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Wednesday,27-August-2025
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ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने लगातार तीसरी बार नंबर 1

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ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) न्यूयॉर्क में जारी क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 में लगातार तीसरी बार भारत का नंबर 1 निजी विश्वविद्यालय होने का अपना गौरव हासिल किया है। लंदन स्थित क्वाक्वेरेली साइमंड्स (क्यूएस) ने इस साल भारत से कुल 41 संस्थानों को स्थान दिया है, जिसमें सात नए प्रवेशकर्ता शामिल हैं।

जेजीयू ने रैंक वाले संस्थानों की संख्या में वृद्धि के बावजूद भारतीय निजी विश्वविद्यालयों में अपना नंबर 1 स्थान बरकरार रखा है। 2023 संस्करण के लिए, क्यूएस ने कुल 2,462 संस्थानों का विश्लेषण किया और दुनिया में 1,422 संस्थानों को स्थान दिया। जेजीयू को इस वर्ष 651-700 बैंड में स्थान दिया गया है, जिससे यह भारत का एकमात्र निजी विश्वविद्यालय बन गया है, जिसने दुनिया के शीर्ष 700 विश्वविद्यालयों में स्थान पाया है।

यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 के अनुसार, जेजीयू भारत का नंबर 1 रैंक वाला विश्वविद्यालय भी है, जो पूरी तरह से सामाजिक विज्ञान, कला और मानविकी पर ध्यान केंद्रित करता है। भारत से जिन 41 संस्थानों को स्थान दिया गया है, उनमें से 11 आईआईटी हैं।

उल्लेखनीय रूप से, जेजीयू एकमात्र भारतीय गैर-एसटीईएम और गैर-चिकित्सा विश्वविद्यालय है, जिसे क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 में जगह मिली है।

जेजीयू पूरी तरह से सामाजिक विज्ञान, कला और मानविकी पर ध्यान केंद्रित करने वाला भारत का नंबर 1 रैंक वाला विश्वविद्यालय है।

जेजीयू एकमात्र भारतीय गैर-एसटीईएम और गैर-चिकित्सा विश्वविद्यालय है जिसे क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 में जगह मिली है।

विश्व स्तर पर, जेजीयू को वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 के 651-700 बैंड में स्थान दिया गया है।

यह लगातार तीसरा वर्ष है जब जेजीयू वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में सर्वोच्च रैंक वाला भारतीय निजी विश्वविद्यालय रहा है।

संकाय-छात्र अनुपात में, जेजीयू भारत का दूसरा सर्वोच्च रैंक वाला विश्वविद्यालय है।

अंतरराष्ट्रीय संकाय अनुपात में, जेजीयू भारत का तीसरा सर्वोच्च रैंक वाला विश्वविद्यालय है।

संकाय-छात्र अनुपात में जेजीयू दुनिया के शीर्ष 250 विश्वविद्यालयों में स्थान पर है।

जेजीयू को नियोक्ता प्रतिष्ठा में दुनिया के शीर्ष 450 विश्वविद्यालयों में स्थान दिया गया है।

क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 में भारतीय विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक चांसलर और इसके संरक्षक, नवीन जिंदल ने कहा, “यह भारतीय उच्च शिक्षा के लिए एक उल्लेखनीय दिन है क्योंकि क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 ने दिखाया कि वैश्विक रैंकिंग में स्थान पाने वाले भारतीय संस्थानों की संख्या में वृद्धि हुई है।”

उन्होंने कहा, “भारत के 41 संस्थानों में से, जिन्हें इस वर्ष स्थान दिया गया है, सात नए प्रवेशकर्ता हैं। यह भारतीय उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा वैश्विक मानकों से मेल खाने वाले स्तर पर शिक्षण और अनुसंधान की गुणवत्ता में सुधार के लिए एक सचेत प्रयास को इंगित करता है। यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है , भारतीय विश्वविद्यालय जल्द ही वैश्विक मान्यता के माध्यम से राष्ट्र को और अधिक गौरव दिलाएंगे।

जेजीयू की उपलब्धि के बारे में बोलते हुए, जिंदल ने टिप्पणी की, “प्रतिष्ठित क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग द्वारा लगातार तीसरे वर्ष भारत के नंबर 1 निजी विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता प्राप्त होना जेजीयू के लिए काफी उपलब्धि है। तथ्य यह है कि एक गैर-एसटीईएम और गैर- मेडिसिन विश्वविद्यालय साल दर साल भारत के शीर्ष निजी विश्वविद्यालय के रूप में उभरा है, यह साबित करता है कि मानविकी और सामाजिक विज्ञान के अध्ययन की रोजगार सृजन के साथ-साथ दुनिया की जटिल समस्याओं को हल करने के लिए आवश्यक ज्ञान के निर्माण के लिए जबरदस्त प्रासंगिकता है।”

“मैं अपने छात्रों के लिए भारत में विश्व स्तरीय शिक्षा को संभव बनाने की प्रतिबद्धता के लिए जेजीयू के कुलपति, संकाय और कर्मचारियों को बधाई देना चाहता हूं।”

इस रोमांचक विकास का स्वागत करते हुए, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर (डॉ.) सी. राज कुमार ने कहा, “क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग दुनिया भर के लाखों छात्रों को उच्च शिक्षा संस्थानों को चुनने के लिए एक बेंचमार्क प्रदान करती है।”

इस प्रतिष्ठित सूची में दुनिया भर के शीर्ष 700 सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में शामिल होना, जिसमें दुनिया के 100 स्थानों और 40,000 से अधिक विश्वविद्यालय शामिल हैं, जेजीयू के लिए जबरदस्त महत्व का विषय है क्योंकि विश्वविद्यालय विश्व स्तरीय शिक्षा के लिए एक शीर्ष गंतव्य के रूप में उभरा है। भारत में इसकी स्थापना के बाद से केवल 12 वर्षों के भीतर यह तथ्य कि जेजीयू ने विनाशकारी वैश्विक महामारी की अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बीच लगातार तीन वर्षों तक भारत में नंबर 1 निजी विश्वविद्यालय के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखी है।”

उन्होंने कहा, “जेजीयू ने अपने उत्कृष्ट संकाय-छात्र अनुपात, नियोक्ता प्रतिष्ठा और अंतर्राष्ट्रीय संकाय अनुपात के बल पर इस वर्ष अपनी वैश्विक रैंकिंग में सुधार किया है। ग्लोबल यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 में जेजीयू का प्रदर्शन एक वैश्विक शिक्षण अनुभव प्रदान करने के महत्व को रेखांकित करता है।”

क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के लिए, विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन अकादमिक प्रतिष्ठा, नियोक्ता प्रतिष्ठा, संकाय-छात्र अनुपात, प्रति संकाय उद्धरण, अंतरराष्ट्रीय संकाय अनुपात और अंतरराष्ट्रीय छात्र अनुपात के आधार पर किया जाता है। इस साल की रैंकिंग के लिए दुनिया भर के शिक्षाविदों से 151,000 प्रतिक्रियाओं और दुनिया भर के नियोक्ताओं से 99,000 प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण किया गया। संकाय-छात्र अनुपात में, जेजीयू को 63 का स्कोर प्राप्त हुआ, भारत का दूसरा सर्वोच्च रैंक वाला विश्वविद्यालय है। अंतरराष्ट्रीय संकाय अनुपात में, जेजीयू को 22.6 का स्कोर प्राप्त हुआ, भारत का तीसरा सर्वोच्च रैंक वाला विश्वविद्यालय है। नियोक्ता प्रतिष्ठा में,जेजीयू ने भारत से रैंक किए गए 41 संस्थानों में से 31 से अधिक अंक प्राप्त किए।

रैंकिंग का एक करीबी विश्लेषण प्रदान करते हुए, प्रोफेसर अज्र्या मजूमदार, डीन, रैंकिंग कार्यालय, बेंचमार्किं ग और संस्थागत परिवर्तन (ओआरबीआईटी), ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने कहा, क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 के अनुसार, जेजीयू को शीर्ष 250 विश्वविद्यालयों में स्थान दिया गया है। दुनिया में संकाय-छात्र अनुपात में, नियोक्ता प्रतिष्ठा में दुनिया के शीर्ष 450 विश्वविद्यालयों में, और अंतरराष्ट्रीय संकाय अनुपात में दुनिया के शीर्ष 550 विश्वविद्यालयों में से एक है।

“कुल मिलाकर, जेजीयू को सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ कैरोलिना, यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रैडफोर्ड, कागोशिमा यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टमिंस्टर और बीजिंग यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी, जैसे अन्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित विश्वविद्यालयों की तुलना में उच्च स्थान दिया गया है।”

वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2023 में, भारत सरकार द्वारा ‘इंस्टीट्यूशन ऑफ एमिनेंस’ (आईओई) का दर्जा देने के लिए चुने गए 20 संस्थानों में से 16 को जगह मिली है। इनमें 4 आईआईटी, भारतीय विज्ञान संस्थान, दिल्ली यूनिवर्सिटी, अन्ना यूनिवर्सिटी, हैदराबाद यूनिवर्सिटी, जादवपुर यूनिवर्सिटी, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी, मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, बिट्स पिलानी, अमृता विश्व विद्यापीठम, वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (वीआईटी) और जामिया हमदर्द शामिल हैं।

इस उपलब्धि पर टिप्पणी करते हुए, प्रोफेसर डाबीरू श्रीधर पटनायक, रजिस्ट्रार, जेजीयू ने कहा, “केवल वे विश्वविद्यालय जो शिक्षण और अनुसंधान की गुणवत्ता पर चमकते हैं, क्यूएस वल्र्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में जगह बनाते हैं, क्यूएस द्वारा दुनिया के शीर्ष 700 विश्वविद्यालयों में से एक के रूप में मान्यता प्राप्त है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित विश्वविद्यालयों की एक प्रतिष्ठित लीग में जेजीयू शामिल है। जेजीयू का उच्च नियोक्ता प्रतिष्ठा स्कोर यह भी दशार्ता है कि विश्वविद्यालय हमारे छात्रों को लाभकारी रोजगार हासिल करने के लिए आवश्यक आवश्यक तैयारी प्रदान करने में सफल रहा है।”

अंतरराष्ट्रीय

डोनाल्ड ट्रंप का 50 प्रतिशत वाला टैरिफ बम, भारत के लिए ‘अब्बा-डब्बा-जब्बा’

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PM MODI

नई दिल्ली, 8 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा रह-रहकर भारत को टैरिफ का दिखाया जा रहा डर अब उनके लिए ही परेशानी का कारण बनता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में जिस तरह से अमेरिका भारत के खिलाफ टैरिफ बम फोड़ने की धमकी दे रहा है, उसका माकूल जवाब भारत सरकार की तरफ से दिया जा रहा है।

दरअसल, भारत एक ऐसा वैश्विक बाजार बन चुका है, जिसकी जरूरत दुनिया के देशों को अपना व्यापार चलाने के लिए है। इसकी सबसे बड़ी वजह भारत की परचेजिंग पावर पैरिटी है। भारत इस मामले में अमेरिका से आगे है और यही वजह है कि भारत के बाजार पर पूरी दुनिया की नजर है।

पिछले कुछ दिनों में भारत को अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा दी जा रही टैरिफ धमकी का जवाब जिस तरह से दिया जा रहा है, वह भारत की वैश्विक ताकत को दिखाता है। एक तरफ जहां भारत के खिलाफ टैरिफ की धमकी अमेरिका के राष्ट्रपति दे रहे हैं तो उनका जवाब भारत की तरफ से देने के लिए विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता सामने आ रहे हैं। मतलब दुनिया के सबसे ताकतवर देश होने का दंभ भरने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति की धमकी का जवाब भी भारत के प्रधानमंत्री या विदेश मंत्री स्तर के नेता के द्वारा नहीं दिया जा रहा है।

अब एक बार भारत की तरफ से किए गए निश्चय पर ध्यान दें तो आपको पता चल जाएगा कि आखिर भारत अमेरिका की टैरिफ वाली धमकी को इतनी गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा है। भारत ने ट्रंप की टैरिफ वाली धमकी पर जो जवाब दिया है, उसका संदेश साफ है। भारत की तरफ से दिए गए जवाब को देखेंगे तो इससे स्पष्ट होता है कि अमेरिका के टैरिफ की भारत को कोई चिंता नहीं है और इसकी सबसे बड़ी वजह भारत का खुद आत्मनिर्भर बनना है। चाहे वह रक्षा का मामला हो या सुरक्षा का। दूसरी तरफ यह भी देखा जा रहा है कि अमेरिका से डील की किसी डेडलाइन की चिंता भारत में दिख नहीं रही है और सरकार की तरफ से साफ संदेश जा रहा है कि भारत प्रेशर में आने वाला नहीं है, ना ही प्रेशर में आकर कोई डील करेगा। इसके साथ ही भारत ट्रंप की मंशा भी अच्छी तरह से समझ रहा है कि अमेरिका भारत के पूरे बाजार में बेरोकटोक एक्सेस चाहता है जो किसी हाल में भारत देने को तैयार नहीं है।

इसके साथ ही नरेंद्र मोदी सरकार देश के किसानों और छोटे व्यवसायियों को किसी भी हाल में नुकसान होने देने के मूड में नहीं दिख रही है। वहीं, अमेरिका की तरफ से इस टैरिफ धमकी के जरिए इस पर भी दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है कि भारत अपने सबसे पुराने मित्र रूस से अपनी दोस्ती समाप्त कर ले तो भारत का यह संदेश भी स्पष्ट है कि ऐसा कभी होने वाला नहीं है।

भारत की अर्थव्यवस्था को ‘डेड’ बताने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को भी पता है कि भारत का बाजार जिस दिन अमेरिका के लिए बंद हुआ, उस दिन उनकी कई कंपनियों पर ताले लग जाएंगे। इसकी सबसे बड़ी वजह भारत की परचेजिंग पावर पैरिटी है। अब एक बार जानिए कि परचेजिंग पावर पैरिटी है क्या?

दरअसल, क्रय-शक्ति समता (परचेजिंग पावर पैरिटी- पीपीपी) अंतरराष्ट्रीय विनिमय का एक सिद्धांत है। जिसको आसान भाषा में समझिए कि यह एक-दूसरे देश में जीवन शैली पर किए गए व्यय के अनुपात को दर्शाता है। इसके अनुसार विभिन्न देशों में एकसमान वस्तुओं की कीमत समान रहती है। मतलब परचेजिंग पावर पैरिटी विभिन्न देशों में कीमतों का माप है, जो देशों की मुद्राओं की पूर्ण क्रय शक्ति की तुलना करने के लिए विशिष्ट वस्तुओं की कीमतों का उपयोग करती है।

यानी प्रत्येक देश में सामान और सेवाएं खरीदने के लिए एक देश की मुद्रा को दूसरे देश की मुद्रा में परिवर्तित करना होता है। अब इसे ऐसे समझें कि भारत के मध्यम वर्ग के लिए एक साल का बजट अगर 25 लाख का होता है, तो अमेरिका के मध्यम वर्गीय परिवार के लिए यही बजट यहां की मुद्रा के अनुसार 80 लाख से ज्यादा होता है।

अब भारत ने अमेरिका के उस दोहरे रवैये को भी उजागर कर दिया है, जिसमें अमेरिका भारत को रूस से दोस्ती और व्यापार खत्म करने के लिए धमकी दे रहा है। वहीं, वह खुद रूस से भारी मात्रा में तेल, गैस और फर्टिलाइजर खरीदता है।

हालांकि, भारत का विपक्ष अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत के ‘डेड’ इकोनॉमी वाले दावे पर सरकार को घेरने की कोशिश तो कर रहा है। लेकिन, विपक्ष के शशि थरूर, मनीष तिवारी और राजीव शुक्ला के साथ कई अन्य नेता भी हैं, जो ट्रंप के इस दावे को भद्दा मजाक तक बता दे रहे हैं। मतलब भारत में तो ट्रंप के दावे को भी मजाक में ही लिया जा रहा है।

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सत्ता में वापसी के बाद दुनिया के 70 से ज्यादा देशों पर टैरिफ बम फोड़ रखा है और उसे भी यह पता है कि इससे अमेरिका को भी बड़ा नुकसान होने वाला है। इसको सबसे पहले टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने समझा और उन्होंने सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति का विरोध करते हुए उनका साथ छोड़ दिया। ट्रंप के टैरिफ बम वाले दिखावे की वजह से अमेरिका के उद्योगपति भी घबराए हुए हैं। डोनाल्ड ट्रंप के साथ जिन देशों ने ट्रेड डील करने का दावा किया, उन्हें भी इस टैरिफ के मामले में नहीं बख्शा गया है। अब पाकिस्तान को हीं देख लें, जिस देश का सेना प्रमुख डोनाल्ड ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की मांग कर रहा है, उस पर भी ट्रंप ने 19 प्रतिशत टैरिफ ठोंक रखा है।

वैसे भी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की व्यापक सफलता के बाद से भारत में निर्मित हथियारों की दुनिया में तेजी से मांग बढ़ी है। ऐसे में अमेरिका, जो अपने आप को आधुनिक हथियारों का सबसे बड़ा डीलर मानता है, उसकी चिंता ज्यादा बढ़ गई है।

दूसरा, भारत तेल की खरीदारी भी भारी मात्रा में रूस से करता है, जबकि अमेरिका इस पर भी नजरें गड़ाए बैठा है कि भारत रूस को छोड़कर उससे तेल का सौदा करे। लेकिन, इस सब के बीच जैसे ही ट्रंप ने भारत के खिलाफ 50 प्रतिशत टैरिफ की बात कही, उससे पहले पीएम मोदी के चीन दौरे और फिर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे की खबर ने उसकी बेचैनी बढ़ा दी है। अमेरिका जानता है कि रूस, चीन और भारत अगर एक बेस पर आ गए तो अमेरिका के लिए यह बड़ा महंगा पड़ सकता है। डोनाल्ड ट्रंप भी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं कि भारत के खिलाफ जो उनका टैरिफ बम है, वह उनके देश की सेहत को भी नुकसान पहुंचाएगा। अमेरिका में दवाएं, ज्वेलरी, गोल्ड प्लेटेड गहने, स्मार्टफोन, तौलिये, बेडशीट, बच्चों के कपड़े तक महंगे हो जाएंगे।

अभी ये तो भारत की बात थी, लेकिन देखिए कैसे अमेरिका के खिलाफ दुनिया के और देश आगे आए हैं। भारत की वैश्विक ताकत का अंदाजा इससे लगाइए कि अभी कुछ दिन पहले विदेशी मीडिया की खबरों के अनुसार ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे को सुलझाने के लिए ट्रंप से बात करने के सवाल पर साफ कह दिया कि उन्हें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। इसके बजाय वे भारत के पीएम नरेंद्र मोदी को कॉल कर लेंगे, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को कॉल कर लेंगे, लेकिन वे ट्रंप को कॉल नहीं करेंगे।

लूला ने जो कहा उसके अनुसार, ”मैं ट्रंप को कॉल नहीं करूंगा क्योंकि वे बात ही नहीं करना चाहते हैं, मैं शी जिनपिंग को कॉल करूंगा, मैं पीएम मोदी को कॉल करूंगा, मैं पुतिन को इस समय कॉल नहीं करूंगा क्योंकि वे अभी यात्रा करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन मैं कई और राष्ट्रपतियों को कॉल करूंगा।”

लूला के इस बयान से ट्रंप को कैसी मिर्ची लगी होगी, यह तो सभी जानते हैं। उधर, पीएम मोदी का जिस अंदाज में लूला ने नाम लिया, वह भी ट्रंप के लिए चुभने वाला है। लूला ने तो ट्रंप की नीतियों को “ब्लैकमेल” बताते हुए साफ कर दिया कि अमेरिका ब्राजील पर टैरिफ लगाकर देखे, ब्राजील भी इसका जवाब शुल्क लगाकर देगा।

इसके साथ ही भारत और रूस की दोस्ती ही केवल अमेरिकी राष्ट्रपति की घबराहट की वजह नहीं है। दरअसल, भारत-पाकिस्तान और कंबोडिया और थाइलैंड के बीच सीजफायर को लेकर ट्रंप ने जैसे अपनी पीठ बिना किसी बात के थपथपाई वही कोशिश वह रूस-यूक्रेन के बीच भी सीजफायर होने के बाद करना चाह रहे थे। लेकिन, यूक्रेन-रूस की जंग रोकने के लिए ट्रंप ने जितने हथकंडे अपनाए सब फेल हो गए। पुतिन को ट्रंप ने हाई टैरिफ की धमकी भी दी, लेकिन रूस पर फिर भी कोई असर नहीं पड़ा तो ट्रंप बैखला गए। इसके बाद ट्रंप ने रूस के मित्र देशों और उनके साथ व्यापार करने वालों को निशाना बनाना शुरू किया। इसमें सबसे पहले ट्रंप के निशाने पर भारत, चीन और ब्राजील आए, लेकिन तीनों ही देशों पर ट्रंप की धमकी का वैसा ही असर पड़ा, जैसा रूस पर पड़ा था। अब ट्रंप गुस्से से आग बबूला होकर लगातार बयानबाजी कर रहे हैं।

वहीं, ट्रंप ब्रिक्स देशों के फाउंडर रहे भारत के खिलाफ तो टैरिफ की धमकी दे ही रहे हैं। वह ब्रिक्स में शामिल अन्य देशों के खिलाफ भी 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ की धमकी दे चुके हैं। ब्रिक्स दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें, ब्राजील, रूस, भारत, चीन, साउथ अफ्रीका, ईरान, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया और संयुक्त अरब अमीरात शामिल है। इन ब्रिक्स देशों की तरफ से एक-दूसरे से अपनी करेंसी में ट्रेड किया जाता है, वहीं इस समूह ने एक प्रपोजल भी दिया था कि इन देशों के बीच ट्रेड के लिए एक इंटरनेशनल करेंसी तैयार की जाए, ऐसे में डॉलर पर बड़े देशों या कहें कि उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों की निर्भरता कम हो जाने से अमेरिका का विश्व में प्रभुत्व बरकरार रखने पर भी खतरा मंडराएगा। ट्रंप को यह चिंता भी सता रही है।

जिस तरह से भारत डोनाल्ड ट्रंप की तमाम धमकियों के बाद भी अपने रुख पर अड़ा हुआ है और भारतीय बाजार को अमेरिका के लिए उसकी शर्तों पर खोलने के लिए तैयार नहीं हो रहा है। इससे भी ट्रंप के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ उभर आई हैं। ऐसे में अब ट्रंप को भारत से जिस भाषा में जवाब मिल रहा है, वह स्पष्ट संकेत दे रहा है कि अमेरिका की टैरिफ धमकी भारत के लिए ‘अब्बा-डब्बा-जब्बा’ जैसी है, इससे ज्यादा कुछ नहीं।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ को बढ़ावा देने के लिए नौ देशों में चार प्रोजेक्ट्स शुरू

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नई दिल्ली, 2 अगस्त। ‘साउथ-साउथ कोऑपरेशन’ यानी दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए भारत और संयुक्त राष्ट्र ने नौ साझेदार देशों में चार कैपेसिटी बिल्डिंग प्रोजेक्ट्स के पहले चरण की शुरुआत की है। यह पहल ‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को हासिल करने में देशों की मदद करना है।

इस पहल का शुभारंभ शुक्रवार को विदेश मंत्रालय (एमईए) के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने किया।

इन नौ सहयोगी देशों में जाम्बिया, लाओस, नेपाल, बारबाडोस, बेलीज, सेंट किट्स एंड नेविस, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो और दक्षिण सूडान शामिल हैं।

इस कार्यक्रम में विभिन्न देशों के मिशनों के प्रमुख, संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (आईटीईसी) की कार्यान्वयन संस्थाओं के अधिकारी, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियां और अन्य साझेदार संगठनों ने भी हिस्सा लिया।

विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ‘एक्स’ पर लिखा, “एसडीजी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ को बढ़ावा! ‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत नौ साझेदार देशों में चार परियोजनाओं के पहले चरण की सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल ने शुरुआत की। मिशनों के प्रमुख, यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प, राजनयिक, आईटीईसी संस्थाओं के अधिकारी, यूएन एजेंसियां और अन्य साझेदार संगठन कार्यक्रम में शामिल हुए। ये परियोजनाएं खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य, व्यावसायिक प्रशिक्षण और जनगणना की तैयारियों पर केंद्रित हैं।”

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तन्मय लाल ने कहा कि “एसडीजी-17 और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की भावना में, वैश्विक क्षमता निर्माण के लिए यह नई भारत-संयुक्त राष्ट्र पहल और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। इसका उद्देश्य एसडीजी से संबंधित प्रमुख क्षेत्रों में अनुभव साझा करना और वैश्विक दक्षिण साझेदारों को सशक्त बनाना है।”

‘इंडिया-यूएन ग्लोबल कैपेसिटी बिल्डिंग इनिशिएटिव’ के तहत, संयुक्त राष्ट्र अपनी वैश्विक पहुंच का उपयोग करते हुए भारत की श्रेष्ठ कार्यप्रणालियों और संस्थानों को अन्य देशों से जोड़ने में मदद करेगा, ताकि सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजीएस) को हासिल करने की गति तेज की जा सके। इस पहल में स्किल्स ट्रेनिंग, नॉलेज एक्सचेंज, और साझेदार देशों में पायलट प्रोजेक्ट्स जैसी कई गतिविधियां शामिल हैं, जिन्हें नए ‘यूएन इंडिया एसडीजी कंट्री फंड’ और आईटीईसी कार्यक्रम के जरिए लागू किया जाएगा।

यूएन रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर शॉम्बी शार्प ने कहा, “वसुधैव कुटुम्बकम (दुनिया एक परिवार है) की भावना के तहत, भारत एसडीजी को गति देने के लिए ‘दक्षिण-दक्षिण सहयोग’ में अपनी लंबे समय से चली आ रही नेतृत्वकारी भूमिका को विस्तार दे रहा है, जिसमें भारतीय संस्थानों और यूएन प्रणाली की नवाचार और साझेदारी क्षमता का भरपूर उपयोग किया जा रहा है।”

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अंतरराष्ट्रीय

अमेरिका ने भारत पर लगाए गए टैरिफ को टाला, जानें नई तारीख

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TRUMP

वॉशिंगटन/नई दिल्ली, 1 अगस्त। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाली सरकार ने भारत से आयातित वस्तुओं पर लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ को एक हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया है। अब यह टैरिफ 1 अगस्त की बजाय 7 अगस्त से प्रभावी होगा।

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत समेत 92 देशों पर नए टैरिफ लगा दिए हैं। ये 7 अगस्त से लागू होंगे। इसमें भारत पर 25 फीसदी और पाकिस्तान पर 19 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। साउथ एशिया में सबसे कम टैरिफ पाकिस्तान पर लगाया गया है; पहले ये 29 फीसदी था।

वहीं दुनियाभर में सबसे ज्यादा टैरिफ सीरिया पर लगाया गया है, जो 41 प्रतिशत है। लिस्ट में चीन का नाम शामिल नहीं है।

ट्रंप ने 2 अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया था, लेकिन 7 दिन बाद ही इसे 90 दिनों के लिए टाल दिया था। कुछ दिनों बाद 31 जुलाई तक का समय दिया था। फिर 90 दिनों में 90 सौदे कराने का टारगेट रखा गया था। हालांकि इस बीच अमेरिका का महज 7 देशों से समझौता हो पाया।

डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को नए टैरिफ की घोषणा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर एक पोस्ट में लिखा, “भारत हमेशा से रूस से अधिकांश सैन्य आपूर्ति खरीदता आया है और अब चीन के साथ मिलकर रूस से ऊर्जा का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। ऐसे समय में जब पूरी दुनिया रूस-यूक्रेन युद्ध के समाप्त होने की उम्मीद कर रही है, भारत का यह रुख उचित नहीं है। ये चीजें अच्छी नहीं हैं।”

ट्रंप ने आगे कहा कि इसलिए भारत को 25 प्रतिशत टैरिफ देना होगा और इन कारणों को लेकर उसे एक अतिरिक्त जुर्माना भी भुगतना होगा। वहीं, ट्रंप के इस ऐलान पर भारत ने कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।

ट्रंप की ओर से भारत पर लगाए गए इस टैरिफ पर विपक्ष ने सवाल उठाया है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भारत पर 25 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ के बाद सरकार की पॉलिसी पर सवाल उठाए। राहुल गांधी ने कहा कि भाजपा को देश चलाना नहीं आता है। इस सरकार ने देश की पूरी इकॉनमी को खत्म कर दिया है।

पहले यह टैरिफ 1 अगस्त, शुक्रवार से लागू होने थे, लेकिन ट्रंप ने इस निर्णय को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया है। ‘पारस्परिक टैरिफ दरों में और संशोधन’ नामक एक कार्यकारी आदेश में राष्ट्रपति ट्रंप ने दुनिया भर के लगभग 70 देशों के लिए टैरिफ दरों की घोषणा की थी। भारत इनमें से एक प्रमुख देश है।

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राज्य में भ्रष्टाचार भी ‘स्मार्ट’ : सीएम देवेंद्र फडणवीस की ‘स्मार्ट विलेज’ योजना पर शिवसेना-यूबीटी ने उठाए सवाल

महाराष्ट्र3 weeks ago

महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी में विधायक रईस शेख का पत्ता कटा, यूसुफ अब्राहनी ने ली जगह

महाराष्ट्र3 weeks ago

मुंबई कबूतरखाना विवाद सुलझा, देवेंद्र फडणवीस का बड़ा फैसला

राष्ट्रीय समाचार3 weeks ago

ठाणे: कल्याण के पास डकैती की कोशिश में चलती तपोवन एक्सप्रेस ट्रेन से गिरकर यात्री का पैर कटा; चोर फोन छीनकर भाग गया

महाराष्ट्र3 weeks ago

उर्दू पत्रकारों के लिए पेंशन की मांग, विधायक अबू आसिम आज़मी ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखा पत्र

राष्ट्रीय समाचार3 weeks ago

‘हे आमचा महाराष्ट्र आहे’: मुंबई लोकल ट्रेन में महिला ने सह-यात्री को मराठी बोलने के लिए मजबूर किया;

महाराष्ट्र1 week ago

मुंबई में बारिश: मीठी नदी खतरे के निशान से ऊपर, निचले इलाकों में दहशत और लोगों को निकाला गया

महाराष्ट्र1 week ago

मुंबई: अगले 2 घंटों के लिए शहर रेड अलर्ट पर, लोकल ट्रेनें देरी से चल रही हैं; वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर ट्रैफिक जाम

राष्ट्रीय समाचार4 days ago

मुंबई कबूतरखाना विवाद: पेटा इंडिया ने सीएम देवेंद्र फडणवीस को लिखा पत्र, एसी, ह्यूमिडिफायर और धूल कबूतरों की बीट से भी ज़्यादा चिंताजनक

महाराष्ट्र4 weeks ago

‘बायकोवर का जातोय?’: विरार-दहानू मुंबई लोकल ट्रेन में पुरुषों के बीच कुश्ती, मुक्के, थप्पड़-मारपीट

अपराध7 days ago

मुंबई के भांडुप में करंट लगने से 17 वर्षीय युवक की मौत, हेडफोन बनी ‘वजह’

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