अंतरराष्ट्रीय समाचार
पीएम मोदी ने रूस-यूक्रेन युद्ध को सुलझाने में मदद करने का संकल्प लिया, कहा ‘यह मानवता का मुद्दा है’

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जापान में यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से मुलाकात की और चल रहे युद्ध के बीच रूस के साथ अपने संघर्ष को हल करने में मदद करने की कसम खाई। रूस-यूक्रेन युद्ध को “मानवता का मुद्दा” करार देते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि वह संघर्ष को समाप्त करने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं वह करेंगे। “यूक्रेन युद्ध दुनिया में एक बड़ा मुद्दा है। मैं इसे सिर्फ अर्थव्यवस्था, राजनीति का मुद्दा नहीं मानता, मेरे लिए यह मानवता का मुद्दा है।” पीएम मोदी ने हिरोशिमा में जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर जेलेंस्की से मुलाकात के बाद कहा। पिछले साल फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से दोनों विश्व नेताओं के बीच यह पहली बैठक थी। यूक्रेनी राष्ट्रपति दुनिया भर के प्रमुख देशों से समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि यूक्रेन की सेना कथित तौर पर रूस के खिलाफ एक बड़े जवाबी हमले की तैयारी कर रही है। मोदी-ज़ेलेंस्की की बैठक यूक्रेनी प्रथम उप विदेश मंत्री एमिन दज़ापरोवा के भारत दौरे के एक महीने बाद हुई थी। अपनी यात्रा के दौरान, झापरोवा ने विदेश राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी को एक पत्र सौंपा। राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा गया था। चूंकि यूक्रेन संघर्ष पिछले साल फरवरी में शुरू हुआ था, प्रधान मंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ-साथ यूक्रेनी नेता ज़ेलेंस्की से कई बार बात की। पिछले साल 4 अक्टूबर को राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ फोन पर हुई बातचीत में मोदी ने कहा था कि “कोई सैन्य समाधान नहीं” हो सकता है और भारत किसी भी शांति प्रयासों में योगदान देने के लिए तैयार है।
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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में मध्यस्थता कराने की बात फिर दोहराई

वाशिंगटन, 4 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम में मध्यस्थता कराने की बात फिर से दोहराई। इसके साथ ही ट्रंप ने यह भी दावा किया कि उन्होंने कई अन्य वैश्विक संघर्षों को सुलझाने में भी मदद की।
रविवार को ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट पर अमेरिकी रेडियो होस्ट और लेखक चार्लमैगने था गॉड की आलोचना की। उन्होंने कहा कि लेखक को उनके बारे में और उन्होंने जो कुछ भी किया है, उसके बारे में कुछ भी नहीं पता, जिसमें ‘5 युद्ध’ समाप्त करना भी शामिल है।
ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ट्रुथ सोशल पर लिखा, “मैंने पांच युद्ध खत्म किए, जिनमें कांगो गणराज्य और रवांडा के बीच 31 साल का खूनी संघर्ष भी शामिल है, जिसमें 70 लाख लोग मारे गए और कोई समाधान नहीं दिख रहा था। इसके अलावा, भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता, ईरान की परमाणु क्षमता को नष्ट करना, खतरनाक खुली सीमा को बंद करना और सबसे शानदार अर्थव्यवस्था बनाना भी मेरे काम हैं।”
यह ताजा टिप्पणी व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट के उस बयान के कुछ दिन बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने छह महीने के कार्यकाल के दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच के संघर्ष सहित दुनिया भर में कई संघर्षों को समाप्त किया है और इसके लिए उन्हें प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए।
उन्होंने व्हाइट हाउस प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने थाईलैंड और कंबोडिया, इजरायल और ईरान, रवांडा और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, भारत और पाकिस्तान, सर्बिया और कोसोवो के साथ-साथ मिस्र और इथियोपिया के बीच संघर्ष खत्म किए हैं। इसका मतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने छह महीने के कार्यकाल में औसतन हर महीने एक शांति समझौता या संघर्ष विराम कराया है। अब समय आ गया है कि राष्ट्रपति ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिया जाए।”
पिछले सप्ताह ऑपरेशन सिंदूर पर राज्यसभा में बहस के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्पष्ट रूप से कहा था कि 22 अप्रैल से 16 जून के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच फोन पर कोई बातचीत नहीं हुई थी।
चर्चा के दौरान जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की नीति को भारत स्वीकार नहीं करता। उन्होंने दोहराया कि कोई भी बातचीत केवल दोनों देशों के बीच होनी चाहिए और यह सैन्य संचालन महानिदेशकों (डीजीएमओ) के माध्यम से औपचारिक संवाद पर निर्भर होगी।
विदेश मंत्री ने कहा कि ‘जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया तो कई देशों ने स्थिति को समझने के लिए संपर्क किया। लेकिन, हमने स्पष्ट संदेश दिया कि हम किसी बाहरी मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच कोई भी मुद्दा आपसी बातचीत से सुलझाया जाएगा।
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ट्रेड डील के बाद अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच अच्छे संबंध: ट्रंप

TRUMP
वाशिंगटन, 2 अगस्त। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच रिश्ते बेहद अच्छे हो गए हैं। अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच हुए नए व्यापार समझौते के बीच ट्रंप का ये बयान सामने आया है। यह समझौता कई महीनों से चल रही टैरिफ वार्ताओं के बाद हुआ है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने यह टिप्पणी एक पत्रकार के सवाल के जवाब में की। पत्रकार ने उनसे दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग के साथ होने वाली बैठक के बारे में पूछा था। ट्रंप ने कहा कि यह बैठक दो हफ्तों के भीतर व्हाइट हाउस में होगी।
मिडिया के मुताबिक, ट्रंप ने कहा, “हमारा दक्षिण कोरिया के साथ बहुत अच्छा रिश्ता है।”
बुधवार को ट्रंप ने इस व्यापार समझौते की घोषणा की। इसके तहत अमेरिका ने कोरिया पर लगाए जाने वाले “रेसिप्रोकल टैरिफ” को 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है। इसके बदले में दक्षिण कोरिया ने अमेरिका में निवेश करने और कुछ अन्य वादे किए हैं।
ट्रंप ने यह भी दोहराया कि दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति दो हफ्तों के अंदर व्हाइट हाउस आएंगे। दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चो ह्यून ने भी कहा कि इस बैठक के लिए तारीख तय करने पर बातचीत चल रही है।
इस बीच, दक्षिण कोरियाई सरकार ने साफ किया है कि इस व्यापार समझौते में ‘राइस मार्केट’ को लेकर कोई नया प्रावधान नहीं है। वित्त, उद्योग और कृषि मंत्रालयों ने प्रेस रिलीज में कहा, “कोरिया-अमेरिका व्यापार समझौता चावल से जुड़ा नहीं है।”
गुरुवार को हुए इस समझौते के अनुसार, अमेरिका ने दक्षिण कोरिया के लिए शुल्क दर 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दी है। इसके बदले में दक्षिण कोरिया ने वादा किया है कि वह आने वाले चार वर्षों में अमेरिका में 350 अरब डॉलर का निवेश करेगा और 100 अरब डॉलर के अमेरिकी ऊर्जा उत्पाद (जैसे एलएनजी) खरीदेगा।
सूत्रों के अनुसार, अमेरिका ने दक्षिण कोरिया पर यह दबाव डाला था कि वह अपने चावल और बीफ बाजार के द्वार उनके लिए खोले, खासकर 30 महीने से अधिक उम्र की गायों से बने अमेरिकी बीफ उत्पादों पर लगे प्रतिबंध को हटाने की बात की गई थी।
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‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ को बढ़ावा देने के लिए नौ देशों में चार प्रोजेक्ट्स शुरू

नई दिल्ली, 2 अगस्त। ‘साउथ-साउथ कोऑपरेशन’ यानी दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए भारत और संयुक्त राष्ट्र ने नौ साझेदार देशों में चार कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स के पहले चरण की शुरुआत की है। यह पहल ‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को हासिल करने में देशों की मदद करना है।
इस पहल का शुभारंभ शुक्रवार को विदेश मंत्रालय (एमईए) के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने किया।
इन नौ सहयोगी देशों में जाम्बिया, लाओस, नेपाल, बारबाडोस, बेलीज, सेंट किट्स एंड नेविस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो और दक्षिण सूडान शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में विभिन्न देशों के मिशनों के प्रमुख, संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (आईटीईसी) की कार्यान्वयन संस्थाओं के अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और अन्य साझेदार संगठनों ने भी हिस्सा लिया।
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर लिखा, “एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ को बढ़ावा! ‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत नौ साझेदार देशों में चार परियोजनाओं के पहले चरण की सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने शुरुआत की। मिशनों के प्रमुख, यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, आईटीईसी संस्थाओं के अधिकारी, यूएन एजेंसियां और अन्य साझेदार संगठन कार्यक्रम में शामिल हुए। ये परियोजनाएं खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण और जनगणना की तैयारियों पर केंद्रित हैं।”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तन्मय लाल ने कहा कि “एसडीजी-17 और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना में, वैश्विक क्षमता निर्माण के लिए यह नई भारत-संयुक्त राष्ट्र पहल और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। इसका उद्देश्य एसडीजी से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों में अनुभव साझा करना और वैश्विक दक्षिण साझेदारों को सशक्त बनाना है।”
‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत, संयुक्त राष्ट्र अपनी वैश्विक पहुंच का उपयोग करते हुए भारत की श्रेष्ठ कार्यप्रणालियों और संस्थानों को अन्य देशों से जोड़ने में मदद करेगा, ताकि सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को हासिल करने की गति तेज की जा सके। इस पहल में स्किल्स ट्रेनिंग, नॉलेज एक्सचेंज, और साझेदार देशों में पायलट प्रोजेक्ट्स जैसी कई गतिविधियां शामिल हैं, जिन्हें नए ‘यूएन इंडिया एसडीजी कंट्री फंड’ और आईटीईसी कार्यक्रम के जरिए लागू किया जाएगा।
यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प ने कहा, “वसुधैव कुटुम्बकम (दुनिया एक परिवार है) की भावना के तहत, भारत एसडीजी को गति देने के लिए ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ में अपनी लंबे समय से चली आ रही नेतृत्वकारी भूमिका को विस्तार दे रहा है, जिसमें भारतीय संस्थानों और यूएन प्रणाली की नवाचार और साझेदारी क्षमता का भरपूर उपयोग किया जा रहा है।”
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