राष्ट्रीय समाचार
मुंबई: राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने वडाला साल्ट पैन भूमि पर एमपीसीबी से जवाब मांगा
मुंबई: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीसीबी) को वडाला साल्ट पैन भूमि के संबंध में एक जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है, जिसमें इस संबंध में पहले गठित संयुक्त समिति द्वारा की गई कार्रवाई को स्पष्ट किया जाए।
हलफनामे में पिछले न्यायाधिकरण के आदेशों के संबंध में वर्तमान अनुपालन स्थिति का विवरण दिए जाने की उम्मीद है। एमपीसीबी को आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए चार सप्ताह की समय सीमा दी गई है।
न्यायाधिकरण हलफनामे के आधार पर तय करेगा कि क्या नमक उपायुक्त कार्यालय (डीसीएस) द्वारा मांगी गई एक और समिति गठित करने की आवश्यकता है। मामले को आगे की चर्चा के लिए 23 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
इस बीच, एनजीटी के आदेश की प्रति में एमसीजीएम द्वारा 13 मार्च, 2023 को दायर की गई स्थिति रिपोर्ट का हवाला दिया गया, जिसमें न्यायाधिकरण को डीसीएस भूमि पर निर्माण और विध्वंस (सीएंडडी) अपशिष्ट की भारी मात्रा के बारे में सूचित किया गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साइट पर लगभग 5,52,000 पीतल (या 15,62,160 मीट्रिक टन) कचरा है। इस कचरे के प्रसंस्करण की अनुमानित लागत 1,600 रुपये प्रति मीट्रिक टन के हिसाब से 249.95 करोड़ रुपये है।
24 अप्रैल, 2023 के एक पत्र में, एमसीजीएम ने डीसीएस को नमक क्षेत्र में एक बांध पर पड़े अतिरिक्त 1,00,000 मीट्रिक टन सी एंड डी अपशिष्ट के बारे में अद्यतन जानकारी दी।
नगर निकाय ने अपशिष्ट की वास्तविक मात्रा का पता लगाने के लिए आगे सर्वेक्षण और खाई खोदने हेतु एक मूल्यांकन दल को नमक क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने का अनुरोध किया।
यह मामला दो प्राथमिक चिंताओं के इर्द-गिर्द घूमता है:
1. सी एंड डी अपशिष्ट का डंपिंग: बड़ी मात्रा में विध्वंस मलबे को अवैध रूप से नमक पैन भूमि में डंप किया गया है, जिससे पर्यावरण संबंधी चिंताएं बढ़ गई हैं।
2. मैंग्रोव क्षेत्रों पर अतिक्रमण: मलबे से बनाए गए अवैध बांध और मैंग्रोव का विनाश शिकायतों का मुख्य विषय रहा है।
दिसंबर 2021 में, एनजीटी ने वकील-कार्यकर्ता मधुरा तावड़े की याचिका पर जवाब देते हुए इन मुद्दों की जांच के लिए छह सदस्यीय संयुक्त समिति का गठन किया। एमपीसीबी और महाराष्ट्र तटीय क्षेत्र प्रबंधन प्राधिकरण (एमसीजेडएमए) को समन्वय और अनुपालन के लिए नोडल एजेंसियों के रूप में नामित किया गया था।
एनजीटी द्वारा किए गए प्रमुख निष्कर्षों में से एक यह था कि प्रभावित भूमि के कुछ हिस्से सीआरजेड-आईबी और सीआरजेड-आईए क्षेत्रों में आते हैं, जहां विकास पर बहुत अधिक प्रतिबंध है। न्यायाधिकरण ने इन संरक्षित क्षेत्रों में विध्वंस अपशिष्ट से बने एक विशाल बांध की पहचान की, जिससे पर्यावरण को नुकसान बढ़ रहा है।
अपराध
झारखंड में ‘गजराज’ का गुस्सा : दिसंबर में पांच को कुचलकर मार डाला, 200 एकड़ से ज्यादा फसल रौंदी
रांची, 24 दिसंबर। झारखंड में गुस्साए हाथी तबाही मचा रहे हैं। अब तक दिसंबर महीने में हाथियों ने पांच लोगों को कुचलकर मार डाला है। इनके हमलों में कई लोग जख्मी भी हुए हैं। एक महीने में 30 से ज्यादा घरों को हाथियों ने क्षति पहुंचाई है और करीब 200 एकड़ से ज्यादा के इलाके में खड़ी फसलों को रौंद डाला है। यह आंकड़ा राज्य के विभिन्न वन प्रमंडलों में ग्रामीणों की ओर से क्षतिपूर्ति के दावे को लेकर दाखिल आवेदनों से सामने आया है।
लातेहार जिले के बालूमाथ थाना क्षेत्र के पिंडारकोन गांव निवासी गुलाब यादव को हाथियों ने सोमवार-मंगलवार की दरमियानी रात कुचलकर मार डाला। उनका शव मंगलवार को गांव के पास स्थित जंगल से बरामद किया गया। गुलाब यादव सोमवार को जंगल की ओर गए थे। वह देर तक नहीं लौटे। उनके घर वाले रातभर परेशान रहे। मंगलवार सुबह लोग जंगल पहुंचे तो गुलाब यादव का शव झाड़ी में मिला।
22 दिसंबर की रात गिरिडीह जिले के डुमरी प्रखंड अंतर्गत अतकी पंचायत में चार हाथियों के झुंड ने कई घरों पर हमला किया था। इस दौरान हाथियों ने सिकरा मांझी नामक शख्स को मार डाला था। इसके पहले 13 दिसंबर को बालूमाथ थाना क्षेत्र अंतर्गत मारंगलोईया गांव निवासी जानकी राणा को हाथियों ने कुचलकर मार डाला था। इस घटना से गुस्साए स्थानीय लोगों ने मारंगलोईया के पास कई घंटों तक सड़क जाम कर दिया था।
गढ़वा जिले के चिनिया थाना क्षेत्र अंतर्गत चपकली गांव में 21 दिसंबर की रात जंगली हाथियों के झुंड ने गोपाल यादव नामक शख्स को कुचलकर मार डाला था। गोपाल यादव अपने परिवार के साथ घर में सो रहे थे। रात करीब 2 बजे हाथियों के चिंघाड़ने की आवाज सुनाई दी तो वे बाहर निकले। वे अपने परिजनों के साथ जान बचाने के लिए भागे, लेकिन हाथियों ने गोपाल यादव को कुचल डाला।
11 दिसंबर को पश्चिमी सिंहभूम के आनंदपुर प्रखंड के ढोढरोबारु गांव में हाथियों के झुंड ने लोदरो बरजो नामक शख्स को कुचलकर मार डाला था। इसके पहले नवंबर महीने में गढ़वा जिले के रमकंडा प्रखंड के ऊपरटोला में जंगली हाथियों के उत्पात में सीताराम मोची नामक शख्स की मौत हो गई थी।
दिसंबर महीने में चतरा, लातेहार, खूंटी, हजारीबाग, गुमला, चाईबासा, गढ़वा, गिरिडीह और बोकारे जिले में 100 से भी अधिक गांवों में हाथियों ने उत्पात मचाया है। फसल कटाई के मौसम में हर साल हाथी सबसे ज्यादा तबाही मचाते हैं। राज्य सरकार की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक झारखंड में लगभग 600 से 700 हाथियों का बसेरा है। इनकी वजह से संपत्ति और कृषि की औसत वार्षिक हानि लगभग 60 से 70 करोड़ रुपए है।
राजनीति
मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई कांग्रेस ने सराहा, कठोर एक्शन की उम्मीद जताई
भोपाल 24 दिसंबर। मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है। इसकी कांग्रेस ने भी सराहना की है साथ में कठोर कार्रवाई की उम्मीद जताई है।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव जनता आपकी आभारी है, आपने कठोर कार्रवाई की, शायद तभी सोने, चांदी, नगदी का करोड़पति कांस्टेबल करप्शन किले से बाहर आ गया। सोचिए, जब आप अति-कठोर कार्रवाई करेंगे, तो क्या होगा। फिर अति-अति तक जाएंगे, तब तो शायद करप्शन की कयामत ही आ जाएगी लेकिन, क्या आप कार्रवाई करेंगे?
कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष पटवारी ने परिवहन विभाग के पदों का विवरण देते हुए आगे कहा, थोड़ी देर के लिए मान लेते हैं, आप कार्रवाई करना ही चाहते हैं। तो परिवहन विभाग का पद-क्रम ये है परिवहन क्लर्क, सहायक परिवहन निरीक्षक, परिवहन निरीक्षक, सहायक परिवहन अधिकारी, परिवहन अधिकारी। उच्च-स्तरीय प्रमुख पद है उप परिवहन आयुक्त, संयुक्त परिवहन आयुक्त, परिवहन आयुक्त , प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव, मुख्य सचिव, परिवहन मंत्री और मुख्यमंत्री। पटवारी ने इन अफसरों पर भी सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री को भी घेरा है।
मुख्यमंत्री ने बीते रोज कहा था भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों पर कार्रवाई होगी और पिछले दिनों परिवहन चौकी खत्म करने को लेकर दिए गए बयान पर पटवारी ने कहा, “मुख्यमंत्री ऐसे बयान मत दीजिए कि करप्शन करने वालों को भी गुस्सा आ जाए। वे कहने लग जाए कि हम साथ-साथ हैं।”
ज्ञात हो कि लोकायुक्त और आयकर विभाग की छापा मार कार्रवाई में परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा के करोड़पति होने का खुलासा हुआ। उसके यहां करोडों की संपत्ति मिली वहीं एक कार में 52 किलो सोना व 10 करोड़ नगद मिले। इतना ही नहीं जमीनों में निवेश के भी दस्तावेज मिले है। इस मामले के सामने आने के बाद कई और बड़े खुलासे होने की संभावना जताई जा रही है। सौरभ के नजदीकियों पर भी जांच एजेंसियों का शिकंजा कसता जा रहा है।
राजनीति
राजस्थान : 150 फीट गहरे बोरवेल में फंसी तीन साल की बच्ची, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी
कोटपूतली, 24 दिसंबर। राजस्थान के कोटपूतली के बड़ियाली गांव में एक दुखद घटना सामने आई है, जहां तीन साल की एक बच्ची खेलते-खेलते बोरवेल में गिर गई। 20 घंटे से ज्यादा समय गुजरने के बाद भी बच्ची बोरवेल में फंसी हुई है।
मिली जानकारी के मुताबिक बच्ची 150 फीट की गहराई में पिछले 17 घंटों से फंसी हुई है। रेस्क्यू ऑपरेशन में बच्ची को करीब 60 फुट ऊपर तक लाया गया है, लेकिन अभी भी वह पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है। बोरवेल की गहराई और संकरे रास्ते की वजह से रेस्क्यू टीम को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है।
इस मुश्किल समय में सैकड़ों ग्रामीण मौके पर मौजूद हैं और सभी लोग बच्ची की सलामती के लिए दुआ कर रहे हैं। प्रशासन, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें अपनी पूरी कोशिश कर रही हैं ताकि बच्ची को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।
दरअसल यह घटना कोटपूतली के बड़ियाली गांव की है, जहां सोमवार 23 दिसंबर को यह घटना घटी। 3 साल की बच्ची चेतना जब खेल रही थी, तो उसका पैर फिसल गया और वह बोरवेल में गिर गई। घटना की जानकारी मिलते ही पूरे इलाके में अफरातफरी मच गई। गांव में हर कोई इस हादसे से स्तब्ध है।
कोटपूतली के बड़ियाली गांव में 3 साल की बच्ची के बोरवेल में गिरने की सूचना मिलते ही पुलिस और रेस्क्यू टीमें घटनास्थल पर पहुंच गई। एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें भी तत्काल मौके पर पहुंचीं और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। रातभर रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहा, लेकिन अभी तक बच्ची को सुरक्षित बाहर निकालने में सफलता नहीं मिल पाई है।
रेस्क्यू टीम ने बोरवेल में रस्सी के सहारे एक कैमरा डाला है, ताकि बच्ची की हरकत पर नजर रखी जा सके। इस कैमरे में बच्ची का हाथ हिलता हुआ दिखाई दे रहा है, जिससे बचावकर्मियों और ग्रामीणों में उम्मीदें बढ़ गई हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन को और अधिक तेज किया जा रहा है, ताकि बच्ची को जल्द से जल्द सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।
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