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Friday,25-July-2025
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एमपी के सीएम यादव ने चुनावी रैली के दौरान उठाया पीओके का मुद्दा, कहा- ‘यहां तक ​​कि पाकिस्तान भी पीएम मोदी जैसा नेता चाहता है’।

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एमपी के सीएम यादव ने चुनावी रैली के दौरान उठाया पीओके का मुद्दा, कहा- 'यहां तक ​​कि पाकिस्तान भी पीएम मोदी जैसा नेता चाहता है'

भोपाल (मध्य प्रदेश): मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि पाकिस्तान के राजनेता भी कहते हैं कि काश उनके देश में उनके जैसा कोई नेता होता।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस द्वारा बोए गए बीजों के कारण भारत का विभाजन हुआ।

यादव शुक्रवार शाम को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान सभाओं को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के लोग भी भारत का हिस्सा बनना चाहते हैं क्योंकि पड़ोसी देश में अस्तित्व का संकट है।

उन्होंने कहा, ”(पूर्व प्रधानमंत्री) नवाज शरीफ समेत पाकिस्तान के नेता लगातार कह रहे हैं कि काश नरेंद्र मोदी वहां (पाकिस्तान में) होते। अगर आप नेता हैं तो ऐसा बनें कि आपका दुश्मन भी आपकी तारीफ करे। यह नेता (मोदी)” हमें गौरवान्वित कर रहा है, ”यादव ने अपने एक संबोधन में कहा।

उन्होंने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी के माथे पर देश को भारत और पाकिस्तान में बांटने का कलंक है।

यादव ने कहा, “देश के विभाजन के समय कोई भाजपा या जनसंघ नहीं था। कांग्रेस द्वारा बोए गए बीज के कारण देश का विभाजन हुआ। आधा पंजाब वहां (पाकिस्तान में) चला गया।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के समय लोगों में डर पैदा किया।

“जब अनुच्छेद 370 को हटाया जा रहा था, तब कांग्रेस ने कहा था कि अगर ऐसा हुआ तो देश में खून की नदियाँ बहेंगी। खून की नदियाँ तभी बहेंगी जब रगों में खून होगा। आपकी (कांग्रेस) रगों में पानी है। देश जश्न मना रहा है क्योंकि अनुच्छेद 370 का कलंक मिट गया,” यादव ने कहा।

उन्होंने कहा, कश्मीर के लोग इतने खुश हैं कि पीओके के लोग भी उन्हें भारत में शामिल करना चाह रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान में गुजारा करना मुश्किल है।

होशंगाबाद लोकसभा सीट पर दूसरे चरण में 26 अप्रैल को मतदान होना है।

राजनीति

संसद मार्ग मस्जिद विवाद: मुस्लिम धर्मगुरुओं ने खोला मोर्चा, मोहिबुल्लाह नदवी को हटाने मांग

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नई दिल्ली, 25 जुलाई। संसद मार्ग स्थित मस्जिद में पिछले दिनों समाजवादी पार्टी के सांसदों की मीटिंग के विरोध में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मोर्चा खोल दिया है। मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी पर धार्मिक स्थल के राजनीतिक इस्तेमाल का गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें इमामत से हटाने की मांग की गई है।

ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र भेजते हुए आरोप लगाया कि मौलाना नदवी की मौन स्वीकृति से संसद मार्ग मस्जिद में समाजवादी पार्टी की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव, जियाउर्रहमान बर्क सहित अन्य नेता शामिल हुए।

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने आरोप लगाया कि मस्जिद जैसे पवित्र स्थल का इस तरह राजनीतिक इस्तेमाल न सिर्फ शरीयत के खिलाफ है, बल्कि यह करोड़ों मुस्लिमों की धार्मिक आस्थाओं को भी ठेस पहुंचाता है।

रजवी ने पत्र में लिखा, “मस्जिद में महिलाओं का प्रवेश और ‘नापाक लोगों’ की मौजूदगी शरीयत की स्पष्ट अवहेलना है। मस्जिद इबादतगाह है, न कि कोई राजनीतिक मंच।”

संसद मार्ग मस्जिद लोकसभा सचिवालय के अधिकार क्षेत्र में आती है और मौलाना नदवी वर्तमान में एक सांसद भी हैं, ऐसे में रजवी ने मांग की है कि उन्हें तत्काल मस्जिद की इमामत से हटाया जाए और किसी सूफी, धार्मिक तथा गैर-राजनीतिक व्यक्ति को यह जिम्मेदारी सौंपी जाए।

मौलाना शहाबुद्दीन रजवी के पत्र के बाद मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी ने अब तक इस पूरे विवाद पर कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं दी है और न ही समाजवादी पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया है।

फिलहाल, मस्जिद के राजनीतिक उपयोग को लेकर यह मामला अब धार्मिक और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर चर्चा का विषय बन गया है।

ज्ञात हो कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने हाल ही में दिल्ली के संसद मार्ग में स्थित जामा मस्जिद में पार्टी नेताओं के साथ बैठक की थी। इसकी तस्वीर खूब वायरल हुई। तस्वीर सामने आने के बाद भाजपा ने उन पर हमला बोला था। इस मामले में एक बड़ी बात यह है कि इस मस्जिद के इमाम मोहिबुल्लाह नदवी हैं, जो उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के सांसद भी हैं।

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महाराष्ट्र जन्म प्रमाणपत्र घोटाला: किरीट सोमैया बोले,’ पिछले दो महीनों में सरकार ने 42,189 फर्जी प्रमाणपत्र किए रद्द’

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मुंबई, 25 जुलाई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने महाराष्ट्र में चल रहे फर्जी जन्म प्रमाणपत्र घोटाले को लेकर बड़ा अपडेट दिया है। उनके अनुसार, महाराष्ट्र सरकार ने पिछले दो महीनों में 42,189 अपात्र बांग्लादेशी नागरिकों के जन्म प्रमाणपत्र रद्द किए हैं।

इनमें से 11,053 मूल जन्म प्रमाणपत्र वापस ले लिए गए हैं। इस घोटाले का केंद्र अकोला और अमरावती जैसे जिले रहे हैं, जहां 3,048 और 2,823 घुसपैठियों को फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए थे।

सोमैया ने बताया कि यह घोटाला राज्य में बड़े पैमाने पर फैला हुआ है, जिसमें बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भारतीय नागरिकता के दस्तावेज दिए गए। उन्होंने इस मामले को “महाराष्ट्र के इतिहास का सबसे खतरनाक घुसपैठ घोटाला” करार दिया।

उनकी ओर से पुलिस को सौंपे गए 478 पन्नों के सबूतों में अकोला जिले के 52 लोगों के खिलाफ छह प्राथमिकी दर्ज की गई हैं, जो फर्जी दस्तावेजों के जरिए जन्म प्रमाणपत्र हासिल करने में शामिल थे। ये मामले अकोट, तेल्हारा, बार्शीटाकली, रामदासपेठ, मुर्तिजापुर और पातुर पुलिस थानों में भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किए गए हैं।

महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जनवरी 2025 में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, जो देरी से जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र जारी करने की शिकायतों की जांच कर रहा है।

महाराष्ट्र सरकार ने इस घोटाले को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं। गृह राज्य मंत्री योगेश कदम ने विधानसभा में बताया कि मुंबई में ठेकेदारों और डेवलपर्स को बांग्लादेशी नागरिकों को नौकरी न देने का निर्देश दिया गया है। मालेगांव में दो तहसीलदारों को निलंबित किया गया है और जालना जिले में 3,595 फर्जी प्रमाणपत्र रद्द किए गए हैं।

बता दें इससे पहले मार्च के महीने में भाजपा नेता सोमैया ने एक वीडियो संदेश जारी कर कहा था कि बांग्लादेशी जन्म प्रमाण पत्र घोटाला महाराष्ट्र में वर्ष 2024 में हुआ, जिसमें नायब तहसीलदार को जन्म प्रमाण पत्र जारी करने का कोई अधिकार नहीं था, फिर भी उन्होंने लगभग 40 हजार लोगों को गैर कानूनी तरीके से जन्म प्रमाण पत्र दिए थे।

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उपराष्ट्रपति चुनाव : ईसीआई ने रिटर्निंग और सहायक रिटर्निंग अधिकारी किए नियुक्त

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नई दिल्ली, 25 जुलाई। जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए रिटर्निंग अधिकारी और सहायक रिटर्निंग अधिकारी की नियुक्ति कर दी है। ईसीआई ने शुक्रवार को पत्र जारी कर इसकी जानकारी दी है।

ईसीआई ने बयान में कहा, “भारत निर्वाचन आयोग को अनुच्छेद 324 के तहत भारत के उपराष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचन कराने का अधिदेश प्राप्त है। भारत के उपराष्ट्रपति के पद का निर्वाचन राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम, 1952 और उसके अधीन बनाए गए नियमों, अर्थात् राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति निर्वाचन नियम, 1974 द्वारा शासित होता है। राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम, 1952 की धारा 3 के अंतर्गत, निर्वाचन आयोग, केंद्र सरकार से परामर्श करके एक रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त करेगा, जिसका कार्यालय नई दिल्ली में होगा और निर्वाचन आयोग एक या एक से अधिक सहायक रिटर्निंग अधिकारी भी नियुक्त कर सकता है।”

बयान में आगे कहा गया, “रीति के अनुसार, लोकसभा के महासचिव या राज्यसभा के महासचिव को बारी-बारी से रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया जाता है। पिछले उपराष्ट्रपति निर्वाचन के दौरान लोकसभा के महासचिव को रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया गया था। इसलिए, निर्वाचन आयोग ने विधि और न्याय मंत्रालय से परामर्श करके तथा राज्यसभा के उपसभापति की सहमति से राज्यसभा के महासचिव को आगामी उपराष्ट्रपति निर्वाचन, 2025 के लिए रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया है। इसके अलावा, राज्यसभा सचिवालय की संयुक्त सचिव गरिमा जैन और राज्यसभा सचिवालय के निदेशक विजय कुमार को उपराष्ट्रपति निर्वाचन, 2025 के दौरान सहायक रिटर्निंग अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया है।”

भारत निर्वाचन आयोग ने बताया कि आवश्यक राजपत्र अधिसूचना अलग से जारी की जा रही है।

बता दें कि भारत के 14वें उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बीते सोमवार को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे एक पत्र में उन्होंने कहा था कि वह स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए तत्काल प्रभाव से पद छोड़ रहे हैं।

इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था।

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