राजनीति
बिहार की 243 सीटों पर चल रही तैयारी, नीतीश को लेकर कोई मतभेद नहीं : लोजपा

बिहार में नवंबर में संभावित विधानसभा चुनाव को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी(लोजपा) एक्शन मोड में आ चुकी है। पार्टी ने सभी 243 विधानसभा सीटों पर तैयारियां तेज की हैं। पार्टी ने यह भी साफ कर दिया है कि एनडीए की ओर से बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा नीतीश कुमार को बनाए जाने को लेकर पार्टी नाराज नहीं है। पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ए.के. वाजपेयी ने आईएएनएस से कहा कि नीतीश सरकार की कमियों पर सवाल उठाने को नाराजगी से जोड़कर देखना उचित नहीं है। हम सवाल इसलिए उठाते हैं ताकि सरकार में सुधार हो। प्रवासी मजदूरों की समस्या को लेकर नीतीश सरकार को और गंभीर होना चाहिए।
लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और मुख्य प्रवक्ता ए.के. वाजपेयी ने आईएएनएस से कहा, “243 विधानसभा सीटों पर तैयारियों का मतलब यह नहीं है कि हम अकेले चुनाव लड़ेंगे। बल्कि हम तैयारी इसलिए कर रहे हैं कि एनडीए का जो भी उम्मीदवार इन सीटों पर लड़े, उसका हम सहयोग कर सकें। सीटों का बंटवारा बाद में होगा, लेकिन हम चुनाव की घोषणा होने से पहले हर सीट पर अपनी तैयारी पूरी कर लेना चाहते हैं। बूथ लेवल तक तैयारियां चल रहीं हैं।”
ए.के. वाजपेयी ने एनडीए में रहकर भी लोजपा की ओर से समय-समय पर सवाल उठाने से होने वाले फायदे को एक उदाहरण से समझाया।
उन्होंने कहा, “जब एससी-एसटी एक्ट को कमजोर किया गया था, तब लोक जनशक्ति पार्टी ने इसके खिलाफ स्टैंड लिया था। बीजेपी के नेताओं से बात की, जिससे मामला ठीक हो सका। इस नाते मेरा मानना है कि सवाल उठाने से कमियां दुरुस्त होतीं हैं। आज अगर बिहार में प्रवासी मजदूरों की समस्याएं हैं तो उस पर सवाल उठाने में कोई बुराई नहीं है।”
लोक जनशक्ति पार्टी एक करोड़ सदस्य बनाने का टारगेट लेकर चल रही है। मार्च में लॉकडाउन लगने तक पार्टी 31 लाख सदस्य बनाने में सफल रही थी। लॉकडाउन के कारण पार्टी का सदस्यता अभियान ठप हो गया। अब लॉकडाउन धीरे-धीरे खुलने के बाद पार्टी फिर से चुनावी अभियान में जुट गई है। लगातार बैठकें चल रहीं हैं। बीते तीन जून को राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की अध्यक्षता में पार्टी की सेंट्रल कमेटी की बैठक हुई थी, जिसमें सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनावी तैयारियों की चर्चा हुई। इसके बाद पांच जून को बिहार प्रदेश इकाई के पदाधिकारियों के साथ चिराग पासवान ने चुनावी तैयारियों की समीक्षा की। रविवार यानी सात जून को राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान जिलाध्यक्षों की ऑनलाइन मीटिंग लेंगे।
दरअसल, हाल में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने एक बयान में कहा था कि ‘चेहरा कौन होगा, गठबंधन का नेता कौन होगा, यह सब गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी तय करेगी’, इस बयान के बाद माना जा रहा था कि नीतीश कुमार को एनडीए का चेहरा बनाए जाने को चिराग पासवान पसंद नहीं कर रहे हैं। इस बयान के मायने इसलिए भी तलाशे जा रहे थे कि जब भाजपा नेता अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पहले ही साफ कर चुके हैं कि एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बिहार चुनाव के मैदान में उतरेगी तो फिर चेहरा तय करने की बात चिराग क्यों कर रहे हैं।
हालांकि, अब लोक जनशक्ति पार्टी ने ऐसी सभी अटकलों को विराम दे दिया है। क्या बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में लोजपा चुनाव में उतरने को तैयार है? इस सवाल पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वाजपेयी ने कहा, “निश्चित तौर पर हम उनके नेतृत्व में चुनाव में उतरेंगे। एनडीए में भाजपा जो फैसला लेगी हम हर उस फैसले के साथ हैं। केंद्र में हम भाजपा के साथ हैं तो बिहार में भी हम तीनों भाई-भाई हैं।”
राजनीति
वक्फ बिल से मुसलमानों को फायदा, विपक्ष कर रहा गुमराह : शहाबुद्दीन रजवी

बरेली, 2 अप्रैल। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के प्रमुख मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बुधवार को कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक से मुसलमानों को कोई खतरा नहीं है, बल्कि इससे उन्हें काफी लाभ होगा। उन्होंने दावा किया कि कुछ राजनीतिक समूह विधेयक के बारे में अनावश्यक भय फैलाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं।
रजवी ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक बिना किसी व्यवधान के पारित हो जाएगा। विपक्ष निश्चित रूप से हंगामा करेगा क्योंकि वह वोट बैंक की राजनीति करना चाहता है, इसलिए वह अपने वोट बैंक को बनाए रखने के लिए निश्चित रूप से हंगामा करेगा।”
इस बिल से मुस्लिम समुदाय को नुकसान पहुंचने की आशंकाओं को खारिज करते हुए उन्होंने कहा, “वक्फ (संशोधन) विधेयक से मुसलमानों को कोई खतरा नहीं है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) और राजनीतिक समूहों से जुड़े अन्य लोग मुसलमानों को डरा रहे हैं, उन्हें गुमराह कर रहे हैं, अफवाहें फैला रहे हैं और गलतफहमियां पैदा कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा, “हालांकि, मैं मुसलमानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि न तो उनकी मस्जिदें और न ही ईदगाह, दरगाह या कब्रिस्तान छीने जाएंगे। यह केवल और केवल एक अफवाह है।”
बिल के फायदों पर प्रकाश डालते हुए रजवी ने कहा, “संशोधन लागू होने के बाद होने वाली आय गरीब, कमजोर, असहाय, धर्मपरायण और विधवा मुसलमानों पर खर्च की जाएगी। इससे उनकी तरक्की और विकास होगा। शिक्षा के क्षेत्र में काम किया जाएगा और इससे होने वाली आय से स्कूल, कॉलेज, मदरसे और मस्जिद खोले जाएंगे और उनका रखरखाव किया जाएगा।”
विधेयक के उद्देश्य के बारे में विस्तार से कहा, “हमारे बुजुर्गों की कल्पना के अनुसार वक्फ का उद्देश्य यह था कि इससे होने वाली आय को जनकल्याण कार्यों में लगाया जाए। लेकिन भ्रष्टाचार के कारण ऐसा नहीं हो सका।”
उन्होंने कहा, “अब यह नया विधेयक भ्रष्टाचार को रोकेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि पैसा वैध उद्देश्यों पर खर्च हो। यह मुसलमानों की तरक्की के लिए है, जिन्हें इससे लाभ होगा। निजी लाभ के लिए करोड़ों रुपये की वक्फ बोर्ड की जमीनों की अवैध बिक्री पर रोक लगेगी और आय का उपयोग सही उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।”
विधेयक के पारित होने की आशा व्यक्त करते हुए, रजवी ने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह विधेयक संसद के दोनों सदनों, लोकसभा और राज्यसभा में पारित हो जाएगा और यह मुसलमानों के हित में साबित होगा, तथा लोगों के कल्याण के लिए एक मील का पत्थर बनेगा।”
रजवी ने इससे पहले भी कई मुस्लिम समूहों और राजनीतिक दलों पर इस बिल के बारे में समुदाय को गुमराह करने का आरोप लगाया है। उन्होंने एआईएमपीएलबी पर अपने मूल उद्देश्य से भटकने और राजनीतिक एजेंडों से प्रभावित होने का भी आरोप लगाया है।
महाराष्ट्र
मुंबई के बांद्रा वर्ली सी लिंक टोल की दरें 1 अप्रैल से 18% तक बढ़ जाएंगी

मुंबई: महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम ने 1 अप्रैल से मुंबई के बांद्रा वर्ली सी लिंक के लिए टोल शुल्क में 18% की वृद्धि की घोषणा की है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, टोल दरों में यह वृद्धि केवल एकतरफा यात्रा तक ही सीमित है।
बढ़ी हुई दरों के लागू होने के बाद, सोमवार से कारों और जीपों को मौजूदा 85 रुपये से बढ़कर 100 रुपये देने होंगे।
दूसरी ओर, मिनीबस, टेम्पो और इसी तरह के वाहनों को 160 रुपये देने होंगे। पहले, इन वाहनों को 130 रुपये देने पड़ते थे।
दो-धुरी वाले ट्रकों को वर्तमान में 175 रुपये देने पड़ते हैं, लेकिन कल से उन्हें एकतरफा यात्रा के लिए 210 रुपये देने पड़ेंगे।
पुरानी दरें अप्रैल 2021 में लागू की गई थीं। नई दरें तीन वर्षों के लिए – 1 अप्रैल से 31 मार्च, 2027 तक – प्रभावी रहेंगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएसआरडीसी अधिकारियों ने मोटर चालकों के लिए 10% और 50 और 100 टोल कूपन वाली पुस्तिकाओं की खरीद पर 20% की छूट की घोषणा की है।
बांद्रा-वर्ली सी लिंक को 2009 में जनता के लिए खोला गया था। केबल-स्टेड ब्रिज का नाम पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के नाम पर रखा गया था। यह मुंबई के वर्ली और बांद्रा को जोड़ता है, जिससे यात्रियों के लिए दादर, माहिम, प्रभादेवी और वर्ली इलाकों में भीड़भाड़ से बचना आसान हो जाता है।
यात्रियों को बड़ी राहत देते हुए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुंबई कोस्टल रोड का उद्घाटन किया। 9.6 किलोमीटर लंबा हाई-स्पीड कॉरिडोर वर्ली को मरीन ड्राइव से भी जोड़ता है।
कोस्टल रोड का निर्माण बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) द्वारा किया गया है।
इसमें मौजूदा बांद्रा वर्ली सी लिंक के माध्यम से दक्षिण मुंबई में मरीन ड्राइव क्षेत्र को पश्चिमी उपनगर कांदिवली से जोड़ने का प्रस्ताव है और इससे मुंबई के उत्तर की ओर जाने वाले यातायात में आसानी होने की उम्मीद है।
राजनीति
वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में होगा पेश, भाजपा-कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने जारी किया व्हिप

नई दिल्ली, 2 अप्रैल। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 बुधवार को निचले सदन लोकसभा में पेश होगा। इस पर चर्चा के लिए स्पीकर ओम बिरला ने 8 घंटे का समय निर्धारित किया है। वक्फ अधिनियम, 1995 में पहली बार संशोधन नहीं किया जा रहा है। इस कानून में 2013 में यूपीए की सरकार के समय भी संशोधन हुए थे।
बिल पर बहस के लिए सत्ताधारी गठबंधन को 4 घंटे 40 मिनट का समय दिया गया है। लोकसभा में बहस के लिए भाजपा, कांग्रेस, जदयू, टीडीपी समेत पार्टियों ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी कर दिया है।
मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने दोहराया कि सरकार बिल पर चर्चा चाहती है और इस पर सभी राजनीतिक दलों को बोलने का अधिकार है। देश भी जानना चाहता है कि किस पार्टी का क्या स्टैंड है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर विपक्ष चर्चा में शामिल नहीं होना चाहता तो ऐसा रोकने से उन्हें कोई रोक भी नहीं सकता।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में कहा गया है कि वर्ष 2013 में अधिनियम में व्यापक संशोधन किए गए थे।
इसमें आगे कहा गया है, “संशोधनों के बावजूद, यह देखा गया है कि राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण, अतिक्रमणों को हटाने, वक्फ की परिभाषा सहित संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए अधिनियम में अब भी और सुधार की आवश्यकता है।”
इसमें कहा गया है कि 2013 में अधिनियम में संशोधन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों और वक्फ और केंद्रीय वक्फ परिषद पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर और अन्य हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्श के बाद किया गया था।
विधेयक 2024 का एक प्रमुख उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करना है।
बता दें, केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में करीब 40 बदलाव करना चाहती है। एक अहम बदलाव वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश हो सकता है। इसका मकसद महिलाओं और अन्य मुस्लिम समुदाय की सहभागिता को बढ़ाना है। साथ ही नए बिल में बोर्ड पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाया जा सकता है।
विधेयक पर चर्चा और उसके बाद उसे मंजूरी मिलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार द्वारा निचले सदन में एनडीए की संख्यात्मक श्रेष्ठता का दावा करने के लिए शक्ति प्रदर्शन के अवसर के रूप में भी देखा जा रहा है।
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