राजनीति
आज रात से मुंबई टोल-फ्री हो जाएगी! महाराष्ट्र सरकार ने शहर के सभी 5 प्रवेश बिंदुओं पर हल्के मोटर वाहनों के लिए पूरी तरह से टोल माफ़ करने की घोषणा की
मुंबई: विधानसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र की राज्य कैबिनेट की बैठक के बाद एक बड़ी घोषणा करते हुए, महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को मुंबई में प्रवेश बिंदुओं पर सभी पांच टोल बूथों पर हल्के मोटर वाहनों के लिए पूर्ण टोल माफ़ी की घोषणा की। इसका क्रियान्वयन आज रात 12 बजे से शुरू होगा।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कथित तौर पर महाराष्ट्र कैबिनेट की बैठक के दौरान यह घोषणा की। उन्होंने मुंबई के पांच प्रमुख टोल बूथों पर टोल माफ़ी की घोषणा की, जिसका उद्देश्य त्यौहारी सीज़न, ख़ास तौर पर दिवाली के दौरान लोगों की आवाजाही को आसान बनाना है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कैबिनेट बैठक में घोषणा की कि मुंबई में प्रवेश करने वाले सभी 5 टोल बूथों पर हल्के मोटर वाहनों के लिए पूर्ण टोल छूट दी जाएगी: मुख्यमंत्री कार्यालय
मुंबई के 5 प्रवेश बिंदु कौन से हैं?
इस निर्णय से दहिसर, मुलुंड पश्चिम (एलबीएस रोड), वाशी, ऐरोली और मुलुंड पूर्व टोल बूथों पर हल्के मोटर वाहनों से टोल वसूली समाप्त हो गई है। सभी टोल प्लाजा पर हल्के वाहनों के लिए टोल 45 रुपये था। आज लिया गया कैबिनेट का यह निर्णय अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनावों में महायुति को वोट देने के लिए कई लोकलुभावन निर्णयों के बाद लिया गया है।
ऊपर बताए गए सभी टोल प्लाजा पर टोल खत्म करने की मांग कई राजनीतिक दलों और नागरिक समूहों की ओर से लंबे समय से की जा रही थी। इस फैसले से यात्रियों को लाभ मिलने की उम्मीद है क्योंकि इससे उन्हें टोल शुल्क का भुगतान किए बिना मुंबई में आने-जाने की सुविधा मिलेगी। हल्के मोटर वाहनों में कार, जीप, वैन और छोटे ट्रक शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल मुख्य रूप से यात्रियों या माल को ले जाने के लिए किया जाता है।
टोल बूथों पर विवरण
टोल बूथ मूल रूप से महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (MSRDC) द्वारा मुंबई में 55 फ्लाईओवर बनाने की एक बड़ी परियोजना के हिस्से के रूप में बनाए गए थे। इन फ्लाईओवरों की निर्माण लागत वसूलने के लिए शहर के प्रवेश बिंदुओं पर टोल बूथ स्थापित किए गए थे। परियोजना 1999 में अपने अंतिम चरण में पहुँच गई, और टोल बूथों के निर्माण के लिए निविदाएँ जारी की गईं। 2002 तक, सभी पाँच टोल बूथ चालू हो गए और टोल संग्रह शुरू हो गया।
राजनीतिक दलों की लम्बे समय से चली आ रही मांग
टोल माफ़ी की मांग, खास तौर पर मुंबई में प्रवेश बिंदुओं पर, लंबे समय से चली आ रही है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) जैसे राजनीतिक दल और शिवसेना के दोनों धड़े, उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के गुट, लगातार इस कदम के लिए दबाव बना रहे हैं। हाल ही में, शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के नेता आदित्य ठाकरे ने टोल माफ़ी की मांग दोहराई।
अपराध
सुप्रीम कोर्ट से पीएफआई के पूर्व अध्यक्ष अबूबकर को झटका, जमानत देने से किया इनकार
नई दिल्ली, 17 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व अध्यक्ष ई. अबूबकर को आतंकवाद विरोधी कानून (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में मेडिकल आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया।
अबूबकर के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि इस समय अबू बकर को जमानत नहीं दी जा सकती।
साथ ही खंडपीठ ने अबूबकर के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें वैकल्पिक तौर पर उन्हें घर पर नजरबंद करने का अनुरोध किया गया था। साथ ही वरिष्ठ अधिवक्ता से कहा कि यदि आगे तबियत खराब होती है तो वह निचली अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अबूबकर को 2022 में संगठन पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया था। तभी से वो जेल में बंद हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने मेडिकल आधार पर दायर उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मुताबिक, पीएफआई, उसके पदाधिकारियों और सदस्यों ने देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने की आपराधिक साजिश रची है और इस उद्देश्य के लिए अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए शिविर आयोजित कर रहे थे।
गौरतलब है कि अबूबकर ने हाईकोर्ट में अपनी दायर याचिका में तर्क दिया था कि यूएपीए के तहत उनके खिलाफ एनआईए के मामले का समर्थन करने के लिए कोई सामग्री नहीं है। इसलिए वह जमानत के हकदार हैं। याचिका में यह भी दावा किया था कि वह 70 वर्ष के हैं, उन्हें पार्किंसंस रोग है और कैंसर के इलाज के लिए उनकी सर्जरी भी हो चुकी है। हालांकि, कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।
राष्ट्रीय समाचार
एक्सपायर्ड सैलाइन मामला : 12 डॉक्टरों को सरकार ने किया सस्पेंड, विरोध में आंशिक कार्य बहिष्कार
कोलकाता, 17 जनवरी। पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर जिले में सरकारी अस्पताल में 12 डॉक्टरों के निलंबन के विरोध में शुक्रवार को जूनियर और वरिष्ठ डॉक्टरों ने आंशिक रूप से काम बंद कर दिया।
अस्पताल में कथित तौर पर एक्सपायर हो चुके रिंगर लैक्टेट दिए जाने से एक महिला और एक नवजात की मौत के बाद 12 डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया था।
महिला मामोनी रुइदास की मौत 10 जनवरी को हुई थी। वहीं नवजात की मौत गुरुवार सुबह हुई।
पूरा राज्य प्रशासन ब्लैक लिस्टेड इकाई पश्चिम बंगा फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आपूर्ति की गई एक्सपायर हो चुकी रिंगर लैक्टेट के कारण मौतों के आरोपों पर गुस्से में था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को इकाई को एक तरह से क्लीन चिट दे दी और 12 डॉक्टरों को निलंबित करने की घोषणा की, जिससे पूरी त्रासदी की जिम्मेदारी उन पर आ गई।
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने कहा कि जब तक 12 डॉक्टरों, छह जूनियर और छह सीनियर के निलंबन के फैसले को रद्द नहीं किया जाता, तब तक आंशिक रूप से काम बंद रहेगा। हालांकि, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने पश्चिम मिदनापुर के अस्पताल में आपातकालीन और बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) को चालू रखा है।
निलंबित किए गए 12 डॉक्टरों में अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक-सह-उप-प्रधान और रेजिडेंट चिकित्सा अधिकारी शामिल हैं।
गुरुवार को 12 डॉक्टरों को निलंबित करने और पश्चिम बंगा फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड को क्लीन चिट देने के फैसले की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने तर्क किया कि रिंगर लैक्टेट के इस्तेमाल की बजाय उक्त अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही इसके लिए अधिक जिम्मेदार है।
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को मीडियाकर्मियों से कहा, “अगर ऐसा होता तो राज्य के अन्य अस्पतालों से भी ऐसी ही खबरें आतीं, जहां इसी का इस्तेमाल किया गया था। यहां मामला अलग था। यह सरासर लापरवाही का मामला था। याद रखें, लापरवाही भी एक तरह का अपराध है।”
राष्ट्रीय समाचार
इजरायल-हमास के बीच सीजफायर से जेम और ज्वेलरी एक्सपोर्ट्स बढ़ेगा: जीजेईपीसी
नई दिल्ली, 17 जनवरी। इजरायल और हमास के बीच सीजफायर होने से आने वाले महीनों में जेम्स और ज्वेलरी का निर्यात बढ़ सकता है। यह जानकारी जेम्स और ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) ने शुक्रवार को दी।
जीजेईपीसी के आंकड़ों अनुसरा, दिसंबर में जेम्स और ज्वेलरी का कुल सकल निर्यात 1967.98 मिलियन डॉलर (16,719 करोड़ रुपये) रहा, जो भू-राजनीतिक स्थितियों के बीच आर्थिक अनिश्चितता के कारण पिछले वर्ष के इसी महीने से कम है, क्योंकि खरीदारों ने लाइफस्टाइल पर पैसा खर्च करने के बजाय निवेश के लिए सुरक्षित माने जाने वाले गोल्ड की ओर अधिक झुकाव दिखाया।
काउंसिल ने कहा कि इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम और समझौते की उम्मीदों को देखते हुए, निर्यात धीरे-धीरे गति पकड़ने लगेगा।
दिसंबर में जेम्स और ज्वेलरी का कुल आयात 1526.95 मिलियन डॉलर (12,992.3 करोड़ रुपये) रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 27.23 प्रतिशत कम है।
रिपोर्ट में कहा गया कि खरीदारों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है क्योंकि युवा पीढ़ी और जेनरेशन जेड रोजाना पहनने के लिए कीमती धातुओं से बने हल्की आभूषणों को ज़्यादा पसंद कर रहे हैं। 2025 में इस प्रवृत्ति में काफी तेजी देखने को मिलेगी, जिससे घरेलू मांग में छछाल आएगा।
कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह के अनुसार, भू-राजनीतिक तनाव व्यापार गतिविधियों के लिए एक प्रमुख बाधा के रूप में कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा,”हालांकि, इजरायल और हमास के बीच सीजफायर समझौता पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है, जो दोनों देशों के बीच युद्धविराम का मार्ग प्रशस्त करेगा। हमें आने वाले महीनों में व्यापार गतिविधियों में धीरे-धीरे सुधार देखने की उम्मीद है।”
कट और पॉलिश किए गए हीरों के कुल सकल आयात में 64.1 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो दिसंबर 2024 में पिछले वर्ष की इसी अवधि के 254.18 मिलियन डॉलर की तुलना में 91.26 मिलियन डॉलर रहा।
दिसंबर 2024 में गोल्ड की ज्वेलरी का कुल सकल निर्यात 868.03 मिलियन डॉलर रहा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि शादी और छुट्टियों का मौसम खत्म होने वाला है, इसलिए मांग में कमी आ रही है।
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