राजनीति
नीट-जेईई पर राजनीतिक युद्ध : विपक्षी मुख्यमंत्री बनाम केंद्र

कोरोना वायरस महामारी के बीच राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) और संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) को आयोजित किए जाने या इसे स्थगित कर देने को लेकर राजनीतिक उठा-पटक का माहौल बना हुआ है। इसने एक राजनीतिक अवसरवाद को जन्म दिया है, क्योंकि ममता बनर्जी, सोनिया गांधी और उद्धव ठाकरे सहित अधिकांश विपक्षी नेता केंद्र पर निशाना साधने के लिए एकजुट हुए हैं। केंद्र को असंवेदनशील कहते हुए, प्रमुख विपक्षी पार्टियों के मुख्यमंत्रियों ने एक साथ आकर इस शैक्षणिक मामले को एक राजनीतिक खेल का मैदान बना दिया है। यह मामला अब विपक्षी मुख्यमंत्री बनाम केंद्र का रूप ले चुका है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के हेमंत सोरेन और शिवसेना के उद्धव ठाकरे इस मुद्दे पर मुखर हो चुके हैं। वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा है कि भारत सरकार को सभी पक्षों को सुनना चाहिए और एक स्वीकार्य समाधान ढूंढना चाहिए।
इस सप्ताह की शुरुआत में महाराष्ट्र के पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखते हुए छात्रों और उनके परिवारों के लिए स्वास्थ्य जोखिमों के मद्देनजर परीक्षाओं को स्थगित करने के लिए उनका व्यक्तिगत हस्तक्षेप करने की मांग की।
सोनिया ने कहा है कि छात्रों की समस्या और परीक्षा का मुद्दा केंद्र सरकार द्वारा हल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही ममता बनर्जी ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्रियों को संयुक्त रूप से सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए कहा।
बुधवार की बैठक में उन्होंने कहा, “परीक्षाएं सितंबर में हैं। छात्रों के जीवन को जोखिम में क्यों डाला जाना चाहिए? हमने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।”
वर्चुअल बैठक में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पूर्व सहयोगी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोनिया, ममता और अन्य लोगों से कहा, “पहले हमें तय करना होगा ‘डरना है कि लड़ना है, लड़ना है तो लड़ना है।’ अगर हम लड़ने का फैसला करते हैं, तो हम बेहतर लड़ाई करते हैं।”
कांग्रेस ने इन परीक्षाओं के विरोध में राज्य और जिला मुख्यालयों में केंद्र सरकार के कार्यालयों के सामने शुक्रवार सुबह विरोध प्रदर्शन करने का भी फैसला किया है। इसी विरोध को दोहराते हुए कांग्रेस सांसद और एआईसीसी महासचिव के. सी. वेणुगोपाल ने बुधवार को केंद्र को असंवेदनशील और नासमझ कहा।
इस बीच कांग्रेस की छात्र इकाई एनएसयूआई केंद्र द्वारा इस ‘एकतरफा कदम’ के खिलाफ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल की भी योजना बना रही है।
इसे केंद्र सरकार का नासमझ और तानाशाहीपूर्ण कदम करार देते हुए, कांग्रेस की राज्य इकाइयों ने संगठित ऑनलाइन अभियान, ‘स्पीक अप फॉर स्टूडेंट सेफ्टी’ के साथ विरोध प्रदर्शनों को भी ऑनलाइन करने का फैसला किया है, जहां इस फैसले के खिलाफ वीडियो और अन्य सामग्री पार्टी के विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर पोस्ट होगी।
महाराष्ट्र में राज्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि परीक्षाएं बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन छात्रों का स्वास्थ्य और सुरक्षा भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
चव्हाण ने कहा, “चूंकि कोरोनोवायरस अभी तक नियंत्रण में नहीं आया है, इसलिए जेईई-नीट परीक्षा को स्थगित करने की मांग निश्चित रूप से उचित है।” चव्हाण ने कहा कि केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे पर पुनर्विचार करना चाहिए।
सत्तारूढ़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेताओं के साथ शिवसेना की युवा शाखा युवा सेना का नेतृत्व करने वाले आदित्य ठाकरे ने एक कदम आगे बढ़कर पूरे शैक्षणिक वर्ष को स्थगित करने की मांग की है।
हालांकि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला देते हुए अपना पक्ष रख रहा है। शीर्ष अदालत ने स्थगन की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था और सुझाव दिया था कि परीक्षा स्थगित करना कोई समाधान नहीं है।
गैर-कांग्रेस और गैर-भाजपा मुख्यमंत्री, जिन्होंने संसद में पारंपरिक रूप से भाजपा की मदद की है, वह भी सत्तारूढ़ सरकार के लिए परेशानी बन गए हैं। इनमें ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक हैं जो परीक्षा स्थगित किए जाने के पक्ष में हैं।
पटनायक ने गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी से अपने राज्य के कई हिस्सों में कोविड-19 की स्थिति और बाढ़ के मद्देनजर जेईई मेन और नीट परीक्षाओं को स्थगित करने का अनुरोध किया। इससे पहले, मुख्यमंत्री ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को पत्र लिखकर उनसे दोनों परीक्षाओं को स्थगित करने का अनुरोध किया था।
लेकिन राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के वर्तमान महानिदेशक विनीत जोशी के पास असहमत होने के अपने कारण हैं। उन्होंने कहा, “पहले परीक्षाएं अप्रैल-मई में आयोजित की जाती थीं। महामारी के कारण हमने इसे जुलाई तक स्थगित कर दिया था। फिर छात्रों की मांग पर इसे सितंबर तक के लिए स्थगित कर दिया गया था। अब, अगर हम चाहते हैं कि ये परीक्षाएं हों तो इन्हें सितंबर में ही पर्याप्त व्यवस्थाओं के साथ आयोजित किया जाना चाहिए। हम कब तक स्थगित कर सकते हैं?”
महाराष्ट्र
आईएसआई एजेंट ज्योति मल्होत्रा की मुंबई यात्रा, वह किन लोगों से मिली यात्रा के दौरान, कहां रुकी और किसने सहायता प्रदान की, जांच जारी

मुंबई: मुंबई पाकिस्तानी जासूस ज्योति मल्होत्रा ने भी मुंबई में निरीक्षण किया। ज्योति की जांच के दौरान यह बात सामने आई। ज्योति ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए महत्वपूर्ण स्थानों की गुप्त सूचनाएं और विवरण एकत्र किए थे। ज्योति ने यात्रा कार्यक्रम से संबंधित गतिविधियों को यूट्यूब पर अपलोड करके पाकिस्तान में भारतीय स्थानों का विवरण भी उपलब्ध कराया है। ज्योति की मुंबई यात्रा के बाद अब एजेंसियों ने उनकी यात्रा से संबंधित विवरण एकत्र करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। ज्योति ने 2023 में मुंबई का दौरा किया था और इस दौरान उन्होंने तीन शहरों का भी दौरा किया था।
ज्योति का मोबाइल फोन और लैपटॉप भी जब्त कर लिया गया है। ज्योति 12 मई 2023 को राजधानी एक्सप्रेस से मुंबई आईं. 14 मई को उन्होंने शहर में कई स्थानों का दौरा किया। वह फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी भी करती थीं। वह 20 जुलाई 2023 को गरीब रथ एक्सप्रेस से मुंबई पहुंचीं और कुछ दिनों तक कई स्थानों का विवरण रिकॉर्ड किया और एकत्र किया। वह 3 अक्टूबर 2023 को विमान से मुंबई आईं और 22 दिन तक यहां रहीं। इस दौरान उन्होंने मेट्रो ट्रेन और अन्य साधनों से मुंबई की यात्रा भी की। वीडियोग्राफी और ट्रॉपिकल चैनल ने 25 अक्टूबर 2024 को विमान से दिल्ली की यात्रा, मुंबई की तीन यात्राएं और शहर का निरीक्षण और अवलोकन, जुलाई में लक्जरी बस द्वारा मुंबई की यात्रा, अगस्त में कांकोली एक्सप्रेस द्वारा अहमदाबाद की यात्रा और 2024 में पंजाब मेल द्वारा दिल्ली की यात्रा का विवरण भी साझा किया। ज्योति जांच में कई महत्वपूर्ण खुलासे कर रही हैं।
मुंबई यात्रा के दौरान उन्होंने लालबाग के राजा के दर्शन भी किए। मुंबई यात्रा के दौरान उसने यहां किससे संपर्क किया और इसके पीछे क्या मकसद था, इसकी जांच की जा रही है। ज्योति ने न केवल भारत की यात्रा की है, बल्कि उन्होंने विभिन्न देशों की भी यात्रा की है। यहां तक कि पाकिस्तान में आईएसआई ने भी उनकी मेजबानी की है। उसने भारत के बारे में कई गुप्त जानकारियां पाकिस्तान को दी हैं। इतना ही नहीं, यह भी पता लगाने के लिए जांच जारी है कि ज्योति ने मुंबई यात्रा के दौरान पाकिस्तान को महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की क्या जानकारी और विवरण दिया है, तथा ज्योति के सहयोगियों और संपर्कों से पूछताछ की प्रक्रिया भी जारी है। एनआईए भी ज्योति से पूछताछ कर रही है।
राजनीति
संजय राउत ने राहुल गांधी के सवाल को बताया जनता की आवाज, बोले- पाकिस्तान पर नहीं कर सकते भरोसा

मुंबई, 23 मई। शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने शुक्रवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्र की मोदी सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सवालों का समर्थन करते हुए कहा कि राहुल गांधी ने जो सवाल पूछे हैं, वे देश के 140 करोड़ लोगों के मन की बात है।
संजय राउत ने कहा, “राहुल गांधी ने पूछा है कि पाकिस्तान पर भरोसा क्यों करें? यह सवाल गलत कैसे हो सकता है? पूरा विश्व जानता है कि पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सिर्फ भाजपा के ट्रोलर्स को ही शायद यह सवाल नहीं समझ आता।”
संजय राउत ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “ट्रंप से भारत को क्या फायदा हुआ? ट्रंप ने तो भारत को नुकसान ही पहुंचाया। हमारा आतंकवाद के खिलाफ युद्ध जमीन हड़पने के लिए नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा के लिए था। हमने पाकिस्तान से आतंकवाद खत्म करने के लिए लड़ाई शुरू की थी, लेकिन ट्रंप ने हमारा साथ देने के बजाय नुकसान पहुंचाया। राहुल गांधी का यह सवाल जनता की आवाज है। अगर राहुल गांधी ने यह सवाल पूछा है, तो मैं समझता हूं कि यह जनता के मन की बात है।”
संजय राउत ने आगे कहा, “हमारा खून खौलता है। हमारी रगों में देशभक्ति और भारत प्रेम का खून दौड़ता है। जब हमारे 26 निर्दोष लोग मारे गए, जब हमारी महिलाओं का सिंदूर मिटा, तब भी हमारा खून खौलता है। हमारे पास खून के अलावा कुछ नहीं, और वही खून देश के लिए बहता है।”
संजय राउत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, “क्या भाजपा डोनाल्ड ट्रंप की पोस्टर बॉय बन गई है? राहुल गांधी ने क्या गलत सवाल पूछा है? पहले सवाल को समझिए। जब आपको सवाल की समझ नहीं होती तो आपको विपक्ष के सांसदों को विदेश भेजना पड़ता है ताकि वे देश की भूमिका स्पष्ट करें।”
उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के बयान पर भी आपत्ति जताई, जिसमें शरीफ ने कहा था कि उन्होंने 1971 की हार का बदला ले लिया है। उन्होंने कहा, “मैंने देखा है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्होंने 1971 की हार का बदला ले लिया है। यह कहने की हिम्मत उन्हें कैसे हो गई? 1971 में जब इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान को हराया था, तब भी पाकिस्तान की भाषा ऐसी नहीं थी। 1965 में लाल बहादुर शास्त्री के नेतृत्व में हमने पाकिस्तान को लोहे के चने चबवाए थे। तब भी उनके नेताओं की भाषा इतनी उग्र नहीं थी। लेकिन आज मोदी सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ कह रहे हैं कि उन्होंने भारत से 1971 का बदला लिया है, यह सरकार के लिए शर्म की बात है।”
तमिलनाडु में टीएएसएमएसी छापों को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को सुप्रीम कोर्ट की फटकार पर राउत ने कहा, “ईडी भाजपा, पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का हथियार है। मैं भी ईडी का शिकार रहा हूं। मेरे जैसे कई लोग इससे गुजर चुके हैं। जब तक ईडी है, तब तक मोदी-शाह और भाजपा का राज है।”
राजनीति
मध्य प्रदेश के स्कूली पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल करने की उठी मांग

भोपाल 23 मई। भारतीय सेना ने अपने शौर्य और पराक्रम के बल पर पाकिस्तान को सबक सिखाया है। मध्य प्रदेश के राजनेताओं ने मांग की है कि स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए। ताकि ऑपरेशन सिंदूर के बारे में अगली पीढ़ी जान सके।
दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राज्य के भाजपा और कांग्रेस के नेता ऑपरेशन सिंदूर को भारतीय सेना की बड़ी सफलता मानते हैं। उनका मानना है कि सेना के शौर्य और पराक्रम को अगली पीढ़ी को भी जानना जरूरी है। यह तभी संभव है जब स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया जाए।
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने ऑपरेशन सिंदूर को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय पहले ही ले लिया है। ऐसे ही भोपाल से भाजपा के सांसद आलोक शर्मा ने ऑपरेशन सिंदूर को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने की मांग करते हुए कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर को स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाए जाने से आने वाली पीढ़ी को पता चलेगा कि किस प्रकार से देश की सेना के वीर सैनिकों ने हिंदुस्तान की रक्षा की और पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया।
उन्होंने आगे कहा कि पूरा देश सिंदूर विजय का उत्सव मना रहा है, जगह-जगह तिरंगा यात्राएं निकाली जा रही हैं, देश की जनता अपनी सेना का आभार व्यक्त कर रही है और देश के कई हिस्सों के पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल किया जा रहा है। इसलिए मध्य प्रदेश में भी इसे स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जाए।
वहीं भोपाल के हुजूर क्षेत्र से भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा है कि हमारी सेना ने उतनी देर में आतंकवादियों के नौ ठिकानों को नष्ट कर दिया जितनी देर में हम होटल में नाश्ता करते हैं। स्वदेशी हथियारों से दुश्मन के ठिकानों को कब्र में बदल दिया। अगली पीढ़ी इसे जान सके, इसके लिए जरूरी है कि स्कूल के पाठ्यक्रम में ऑपरेशन सिंदूर को शामिल किया जाए।
भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरा देश एक साथ खड़ा था और इस दौरान भारत की ओर से लड़ी गई आजादी की लड़ाई की याद आ गई। भारत की दो महिला सैन्य अधिकारियों ने जिस तरह से देश का प्रतिनिधित्व किया, उसे भुलाया नहीं जा सकता। इसलिए ऑपरेशन सिंदूर को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। साथ में यह भी शामिल किया जाना चाहिए कि मध्य प्रदेश के दो मंत्रियों ने किस तरह से महिला सैन्य अधिकारी का अपमान किया था, जिस पर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की, बल्कि हाई कोर्ट ने कार्रवाई के निर्देश दिए।
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