राष्ट्रीय समाचार
नासिक : सतपीर दरगाह पर चला बुलडोजर, हाईकोर्ट के आदेश पर की गई कार्रवाई
नासिक, 16 अप्रैल। महाराष्ट्र के नासिक में मंगलवार को अवैध निर्माण हटाने के दौरान हिंसक झड़प में 21 पुलिसकर्मी घायल हो गए। नासिक महानगरपालिका ने बुलडोजर कार्रवाई की, जिसका भारी विरोध किया गया। भारी संख्या में जुटे लोगों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े।
हाईकोर्ट के आदेशानुसार यह कार्रवाई की गई, लेकिन जैसे ही इसे अंजाम देने की शुरुआत हुई, भीड़ ने इसका तीव्र विरोध किया। इसके बाद, मंगलवार रात हाईकोर्ट के निर्देशानुसार दरगाह ट्रस्टियों ने दरगाह को खुद हटाने की प्रक्रिया शुरू की थी। इसी दौरान बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए और उन्होंने विरोध करना शुरू कर दिया। स्थिति तब और बिगड़ गई जब उग्र भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। इतना ही नहीं, भीड़ ने उन मुस्लिम नेताओं पर भी हमला किया जो लोगों को शांत कराने पहुंचे थे।
स्थिति को काबू में करने और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इस दौरान आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए। इस हिंसा में कुल 21 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और पुलिस के तीन वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। काफी मशक्कत के बाद स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सका।
बुधवार सुबह दरगाह को पूरी तरह से गिरा दिया गया। इस घटना को लेकर प्रशासन ने एफआईआर दर्ज कर ली है और आरोपियों की पहचान कर गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जोन-1 के अधिकारी, सभी डीसीपी, एसीपी, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक व अन्य स्टाफ को उनके प्रयासों के लिए बधाई दी गई है।
इस कार्रवाई के मद्देनजर पुलिस से भी काफी बंदोबस्त कर रखा था। दरगाह के पास सड़कों पर हर तरफ भारी पुलिस बल की तैनाती की गई थी।
नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। 15 दिन तक इस दिशा में कुछ नहीं किया गया तो बुलडोजर कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
मनोरंजन
‘तन्वी: द ग्रेट’ को मिला इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ ऑस्ट्रेलिया में सम्मान, खुशी से झूमे अनुपम खेर

मुंबई, 10 दिसंबर: हिंदी सिनेमा में 4 दशकों से ज्यादा तक अपनी वर्सटाइल एक्टिंग से दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले अभिनेता अनुपम खेर आज भी फिल्मों में सक्रिय हैं।
अभिनेता के लिए ये साल 2025 का साल सबसे बेहतरीन रहा है क्योंकि उनकी फिल्म ‘तन्वी: द ग्रेट’ को सिर्फ भारत में सम्मान और प्यार नहीं मिला है, बल्कि विदेशों में भी फिल्म को पसंद किया जा रहा है। अब अभिनेता की फिल्म को इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ ऑस्ट्रेलिया में सम्मान मिला है।
ऑस्ट्रेलिया के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में ‘तन्वी: द ग्रेट’ फिल्म को बेस्ट स्क्रीनप्ले फिल्म के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है और उससे पहले इसी फिल्म की लीड एक्ट्रेस को शुभांगी दत्त बेस्ट एक्ट्रेस के अवॉर्ड से नवाजा गया। वैश्विक स्तर पर अपनी फिल्म को मिले इतने प्यार और सम्मान के लिए उन्होंने पूरी टीम को बधाई दी है और अपनी खुशी सोशल मीडिया के जरिए फैंस के साथ शेयर की है।
उन्होंने कैप्शन में लिखा, ‘तन्वी: द ग्रेट’ की बड़ी जीत। हाल ही में संपन्न हुए ऑस्ट्रेलिया के अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में हमने सर्वश्रेष्ठ पटकथा और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता। मेरे सह-लेखकों अभिषेक दीक्षित और अंकुर सुमन को उनके समर्पण और प्रतिभा के लिए हार्दिक बधाई और प्रिय शुभांगी दत्त को सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने के लिए एक बार फिर बधाई।
उन्होंने आगे लिखा, “पूरी टीम ने फिल्म के निर्माण में अपना दिल, मेहनत और आत्मा लगा दी है। ये फिल्म हम सब के लिए बहुत खास है।”
साल 1982 में ‘आगमन’ से फिल्म से डेब्यू करने वाले अनुपम खेर के लिए फिल्म ‘तन्वी: द ग्रेट’ बहुत खास है, क्योंकि इस फिल्म का डायरेक्शन उन्होंने खुद किया है और फिल्म की कहानी भी दिल के बहुत करीब है। फिल्म की कहानी को अभिनेता ने अपनी भांजी की जिंदगी से लिया है, जो ऑटिज्म से पीड़ित है लेकिन बहुत प्रतिभाशाली हैं। वे बहुत अच्छा गाना गाती हैं और उनकी वीडियो को अभिनेता अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर भी करते हैं।
‘तन्वी: द ग्रेट’ को पहले 11 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज किया गया था। हालांकि बॉक्स ऑफिस पर फिल्म को अपेक्षित सफलता नहीं मिलने से अभिनेता बहुत दुखी हुए थे और उन्होंने कहा था कि अच्छी फिल्मों को दर्शकों तक पहुंचाना बहुत जरूरी है, जिसके बाद फिल्म को 26 सितंबर को रिलीज किया गया। फिल्म को 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में दिखाया गया और अब फिल्म एक के बाद एक अवॉर्ड भी जीत रही है।
राजनीति
सीजेआई के खिलाफ ‘मोटिवेटेड’ कैंपेन पर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 44 पूर्व जजों ने जताई कड़ी आपत्ति

नई दिल्ली, 10 दिसंबर: देश के 44 पूर्व सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) पर रोहिंग्या प्रवासियों से जुड़ी टिप्पणियों को लेकर चल रहे ‘प्रेरित और भड़काऊ अभियान’ की कड़ी निंदा की है।
न्यायाधीशों ने इस मामले में 5 दिसंबर को जारी ओपन लेटर का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट की प्रतिष्ठा को प्रभावित करने का यह प्रयास स्वीकार्य नहीं है। बता दें कि पत्र में कहा गया था कि 2 दिसंबर की सुनवाई में रोहिंग्या शरणार्थियों पर अमानवीय टिप्पणी हुई।
पूर्व न्यायाधीशों ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया पर तर्कसंगत आलोचना हो सकती है, लेकिन वर्तमान में जो कुछ हो रहा है, वह नियमित अदालत कार्यवाही को पक्षपातपूर्ण रूप में पेश कर न्यायपालिका की वैधता पर सवाल उठाने का प्रयास है। उन्होंने विशेष रूप से बताया कि सीजेआई केवल यह पूछ रहे थे कि कानून के तहत रोहिंग्या के कौन से अधिकार या दर्जे का दावा किया जा रहा है।
पत्र में न्यायाधीशों ने यह भी रेखांकित किया कि कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि भारत में किसी भी व्यक्ति (नागरिक या विदेशी) के साथ यातना, गुमनामी या अमानवीय व्यवहार नहीं किया जा सकता और हर व्यक्ति की गरिमा का सम्मान होना चाहिए। इस बात को नजरअंदाज कर अदालत पर अमानवीयता का आरोप लगाना गंभीर विकृति है।
पूर्व न्यायाधीशों ने रोहिंग्या प्रवासियों की स्थिति और कानूनी परिप्रेक्ष्य स्पष्ट करते हुए कहा कि रोहिंग्या प्रवासी भारतीय कानून के तहत शरणार्थी नहीं हैं। अधिकांश मामलों में उनकी भारत में प्रविष्टि अनियमित या अवैध है। केवल दावा करने से उन्हें कानूनी शरणार्थी दर्जा नहीं मिल सकता। भारत 1951 के यूएन शरणार्थी सम्मेलन और 1967 के प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं है। इसलिए भारत के कर्तव्य उसके संविधान, विदेशी और प्रवास कानूनों और सामान्य मानवाधिकारों से तय होते हैं, न कि किसी अंतरराष्ट्रीय संधि से।
अवैध प्रवासियों द्वारा आधार कार्ड, राशन कार्ड और अन्य पहचान दस्तावेज प्राप्त करना गंभीर चिंता का विषय है। यह सिस्टम की विश्वसनीयता को कमजोर करता है और दस्तावेजी धोखाधड़ी तथा संगठित नेटवर्क की आशंका पैदा करता है।
ऐसे मामलों में कोर्ट-नियंत्रित विशेष जांच दल (एसआईटी) की स्थापना आवश्यक है, जो जांच करे कि अवैध प्रवासियों ने कैसे पहचान और कल्याण दस्तावेज प्राप्त किए, कौन से अधिकारी और मध्यस्थ शामिल हैं और क्या कोई तस्करी या सुरक्षा-संबंधित नेटवर्क सक्रिय हैं।
रोहिंग्या की स्थिति म्यांमार में भी जटिल है, जहां उन्हें अवैध प्रवासी माना जाता है और नागरिकता का विवाद है। इस पृष्ठभूमि में भारतीय अदालतों को कानूनी श्रेणियों के आधार पर निर्णय लेने की आवश्यकता है, न कि राजनीतिक नारे या लेबल के आधार पर।
पूर्व न्यायाधीशों ने यह स्पष्ट किया कि न्यायपालिका का हस्तक्षेप संवैधानिक सीमाओं के भीतर है और यह देश की अखंडता बनाए रखते हुए मानव गरिमा की रक्षा कर रहा है।
संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में देश के कई वरिष्ठ और प्रतिष्ठित पूर्व न्यायाधीश शामिल हैं। इनमें सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अनिल दवे, जस्टिस हेमंत गुप्ता, राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अनिल देव सिंह, दिल्ली एवं जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीसी पटेल और पटना हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस पीबी बाजंथरी समेत 44 प्रमुख पूर्व जजों के नाम शामिल हैं।
पूर्व न्यायाधीशों ने कहा, “भारत का संवैधानिक क्रम मानवता और सतर्कता दोनों की मांग करता है। न्यायपालिका ने मानव गरिमा की रक्षा करते हुए राष्ट्रीय अखंडता बनाए रखी है और इसे सकारात्मक समर्थन मिलना चाहिए, न कि नकारात्मक प्रचार।”
अपराध
मुंबई में चौंकाने वाली घटना: मलाड में 17 साल की लड़की से छेड़छाड़ और उसे चलती गाड़ी से धक्का देने के आरोप में ऑटो ड्राइवर गिरफ्तार

CRIME
मुंबई: मलाड पुलिस ने एक 54 वर्षीय ऑटोरिक्शा चालक को पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम और हत्या के प्रयास के तहत गिरफ्तार किया है। उसने कथित तौर पर अपने ऑटोरिक्शा में एक 17 वर्षीय कॉलेज छात्रा के साथ छेड़छाड़ की। जब वह मदद के लिए चिल्लाने लगी, तो उसने उसे चलती गाड़ी से धक्का दे दिया। घटना 8 दिसंबर की है। आरोपी की पहचान कांदिवली पश्चिम निवासी केशव यादव के रूप में हुई है।
मलाड पुलिस के अनुसार, पीड़िता मलाड पश्चिम के एक नामी कॉलेज की छात्रा है। कॉलेज के बाद, शाम करीब 4:30 बजे, वह एसवी रोड पर एक ऑटो रिक्शा ढूँढ रही थी। उसने एक ऑटो रुकवाया और ड्राइवर से मलाड पश्चिम के ओरलेम स्थित सुराना अस्पताल ले चलने को कहा। शुरुआत में वह ऑटो रिक्शा के दाईं ओर बैठी। ड्राइवर ने उसे बताया कि सड़क पर काम चल रहा है और चूँकि वह अकेली थी, इसलिए उसने उसे बीच वाली सीट पर बैठने के लिए कहा।
हालाँकि, उसने उसके बताए रास्ते से नहीं लिया। बल्कि, वह एक अलग रास्ते से चला गया। उसने रियर-व्यू मिरर से उसे देखा और कई बार अश्लील इशारे किए। वह डर गई और उसने ऑटोरिक्शा रोकने को कहा। इसके बजाय, उसने गति बढ़ा दी। डरकर, वह चिल्लाने लगी, लेकिन उसने उसे धमकाया। कुछ देर की खामोशी के बाद, वह फिर चिल्लाई। इस बार, उसने उसे ऑटोरिक्शा से धक्का दे दिया, कथित तौर पर उसे मारने के इरादे से, क्योंकि व्यस्त सड़क पर अन्य वाहन गुजर रहे थे।
लड़की घर लौटी और अपनी मां और बहन के साथ मलाड पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने सोमवार को भारतीय न्याय संहिता की धारा 79 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना) और 109 (हत्या का प्रयास) के साथ-साथ पीओसीएसओ अधिनियम की धारा 12 (बाल यौन उत्पीड़न) के तहत मामला दर्ज किया।
मलाड पुलिस ने तुरंत जाँच शुरू कर दी। डिटेक्शन टीम के सहायक पुलिस निरीक्षक रायवाड़े और पुलिस उप-निरीक्षक तुषार सुखदेव ने घटनास्थल का दौरा किया और मामले की जाँच शुरू की। पुलिस ने आसपास के लगभग 30 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी और ऑटोरिक्शा का नंबर पहचाना। उन्होंने ऑटोरिक्शा की आखिरी लोकेशन कांदिवली पश्चिम में पाई। कुछ ही घंटों में, पुलिस को ऑटोरिक्शा कांदिवली पश्चिम के मथुरादास रोड पर मिल गया। आरोपी केशव यादव गाड़ी के अंदर सो रहा था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया और अदालत ने उसे 11 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि आरोपी अपने ऑटो-रिक्शा में ही रहता है। हालांकि वाहन किसी और के नाम पर पंजीकृत है, लेकिन आरोपी ही उसका वास्तविक मालिक है। उसके खिलाफ पहले कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।
यह अभियान मलाड पुलिस स्टेशन के पुलिस उपायुक्त संदीप जाधव और वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक दुष्यंत चव्हाण की देखरेख में चलाया गया।
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