राजनीति
जम्मू-कश्मीर डीडीसी चुनाव : गुपकार गठबंधन छू न सका बहुमत का आंकड़ा
जम्मू-कश्मीर में गुपकार गठबंधन (पीएजीडी) हाल ही में संपन्न जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव में केवल 110 सीटों पर ही सिमट कर रह गया, और 140 का बहुमत का आंकड़ा पार करने में विफल रहा। उधर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इस केंद्र शासित प्रदेश में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, और उसने अकेले 75 सीटें जीत ली हैं।
कश्मीर संभाग में अपना वर्चस्व कायम रखते हुए गुपकार गठबंधन श्रीनगर की तीन सीटें हथियाने में कामयाब रहा, जबकि सात सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते और एक सीट पर भाजपा को जीत मिली।
भाजपा के एजाज हुसैन, जो श्रीनगर के बलहामा निर्वाचन क्षेत्र से जीते, भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।
श्रीनगर में गुपकार गठबंधन के खराब प्रदर्शन को पुराने दलों से निराशा और घाटी में स्वतंत्र नेताओं के साथ लोगोंे के जाने की इच्छा के रूप में देखा जा रहा है। 49 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों को जीत मिली, जो कि महबूबा मुफ्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के 27 सीटों पर जीत से कहीं ज्यादा है।
गुपकार सहयोगियों में, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने सबसे अधिक 67 सीटें जीतीं, उसके बाद 27 सीटों के साथ पीडीपी रही, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने 8 सीटें, सीपीआई (एम) ने 5 सीटें और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट ने केवल 3 सीटें जीतीं।
दूसरी ओर, भाजपा ने कश्मीर संभाग में तीन सीटों सहित कुल 74 सीटें जीतीं। हालांकि, पार्टी केवल जम्मू संभाग के 6 जिलों में स्पष्ट बहुमत पाने में कामयाब रहा, जिसमें जम्मू, उधमपुर, कठुआ, डोडा, रियासी और सांबा शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर के बेटे नासिर अहमद मीर अनंतनाग के वेरीनाग निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव हार गए। मीर निर्दलीय उम्मीदवार पीर शाहबाज अहमद से चुनाव हारे। कांग्रेस पार्टी केवल 26 डीडीसी सीटों तक ही सीमित रह गई।
संविधान के अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहला चुनाव था। डीडीसी चुनाव के अलावा, पंचायत उपचुनाव के लिए 50 खाली सरपंच सीटों के लिए भी मतदान हुआ।
राजनीति
फसल की सरकारी खरीद नहीं हो रही, सरकार असल मुद्दों से भटका रही ध्यान: सपा सांसद अवधेश प्रसाद

नई दिल्ली, 8 दिसंबर: समाजवादी पार्टी के सांसद अवधेश प्रसाद ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सभी जिलाधिकारियों को अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के दिए निर्देशों पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि योगी सरकार असल मुद्दों से ध्यान हटाकर दूसरे रास्ते पर चल रही है, जबकि प्रदेश में बहुत सारी गंभीर समस्याएं मौजूद हैं।
अवधेश प्रसाद के मुताबिक आज सबसे बड़ी समस्या किसानों की है। किसानों की धान की फसल घरों में पड़ी है, लेकिन सरकारी खरीद एकदम ठप है। इससे बिचौलियों को मनचाही कीमत पर किसानों का शोषण करने की खुली छूट मिल गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कई इलाकों में तो एक बोरी भी सरकारी खरीद नहीं हुई है। वह खुद भी यात्रा के दौरान देखकर आए हैं कि किसानों की हालत कितनी खराब है।
सपा सांसद ने अयोध्या जनपद का एक और मामला उठाया। उन्होंने कहा कि चौरासी कोसी परिक्रमा के नाम पर हजारों किसानों की जमीन को बिना मुआवजा दिए अधिग्रहीत किया जा रहा है और बुलडोजर चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसलों को बचाने और पशुओं को ठंड में संभालने के लिए जूझ रहे हैं, लेकिन सरकार उनकी सुनने को तैयार नहीं है।
सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में 5000 से ज्यादा किसानों ने परेशानियों के चलते अपनी जान तक दे दी, लेकिन उस पर सरकार ध्यान नहीं दे रही।
सांसद ने प्रदेश में बढ़ते दलित उत्पीड़न का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि अत्याचार के मामलों में रोज बढ़ोतरी हो रही है और योगी सरकार में रिकॉर्ड टूट रहे हैं। काकोरी में हुए एक मामले का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि रामपाल पासी नाम के एक बुजुर्ग के साथ कितनी अमानवीय हरकत हुई। बीमारी की हालत में मंदिर के पास बैठने पर उन्हें पीटा गया और उनके साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया।
अवधेश प्रसाद का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जनता की असली समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
एनडीएए के तहत बड़ी घोषणा: अमेरिका की परमाणु और हिंद-प्रशांत योजनाओं में भारत प्रमुख भागीदार

वाशिंगटन, 8 दिसबंर: अमेरिका के नए रक्षा प्राधिकरण बिल में भारत को इंडो–प्रशांत क्षेत्र और परमाणु नीति में महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है। इस विधेयक में कहा गया है कि अमेरिका भारत के साथ मिलकर उसकी परमाणु दायित्व नीति पर लगातार बातचीत करेगा और भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल करेगा जो चीन की चुनौती से निपटने के लिए नई रक्षा व्यवस्था तैयार कर रहे हैं।
अमेरिकी कांग्रेस के नेताओं ने वित्त वर्ष 2026 के लिए राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (एनडीएए) का संयुक्त मसौदा जारी किया है। इस अधिनियम में भारत को अमेरिका की कई रणनीतियों में विशेष स्थान दिया गया है-जैसे नागरिक परमाणु सहयोग, रक्षा सह-उत्पादन और समुद्री सुरक्षा। यह बिल छह दशकों से हर साल पारित होता रहा है। इस सप्ताह के अंत में बिल हाउस से पारित होने की उम्मीद है।
बिल में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है कि अमेरिका और भारत मिलकर एक संयुक्त परामर्श तंत्र स्थापित करेंगे। यह तंत्र 2008 के नागरिक परमाणु समझौते के क्रियान्वयन की नियमित समीक्षा करेगा। इसके साथ ही भारत के घरेलू परमाणु दायित्व नियमों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाने पर भी चर्चा की जाएगी और इन मुद्दों पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय राजनयिक जुड़ाव के लिए “एक रणनीति विकसित करने” का भी काम सौंपा गया है।
अमेरिका को पांच वर्षों तक हर साल कांग्रेस में इस समीक्षा की रिपोर्ट देनी होगी।
बिल के अन्य भाग में भारत को वैश्विक नागरिक परमाणु सहयोग में “सहयोगी देश” के रूप में रखा गया है। इसके अलावा, यह कानून प्रशासन को अमेरिकी परमाणु निर्यात का विस्तार करने के लिए 10-वर्षीय रणनीति स्थापित करने और रूस तथा चीन से होने वाली प्रतिस्पर्धा का विश्लेषण करेगा।
इंडो–प्रशांत क्षेत्र से जुड़े प्रावधानों में भारत को प्राथमिक सहयोगियों की सूची में रखा गया है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस और न्यूजीलैंड भी शामिल हैं। इन देशों के साथ मिलकर रक्षा उद्योग, आपूर्ति श्रृंखला और नई तकनीक पर संयुक्त काम आगे बढ़ाया जाएगा।
अमेरिकी रक्षा मंत्री को अधिकार होगा कि वे समझौते करें, विशेषज्ञ सहायता दें, और उद्योग व शिक्षण संस्थानों को जोड़ें ताकि संयुक्त उत्पादन और विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
संसद ने यह भी कहा है कि अमेरिका क्वाड्रीलेटरल सुरक्षा संवाद सहित भारत के साथ अपना जुड़ाव बढ़ाए, ताकि इंडो–प्रशांत क्षेत्र को स्वतंत्र और खुला रखा जा सके। इसमें सैन्य अभ्यास, रक्षा व्यापार, मानवीय सहायता और समुद्री सुरक्षा शामिल हैं। चीन को रोकने के लिए अमेरिका अपनी क्षेत्रीय उपस्थिति और साझेदारी भी बढ़ाएगा।
विधेयक में भारतीय महासागर क्षेत्र के लिए एक विशेष राजदूत बनाने की मंजूरी भी दी गई है, जिसका काम होगा कि वह इस क्षेत्र में अमेरिका की कूटनीति का समन्वय करे और चीन के प्रभाव को संतुलित करने की रणनीति बनाए।
इन सभी कदमों से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब अमेरिका की क्षेत्रीय रणनीति का सिर्फ लाभार्थी नहीं है, बल्कि एक महत्वपूर्ण साझेदार भी है। हाल के वर्षों में भारत–अमेरिका रक्षा संबंध काफी मजबूत हुए हैं।
राजनीति
सुप्रीम कोर्ट ने इंडिगो एयरलाइंस संकट वाली याचिका को जल्द सुनने से किया इनकार

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 8 दिसंबर: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो की उड़ानें बड़े पैमाने पर रद्द होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दाखिल याचिका को जल्द सुनने से इनकार किया है। कोर्ट ने कहा कि पहले ही इस मामले का संज्ञान ले लिया है और समय पर कार्रवाई की गई है।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ये बात सही है कि लाखों यात्री परेशान हुए हैं। बहुत लोगों के जरूरी काम छूट गए, लेकिन सरकार इस मामले को देख रही है तो उन्हें संभालने दें। चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हम एयरलाइन नहीं चला सकते। भारत सरकार ने पहले ही इस मामले का संज्ञान ले लिया है। समय पर कार्रवाई की गई है।
इंडिगो संकट छठे दिन भी जारी है। आज भी 200 से ज्यादा उड़ानें रद्द की दी गई जबकि कई उड़ानें देरी से है। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, बेंगलुरु समेत देशभर के एयरपोर्ट्स पर यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
बीते दिन सुप्रीम कोर्ट के वकील नरेंद्र मिश्रा ने सीजेआई को पत्र लिखकर इस पूरे संकट पर स्वतः संज्ञान लेने और मामले में तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग की थी।
पत्र के माध्यम से दायर पिटीशन में कहा गया था कि इंडिगो की ओर से बीते कुछ दिनों में 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द करने और गंभीर देरी के कारण लाखों यात्री देशभर के एयरपोर्ट्स पर फंस गए, जिससे एक तरह का मानवीय संकट पैदा हो गया था।
मिश्रा ने इसे यात्रियों के मौलिक अधिकार, विशेषकर अनुच्छेद 21 (जीवन और गरिमा का अधिकार), का गंभीर उल्लंघन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से त्वरित हस्तक्षेप की अपील की थी।
वकील नरेंद्र मिश्रा द्वारा भेजी गई इस विस्तृत याचिका में कहा गया था कि छह बड़े मेट्रो शहरों में एयरलाइन का ऑन-टाइम परफॉर्मेंस 8.5 प्रतिशत तक गिर गई था। हजारों यात्री (जिनमें बुजुर्ग, बच्चे, दिव्यांग और बीमारी से जूझ रहे लोग शामिल हैं) एयरपोर्ट्स पर घंटों तक फंसे रहे। जिससे उनको कई परेशानी का सामना करना पड़ा था।
एयरपोर्ट्स पर खाने-पीने, आराम, कपड़े, दवाइयों और रहने की बुनियादी सुविधाएं तक नहीं दी गईं, जबकि एयरलाइन ने खुद मान लिया था कि उसके पास पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी। अनेक मामलों में आपातकालीन मेडिकल जरूरतों की भी अनदेखी कर दी गई थी।
याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग रखी गई है कि मामले में तुरंत स्वतः संज्ञान लेकर इसे पीआईएल के रूप में स्वीकार किया जाए। स्पेशल बेंच बनाकर तुरंत सुनवाई की जाए। इंडिगो को आदेश दिया जाए कि मनमाने रद्दीकरण रोके, सुरक्षित तरीके से सेवाएं बहाल करे और सभी फंसे यात्रियों को मुफ्त वैकल्पिक व्यवस्था दे।
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