अपराध
पुणे पुलिस ने आर्यन ड्रग्स केस में गवाह किरण गोसावी को किया गिरफ्तार, 8 दिन की मिली हिरासत

पुणे पुलिस के एंटी एक्सटॉर्शन सेल (एईसी) ने 2 अक्टूबर को क्रूज पार्टी छापे में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के प्रमुख गवाह किरण पी गोसावी को गिरफ्तार कर लिया है। गौरतलब है कि गोसावी धोखाधड़ी के मामलों में वांछित है। पुणे के पुलिस आयुक्त अमिताभ गुप्ता ने मीडियाकर्मियों को बताया कि गोसावी को काटराज के एक लॉज से पकड़ा गया और पुलिस मुख्यालय लाया गया। पुलिस ने कोर्ट में पेश किया जहां कोर्ट ने गोसावी को 8 दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है..
गुप्ता ने गोसावी के बारे में कहा, “मैं स्पष्ट कर दूं। हमने उसे गिरफ्तार कर लिया है, उसने आत्मसमर्पण नहीं किया है।”
पुलिस के अनुसार, टेक-इंटेल से यह पता चला कि गोसावी मुंबई, नवी मुंबई, जलगांव, लखनऊ, हैदराबाद और देश के अन्य स्थानों में घूम रहा था और छुप रहा था, पुलिस दल उसका पीछा कर रही थी।
गुप्ता ने कहा, “कभी-कभी, उसने सचिन पाटिल के उपनाम का इस्तेमाल किया और विभिन्न स्थानों पर रहा। वह बहुत कुछ कह रहा है। आइए इस स्तर पर विवरण में न पड़े।”
जब यह पूछा गया कि गोसावी कई दिनों से आत्मसमर्पण करने की पेशकश कर रहा है, तो गुप्ता ने कहा, “वह ऐसा कह रहा था, लेकिन क्या उसने (आत्मसमर्पण) किया?”
उन्होंने कहा कि 2018 में दर्ज एक पुराने मामले में पकड़ा गया आरोपी, एक निजी जासूस होने का दावा कर रहा है। वह यह भी कह रहा है कि वह एक निर्यात-आयात व्यवसाय में, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के क्षेत्र में काम कर रहा है। हम इनसब चीजों की जांच करेंगे।
इससे पहले, पुणे पुलिस की विशेष टीमों ने गोसावी को शहर के बाहरी इलाके में गुरुवार सुबह लगभग 3.30 बजे पकड़ा।
उसे हिरासत में लिया गया और पुणे पुलिस मुख्यालय ले जाया गया, जहां गिरफ्तारी के बाद की औपचारिकताएं पूरी करने से पहले एक पुलिस लॉकअप में रखा गया, और पुणे के पुलिस उपायुक्त के नेतृत्व वाली एक टीम ने पूछताछ की।
गोसावी के खिलाफ मुंबई, ठाणे और पुणे में मामले दर्ज हैं और एनसीबी छापेमारी मामले में उसका नाम सामने आने के बाद वह राज्य से बाहर चला गया था और कथित तौर पर विभिन्न राज्यों में था।
लुकआउट नोटिस आने के बाद दो दिन पहले उसने लखनऊ में मध्यरात्रि को मंडियाव पुलिस (उत्तर प्रदेश) के सामने आत्मसमर्पण करने की घोषणा की, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी द्वारा शासित कम से कम दो राज्यों में पुलिस के सामने ‘आत्मसमर्पण के उसके प्रयास’ कथित तौर पर विफल रहे, और अंत में वह महाराष्ट्र पहुंचने में सफल रहा, जहां एईसी ने गुरुवार सुबह उसे पकड़ लिया।
गोसावी उन 10 लोगों में शामिल हैं, जिसे मुंबई में एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में बयान दर्ज करने के लिए एजेंसी की सतर्कता टीम ने तलब किया है।
अपराध
मुंबई में सनसनी: 4 साल की बच्ची के यौन उत्पीड़न के आरोप में गोरेगांव स्कूल का स्टाफ गिरफ्तार; POCSO एक्ट के तहत मामला दर्ज

मुंबई: गोरेगांव (पश्चिम) के लिंक रोड स्थित एक नामी स्कूल में 16 सितंबर को चार साल की बच्ची के साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है। गोरेगांव पुलिस ने स्कूल की 40 वर्षीय महिला सहायक कर्मचारी को गिरफ्तार किया है। डिंडोशी स्थित शहर की सिविल एवं सत्र अदालत ने आरोपी को 19 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।
पुलिस के मुताबिक, बच्ची की दादी उसे रोज़ाना स्कूल छोड़ने और लेने जाती थीं। सोमवार को जब उसकी दादी स्कूल से घर लौटने के बाद बच्ची के कपड़े बदल रही थीं, तो बच्ची ने शिकायत की कि उसके शरीर के एक खास हिस्से में दर्द हो रहा है।
इसके बाद, उसके माता-पिता ने स्कूल से संपर्क किया और प्रिंसिपल को सूचित किया, फिर जांच के लिए एक निजी अस्पताल गए और फिर शिकायत दर्ज कराने के लिए गोरेगांव पुलिस स्टेशन गए।
पुलिस ने पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर एक महिला सहायक कर्मचारी को गिरफ्तार कर लिया है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वे सीसीटीवी फुटेज की जाँच कर रहे हैं और आगे की जाँच जारी है। सूत्रों के अनुसार, पुलिस ने तीन महिला सहायक कर्मचारियों को पूछताछ के लिए बुलाया है।
अपराध
मालेगांव ब्लास्ट केस: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- बरी करने के फैसले के खिलाफ हर कोई अपील नहीं कर सकता

मुंबई, 16 सितंबर। महाराष्ट्र के मालेगांव में साल 2008 में हुए विस्फोट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक अहम टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने का अधिकार हर किसी को नहीं है। यह अधिकार उन्हीं को है जो ट्रायल में गवाह रहे हों या सीधे तौर पर पीड़ित पक्ष से जुड़े हों।
दरअसल, मालेगांव ब्लास्ट में मारे गए छह लोगों के परिजनों ने एनआईए की विशेष अदालत द्वारा दिए गए बरी करने के आदेश को चुनौती दी है। परिजन हाईकोर्ट पहुंचे और 31 जुलाई को एनआईए कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले को कानून के खिलाफ बताते हुए रद्द करने की मांग की।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या मृतकों के परिजनों को ट्रायल में गवाह बनाया गया था। अदालत ने विशेष रूप से अपीलकर्ता निसार अहमद के मामले का जिक्र किया, जिनके बेटे की मौत धमाके में हुई थी। पीड़ित पक्ष के वकील ने बताया कि निसार अहमद गवाह नहीं बने थे। इस पर अदालत ने कहा कि अगर बेटे की मौत हुई थी तो पिता को गवाह होना चाहिए था। कोर्ट ने निर्देश दिया कि बुधवार को अगली सुनवाई में इस बारे में पूरी जानकारी पेश की जाए।
अपीलकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा कि जांच एजेंसियों की खामियां या कमजोरियां किसी आरोपी को बरी करने का आधार नहीं हो सकतीं। उनका दावा है कि धमाके की साजिश गुप्त तरीके से रची गई थी, ऐसे में इसका प्रत्यक्ष सबूत मिलना संभव नहीं था।
परिजनों का आरोप है कि जब मामला एनआईए को सौंपा गया, तो एजेंसी ने आरोपियों के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों को कमजोर कर दिया। अपील में कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने अभियोजन की कमियों को दूर करने की बजाय केवल पोस्ट ऑफिस की तरह काम किया और उसका फायदा आरोपियों को मिला।
दरअसल, 31 जुलाई को विशेष एनआईए कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट मामले के सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया था। इनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल थे।
अपीलकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि अदालत को केवल मूक दर्शक नहीं बने रहना चाहिए था। जरूरत पड़ने पर उसे सवाल पूछने और अतिरिक्त गवाह बुलाने के अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए था। इस मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट में बुधवार को फिर से सुनवाई होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि पीड़ित परिवारों की अपील सुनवाई योग्य है या नहीं और ट्रायल में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण रही थी।
मालेगांव विस्फोट 29 सितंबर, 2008 की शाम को हुआ था, जब महाराष्ट्र के नासिक जिले के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर मालेगांव में भिक्कू चौक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे बम में विस्फोट हुआ था। रमजान के दौरान और नवरात्रि से कुछ दिन पहले हुए इस हमले में छह लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
अपराध
मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने 2.50 करोड़ रुपए की लूट का किया खुलासा, एक गिरफ्तार

CRIME
मुंबई, 16 सितंबर। मुंबई के गिरगांव में हुई 2.50 करोड़ रुपए की लूट का मुंबई क्राइम ब्रांच यूनिट 2 ने खुलासा कर दिया है। टीम ने लूट के आरोपी इब्राहिम शेख को मध्य प्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार किया है।
क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया कि खुफिया जानकारी और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर लूटकांड के मास्टरमाइंड शेख को गिरफ्तार किया गया। शेख के पास से लूट के 29.50 लाख रुपए भी बरामद हुए हैं। आरोपी मुंब्रा का रहने वाला है और घटना के बाद से फरार चल रहा था।
जांच में पता चला कि इब्राहिम ने अपने लहसुन के कारोबार में हुए घाटे को पूरा करने के लिए लूट की योजना बनाई थी। यह लूट 10 सितंबर को हुई थी। उसे किसी ने पिंटू के पैसा लाने की जानकारी पहले ही दे दी थी, जिसके बाद उसने लूट की योजना बनाई थी।
इब्राहिम ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर एक फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी बैजनाथ उर्फ पिंटू यादव की कार को रोककर उस पर हमला कर उसे बेहोश कर दिया था। आरोपी पिंटू के बेहोश होने के बाद उसके हाथ-पैर बांधकर 2.50 करोड़ रुपए लूटकर फरार हो गए थे।
फाइनेंस कंपनी के मालिक नारायण हरि महावीर प्रसाद हालन ने वीपी रोड पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था कि उसका कर्मचारी पिंटू पैसा लेकर जा रहा था। इस दौरान कुछ अज्ञात लोगों ने गिरगांव में एक निर्माणाधीन इमारत के नीचे रुपए लूट लिए। अस्पताल में जब पिंटू को होश आया तो उसने पूरे मामले की जानकारी दी।
शिकायत के आधार पर मामला दर्ज करके जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई। इसके बाद मुंबई क्राइम ब्रांच यूनिट 2 ने मुखबिर की सूचना, सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल्स के आधार पर इब्राहिम शेख को मध्य प्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस इब्राहिम से पूछताछ कर रही है और उसका आपराधिक रिकॉर्ड भी पता कर रही है। यह भी पता किया जा रहा है कि इससे पहले वह किन-किन घटनाओं में शामिल था और उसके गिरोह में कितने लोग शामिल हैं और वे सब कहां हैं। पुलिस उस व्यक्ति की भी तलाश कर रही है, जिसने पिंटू की जानकारी दी थी।
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