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ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी को मिला प्रतिष्ठित जीन मोनेट चेयर अवॉर्ड

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Jindal

यूरोपीय यूनियन ने ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) को जीन मोनेट चेयर से सम्मानित किया है। जेजीयू साल 2020 में भारत की एकमात्र ऐसा निजी विश्वविद्यालय है, जिसे इस सम्मान से नवाजा गया है। जीन मोनेट मॉड्यूल, चेयर्स और सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस वार्षिक तौर पर प्रदान किए जाने वाले अवॉर्ड हैं। इस साल 1,447 एलिजिबल एप्लीकेशंस जमा किए गए थे। भारत के तीन विश्वविद्यालयों को कुल पांच मॉड्यूल और चेयर्स अवॉर्ड मिले हैं।

जेजीयू को जीन मोनेट चेयर के आवेदन के लिए 35,640 यूरो से सम्मानित किया गया है। जीन मोनेट चेयर अवॉर्ड को सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की दिशा में आगे की ओर एक कदम माना जाता है।

जेजीयू को ‘मल्टी-डाइमेंशनल एप्रोचेस टू द अंडरस्टैंडिंग ऑफ द ईयू डेटा प्रोटेक्शन फ्रेमवर्क’ पर प्रतिष्ठित जीन मोनेट चेयर का सम्मान प्राप्त हुआ है।

पूरे भारत में सिर्फ दो चेयर अवॉर्डस हैं, जिसमें से एक जेजीयू को मिला है। साल 2020 में अवॉर्ड प्राप्त करने वाला जेजीयू भारत का एकमात्र निजी विश्वविद्यालय है, दूसरा अवॉर्ड जेएनयू को मिला है।

भारत में जीन मोनेट चेयर के लिए ईयू द्वारा प्रदान की गई सबसे बड़ी अनुदान राशि भी जेजीयू ने हासिल की है।

ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति सी. राज कुमार ने कहा, “जेजीयू के लिए प्रतिष्ठित और सम्माननीय अवॉर्ड पाना वास्तव में गौरवांवित करने वाला ऐतिहासिक पल और उल्लेखनीय उपलब्धि है। जेजीयू के लिए जीन मोनेट चेयर का अवॉर्ड शिक्षण, अनुसंधान और संस्थान निर्माण में जेजीयू के संकाय सदस्यों के उत्कृष्ट योगदान को दर्शाता है। चेयर ने भारत में यूरोपीय अध्ययनों के ज्ञान सृजन और प्रसार के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त धन और संसाधनों के साथ एक नई इंटलेक्च ुअल इमेजिनेशन का निर्माण किया है। इस काम को आगे बढ़ाने के लिए यह एक उपयुक्त समय है, वह भी तब जब बहुपक्षीय ²ष्टिकोण एक वैश्विक चुनौती का सामना कर रहा है और ऐसे में भविष्य के लिए सहयोग, साझेदारी और वैश्विक जुड़ाव की नई ²ष्टि की आवश्यकता है।”

ये चेयर्स यूरोपीय यूनियन स्टडीज से जुड़े क्षेत्रों में विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों के बीच शिक्षण और अनुसंधान उत्कृष्टता को बढ़ावा देते हैं।

जेजीयू में सफलतापूर्वक जीन मोनेट चेयर अनुदान प्राप्त करने वालों में जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल और रिसर्च के डीन प्रोफेसर इंद्रनाथ गुप्ता (जीन मोनेट चेयर – अकादमिक समन्वयक), जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में सहायक प्रोफेसर अविरूप बोस (प्रोजेक्ट्स, अनुदान और प्रकाशन), जिंदल ग्लोबल बिजनेस स्कूल में सहायक प्रोफेसर चित्रेश कुमार और जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में सहायक प्रोफेसर कृष्णा देव सिंह चौहान शामिल हैं।

चेयर होल्डर के रूप में गुप्ता ने कहा, “चेयर का अवॉर्ड अनुसंधान और छात्रवृत्ति के समर्थन में जेजीयू के संस्थागत नेतृत्व के लिए एक इच्छापत्र है। यूरोपीय अध्ययन सहित कई अनुशासनात्मक क्षेत्रों में शिक्षण और अनुसंधान में जेजीयू सबसे आगे रहा है। मैं अपने विश्वविद्यालय का ऋणी हूं और इस असाधारण सम्मान को पाकर बहुत खुश हूं।”

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क्या यात्रियों को पटरियों पर चलने के लिए मजबूर किया गया? जीआरपी ने शुरू की जांच, क्या सीएसएमटी पर सैंडहर्स्ट रोड के पास दो यात्रियों की मौत की वजह हड़ताल है?

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मुंबई: राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने यह पता लगाने के लिए जांच शुरू की है कि क्या छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) पर रेलवे कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के कारण सैंडहर्स्ट रोड स्टेशन के पास लोकल ट्रेन की चपेट में आने से दो लोगों की मौत हुई।

6 नवंबर को एक तेज़ रफ़्तार लोकल ट्रेन की चपेट में आने से दो लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। बताया जा रहा है कि सभी पाँचों पीड़ित एक अन्य लोकल ट्रेन से उतरकर पटरी पार कर रहे थे, जो रेलकर्मियों की अचानक हड़ताल के कारण बीच सेक्शन में रुकी हुई थी।

मिडिया से बात करते हुए , जांच से परिचित वरिष्ठ जीआरपी अधिकारी ने कहा कि जांच का उद्देश्य यह पता लगाना है कि क्या यात्रियों को खड़ी ट्रेन से कूदकर पटरियों पर चलने के लिए मजबूर किया गया था।

मृतक की पहचान हेली मोहमाया (19) के रूप में हुई है; हालाँकि, दूसरे मृतक की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। कैफ चोगले (22), खुश्बू मोहमाया (45) और याफ़िज़ा चोगले (62) घायल हुए हैं। जीआरपी दूसरे मृतक की पहचान का पता लगाने और पीड़ितों के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है।

चल रही जाँच का हवाला देते हुए, डीसीपी (मध्य रेलवे) प्रज्ञा जेज ने कहा कि सभी पहलुओं की जाँच की जा रही है। सीएसएमटी जीआरपी के वरिष्ठ निरीक्षक संभाजी कटारे ने कहा, “हम सभी संभावित सबूत इकट्ठा कर रहे हैं।”

सीएसएमटी रेलवे स्टेशन पर अचानक विरोध प्रदर्शन 9 जून को हुई मुंब्रा ट्रेन दुर्घटना के संबंध में दो रेलवे इंजीनियरों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के विरोध में किया गया। इस दुर्घटना में पांच लोगों की मौत हो गई थी।

मुंब्रा दुर्घटना में राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए दो इंजीनियरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। जाँच में पाया गया कि दुर्घटना से चार दिन पहले बदले गए ट्रैक के एक हिस्से को बिना वेल्ड किए छोड़ दिया गया था, जिसके कारण ट्रेन पटरी से उतर गई और पाँच यात्रियों की मौत हो गई।

राष्ट्रीय रेलवे मजदूर संघ (एनआरएमयू) और सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ (सीआरएमयू) ने संयुक्त रूप से गुरुवार को विरोध प्रदर्शन शुरू किया और एफआईआर वापस लेने की मांग की।

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महागठबंधन का घोषणापत्र बिहार की जनता की ‘उम्मीद’ : मुकेश सहनी

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Mukesh

पटना, 29 अक्टूबर: विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने महागठबंधन की तरफ से जारी किए गए घोषणापत्र जनता की उम्मीद बताया। सहनी महागठबंधन की ओर से उप-मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं।

उन्होंने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में दावा किया कि जो काम मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले 20 सालों में सत्ता में रहते नहीं कर पाएं, हम लोग सत्ता में आने के बाद उस काम को हर कीमत पर पूरा करके रहेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रदेश का कोई भी व्यक्ति विकास से अछूता नहीं रहे।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास प्रदेश के विकास के लिए कोई भी विजन नहीं है। अगर होता, तो आज प्रदेश की स्थिति ऐसी नहीं होती। आज की तारीख में हमारे लोगों को दूसरे राज्यों में मजदूरी करने के लिए जाना पड़ता है। उनकी भी ख्वाहिश है कि वो भी अपने ही प्रदेश में रहे। अपने परिवार के बीच में अपने लोगों के बीच में रहे।

साथ ही, उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास बिहार के विकास के लिए कोई योजना भी नहीं है। यही कारण है कि वो हमारे मेनिफेस्टो की नकल कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास बिहार के विकास को लेकर कोई विजन नहीं है। आप देख लीजिए, जितनी भी योजनाएं वो वर्तमान में बिहार में चला रहे हैं, उसकी जड़े कहीं न कहीं महागठबंधन से मिलती जुलती है। इससे यह साफ जाहिर होता है कि इनके पास बिहार के विकास को लेकर कोई लेना-देना नहीं है। ये लोग कभी-भी बिहार के विकास के बारे में नहीं सोचते हैं। इन लोगों का एकमात्र मकसद सिर्फ सत्ता में बने रहना होता है।

उन्होंने कहा कि हमने कहा था कि ‘माय बहन मान योजना’ के तहत सभी को 2,500 रुपये दिया जाएगा, तो नीतीश कुमार ने भी इस योजना की नकल शुरू कर दी। उन्होंने बिहार के लोगों को 10 हजार रुपये देने का ऐलान कर दिया। इसके बाद हमने विधवा पेंशन के तहत 1100 रुपये देने का बात की, तो इन लोगों ने 15,00 रुपये देने का ऐलान कर दिया। जब हमने कहा था कि हम 200 यूनिट बिजली फ्री करेंगे, तो उन्होंने फ्री बिजली देने का ऐलान कर दिया। ये काम तो वो पहले भी कर सकते थे। लेकिन, हमारी घोषणा के बाद ही क्यों किया? इससे यह साफ जाहिर होता कि इन लोगों के पास बिहार के विकास के लिए कोई लेना देना नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि हमने ऐलान किया है कि बिहार में सभी लोगों को नौकरी दी जाएगी और वो हम देकर रहेंगे। जिस तरह से हमने अब तक सभी जनकल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम किया है, ठीक उसी प्रकार से हम लोगों को बिहार में नौकरी देकर रहेंगे। लेकिन, दुख की बात है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और प्रधानमंत्री मोदी नहीं चाहते हैं कि बिहार के लोगों को नौकरी मिले। ये लोग सिर्फ चाहते हैं कि बिहार के लोग दूसरे राज्यों में नौकरी के लिए जाए। लेकिन, अब इस तरह की स्थिति को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर सकते हैं।

इसके अलावा, उन्होंने ‘जननायक’ को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि कोई भी जन्म से नहीं, बल्कि कर्म से जननयाक होता है। हमें उस रास्ते पर चलना होगा। इस बारे में किसी भी प्रकार की गलत बात का प्रचार करने से बचना होगा, ताकि हमारे लोग गुमराह नहीं हों। राहुल गांधी, तेजस्वी यादव सहित कई नेता जननायक बन सकते हैं। इसके लिए सिर्फ आपको उस रास्ते पर चलना होगा।

उन्होंने कहा कि अब समय आ चुका है कि हम लोग खुलकर विकास करें। लेकिन, यह दुख की बात है कि हमारे नेता 80 करोड़ लोगों को 5 किलो अनाज देकर कह रहे हैं कि यही विकास है। ऐसा करके ये लोग देश के लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।

साथ ही, उन्होंने कहा कि अगर कोई सत्ता में रहते हुए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके किसी को परेशान करेगा, तो मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि हम भी जब सत्ता में आएंगे, तो इस तरह की स्थिति को हर कीमत पर रोकने की कोशिश करेंगे। हम ऐसा नहीं होने देंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रदेश में किसी भी व्यक्ति के हितों के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं हो।

उन्होंने एसआईआर पर कहा कि हम इस पर क्या ही कहेंगे। अब अगर किसी ने मन बना ही लिया है कि वो वोट चोरी करके रहेगा, तो करें। अब क्या ही कर सकते हैं।

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रेलवे ने स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ से निपटने के लिए किए विशेष इंतजाम, तीन स्तरीय वार रूम बनाया : अश्विनी वैष्णव

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मुंबई, 23 अक्टूबर : भारतीय रेलवे ने स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ से निपटने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं और इसके लिए डिवीजन, जोनल और बोर्ड लेवल पर तीन वार रूम बनाए गए हैं और स्टेशनों पर यात्रियों की भीड़ के हिसाब से निर्णय लिए जा रहे हैं।

मीडिया से बातचीत करते हुए वैष्णव ने वार रूम के काम करने के तरीके पर कहा कि हमने 10,700 ट्रेनों को चलाया है यानी आईआरटीसीटी के जरिए उनकी समय सारणी जारी कर दी गई है, जबकि करीब 3,000 ट्रेनों को रिजर्व में रखा है, जिससे अचानक भीड़ भड़ने पर ट्रेनों की आपूर्ति को बढ़ाया जा सके।

उदाहरण देते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सूरत के उधना रेलवे स्टेशन पर 18 अक्टूबर को काफी भीड़ देखी गई थी। उस समय वार रूम से आसपास के स्टेशनों पर रखी गई रिजर्व ट्रेनों को बुलाया गया और तुरंत समस्या को सुलझाया गया।

वहीं, इसी तरह की स्थिति एक दिन अंबाला देखी गई, तो जलंधर और उसके आसपास रिजर्व रखी गई ट्रेनों की आपूर्ति बढ़ाकर भीड़ को स्टेशन पर कम कर दिया गया है।

उन्होंने आगे बताया कि इस साल बिहार में गंतव्य की संख्या को बढ़ाकर 18 कर दिया गया है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 7 था।

भारतीय रेलवे ने यात्रियों की भारी भीड़ पर नजर रखने और उनका प्रबंधन करने के लिए रेल भवन में भी एक वॉर रूम स्थापित किया है। केंद्रीय मंत्री ने बताया कि यह कमांड सेंटर वास्तविक समय पर निगरानी रखने में सक्षम है और अधिकारियों को भीड़भाड़, यात्रियों की शिकायतों और संभावित घटनाओं का तुरंत समाधान करने में सक्षम बनाता है।

वॉर रूम सम्पूर्ण भारतीय रेलवे नेटवर्क की देखरेख करने वाली एक प्रभावी प्रणाली के रूप में विकसित हो चुका है, जिसमें रेलवे बोर्ड, जोनल और डिवीजन स्तर पर 80 से अधिक वॉर रूम सक्रिय हैं।

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