों को एक साथ बम की धमकियां मिलने से हड़कंप मच गया था। धमकी भरे ईमेल मिलने के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और प्रोटोकॉल के तहत डॉग स्क्वाड, बम स्क्वाड और दमकल विभाग की टीमें मौके पर पहुंचकर जांच की। इस दौरान भी किसी स्कूल में कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली थी।
इससे पहले, 16 जुलाई को दक्षिणी दिल्ली के वसंत वैली स्कूल और द्वारका के सेंट थॉमस स्कूल को ईमेल के जरिए धमकी भरे संदेश मिले थे। वहीं, 14 जुलाई को दिल्ली के तीन स्कूलों को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। चाणक्यपुरी के नेवी स्कूल, द्वारका के सीआरपीएफ स्कूल और रोहिणी के एक स्कूल को ई-मेल के जरिए बम से उड़ाने की धमकी मिली थी। हालांकि, जांच के दौरान ये खबर झूठी निकली।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को ‘लगभग तुरंत’ खत्म कर सकते हैं : ट्रंप

TRUMP
वाशिंगटन, 18 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत खत्म करने का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि, रूस के कब्जे वाले क्रीमिया को वापस लेना या नाटो में शामिल होना उनके लिए संभव नहीं है।
ट्रंप ने रविवार को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर कहा, “यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की यदि चाहें तो रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत समाप्त कर सकते हैं, या फिर वे लड़ाई जारी रख सकते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब ओबामा के समय (12 साल पहले) की तरह क्रीमिया वापस नहीं मिलेगा, और यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा।
जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ बेहद महत्वपूर्ण वार्ता की पूर्व संध्या पर, राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस में स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए जेलेंस्की को रूस की कुछ शर्तों पर सहमत होना होगा।
इन शर्तों में दो मुख्य बातें हैं: यूक्रेन क्रीमिया रूस को दे दे (जिसे रूस ने 2014 में अपने साथ मिला लिया था) और कभी नाटो में शामिल न हो। ये वही शर्तें हैं जो रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध खत्म करने के लिए रखी हैं।
यूरोपीय नेता, जो सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस जा रहे हैं, वह इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ट्रंप इस मुलाकात में जेलेंस्की पर दबाव डाल सकते हैं ताकि वे पुतिन की अलास्का शिखर सम्मेलन में रखी शर्तों को मान लें।
वे ट्रंप से यह जानना चाहते हैं कि शांति समझौते में रूस क्या छोड़ सकता है और भविष्य में अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी में क्या भूमिका निभाएगा।
ट्रंप ने जेलेंस्की को भेजे अपने संदेश के बाद लिखा, “कल व्हाइट हाउस में बड़ा दिन है। इतने सारे यूरोपीय नेता एक साथ कभी नहीं आए। उनकी मेजबानी करना मेरे लिए सम्मान की बात है!!!”
यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब और नाटो महासचिव मार्क रुटे सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस की यात्रा में शामिल होंगे।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
भारत ने ट्रंप-पुतिन की बैठक का किया स्वागत, कहा- संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह संभव

नई दिल्ली, 16 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बैठक पर भारत की पहली प्रतिक्रिया आई। भारत ने कहा कि संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह बनेगी।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि भारत अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन का स्वागत करता है। शांति की दिशा में उनका नेतृत्व अत्यंत सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि भारत शिखर सम्मेलन में हुई प्रगति की सराहना करता है। आगे का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति से ही निकल सकता है। दुनिया यूक्रेन में संघर्ष का शीघ्र अंत देखना चाहती है।
अलास्का में ट्रंप और पुतिन के बीच करीब तीन घंटे तक बैठक चली। इसके बाद यूएस राष्ट्रपति वाशिंगटन लौट गए। इससे पहले ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि वह नाटो नेताओं, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और अन्य संबंधित अधिकारियों को बैठक में हुई चर्चाओं के बारे में जानकारी देने की योजना बना रहे हैं।
वहीं, अलास्का के एंकोरेज से मास्को रवाना होने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फोर्ट रिचर्डसन मेमोरियल कब्रिस्तान का दौरा किया, जहां उन्होंने सोवियत संघ के सैनिकों की कब्रों पर फूल चढ़ाए। ये कब्रें उन सोवियत पायलटों और नाविकों को श्रद्धांजलि हैं, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे।
ट्रंप के साथ हुई बैठक को लेकर पुतिन ने कहा कि हमारी बातचीत रचनात्मक और परस्पर सम्मान के माहौल में हुई। उन्होंने एक पड़ोसी के रूप में ट्रंप का स्वागत किया और उनके साथ बहुत अच्छे सीधे संपर्क स्थापित किए। साथ ही उन्होंने ट्रंप को साथ मिलकर काम करने और बातचीत में एक दोस्ताना और भरोसेमंद माहौल बनाए रखने के लिए धन्यवाद दिया। खास बात यह है कि दोनों पक्ष परिणाम हासिल करने के लिए दृढ़ थे। हमारी बातचीत सकारात्मक रही।
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