राष्ट्रीय समाचार
कतर कोर्ट ने मौत की सजा के खिलाफ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मी की अपील स्वीकार कर ली
मामले से परिचित सूत्रों ने बताया कि कतर की एक अदालत ने आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को मौत की सजा पर अपील दस्तावेज स्वीकार कर लिया है। कतर में आठ भारतीय पूर्व नौसेना कर्मियों को दी गई मौत की सजा के खिलाफ भारत की ओर से अपील दायर की गई थी। विदेश मंत्रालय (एमईए) ने 9 नवंबर को कहा कि फैसला “गोपनीय” बना हुआ है, और कहा कि मामले में अपील दायर की गई थी। विदेश मंत्रालय ने सभी से मामले की संवेदनशील प्रकृति के कारण “अटकलों में शामिल होने” से परहेज करने का भी आग्रह किया, साथ ही कहा कि भारतीय दूतावास को 7 नवंबर को एक और कांसुलर पहुंच प्राप्त हुई। विदेश मंत्रालय के मुख्य प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पहले कहा, “कतर की अदालत ने एक फैसला सुनाया 26 अक्टूबर को अल दारा कंपनी के 8 कर्मचारियों से जुड़े मामले में।” बागची ने कहा कि सेवानिवृत्त नौसैनिकों को कतर की एक अदालत ने उन आरोपों में मौत की सजा सुनाई थी जिन्हें अभी तक आधिकारिक तौर पर सार्वजनिक नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, “वे (कानूनी टीम) अब आगे कानूनी कदम उठा रहे हैं और एक अपील पहले ही दायर की जा चुकी है।” “फैसला गोपनीय है और इसे केवल कानूनी टीम के साथ साझा किया गया है। वे अब आगे कानूनी कदम उठा रहे हैं और एक अपील पहले ही दायर की जा चुकी है।”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पहले साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ”हम इस मामले में कतरी अधिकारियों के साथ भी जुड़े रहेंगे। विदेश मंत्रालय कतरी अधिकारियों के साथ सक्रिय रूप से समन्वय कर रहा है और 7 नवंबर को कांसुलर पहुंच हासिल की है। इसके अलावा, विदेश मंत्री एस जयशंकर पूर्व नौसेना कर्मियों के परिवार के सदस्यों से भी मुलाकात की है, जिन्हें सजा सुनाई गई है। बागची ने मीडिया ब्रीफिंग के दौरान बताया, “7 नवंबर को, दोहा में भारतीय दूतावास को बंदियों तक एक और कांसुलर पहुंच प्राप्त हुई।” उनके परिवार के सदस्यों से भी संपर्क करें. विदेश मंत्री ने इस महीने की शुरुआत में नई दिल्ली में परिवार के सदस्यों से मुलाकात की।” आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मी दोहा स्थित निजी रक्षा सेवा प्रदाता, दहरा ग्लोबल के कर्मचारी थे। उन्हें कथित जासूसी के आरोप में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था। भारत ने फैसला सुनाया ‘बेहद चौंकाने वाला’ और इस मामले पर कतर के साथ जुड़ने के लिए सभी राजनयिक चैनलों को तैनात किया। बागची ने कहा, “हम कानूनी और कांसुलर समर्थन देना जारी रखेंगे और मैं सभी से आग्रह करूंगा कि वे मामले की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए अटकलों में शामिल न हों।” आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों के परिवार और दोस्त जल्द राहत की उम्मीद कर रहे हैं। कतर में मुकदमे पर किसी ठोस जानकारी के अभाव में, परिवारों को लगता है कि इस मुद्दे पर पश्चिम एशियाई मीडिया में बहुत सारी गलतफहमियां पैदा हो रही हैं।
कतर में हिरासत में लिए गए लोगों में से एक के करीबी रिश्तेदार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि पश्चिम एशिया में कई स्थानीय मीडिया आउटलेट्स द्वारा गलत जानकारी दी गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पूर्व नौसैनिकों पर कतर द्वारा संचालित पनडुब्बी परियोजना पर जासूसी करने का आरोप लगाया गया था। रिश्तेदार के मुताबिक, भारतीय नौसेना के पूर्व जवान जासूसी में नहीं लगे थे बल्कि देश के नौसैनिक कार्यक्रम में मदद के लिए कतर गए थे। कतर ने जासूसी के इन आरोपों को साबित करने के लिए कोई सबूत भी सार्वजनिक नहीं किया है। पूर्व नौसैनिकों के परिजनों ने कहा कि प्रसारित की गई गलत जानकारी उस स्थिति को और खतरे में डाल सकती है जिसमें उनके प्रियजन खुद को पाते हैं। परिजनों ने कहा कि आठ सेवानिवृत्त नौसैनिकों ने सर्वोच्च अखंडता और सम्मान के साथ देश की सेवा की, वे बेहद परेशान और सदमे में थे। उनकी साल भर की हिरासत से. उन्होंने कहा कि जिस बात ने उन्हें और अधिक आहत किया है वह यह है कि हिरासत की स्थिति को गलत तरीके से पेश किया गया है। परिवारों ने आग्रह किया कि मामले की रिपोर्ट की जाए और इसे अधिक संवेदनशीलता से संभाला जाए। गौरतलब है कि 30 अक्टूबर को हिरासत में लिए गए पूर्व नौसैनिकों के परिवारों ने विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात की थी, जिन्होंने उन्हें पूर्ण सरकारी समर्थन का आश्वासन दिया था।
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इंडिगो फ्लाइट्स में हो सकती है देरी, यात्री लेटेस्ट स्टेटस चेक कर घर से निकलें

नई दिल्ली, 8 दिसंबर: पिछले कुछ दिनों से इंडिगो एयरलाइन की फ्लाइट कैंसिल होने की वजह से यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल (आईजीआई) एयरपोर्ट ने सोमवार सुबह एडवाइजरी जारी की, जिसमें यात्रियों से फ्लाइट से जुड़ी ताजा स्टेटस चेक करने की अपील की गई है।
आईजीआई एयरपोर्ट ने सुबह 6.30 बजे एडवाइजरी जारी की। इसमें लिखा है कि इंडिगो की फ्लाइट्स में देरी हो सकती है। यात्रियों को सलाह दी जाती है कि किसी भी असुविधा से बचने के लिए एयरपोर्ट जाने से पहले अपनी एयरलाइन से फ्लाइट का लेटेस्ट स्टेटस चेक कर लें।
एडवाइजरी में लिखा है, “हमारी टीमें रुकावटों को कम करने और यात्रा को आसान बनाने के लिए सभी संबंधित लोगों के साथ मिलकर काम कर रही हैं। मेडिकल सहायता सहित किसी भी मदद के लिए कृपया इन्फॉर्मेशन डेस्क पर जाएं, जहां हमारा ग्राउंड स्टाफ आपकी मदद के लिए तैयार है।”
इसके अलावा एयरपोर्ट आने-जाने के लिए मेट्रो, बस और कैब जैसे कई पब्लिक ट्रांसपोर्ट के ऑप्शन उपलब्ध हैं। रियल-टाइम अपडेट और जरूरी जानकारी के लिए कृपया दिल्ली एयरपोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
इससे पहले केंद्रीय नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने रविवार को कहा था कि एविएशन नेटवर्क तेजी से सामान्य हो रहा है और परिचालन पूरी तरह से स्थिर होने तक सुधारात्मक उपाय जारी रहेंगे।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर की एक पोस्ट में बताया था, “पिछले चार दिनों में एयरपोर्ट्स पर यात्रियों की परेशानियों को कम करने के लिए लगातार कई पक्षों से बातचीत की गई है और इसके साथ रियल-टाइम में स्थिति पर निगरानी रखी जा रही है। सभी ऑपरेटरों, हवाईअड्डा निदेशकों, ग्राउंड-हैंडलिंग एजेंसियों और अन्य सभी पक्षकारों के साथ नियमित बैठकें आयोजित की गई हैं।”
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संविधान से पहले कैसी थी देश की शासन प्रक्रिया, संघ प्रमुख ने बताया क्यों पड़ी थी इसकी जरूरत

पानीपत, 6 दिसंबर: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को ‘भारतीय इतिहास, संस्कृति और संविधान’ कार्यक्रम में बताया कि संविधान से पहले देश में शासन की प्रक्रिया कैसी थी? इस कार्यक्रम का आयोजन हरियाणा के पानीपत में किया गया।
संघ प्रमुख ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज हमारे पास संविधान है। देश का शासन संविधान के माध्यम से होता है, लेकिन, क्या आप लोगों के जेहन में यह सवाल कभी आया है कि जब संविधान नहीं था, तो देश का शासन कैसा होता था? उन दिनों देश का शासन धर्म के जरिए होता था, क्योंकि मनुष्य पथभ्रष्ट नहीं हुआ था। जब मनुष्य पथभ्रष्ट हुआ, तो लोगों को संविधान की आवश्यकता महसूस हुई। आज उसी संविधान के आधार पर देश में शासन प्रक्रियाओं को संपन्न किया जा रहा है। प्राचीनकाल में देश का शासन संविधान से नहीं होता था, बल्कि धर्म से होता था। यहां पर मेरा धर्म से मतलब रिलिजन बिल्कुल भी नहीं है। रिलिजन और धर्म के बीच में अंतर होता है।
उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल में धर्म के आधार पर देश में शासन में होता था। धर्म के तहत सभी लोग एक-दूसरे को समृद्ध करने की विचारधारा में विश्वास रखते थे। लोगों को इस बात को मानते थे कि अगर हम समाज का संपूर्ण विकास चाहते हैं, तो इसके लिए हमें एक-दूसरे की समद्धि पर जोर देना होगा। इसी सिद्धांत के तहत धर्म के आधार पर देश या प्रदेश का शासन किया जाता था, लेकिन इसके बाद स्थिति इस कदर बदली कि लोगों को लोगों को राजा की आवश्यकता महसूस हुई। राजा देश को चलाने लगा। इस तरह से यहां से शासन की नई प्रक्रिया का जन्म हुआ।
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इसके बाद राजा के सामने भी यह प्रश्न आया कि आखिर वो देश को चलाए कैसे? यहीं से विधि व्यवस्था की शुरुआत हुई? जिसमें यह प्रावधान किया गया था कि किसी देश में शासन की प्रक्रिया कैसी होगी? लोगों की जरूरतों की पूर्ति कैसे होगी? और यह बात कैसे सुनिश्चित की जाएगी कि कैसे लोगों के हितों पर किसी भी प्रकार का कुठाराघात नहीं हो। इन्हीं सब स्थिति से निपटने के लिए नियमों के संग्रहण की सूची को संविधान कहा गया है। जिसके जरिए देश में किसी शासन की प्रक्रिया को संपन्न किया जाता है। इसके तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि किसी भी व्यक्ति के हितों पर किसी भी प्रकार का कुठाराघात नहीं हो।
वहीं, कार्यक्रम में मौजूद गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज की तारीख में भारतीय इतिहास को फिर से लिखना जरूरी हो जाता है। आखिर आज से 50 साल पहले किसने इस बात की कल्पना की थी कि भारत पुर्नजागरण के दौर से गुजरेगा। जवाब स्पष्ट है कि किसी ने भी नहीं की थी। ऐसी स्थिति में यह जरूरी हो जाता है कि भारतीय इतिहास का लेखन फिर से शुरू किया जाए।
प्रो. राघुवेंद्र तंवर ने कहा कि संविधान को समझने के लिए भारत एवं उसकी संस्कृति को समझना आवश्यक है। विभाजन ने भारतीय समाज को तोड़ दिया।
गोपाल नारायण सिंह ने कहा कि हजारों वर्षों के आक्रमण से इतिहास तितर-बितर हो गया है, किंतु इतिहास संकलन के प्रयास से इसे पुर्नलेखन के माध्यम से इकट्ठा करने का प्रयास किया जा रहा है, यह प्रयास सराहनीय है।
देवी प्रसाद सिंह जी ने ‘यदि संविधान की वाणी होती’ विषय पर लिखित अपनी कविता से भाव को स्पष्ट करते हुए बताया कि संविधान को भारतीय संस्कृति से अलग करके नहीं देखा जा सकता है।
राष्ट्रीय समाचार
केंद्र ने इंडिगो को जारी किए निर्देश, रविवार रात 8 बजे तक रिफंड प्रॉसेस पूरा करना किया अनिवार्य

INDGO
नई दिल्ली, 6 दिसंबर: नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने शनिवार को इंडिगो को सभी पेंडिंग पैसेंजर रिफंड बिना किसी देरी के जारी करने का निर्देश दिया है।
मंत्रालय की ओर से सभी रद्द और बाधित उड़ानों के लिए रिफंड प्रॉसेस को रविवार रात 8 बजे तक पूरा किए जाना अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके साथ ही, एयरलाइन्स को निर्देश जारी किए गए हैं कि वे उन यात्रियों से किसी तरह के रिशेड्यूलिंग चार्जेस न लें, जिनका ट्रैवल प्लान कैसेंलेशन से प्रभावित हुआ है।
मंत्रालय ने साफ किया है कि रिफंड प्रॉसेसिंग में किसी भी प्रकार की देरी या अनुपालन न होने पर तत्काल नियामक कार्रवाई की जाएगी।
मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में यात्रियों को उनके सामान लौटाए जाने के निर्देश दिए हैं।
बयान में कहा गया है कि इंडिगो की ओर से रद्द और डिले की गई उड़ानों के यात्रियों के सामान को ट्रेस किया जाए और इसके बाद उनके सामान को 48 घंटों के भीतर उनके पतों पर भेजा जाए।
एयरलाइन्स को ट्रैकिंग और डिलीवरी टाइमलाइन को लेकर यात्रियों से क्लिर कम्युनिकेशन मेंटेन करने को कहा गया है। साथ ही, मौजूदा यात्री अधिकार नियमों के तहत जरूरत पड़ने पर मुआवजा देने को भी कहा गया है।
मंत्रालय ने कहा कि निर्बाध शिकायत निवारण सुनिश्चित करने के लिए इंडिगो को डेडिकेटेड पैसेंजर सपोर्ट और रिफंड फैसिलिटेशन सेल्स स्थापित करने का निर्देश दिया गया है।
इन सेल्स को प्रभावित यात्रियों से कॉन्टैक्ट करने और यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि वे यात्रियों के रिफंड और दूसरे ट्रैवल अरेंजमेंट की प्रक्रियाओं को लेकर बिना मल्टीपल फॉलो-अप्स के सक्रियता से काम करें। परिचालन पूरी तरह से स्थिर होने तक ऑटोमेटिक रिफंड का सिस्टम एक्टिव रहेगा।
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस व्यवधान के दौरान यात्रियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एयरलाइन, हवाई अड्डों, सिक्योरिटी एजेंसियों और सभी परिचालन हितधारकों के साथ निरंतर कॉर्डिनेशन बनाए हुए है।
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