अंतरराष्ट्रीय समाचार
नेपाल लिपुलेख में भारतीय सेना की गतिविधि पर ‘करीब से’ रख रहा नजर

नेपाल सरकार ने भारत-चीन के बीच सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए लिपुलेख क्षेत्र में अपनी सेना को भारतीय सेना की गतिविधियों पर ‘करीब से निगरानी’ रखने का निर्देश दिया है।
लिपुलेख भारत, नेपाल और चीन के बीच उत्तराखंड के कालापानी घाटी की ऊंचाई पर स्थित एक ट्राइ-जंक्शन है। बीते सप्ताह, के.पी. शर्मा ओली सरकार के गृह मंत्रालय ने नेपाली सशस्त्र पुलिस बल(एनएपीएफ) को ट्राइ-जंक्शन की निगरानी शुरू करने का निर्देश जारी किया था।
लिपुलेख में एनएपीएफ के 44 बटालियन को तैनात किया गया। भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ने की संभावना को देखते हुए वहां बटालियन को अग्रिम क्षेत्रों में लंबी दूरी तक पट्रोलिंग करने का आग्रह किया गया है।
चीन ने भी लिपुलेख में अपने जवानों की संख्या को बढ़ाना शुरू कर दिया है। ट्राई-जंक्शन के पास 150 ‘लाइट कंबाइन्ड आर्मी ब्रिगेड’ को तैनात किया गया है। ब्रिगेड को यहां बीते महीने तैनात किया गया था। चीन ने सीमा से 10 किलोमीटर दूर पाला में भी अपने जवानों को तैनात किया है।
जुलाई में चीन ने पाला के पास 1,000 जवानों को तैनात किया और वहां एक स्थायी पोस्ट का निर्माण भी किया था। सूत्रों के अनुसार, “कुछ दिन पहले, चीन की ओर से पोस्ट पर 2000 से ज्यादा अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई थी।”
भारत ने वहां 17,000 फीट की ऊंचाई पर सड़क निर्माण किया था, जिससे भारत और नेपाल के बीच कूटनीतिक तनाव पैदा हो गया था। काठमांडू ने इस क्षेत्र पर अपना दावा किया था। इस सड़क का निर्माण कैलाश मानसरोवर के श्रद्धालुओं के समय की बचत के लिए किया गया है।
नेपाल और भारत के बीच तनाव तब और बढ़ गया, जब नेपाल ने नए राजनीतिक नक्शे में इस क्षेत्र को अपना बताया।
दूसरी तरफ, भारत और चीन सीमा के पास कई जगहों पर एक-दूसरे के आमने-सामने रहे हैं। चीन ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश कर एलएसी के पास कई जगहों पर यथास्थिति को बदल दिया था। लेकिन भारत ने इसका विरोध किया और सभी स्तर पर चीन के समक्ष यह मामला उठा रहा है।
बीते सप्ताह, भारत ने पूर्वी लद्दाख के पैंगॉन्ग सो में यथास्थिति बदलने के चीन की भड़काऊ सैन्य गतिविधि को विफल कर दिया था। चीन ये दुस्साहस तब कर रहा है, जब दोनों देश पहले से ही सीमा विवाद को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य वार्ता कर रहे हैं।
अपने बयान में, भारतीय सेना ने कहा कि, ” 29 अगस्त और 30 अगस्त 2020 की रात को, चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी(पीएलए) ने सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बाद भी अतिक्रमण किया और भड़काने वाली सैन्य गतिविधि से यथास्थिति बदलने की कोशिश की।”
सेना ने कहा, “भारतीय क्षेत्र ने पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी क्षेत्र को पीएलए की इस गतिविधि से मुक्त करा लिया। इसके अलावा स्थिति को मजबूत करने के लिए उपाय किए गए हैं और चीन की तरफ से एकतरफा यथास्थिति बदलने के प्रयास को विफल कर दिया गया।”
चीन ने फिर से 31 अगस्त को भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश की, जिसे भारतीय सेना ने रोक दिया।
चीन ने एलएसी के पास तीन सेक्टरों-पूर्वी (लद्दाख), मध्य(उत्तराखंड, हिमाचल), पूर्वी (सिक्किम, अरुणाचल) में सेना को तैनात किया है।
भारत ने भी चीन की सैन्य गतिविधि का जवाब देने के लिए एलएसी के पास अपनी ताकत बढ़ाई है। जून में, गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। चीन की तरफ से भी अज्ञात संख्या में जवानों की मौत हुई थी।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
इजरायली हमलों के बाद अमेरिकी दौरे पर कतर के प्रधानमंत्री, करेंगे डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात

TRUMP
वाशिंगटन, 13 सितंबर। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप न्यूयॉर्क में कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी से मिलेंगे। यह मुलाकात दोहा में इजरायली हवाई हमले के कुछ ही दिनों बाद हो रही है, जिसमें हमास के नेताओं को निशाना बनाया गया था। स्थानीय मीडिया ने इसकी जानकारी दी है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के भी इस बैठक में शामिल होने की उम्मीद है।
मीडिया के हवाले से बताया कि कतर के प्रधानमंत्री शुक्रवार को व्हाइट हाउस में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ लगभग एक घंटे की बातचीत के बाद न्यूयॉर्क के लिए रवाना हुए।
व्हाइट हाउस में हुई बैठक को “काफी सकारात्मक” बताया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों पक्षों ने मिडिल ईस्ट में शांति स्थापित करने में कतर की भूमिका और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग समझौते पर चर्चा की।
एक अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी साथ में डिनर करेंगे, जिसमें ट्रंप के एक शीर्ष सलाहकार, अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ भी शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी मंगलवार को हुए इजरायली हमले के बाद कतर की ओर से बुलाई गई इमरजेंसी अरब समिट से ठीक पहले अमेरिका दौरे पर गए हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि उन्हें हमले के स्थान को लेकर बहुत दुख हुआ है और उन्होंने फोन पर कतर के नेताओं को आश्वासन दिया कि ऐसी घटना दोबारा उनके देश की जमीन पर नहीं होगी।
कतर ने इजरायल पर शांति की संभावनाओं को तोड़ने का प्रयास करने का आरोप लगाया है। कतर ने कहा कि वह इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम वार्ता में मध्यस्थ
अंतरराष्ट्रीय समाचार
आईटी शेयरों में तेजी से सेंसेक्स 330 अंक चढ़ा, निफ्टी 24,500 स्तर के ऊपर

मुंबई, 1 सितंबर: भारतीय बेंचमार्क सूचकांकों ने सोमवार को सप्ताह की शुरुआत बढ़त के साथ की। शुरुआती कारोबार में आईटी और पब्लिक सेक्टर बैंक के शेयरों में तेजी रही।
अमेरिकी कोर्ट के एक फैसले से मार्केट सेंटीमेंट को बल मिला, जिसमें कहा गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ अवैध थे, लेकिन अक्टूबर के मध्य तक उन्हें बरकरार रखा जाएगा। इसके अलावा, जून तिमाही के अनुमान से बेहतर जीडीपी आंकड़ों से भी बाजार में तेजी आई।
सुबह के कारोबार में सेंसेक्स 335 अंक या 0.42 प्रतिशत बढ़कर 80,144 पर पहुंच गया, जबकि निफ्टी 50 इंडेक्स 104.30 अंक या 0.43 प्रतिशत बढ़कर 24,531 पर पहुंच गया।
ब्रॉड-कैप सूचकांकों ने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया। निफ्टी मिडकैप 100 में 0.85 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉलकैप 100 में 0.70 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।
सेक्टोरल फ्रंट पर, निफ्टी आईटी सूचकांक 1.59 प्रतिशत की बढ़त के साथ शीर्ष प्रदर्शन करने वाला सूचकांक रहा। निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सूचकांक में 0.98 प्रतिशत की तेजी आई। निफ्टी मेटल और पीएसयू बैंक सूचकांक क्रमशः 0.78 और 0.79 प्रतिशत की बढ़त में रहे। दूसरी ओर, निफ्टी एफएमसीजी सूचकांक ने 0.24 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की।
निफ्टी पैक में टेक महिंद्रा, टीसीएस, हीरो मोटोकॉर्प, एचसीएल टेक और ट्रेंट टॉप गेनर्स रहे। इस बीच, जियो फाइनेंशियल 1.14 प्रतिशत की गिरावट के साथ टॉप लूजर रहा, इसके बाद टॉप लूजर्स की लिस्ट में रिलायंस, एचयूएल, मारुति सुजुकी और टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स का स्थान रहा।
चॉइस ब्रोकिंग के मंदार भोजने ने कहा, “निफ्टी 50 अपने 100-डीईएमए से नीचे कारोबार कर रहा है, जो एक कमजोर रुझान दर्शाता है और अगर यह 24,350 से नीचे चला जाता है तो और अधिक गिरावट का जोखिम है। मुख्य समर्थन 24,350 और 24,150 पर हैं, जबकि प्रतिरोध 24,600-24,800 पर है।”
विश्लेषकों को यह भी उम्मीद है कि ट्रंप के मनमाने व्यवहार के जवाब में चीन, भारत और रूस एकजुट होंगे, जिससे वैश्विक शक्ति समीकरण और व्यापार प्रभावित होंगे।
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी अदालत का यह फैसला कि ट्रंप के टैरिफ अवैध हैं, एक बड़ी घटना है और इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला बेहद अहम है।
उन्होंने आगे कहा, “घरेलू स्तर पर, भारत की पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रही, जो उम्मीद से कहीं बेहतर है। ऐसा प्रतीत होता है कि बजट में दिए गए राजकोषीय प्रोत्साहन और एमपीसी द्वारा दिए गए मौद्रिक प्रोत्साहन का असर अब दिखने लगा है। प्रस्तावित जीएसटी सुधार आने वाली तिमाहियों में विकास को गति दे सकते हैं।”
शुक्रवार को अमेरिकी बाजार लाल निशान में बंद हुए, जहां डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि नैस्डैक में 1.15 प्रतिशत और एसएंडपी 500 में 0.64 प्रतिशत की गिरावट आई।
एशियाई बाजारों में सप्ताह की शुरुआत मिली-जुली रही। चीन का शंघाई सूचकांक 0.48 प्रतिशत और शेन्जेन सूचकांक 0.52 प्रतिशत की बढ़त में रहे। जापान का निक्केई 2.03 प्रतिशत की गिरावट में रहा, जबकि हांगकांग का हैंगसेंग सूचकांक 2.02 प्रतिशत की तेजी में रहा। दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.83 प्रतिशत की गिरावट में रहा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने अगस्त में भारतीय शेयरों से 34,993 करोड़ रुपए निकाले, जो इस वर्ष की उनकी सबसे बड़ी गिरावट थी, क्योंकि अमेरिकी टैरिफ झटकों और जून तिमाही की कमजोर आय से सेंटीमेंट प्रभावित हुआ था।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को ‘लगभग तुरंत’ खत्म कर सकते हैं : ट्रंप

TRUMP
वाशिंगटन, 18 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत खत्म करने का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि, रूस के कब्जे वाले क्रीमिया को वापस लेना या नाटो में शामिल होना उनके लिए संभव नहीं है।
ट्रंप ने रविवार को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर कहा, “यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की यदि चाहें तो रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत समाप्त कर सकते हैं, या फिर वे लड़ाई जारी रख सकते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब ओबामा के समय (12 साल पहले) की तरह क्रीमिया वापस नहीं मिलेगा, और यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा।
जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ बेहद महत्वपूर्ण वार्ता की पूर्व संध्या पर, राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस में स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए जेलेंस्की को रूस की कुछ शर्तों पर सहमत होना होगा।
इन शर्तों में दो मुख्य बातें हैं: यूक्रेन क्रीमिया रूस को दे दे (जिसे रूस ने 2014 में अपने साथ मिला लिया था) और कभी नाटो में शामिल न हो। ये वही शर्तें हैं जो रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध खत्म करने के लिए रखी हैं।
यूरोपीय नेता, जो सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस जा रहे हैं, वह इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ट्रंप इस मुलाकात में जेलेंस्की पर दबाव डाल सकते हैं ताकि वे पुतिन की अलास्का शिखर सम्मेलन में रखी शर्तों को मान लें।
वे ट्रंप से यह जानना चाहते हैं कि शांति समझौते में रूस क्या छोड़ सकता है और भविष्य में अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी में क्या भूमिका निभाएगा।
ट्रंप ने जेलेंस्की को भेजे अपने संदेश के बाद लिखा, “कल व्हाइट हाउस में बड़ा दिन है। इतने सारे यूरोपीय नेता एक साथ कभी नहीं आए। उनकी मेजबानी करना मेरे लिए सम्मान की बात है!!!”
यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब और नाटो महासचिव मार्क रुटे सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस की यात्रा में शामिल होंगे।
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