राष्ट्रीय
बड़े पैमाने पर राजस्व अर्जित कर रहे पेटीएम के विविध व्यवसाय, प्रतिस्पर्धियों को छोड़ा पीछे

फिनटेक दिग्गज पेटीएम की मूल कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड 3 अरब डॉलर की आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) की ओर अग्रसर है। कंपनी का आईपीओ देश में अब तक का सबसे बड़ा सार्वजनिक निर्गम होने का दावा किया जा रहा है। मार्केट लीडर ने कई व्यवसायों में अपनी उपस्थिति स्थापित की है और इसके प्रतियोगी अब केवल अन्य सेवाओं में विस्तार की खोज कर रहे हैं।
कंपनी, जो लंबे समय से पब्लिक लिमिटेड कंपनी रही है, के नवंबर तक भारतीय शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने की उम्मीद है।
कंपनी ने अपने बहु-भुगतान ढांचे का लाभ उठाया है और डिजिटल भुगतान और वित्तीय सेवा श्रेणी में किसी भी अन्य कंपनी की तुलना में कई गुना अधिक राजस्व प्राप्त किया है।
वैश्विक विश्लेषण कंपनी बर्नस्टीन की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि पेटीएम का मजबूत मर्चेंट फोकस – वॉलेट के भीतर मर्चेंट और इन्वेंट्री इंटीग्रेशन, मर्चेंट प्वाइंट ऑफ सेल, ऑनलाइन भुगतान और कंज्यूमर क्रॉस-सेल ने पेटीएम के लिए अपने यूपीआई-केंद्रित प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले एक मजबूत राजस्व आधार का नेतृत्व किया है। पेटीएम अपने यूपीआई-केंद्रित प्रतिस्पर्धी भुगतान ऐप्स के सापेक्ष प्रति सक्रिय उपयोगकर्ता 10 गुणा से 15 गुणा अधिक राजस्व अर्जित कर रही है।
भारत में जबकि अधिकांश फिनटेक कंपनियां अब तक एक विशेष व्यवसाय मॉडल को लक्षित कर रही हैं, वहीं विजय शेखर शर्मा के नेतृत्व में पेटीएम ने अपने व्यवसायों को मोबाइल, ब्रॉडबैंड, डीटीएच रिचार्ज और पी2पी ट्रांसफर से विविधीकृत किया है और आज कंपनी वित्तीय सेवाओं की एक श्रृंखला प्रदान कर रही है।
भुगतान के क्षेत्र में कंपनी अपने वॉलेट, बैंकिंग, यूपीआई, पोस्टपेड सेवाओं के अलावा और बहुत कुछ संचालित करती है। लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। पेटीएम ने कई व्यवसायों को जोड़ा है, जिसमें पेटीएम पेमेंट्स बैंक, पेटीएम पेमेंट्स गेटवे, पेटीएम पेआउट, धन सृजन के लोकतंत्रीकरण के लिए पेटीएम मनी, पेटीएम इंश्योरेंस, पेटीएम पोस्टपेड, पेटीएम क्रेडिट कार्ड के साथ-साथ उपयोगिता बिल भुगतान, ऑफलाइन मर्चेंट भुगतान, सामग्री और गेमिंग सेवा आदि शामिल हैं।
रेडसीर द्वारा भारतीय फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र पर एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है, बड़ी संख्या में संबद्ध वित्तीय सेवाओं में अपनी उपस्थिति के साथ, यह (पेटीएम) समेकित राजस्व के मामले में सबसे बड़ा दिग्गज बनने में सफल रहा है। साथ ही, ध्यान देने योग्य एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि पेटीएम की अधिकांश सहायक सेवाएं इन-हाउस प्रतिष्ठानों जैसे पेटीएम मनी, पेटीएम बैंक आदि के माध्यम से पेश की जाती हैं। यह आने वाले समय में मार्जिन के मामले में खुद को बेहतर स्थिति में ला सकती है।
हालांकि इसने इन सभी व्यवसायों को स्थापित कर लिया है और इसके प्रतियोगी अब केवल अन्य सेवाओं में विस्तार की खोज कर रहे हैं।
पेटीएम, फस्र्ट-मूवर एडवांटेज के साथ, पहले से ही एक लीडर बन गया है और अब यह एक ब्रांड नाम है।
मार्केट रिसर्च फर्म रेडसीर की रिपोर्ट में कहा गया है, अपनी लंबी विरासत के साथ पेटीएम की भारत, यानी टियर 3 और उससे नीचे के साथ-साथ कुल दो करोड़ व्यापारियों के साथ एक मजबूत उपस्थिति है, जो विशेष रूप से वॉलेट भुगतान में एक बड़ी बढ़त बनाए हुए है।
बर्नस्टीन की रिपोर्ट में कहा गया है कि कंपनी भारत में यूपीआई लेनदेन में भी एक बड़ी कंपनी है। यूपीआई ट्रांजेक्शन थर्ड पार्टी ऐप्स के लिए रेवेन्यू जेनरेटिंग फीचर नहीं बनते हैं। यूपीआई मार्केट शेयर को बनाए रखने के लिए बिना कोई राजस्व अर्जित किए ट्रेडमिल पर मार्केटिंग डॉलर की जरूरत होती है।
इसके बजाय, वह एक बैंक फनल के माध्यम से कार्य करते हैं और यहीं पेटीएम पेमेंट्स बैंक पहले से ही एसबीआई, एचडीएफसी और आईसीआईसीआई बैंक से आगे सबसे अधिक लाभार्थी बैंक है।
एनपीसीआई ने यूपीआई लेनदेन में एक मार्केट कैप का भी प्रस्ताव किया है, जहां उसने कहा है कि 2022 तक किसी भी दिग्गज के पास 30 प्रतिशत से अधिक बाजार हिस्सेदारी नहीं हो सकती है। बाजार हिस्सेदारी नियम का पालन नहीं करने वाले दिग्गजों को दंडित किया जाएगा।
हालांकि पेटीएम के लिए, यूपीआई सिर्फ सेवाओं में से एक है। आज, कंपनी पूरे ग्राहक जीवन चक्र का प्रबंधन करती है, न कि केवल एक भुगतान हस्तांतरण का। यह सब पेटीएम के लिए राजस्व वृद्धि के लिए कई फनल में योगदान देता है – चाहे वह यूजर्स, ऑनलाइन व्यापारियों या ऑफलाइन व्यापारियों के माध्यम से हो।
कंपनी ने मार्च में 1.4 अरब से अधिक लेनदेन दर्ज किए हैं, जिसमें दो करोड़ से अधिक मर्चेंट पार्टनर्स ने पेटीएम क्यूआर, पेटीएम आईओटी डिवाइस और ऐप पीओएस को स्वीकार किया है।
देश भर में लॉकडाउन और प्रतिबंधों के साथ, उपयोगकर्ता मोबाइल, ब्रॉडबैंड और डीटीएच रिचार्ज, क्रेडिट कार्ड से भुगतान, बिजली बिल भुगतान, पानी के बिल, धन हस्तांतरण और बहुत कुछ दैनिक जरूरतों के लिए पेटीएम की ओर रुख करना जारी रखे हुए हैं।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ को बढ़ावा देने के लिए नौ देशों में चार प्रोजेक्ट्स शुरू

नई दिल्ली, 2 अगस्त। ‘साउथ-साउथ कोऑपरेशन’ यानी दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए भारत और संयुक्त राष्ट्र ने नौ साझेदार देशों में चार कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स के पहले चरण की शुरुआत की है। यह पहल ‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को हासिल करने में देशों की मदद करना है।
इस पहल का शुभारंभ शुक्रवार को विदेश मंत्रालय (एमईए) के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने किया।
इन नौ सहयोगी देशों में जाम्बिया, लाओस, नेपाल, बारबाडोस, बेलीज, सेंट किट्स एंड नेविस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो और दक्षिण सूडान शामिल हैं।
इस कार्यक्रम में विभिन्न देशों के मिशनों के प्रमुख, संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (आईटीईसी) की कार्यान्वयन संस्थाओं के अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और अन्य साझेदार संगठनों ने भी हिस्सा लिया।
विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर लिखा, “एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ को बढ़ावा! ‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत नौ साझेदार देशों में चार परियोजनाओं के पहले चरण की सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने शुरुआत की। मिशनों के प्रमुख, यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, आईटीईसी संस्थाओं के अधिकारी, यूएन एजेंसियां और अन्य साझेदार संगठन कार्यक्रम में शामिल हुए। ये परियोजनाएं खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण और जनगणना की तैयारियों पर केंद्रित हैं।”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तन्मय लाल ने कहा कि “एसडीजी-17 और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना में, वैश्विक क्षमता निर्माण के लिए यह नई भारत-संयुक्त राष्ट्र पहल और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। इसका उद्देश्य एसडीजी से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों में अनुभव साझा करना और वैश्विक दक्षिण साझेदारों को सशक्त बनाना है।”
‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत, संयुक्त राष्ट्र अपनी वैश्विक पहुंच का उपयोग करते हुए भारत की श्रेष्ठ कार्यप्रणालियों और संस्थानों को अन्य देशों से जोड़ने में मदद करेगा, ताकि सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को हासिल करने की गति तेज की जा सके। इस पहल में स्किल्स ट्रेनिंग, नॉलेज एक्सचेंज, और साझेदार देशों में पायलट प्रोजेक्ट्स जैसी कई गतिविधियां शामिल हैं, जिन्हें नए ‘यूएन इंडिया एसडीजी कंट्री फंड’ और आईटीईसी कार्यक्रम के जरिए लागू किया जाएगा।
यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प ने कहा, “वसुधैव कुटुम्बकम (दुनिया एक परिवार है) की भावना के तहत, भारत एसडीजी को गति देने के लिए ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ में अपनी लंबे समय से चली आ रही नेतृत्वकारी भूमिका को विस्तार दे रहा है, जिसमें भारतीय संस्थानों और यूएन प्रणाली की नवाचार और साझेदारी क्षमता का भरपूर उपयोग किया जा रहा है।”
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका ने भारत पर लगाए गए टैरिफ को टाला, जानें नई तारीख

TRUMP
वॉशिंगटन/नई दिल्ली, 1 अगस्त। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत से आयातित वस्तुओं पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ को एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया है। अब यह टैरिफ 1 अगस्त की बजाय 7 अगस्त से प्रभावी होगा।
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत 92 देशों पर नए टैरिफ लगा दिए हैं। ये 7 अगस्त से लागू होंगे। इसमें भारत पर 25 फीसदी और पाकिस्तान पर 19 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। साउथ एशिया में सबसे कम टैरिफ पाकिस्तान पर लगाया गया है; पहले ये 29 फीसदी था।
वहीं दुनियाभर में सबसे ज्यादा टैरिफ सीरिया पर लगाया गया है, जो 41 प्रतिशत है। लिस्ट में चीन का नाम शामिल नहीं है।
ट्रंप ने 2 अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, लेकिन 7 दिन बाद ही इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया था। कुछ दिनों बाद 31 जुलाई तक का समय दिया था। फिर 90 दिनों में 90 सौदे कराने का टारगेट रखा गया था। हालांकि इस बीच अमेरिका का महज 7 देशों से समझौता हो पाया।
डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को नए टैरिफ की घोषणा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में लिखा, “भारत हमेशा से रूस से अधिकांश सैन्य आपूर्ति खरीदता आया है और अब चीन के साथ मिलकर रूस से ऊर्जा का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। ऐसे समय में जब पूरी दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध के समाप्त होने की उम्मीद कर रही है, भारत का यह रुख उचित नहीं है। ये चीजें अच्छी नहीं हैं।”
ट्रंप ने आगे कहा कि इसलिए भारत को 25 प्रतिशत टैरिफ देना होगा और इन कारणों को लेकर उसे एक अतिरिक्त जुर्माना भी भुगतना होगा। वहीं, ट्रंप के इस ऐलान पर भारत ने कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
ट्रंप की ओर से भारत पर लगाए गए इस टैरिफ पर विपक्ष ने सवाल उठाया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भारत पर 25 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ के बाद सरकार की पॉलिसी पर सवाल उठाए। राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा को देश चलाना नहीं आता है। इस सरकार ने देश की पूरी इकॉनमी को खत्म कर दिया है।
पहले यह टैरिफ 1 अगस्त, शुक्रवार से लागू होने थे, लेकिन ट्रंप ने इस निर्णय को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है। ‘पारस्परिक टैरिफ दरों में और संशोधन’ नामक एक कार्यकारी आदेश में राष्ट्रपति ट्रंप ने दुनिया भर के लगभग 70 देशों के लिए टैरिफ दरों की घोषणा की थी। भारत इनमें से एक प्रमुख देश है।
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने को लेकर भारत में काफी उत्साह : अरविंद पनगढ़िया

नई दिल्ली, 26 जुलाई। 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने कहा है कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर भारत में काफी उत्सुकता और उत्साह है, जिससे भारतीय उद्योगों को एक बड़े निर्यात बाजार तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी।
सीएसआईएस चेयर ऑन इंडिया एंड इमर्जिंग एशिया इकोनॉमिक्स द्वारा न्यूयॉर्क में आयोजित एक कार्यक्रम में पनगढ़िया ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता देश के वैश्विक निवेश परिदृश्य के लिए एक बड़ी सफलता ला सकता है।
उन्होंने इस सप्ताह आयोजित कार्यक्रम में ‘राइजिंग इंडिया’ के लिए अपने दृष्टिकोण को साझा करते हुए कहा, “व्यापक हित में, विशेष रूप से वर्तमान व्यापार शुल्क के संदर्भ में अर्थव्यवस्था को अधिक मुक्त बनाने की आवश्यकता है और जब आप व्यापार समझौते करते हैं तो आपको अपने निर्यात के लिए बड़े बाजारों तक भी पहुंच मिलती है।”
संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा शुल्क बढ़ाने के वर्तमान संदर्भ ने दुनिया में एक अलग व्यापार गतिशीलता पैदा कर दी है।
उन्होंने कहा, “मुझे जो संकेत मिल रहे हैं, उनसे लगता है कि अमेरिकी व्यापार समझौते को लेकर काफी उत्सुकता है। मुझे इस समझौते के साथ-साथ यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ भविष्य में होने वाले समझौते को लेकर भी काफी उत्साह दिखाई दे रहा है।”
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के सफल समापन के बाद, अब सभी की निगाहें यूरोपीय संघ (ईयू) के साथ होने वाले व्यापार समझौते पर टिकी हैं।
भारत और यूरोपीय संघ जून 2022 से एफटीए पर बातचीत कर रहे हैं और 12 दौर की बातचीत पूरी हो चुकी है, जिसमें आखिरी दौर जुलाई 2025 में होगा। भारत और यूरोपीय संघ 2025 के अंत तक एक मुक्त व्यापार समझौते पर सहमति बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि अमेरिका भारत के साथ एक व्यापार समझौते के करीब है । वाणिज्य विभाग में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय वार्ता दल ने इसी महीने वाशिंगटन का दौरा किया था।
पनगढ़िया ने कहा, “मैं अपने वर्तमान पद पर रहते हुए सरकार का हिस्सा नहीं हूं, लेकिन अमेरिका और अन्य देशों के साथ व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर करने में हमारी गहरी रुचि है।”
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