राष्ट्रीय समाचार
मुंबई: मराठा आरक्षण आंदोलन के पांचवें दिन समाप्त होने के बाद बीएमसी ने आज़ाद मैदान और आसपास के इलाकों में रात भर सफाई अभियान चलाया
मुंबई: मुंबई के आजाद मैदान में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर पांच दिनों तक चले उग्र आंदोलन के बाद, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने बुधवार सुबह तक प्रदर्शन प्रभावित क्षेत्र और उसके आसपास के नागरिक क्षेत्रों में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए रात भर व्यापक सफाई अभियान चलाया।
कार्यकर्ता मनोज जरांगे-पाटिल के नेतृत्व में हुए इस आंदोलन में पूरे महाराष्ट्र से हज़ारों प्रदर्शनकारी दक्षिण मुंबई पहुँचे, जिससे यातायात और नागरिक कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ। पाँचवें दिन आंदोलन समाप्त होने पर, नगर निगम अधिकारियों ने इस इलाके की सफाई के लिए भारी संख्या में जनशक्ति और संसाधन तैनात किए। अधिकारियों के अनुसार, लगभग 200 सफाई कर्मचारियों ने 2 सितंबर की रात से लेकर 3 सितंबर की सुबह तक मैदान और आस-पास की सड़कों को उनकी मूल स्थिति में लाने के लिए अथक परिश्रम किया।
कुल मिलाकर, 1,000 से ज़्यादा नगर निगम कर्मचारियों को दो पालियों में तैनात किया गया था ताकि धरना स्थल पर चौबीसों घंटे सफ़ाई सुनिश्चित की जा सके। आंदोलन के दौरान बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ को देखते हुए, बीएमसी ने पहले ही 100 मोबाइल शौचालयों सहित अतिरिक्त जन सुविधाओं का इंतज़ाम कर दिया था, जिससे कुल संख्या लगभग 450 हो गई। निगम ने भीड़ और देर रात तक काम करने वाले सफ़ाई कर्मचारियों के लिए पर्याप्त रोशनी उपलब्ध कराने हेतु 40 फ्लडलाइट वाले टावर भी लगाए।
शौचालयों के आसपास स्वच्छता बनाए रखने के लिए सक्शन मशीनें और जेट स्प्रे सिस्टम लगाए गए थे। कचरा संग्रहण में सहायता के लिए प्रदर्शन क्षेत्र में कम से कम 1,500 प्लास्टिक के कचरे के थैले और दर्जनों कूड़ेदान वितरित किए गए। प्रदर्शन समाप्त होने के बाद, सड़कों को पानी से अच्छी तरह धोया गया, जबकि सड़कों की सफाई के लिए कॉम्पैक्टर और स्किड स्टीयर लोडर सहित 16 विभिन्न प्रकार के कचरा प्रबंधन वाहन तैनात किए गए।
स्वास्थ्य संबंधी खतरों को रोकने के लिए, नगर निगम के कर्मचारियों ने मक्खियों और मच्छरों के प्रसार को रोकने के लिए पूरे स्थल पर 100 किलोग्राम कीटाणुनाशक और कीटनाशक पाउडर भी छिड़का। विरोध प्रदर्शन के दौरान पीने के पानी की व्यवस्था बीएमसी की ज़िम्मेदारी का एक बड़ा हिस्सा थी, जिसके तहत आसपास के क्षेत्र में मिनी टैंकरों सहित 26 पानी के टैंकर तैनात किए गए थे।
पाँच दिनों तक चले इस आंदोलन ने मुंबई के दक्षिणी प्रशासनिक केंद्र के कई हिस्सों को ठप कर दिया था, मंत्रालय के आसपास सुरक्षा कड़ी कर दी गई थी और परिवहन सेवाओं में बदलाव करना पड़ा था। इस विरोध प्रदर्शन ने मराठा आरक्षण की लगातार माँग को उजागर किया, साथ ही शहर के लिए रसद संबंधी चुनौतियाँ भी पैदा कीं। आंदोलनकारियों के चले जाने के बाद, बीएमसी के तेज़ और बड़े पैमाने पर सफाई प्रयासों ने यह सुनिश्चित किया कि आज़ाद मैदान और उसके आसपास के इलाकों में कुछ ही घंटों में सामान्य जनजीवन बहाल हो जाए।
राजनीति
सुप्रीम कोर्ट ने बीएलओ की सुरक्षा पर जारी किया नोटिस

नई दिल्ली, 9 दिसंबर: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया में शामिल बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नया नोटिस जारी किया है। यह कदम राज्य में बीएलओ की बढ़ती सुरक्षा चिंताओं और उनके कार्यभार के बढ़ते दबाव के मद्देनजर उठाया गया है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, “हम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि तमाम राजनेता इस मुद्दे को लेकर कोर्ट पहुंच रहे हैं। ऐसा लगता है कि यह मंच उन्हें हाईलाइट करने का माध्यम बन गया है।”
सुनवाई के दौरान जस्टिस जॉयमाल्य बागची ने कहा कि बीएलओ पर बढ़ती धमकियों और हिंसा के कई मामलों में सिर्फ एक एफआईआर दर्ज है। याचिका में उठाई गई बाकी हिंसा की घटनाएं पुरानी हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आम तौर पर चुनाव से पहले पुलिस प्रशासन सीधे चुनाव आयोग के नियंत्रण में नहीं दिया जाता।
चुनाव आयोग के वकील ने भी बीएलओ की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग का समर्थन किया।
गौरतलब है कि इससे पहले 4 दिसंबर को बीएलओ की मौत पर तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टी टीवीके द्वारा दायर याचिका की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बीएलओ की मौतों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। कोर्ट ने कहा था कि बीएलओ पर बढ़ते काम के बोझ को कम करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती तत्काल की जानी चाहिए। देशभर में अब तक लगभग 35-40 बीएलओ अत्यधिक कार्यभार और तनाव के कारण अपनी जान गंवा चुके हैं। याचिकाकर्ताओं ने पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग की थी।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस बागची की पीठ ने कहा था कि एसआईआर प्रक्रिया एक वैध प्रशासनिक कार्रवाई है, जिसे समय पर पूरा करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने स्पष्ट किया था कि यदि कहीं स्टाफ की कमी है, तो राज्य सरकारों को अतिरिक्त कर्मचारी नियुक्त करने का कार्य करना अनिवार्य है।
कोर्ट ने यह भी कहा था कि बीमार, असमर्थ या अत्यधिक दबाव में काम कर रहे अधिकारियों के लिए राज्य सरकारों को संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए और तुरंत वैकल्पिक स्टाफ तैनात करना चाहिए। इससे बीएलओ के कार्य घंटे कम होंगे और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
राजनीति
नागरिकता से पहले वोटर लिस्ट में कैसे जुड़ा नाम? सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी

नई दिल्ली, 9 दिसंबर: बिना भारतीय नागरिकता हासिल किए मतदाता सूची में नाम शामिल कराने से जुड़े मामले में दिल्ली की राऊज एवेन्यू कोर्ट ने मंगलवार को कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। यह नोटिस वकील विकास त्रिपाठी द्वारा दायर रिवीजन पिटीशन पर जारी किया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 6 जनवरी, 2026 को होगी।
वकील विकास त्रिपाठी का कहना है कि सोनिया गांधी का नाम 1980 की नई दिल्ली की वोटर लिस्ट में शामिल था, जबकि उन्होंने 30 अप्रैल 1983 को भारत की नागरिकता हासिल की। इसी आरोप के आधार पर मजिस्ट्रेट कोर्ट में मुकदमा दर्ज कर जांच कराने की मांग की गई थी, लेकिन सितंबर 2025 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।
मजिस्ट्रेट कोर्ट के इसी आदेश को चुनौती देते हुए त्रिपाठी ने रिवीजन पिटीशन दाखिल की, जिस पर अब राऊज एवेन्यू कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है।
दाखिल याचिका में कहा गया है कि 1980 की वोटर लिस्ट में सोनिया गांधी का नाम कैसे शामिल हुआ, जबकि तब तक उन्होंने भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं की थी। याचिका में यह भी पूछा गया है कि 1982 में उनका नाम वोटर लिस्ट से हटाया गया था, तो आखिर किन कारणों से यह कार्रवाई हुई?
याचिका में यह भी कहा गया कि यदि 1983 में ही नागरिकता मिली, तो 1980 में नाम शामिल कराने के लिए किन दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया? क्या उस समय फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराया गया?
राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सोनिया गांधी और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वे आरोपों पर विस्तृत जवाब दाखिल करें।
बता दें कि इससे पहले, मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सितंबर 2025 में दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच कराने की मांग की गई थी। बाद में, इसी आदेश को चुनौती देते हुए रिवीजन पिटीशन दाखिल की गई, जिस पर कोर्ट ने अब जवाब मांगा है।
राजनीति
राष्ट्रगान और राष्ट्रीय गीत का सम्मान नहीं करने वाले लोग राजनीति कर रहे : सपा सांसद नीरज कुशवाहा

नई दिल्ली, 9 दिसंबर: संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने के अवसर पर सोमवार को लोकसभा में खास चर्चा हुई। आज राज्यसभा में चर्चा होगी। समाजवादी पार्टी के सांसद नीरज कुशवाहा ने सत्तापक्ष पर निशाना साधा।
समाजवादी पार्टी के सांसद नीरज कुशवाहा मौर्य ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “जो लोग पहले राष्ट्रगान या राष्ट्रीय गीत का सम्मान नहीं करते थे, वे अब इसे लेकर राजनीति कर रहे हैं और इस पर चर्चा कर रहे हैं। जिन लोगों ने तिरंगे को भी नहीं माना, वे अब इस पर बहस कर रहे हैं। तो, यह चर्चा इसके पीछे की सच्ची भावना या मूल्यों के बजाय राजनीति के बारे में ज्यादा है। उनका इन मूल्यों को अमल में लाने या वंदे मातरम में सोचे गए तरीके से भारत को आकार देने का कोई इरादा नहीं है।”
उन्होंने कहा, “वंदे मातरम हमारी जमीन को एक ऐसी जगह के रूप में देखता है जहां हवा शुद्ध हो, जहां लोग पहाड़ों से आने वाली चंदन की खुशबू का आनंद ले सकें। लेकिन आज दिल्ली में सच्चाई क्या है? वैज्ञानिक कहते हैं कि दिल्ली की हवा इतनी प्रदूषित है कि एक दिन इसमें सांस लेना 20 सिगरेट पीने के बराबर है।”
सपा सांसद आनंद भदौरिया ने देश में चुनाव सुधार के मुद्दे पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “इस देश में चुनावी सुधारों की बहुत जरूरत है। हमारे लोकतंत्र की सेहत को लेकर चुनाव आयोग और सरकार पर जो सवाल उठाए जा रहे हैं, उनका जवाब सरकार को देना चाहिए। हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, पीडीए गठबंधन के नेता, अखिलेश यादव, हमारी पार्टी का रुख सामने रखेंगे।”
सपा सांसद ने कहा, “मैं लोकसभा के माननीय स्पीकर का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने हमें इस महान सदन, जो हमारे लोकतंत्र का मंदिर है, में चर्चा करके हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के राष्ट्रगीत वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ मनाने की अनुमति दी। इससे हमें श्रद्धांजलि के तौर पर अपने शब्द कहने का मौका मिला।”
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