राजनीति
पीएम मोदी इस वर्ष ऑनलाइन मोड में कर सकते हैं छात्रों के साथ परीक्षा पर चर्चा

कोरोना महामारी के बावजूद शिक्षा मंत्रालय देश भर के छात्रों के साथ पीएम मोदी की बातचीत यानी ‘परीक्षा पे चर्चा’ का आयोजन करेगा। इस साल छात्रों के साथ पीएम की यह बातचीत वर्चुअल ऑनलाइन मोड में हो सकती है। परीक्षा का तनाव कम करने और छात्रों का मनोबल बढ़ाने के लिए पीएम देश भर के छात्रों के साथ यह संवाद करेंगे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोर्ड परीक्षाओं से पहले देशभर के छात्रों के साथ चर्चा करते हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी छात्रों को परीक्षा की तैयारी और परीक्षा के दौरान तनाव मुक्त रहने के टिप्स और सुझाव देते हैं। साथ ही वह इस चर्चा के माध्यम से बोर्ड परीक्षा में शामिल होने जा रहे छात्रों का मनोबल भी बढ़ाते हैं। बीते कुछ वर्षों से परीक्षा पर चर्चा नामक यह संवाद कार्यक्रम शुरू किया गया है।
कोरोना से पहले के हालात में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में छात्रों के बीच प्रधानमंत्री उपस्थित होकर उनसे चर्चा करते रहे हैं। प्रधानमंत्री व छात्रों के बीच होने वाले संवाद में दिव्यांग छात्रों को भी विशेष तौर पर आमंत्रित किया जाता रहा है। इतना ही नहीं दिव्यांग छात्रों को प्रधानमंत्री से सीधे बातचीत करने और प्रश्न करने का भी अवसर प्रदान किया जाता रहा है। पीएम मोदी की छात्रों के साथ परीक्षा-पे चर्चा कार्यक्रम की शुरूआत वर्ष 2018 से हुई है।
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा परीक्षा पर चर्चा के इस कार्यक्रम पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह वह वार्षिक संवाद है जिसका हर किसी को इंतजार है। परीक्षा की तैयारियों, सफलता के मंत्र, और करियर से जुड़े अहम सवालों के जवाब पाने के लिए हो जाइए तैयार। पीएम मोदी के साथ परीक्षा पे चर्चा के लिए सभी छात्र, अभिभावक व शिक्षक रजिस्ट्रेशन करें।
बोर्ड परीक्षाओं से कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ छात्रों की ‘परीक्षा-पे चर्चा’ आयोजित की जाती है। छात्रों में भी इस चर्चा को लेकर काफी क्रेज है। इस वर्ष यह चर्चा फरवरी में प्रस्तावित है।
हालांकि अभी इसकी कोई तारीख तय नहीं हुई है। माना जा रहा है कि यह चर्चा फरवरी के अंतिम हफ्ते में आयोजित की जा सकती है। इस चर्चा में भाग लेने वाले छात्र फिलहाल परीक्षा पर चर्चा का हिस्सा बनने के लिए अपना पंजीकरण करवा सकते हैं। इस चर्चा में शामिल होने के लिए पंजीकरण का कार्य शुरू किया जा चुका है। कक्षा 9 से 12वीं तक के सभी छात्र परीक्षा पर चर्चा कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। छात्रों के लिए रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि 20 जनवरी तय की गई है।
चर्चा में शामिल होने वाले छात्रों, शिक्षकों व अभिभावकों के लिए एक लेखन प्रतिस्पर्धा भी रखी गई है। इसमें 2050 प्रतिभागितों को पुरस्कृत किया जाएगा। छात्रों को पीएम मोदी से प्रश्न पूछने का अवसर भी मिलेगा।
राजनीति
मुंबई के कुर्ला स्थित भाभा अस्पताल में चिकित्सा उदासीनता: दवाइयाँ स्टॉक से बाहर, उपकरणों की खराबी से स्वास्थ्य सेवा प्रभावित

मुंबई: मुंबई के कुर्ला स्थित बीएमसी द्वारा संचालित खान बहादुर भाभा अस्पताल के मरीज़ों को ज़रूरी दवाइयाँ बाहरी दवा दुकानों से खरीदने और डायग्नोस्टिक टेस्ट के लिए निजी लैब जाने पर मजबूर होना पड़ रहा है। चिकित्सा आपूर्ति में लगातार कमी और ज़रूरी उपकरणों के खराब होने के कारण, यह अस्पताल लगातार परिचालन संबंधी चुनौतियों से जूझ रहा है, जिसका असर मरीज़ों की देखभाल पर पड़ रहा है।
मरीज का दावा, अस्पताल में दो हफ्ते से ज़्यादा समय से ज़रूरी दवाइयों का स्टॉक ख़त्म
हाल ही में अस्पताल में भर्ती हुईं नसरीन बानो को एक खास इंजेक्शन की ज़रूरत थी। उनके पति को बाहर से इंजेक्शन खरीदने को कहा गया क्योंकि अस्पताल में दो हफ़्ते से ज़्यादा समय से स्टॉक ख़त्म था। ऐसे मामले अब दुर्लभ नहीं रहे। बढ़ती संख्या में मरीज़ इसी तरह की परेशानियों की शिकायत कर रहे हैं, जिनमें से कई आर्थिक रूप से कमज़ोर पृष्ठभूमि से हैं और निजी स्वास्थ्य सेवा का खर्च नहीं उठा सकते।
पूर्व पार्षद और बीएमसी की स्वास्थ्य समिति की पूर्व सदस्य दिलशाद अशरफ आज़मी ने आरोप लगाया कि भाभा अस्पताल लंबे समय से दवाओं की भारी कमी से जूझ रहा है। उन्होंने कहा, “पिछले डेढ़ साल से नियमित आपूर्ति नहीं हो रही है। अस्पताल एक बार में 25 लाख रुपये के स्पॉट कोटेशन से काम चला रहा है, लेकिन यह टिकाऊ नहीं है।” उन्होंने आगे कहा, “मरीजों को बुनियादी दवाओं के लिए भी खुद ही इलाज कराना पड़ रहा है।”
भाभा अस्पताल में 336 बिस्तरों की सुविधा है, हालाँकि इनमें से केवल 270 बिस्तर ही कार्यरत हैं। अपनी क्षमता के बावजूद, अस्पताल सेवाओं की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहा है, जहाँ प्रतिदिन लगभग 1,700 से 2,000 मरीज़ ओपीडी में आते हैं। यह अस्पताल कुर्ला, नेहरू नगर, चूनाभट्टी, चेंबूर, तिलक नगर और घाटकोपर के कुछ हिस्सों जैसे कई घनी बस्तियों में सेवा प्रदान करता है, जिनमें से अधिकांश निम्न-आय वाले परिवार रहते हैं जो पूरी तरह से नगर निगम की स्वास्थ्य सेवा पर निर्भर हैं।
प्रमुख नैदानिक उपकरणों की बार-बार विफलता
दवाओं की कमी के अलावा, अस्पताल कर्मचारियों की भारी कमी और प्रमुख नैदानिक उपकरणों की बार-बार खराबी से जूझ रहा है। मशीनों के खराब होने या मरम्मत में देरी के कारण अक्सर मरीजों को बुनियादी जाँचों के लिए कहीं और भेजना पड़ता है। भीड़भाड़ और खराब रखरखाव ने अव्यवस्था को और बढ़ा दिया है, जिससे कई लोगों के लिए अस्पताल के नियमित दौरे भी कष्टदायक अनुभव बन गए हैं।
बीएमसी के परिधीय अस्पतालों में से एक होने के नाते, भाभा स्थानीय स्वास्थ्य सेवा वितरण के लिए महत्वपूर्ण है। हालाँकि, जब तक आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुव्यवस्थित करने, बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने और रिक्त कर्मचारियों के पदों को भरने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए जाते, तब तक मरीज़ों को चरमराई हुई सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का खामियाजा भुगतना पड़ता रहेगा।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
ईरान और भारत जैसे देशों पर अपनी इच्छा थोपने की कोशिश कर रहा अमेरिका: तेहरान

तेहरान, 31 जुलाई। ईरान ने गुरुवार को अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह अर्थव्यवस्था का ‘हथियारकरण’ कर रहा है और प्रतिबंधों का इस्तेमाल स्वतंत्र देशों जैसे ईरान और भारत पर अपनी इच्छा थोपने तथा उनके विकास में बाधा डालने के लिए कर रहा है।
भारत में ईरान के दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए कहा, “अमेरिका लगातार अर्थव्यवस्था को हथियार बना रहा है और प्रतिबंधों का उपयोग स्वतंत्र राष्ट्रों जैसे ईरान और भारत पर अपनी इच्छा थोपने और उनके विकास को रोकने के लिए कर रहा है। ये भेदभावपूर्ण और जबरदस्ती भरे कदम अंतरराष्ट्रीय कानून और राष्ट्रीय संप्रभुता के सिद्धांतों का उल्लंघन हैं और आर्थिक साम्राज्यवाद का आधुनिक रूप हैं।”
पोस्ट में आगे कहा गया, “ऐसी नीतियों का विरोध एक अधिक शक्तिशाली, उभरते हुए, गैर-पश्चिमी बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था और एक मजबूत वैश्विक दक्षिण की ओर उठाया गया कदम है।”
ईरान की यह प्रतिक्रिया अमेरिका के उस ऐलान के 24 घंटे के भीतर आई है, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 अगस्त से भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने और रूस से तेल खरीदने के लिए पेनल्टी लगाने की बात कही थी।
इस बीच, ईरान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को ईरान के तेल व्यापार पर लगाए गए नए अमेरिकी प्रतिबंधों को एक “दुष्प्रवृत्त कृत्य” करार दिया और कहा कि इसका मकसद देश के आर्थिक विकास और उसके नागरिकों की भलाई को नुकसान पहुंचाना है।
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बकाई ने ईरान के तेल और ऊर्जा क्षेत्र से जुड़ी संस्थाओं, व्यक्तियों और जहाजों पर अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की कड़ी निंदा करते हुए इन्हें “दमनकारी प्रतिबंध” बताया और कहा कि ये अमेरिकी नीति निर्माताओं की ईरानी जनता के प्रति शत्रुता का स्पष्ट प्रमाण हैं।
तेहरान में मीडिया को संबोधित करते हुए बकाई ने कहा, “ये एकतरफा और अवैध प्रतिबंध अपराध की श्रेणी में आते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करते हैं और मानवता के खिलाफ अपराध हैं।”
राजनीति
सोनिया गांधी और राहुल देश के हिंदुओं से माफी मांगें: किरीट सोमैया

संभाजीनगर/नई दिल्ली, 31 जुलाई। मालेगांव विस्फोट मामले में प्रज्ञा सिंह ठाकुर समेत सभी सात आरोपियों के बरी होने के बाद भाजपा ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है। भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा कि अदालत का फैसला कांग्रेस और गांधी परिवार के लिए करारा तमाचा है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी को देश के हिंदुओं से माफी मांगनी चाहिए।
भाजपा नेता किरीट सोमैया ने छत्रपति संभाजीनगर में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “कई सालों तक मुस्लिम वोटबैंक को खुश करने के लिए हिंदुओं को दरकिनार किया गया। अब यह साबित हो गया है कि हिंदू धर्म राष्ट्रवाद में विश्वास रखता है। ‘भगवा आतंकवाद’ जैसी कोई चीज नहीं है।”
कांग्रेस पर बड़ा हमला बोलते हुए किरीट सोमैया ने कहा, “यह पार्टी हमेशा मुस्लिम वोटबैंक के लिए काम करती रही है। अदालत के फैसले ने कांग्रेस और गांधी परिवार को तमाचा मारा है।”
उन्होंने आरोप लगाए कि गांधी परिवार का मकसद हिंदुओं को बदनाम और मुस्लिमों को खुश करने का रहा है। कांग्रेस अपने मुस्लिम वोटबैंक के लिए पाकिस्तानी आतंकवादियों के प्रति भी सहानुभूति व्यक्त करती है। मालेगांव के जरिए ‘हिंदू आतंकवाद’ और ‘भगवा आतंकवाद’ को सिद्ध करने के लिए नाटक किया गया था। आज ये साबित हो गया है कि हिंदू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता है।
किरीट सोमैया ने दोहराते हुए कहा, “मुस्लिमों को खुश रखने के लिए हिंदुओं को दूर रखा जाता था, लेकिन सिद्ध हो गया है कि ‘हिंदू आतंकवाद’ जैसी कोई चीज नहीं है।” उन्होंने मांग करते हुए कहा कि सोनिया और राहुल गांधी देश और हिंदुओं से माफी मांगें।
वहीं, मालेगांव केस पर फैसले के बाद शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने वोटबैंक की राजनीति के लिए हिंदुओं पर आरोप लगाने का काम किया। कांग्रेस की तरफ से यह साबित करने की कोशिश की गई कि भगवा आतंकवाद है, लेकिन अदालत ने उसके मुंह पर तमाचा मारा है।
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