राजनीति
पीएम मोदी पहुंचे अयोध्या, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने किया स्वागत

भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को रामनगरी अयोध्या पहुंच गए हैं। इस दौरान उनका स्वागत राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी ने किया।
आज अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे समेत 16 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं की सौगात देंगे। पीएम रेलवे स्टेशन पर नए भवन का लोकार्पण करने के साथ छह वंदे भारत और दो अमृत भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाएंगे। यहां रोड शो करते हुए अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे। इस दौरान जगह-जगह नागरिक, साधु-संत व वेदपाठी बटुकों की ओर से शंखध्वनि के साथ पुष्पवर्षा कर उनका स्वागत किया जाएगा। ट्रेनों का उद्घाटन करने के बाद 12:30 बजे एयरपोर्ट लौटेंगे।
उत्तर प्रदेश समेत देश-दुनिया की आध्यात्मिक आस्था का केंद्र रहे अयोध्या के नवनिर्माण की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर शनिवार को उस वक्त रखा जाएगा, जब पीएम मोदी अयोध्या में 16 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाएं देश को समर्पित करेंगे।
सरकार की तरफ से मिली जानकारी के अनुसार पीएम रेलवे स्टेशन पर नए भवन का लोकार्पण करने के साथ छह वंदे भारत और दो अमृत भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाएंगे। यहां से करीब 15 किमी लंबा रोड शो करते हुए अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे। रेलवे स्टेशन से पीएम मोदी फिर वापस 12:30 बजे एयरपोर्ट आएंगे और निरीक्षण करेंगे।
इसके बाद वह पास में स्थित मैदान में दोपहर एक बजे जनसभा को संबोधित करेंगे। जनसभा में ही एयरपोर्ट समेत 1600 करोड़ के लागत की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करेंगे। इसमें प्रमुख रूप से राम पथ, भक्ति पथ, धर्म पथ, एनएच-27 बाईपास से रामजन्मभूमि हाईवे और बड़ी बुआ रेलवे ओवरब्रिज का लोकार्पण शामिल है। इस दौरान शुक्रवार से ही यहां उच्चस्तरीय सुरक्षा प्रबंध प्रभावी कर दिए गए।
रात से ही अयोध्या में वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित हो गया। साधु-संत व आमजन रामनगरी में प्रधानमंत्री का अभिनंदन करेंगे। कहीं स्वस्तिवाचन तो कहीं शंख व डमरू की नाद से पीएम का अभूतपूर्व स्वागत किया जाएगा।
धर्मपथ से रामपथ तक अयोध्या फूलों से महक उठी है और पूरे पथ पर दर्शकदीर्घा पीएम पर पुष्पवर्षा करेगी।
सोहावल नवाबगंज होते हुए विक्रमजोत बाईपास (रिंग रोड), अयोध्या रेलवे धाम स्टेशन फेज-दो, 30 एकड़ क्षेत्रफल मेगा फाउंटेन एवं मल्टी मीडिया शो, 32 एकड़ में वशिष्ठकुंज आवासीय योजना, 84 कोसी, 14 कोसी व पंचकोसी परिक्रमा मार्ग को चौड़ा किया जाना, सुधार एवं विकास, अयोध्या सोलर सिटी, अयोध्या नगर निगम व अयोध्या विकास प्राधिकरण कार्यालय, अकबरपुर से रेलवे लाइन का दोहरीकरण, सीता झील में वैज्ञानिक तरीके से लिगेसी वेस्ट का निस्तारण, धर्मपथ के किनारे 25 स्थानों पर सूर्य स्तंभ, एनिमल बर्थ कंट्रोल (ब्रीडिंग आफ डाग्स), रायबरेली रोड पर कल्याण मंडप, सआदतगंज चौराहा पर प्रवेशद्वार, धर्मपथ पर प्रवेशद्वार, गुप्तारघाट के तीसरे चरण के प्रस्तावित कार्य, बैकुंठधाम का संवर्धन व विकास, राम की पैड़ी पर दीपोत्सव एवं अन्य मेले एवं महोत्सवों के लिए दर्शक दीर्घा का निर्माण, डा. भीमराव अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय खेल परिसर, रेलवे क्रासिंगों के ओवरब्रिज आदि हैं।
राष्ट्रीय समाचार
‘हे आमचा महाराष्ट्र आहे’: मुंबई लोकल ट्रेन में महिला ने सह-यात्री को मराठी बोलने के लिए मजबूर किया;

मुंबई: मुंबई की एक भीड़ भरी लोकल ट्रेन में दो महिलाओं के बीच हुई तीखी बहस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे महाराष्ट्र में भाषा, क्षेत्रीय पहचान और सार्वजनिक व्यवहार को लेकर व्यापक चर्चा शुरू हो गई है।
वीडियो में, एक महिला अपने बच्चे को गोद में लिए हुए एक साथी यात्री को मराठी में बात करने के लिए मजबूर करती हुई दिखाई दे रही है। बताया जा रहा है कि यह झगड़ा तब शुरू हुआ जब उसने दूसरी महिला को मराठी भाषा न बोलने के लिए टोका और तर्क दिया कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा बोली जानी चाहिए। मामला तेज़ी से बिगड़ गया और दोनों महिलाएँ अपने फ़ोन में एक-दूसरे की बातें रिकॉर्ड करने लगीं और दूसरे यात्री देखते ही देखते बहस जारी रखने लगीं।
वीडियो में, एक बच्चे को गोद में लिए महिला कहती सुनाई देती है, “नहीं रहूँ देनार महाराष्ट्र माधे। मराठी बोल। मज़ा महाराष्ट्र है।” (मैं तुम्हें महाराष्ट्र में नहीं रहने दूँगी, मराठी में बोलो। मैं महाराष्ट्र की हूँ।) दूसरी महिला उसे धक्का देते हुए पूछती है, “कहाँ लिखा है ये?” (यह कहाँ लिखा है?), सार्वजनिक स्थानों पर भाषा के पालन पर सवाल उठाती है। यह वीडियो, जो तब से ऑनलाइन व्यापक रूप से प्रसारित हो रहा है, ने तीखी बहस छेड़ दी है।
मुंबई की एक लोकल ट्रेन में एक अलग घटना में, सीट को लेकर शुरू हुई एक सामान्य बहस जल्द ही भाषा के एक गरमागरम विवाद में बदल गई, जहाँ एक महिला ने कथित तौर पर दूसरी महिला से कहा, “मराठी बोलो या बाहर निकल जाओ।” यह घटना 18 जुलाई की देर शाम सीएसएमटी-खोपोली लोकल ट्रेन में हुई और तब से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिससे महाराष्ट्र में भाषा को लेकर चल रहा तनाव फिर से भड़क गया है।
मध्य रेलवे के अधिकारियों के अनुसार, यह विवाद भायखला स्टेशन पर शुरू हुआ और मुलुंड तक जारी रहा, जहाँ रेलवे कर्मचारियों ने बीच-बचाव करने की कोशिश की। हालाँकि, महिला डिब्बे में भारी भीड़ के कारण, अधिकारी शिकायतकर्ता तक नहीं पहुँच पाए।
सोशल मीडिया पर कई जगहों पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें कई महिलाओं के बीच बहस होती दिख रही है, जो मुंबई लोकल ट्रेनों में आम बात है। लेकिन इस बहस ने तब तूल पकड़ लिया जब एक महिला ने दूसरी महिला की मराठी न बोलने पर आलोचना करते हुए कहा, “अगर हमारी मुंबई में रहना है तो मराठी बोलो, वरना निकल जाओ।”
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी में विधायक रईस शेख का पत्ता कटा, यूसुफ अब्राहनी ने ली जगह

मुंबई: (कमर अंसारी) महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी में चल रही आंतरिक खींचतान अब खुलकर सामने आने लगी है। पिछले कई दिनों से पार्टी के वरिष्ठ नेता अबू असीम आज़मी, अपने ही विधायक रईस शेख से नाराज़ चल रहे थे। कई बार उन्होंने अपने बयानों में भी इस नाराज़गी का परोक्ष रूप से उल्लेख किया था। अब यह मामला पूरी तरह उजागर हो चुका है — महाराष्ट्र में अबू असीम आज़मी ने रईस शेख की जगह कांग्रेस छोड़कर आए यूसुफ अब्राहनी को तरजीह दी है, जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि रईस शेख को बाहर का रास्ता दिखाने की पूरी तैयारी हो चुकी है।
अगर जमीनी हकीकत पर नज़र डालें, तो रईस शेख की लोकप्रियता भी इस पूरे घटनाक्रम की एक बड़ी वजह मानी जा रही है। मुंबई और भिवंडी में रईस शेख ने अपने कार्यकाल के दौरान जनहित में कई अहम कार्य किए हैं, जिससे उनकी पकड़ जनता में मजबूत हुई है। भिवंडी विधानसभा क्षेत्र से वह लगातार दूसरी बार समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गए हैं। क्षेत्र की जनता का भी मानना है कि उन्होंने रईस शेख को उनके काम के आधार पर ही दोबारा मौका दिया।
शिक्षा, सड़क, पानी जैसी मूलभूत समस्याओं को हल करने के साथ-साथ रईस शेख का आम जनता से सीधे जुड़ाव उनकी लोकप्रियता में इज़ाफा कर रहा है। यही नहीं, दक्षिण मुंबई में नगरसेवक के रूप में उनके किए गए कार्यों को आज भी लोग सराहते हैं। यही कारण है कि आगामी नगर निगम चुनावों में उनके समर्थित उम्मीदवारों को भी प्राथमिकता दी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, अबू असीम आज़मी को रईस शेख की इसी बढ़ती लोकप्रियता से खतरा महसूस होने लगा था। पार्टी हाईकमान अखिलेश यादव की आज़मी से नाराज़गी भी इसी क्रम में देखी जा रही है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, रईस शेख को और अधिक सशक्त होने से रोकने के लिए उन्हें अबू असीम द्वारा पार्टी से बाहर किया जा रहा है।
वहीं, कांग्रेस छोड़कर समाजवादी पार्टी में आए यूसुफ अब्राहनी को अब पार्टी में नई जिम्मेदारी दी गई है। लेकिन यह वही यूसुफ अब्राहनी हैं, जिन्होंने करीब 20 साल पहले समाजवादी पार्टी के दर्जनों नगरसेवकों को साथ लेकर कांग्रेस ज्वॉइन कर ली थी और मुंबई में समाजवादी पार्टी को लगभग तोड़ दिया था। कांग्रेस ने उन्हें मानखुर्द विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर विधायक बना दिया, लेकिन अगली बार वह चुनाव नहीं जीत सके।
बाद में मानखुर्द से अबू असीम आज़मी ने चुनाव लड़ा और यूसुफ अब्राहनी को हराया। दिलचस्प बात यह है कि आज़मी की इस जीत में रईस शेख की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। लेकिन अब पार्टी से रईस शेख को निकालने के लिए आज़मी ने उन्हीं यूसुफ अब्राहनी को पुनः पार्टी में शामिल कर लिया है, इस उम्मीद में कि वह फिर से दर्जनों नगरसेवक पार्टी में ला सकेंगे।
रईस शेख जिस पार्टी कार्यालय से वर्षों से कार्य कर रहे थे, उसे भी अब यूसुफ अब्राहनी को सौंप दिया गया है — एक स्पष्ट संकेत कि पार्टी में अब रईस शेख के लिए कोई स्थान नहीं है।
उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी के हाईकमान और अखिलेश यादव के करीबी सूत्रों के अनुसार, पार्टी महाराष्ट्र में अब एक ऐसे नेता की तलाश में है, जो अबू असीम आज़मी की जगह ले सके। पार्टी को भविष्य में किसी नुकसान से बचाने के लिए आज़मी के हर निर्णय को अब अनदेखा किया जा रहा है।
महाराष्ट्र
उर्दू पत्रकारों के लिए पेंशन की मांग, विधायक अबू आसिम आज़मी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखा पत्र

मुंबई: महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक अबू आसिम आज़मी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से उर्दू पत्रकारों को पेंशन और वजीफा देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार को 60 साल की उम्र के बाद पेंशन, चिकित्सा सहायता और उनके बच्चों की शादी में सहायता प्रदान करनी चाहिए और इसके लिए एक कोष आवंटित किया जाना चाहिए। अबू आसिम आज़मी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा कि महाराष्ट्र में कई दैनिक और मासिक पत्रिकाएँ प्रकाशित होती हैं, जिनमें कार्यरत पत्रकार सेवानिवृत्ति के बाद भी कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन उनका खर्चा पूरा नहीं हो पाता और वे बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित रहते हैं। इसलिए, ऐसे सेवानिवृत्त वरिष्ठ पत्रकारों को पेंशन दी जानी चाहिए जो अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं और गरीबी से जूझ रहे हैं। आज़मी ने पत्र में मांग की है कि इन पत्रकारों को चिकित्सा सहायता प्रदान की जाए और उनके बच्चों की शादी में भी मदद की जाए ताकि उन्हें किसी भी तरह की परेशानी से बचाया जा सके और उनकी दैनिक ज़रूरतें पूरी हो सकें।
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