अंतरराष्ट्रीय समाचार
बंगाल चुनावों के दौरान बांग्लादेश के ‘मतुआ’ पर भी है मोदी की नजर

जिस दिन पश्चिम बंगाल में 8-चरण वाले विधानसभा चुनावों की शुरुआत होगी, उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांग्लादेश के एक धर्मस्थल ओरकांडी की यात्रा कर सकते हैं। ओरकांडी, गोपालगंज के तुंगीपारा से करीब ही है, जो कि बांग्लादेश की मौजूदा प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके पिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान का पैतृक गांव है।
ओरकांडी ‘मतुआ’ समुदाय का सबसे पवित्र मंदिर है और हिंदू संप्रदाय वाले इस समुदाय की आबादी पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश दोनों में ही बड़ी तादाद में रहती है।
बांग्लादेश के स्वतंत्रता दिवस के मौके पर मोदी बांग्लादेश जाएंगे। बांग्लादेश 26 मार्च को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाता है, जब 1971 में पाकिस्तान की क्रूर सेना ने ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ छेड़ा था और इसके तहत हुए बंगालियों के जनसंहार ने उन्हें देश की आजादी के लिए संघर्ष छेड़ने के लिए प्रेरित किया था।
मोदी पहले ही तुंगीपारा जाने की इच्छा जता चुके हैं। ये वही जगह है जहां ‘बंगबंधु’ को दफनाया गया है। यहां वह 27 जनवरी को पहुंचेंगे और उसी दिन पश्चिम बंगाल के लोग चुनाव के पहले चरण में मतदान कर रहे होंगे। लेकिन बांग्लादेश के सुरक्षा अधिकारियों ने कहा है कि अब उनके पास एक नया अनुरोध आया है। अब मतुआ संप्रदाय के संस्थापक हरिचंद ठाकुर की स्थली ओरकांडी भी जाना चाहते हैं।
बांग्लादेश के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हम भारतीय प्रधानमंत्री की ओरकांडी यात्रा के लिए सभी सुरक्षा पहलुओं की जांच कर रहे हैं और इसे लेकर संतुष्ट होते ही हम उनकी यात्रा को मंजूरी दे देंगे।”
वैसे बांग्लादेश के अन्य अधिकारियों का कहना है कि यात्रा को मंजूरी देना एक औपचारिकता भर है क्योंकि आमतौर पर बांग्लादेशी भारतीय गणमान्य व्यक्तियों से मिलने से इनकार नहीं करते हैं।
अब मोदी की ओरकांडी जाने की इस ख्वाहिश को पश्चिम बंगाल चुनावों से जोड़कर देखते हैं। इसके लिए सबसे पहले इस समुदाय के राजनीतिक प्रतिनिधित्व पर नजर डालते हैं। मौजूदा समय की बात करें तो अभी मतुआ महासंघ के वर्तमान नेता सांतनु ठाकुर बोंगन से भाजपा के सांसद हैं और उनके पिता मंजुल कृष्ण ठाकुर राज्य में मंत्री रह चुके हैं। माना जाता है कि उत्तर 24-परगना और नादिया जिले में मतुआ वोट एक निर्णायक फैक्टर की तरह हैं। यहां भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच इस समुदाय का वोट पाने के लिए जबरदस्त जंग छिड़ी हुई है। अनुमान के मुताबिक इस समुदाय की आबादी बांग्लादेश, पश्चिम बंगाल और अन्य जगहों पर 3 करोड़ के करीब है। राज्य में रह रहे मतुआ चाहते हैं कि उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाए, जो कि साल 2001-02 से पश्चिम बंगाल में रह रहे हैं।
उधर इस समुदाय में मां की तरह मानी जाने वाली ‘बोरो मा’ ममताबाला ठाकुर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी करीबी हैं, लेकिन सांतनु इस समुदाय से पहले गैर-टीएमसी सांसद हैं।
बांग्लादेश की राजनीति पर नजर रखने वाले सुखरंजन दासगुप्ता कहते हैं, “यदि मोदी ओराकंडी मंदिर में जाकर प्रार्थना करते हैं, तो ऐसा करने वाले वह पहले भारतीय प्रधानमंत्री होंगे। वह मतुआ समुदाय की नब्ज छूकर उनके वोटों को भाजपा की ओर मोड़ सकते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह स्मार्ट चाल है।” दासगुप्ता 1975 में हुए तख्तापलट पर ‘मिडनाइट मैसेकर’ के लेखक हैं। इस दौरान शेख मुजीबुर रहमान को उनके परिवार के कई सदस्यों को मार दिया गया था।
वहीं एनालिस्ट आशीस बिस्वास मोदी की इस यात्रा को ‘एक तीर से दो निशाना’ लगाना कहते हैं। बिस्वास कहते हैं, “तुंगिपारा की यात्रा निस्संदेह रूप से उस दौर की याद दिलाएगी, जिसमें बांग्लादेश को आजादी दिलाने में भारत ने अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन ओरकंडी की यात्रा भाजपा को मतुआओं से जोड़ेगी।”
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जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को ‘लगभग तुरंत’ खत्म कर सकते हैं : ट्रंप

TRUMP
वाशिंगटन, 18 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत खत्म करने का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि, रूस के कब्जे वाले क्रीमिया को वापस लेना या नाटो में शामिल होना उनके लिए संभव नहीं है।
ट्रंप ने रविवार को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर कहा, “यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की यदि चाहें तो रूस के साथ युद्ध को लगभग तुरंत समाप्त कर सकते हैं, या फिर वे लड़ाई जारी रख सकते हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि अब ओबामा के समय (12 साल पहले) की तरह क्रीमिया वापस नहीं मिलेगा, और यूक्रेन नाटो में शामिल नहीं होगा।
जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के एक बड़े प्रतिनिधिमंडल के साथ बेहद महत्वपूर्ण वार्ता की पूर्व संध्या पर, राष्ट्रपति ट्रंप ने व्हाइट हाउस में स्पष्ट कर दिया है कि यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए जेलेंस्की को रूस की कुछ शर्तों पर सहमत होना होगा।
इन शर्तों में दो मुख्य बातें हैं: यूक्रेन क्रीमिया रूस को दे दे (जिसे रूस ने 2014 में अपने साथ मिला लिया था) और कभी नाटो में शामिल न हो। ये वही शर्तें हैं जो रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने युद्ध खत्म करने के लिए रखी हैं।
यूरोपीय नेता, जो सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस जा रहे हैं, वह इस बात को लेकर चिंतित हैं कि ट्रंप इस मुलाकात में जेलेंस्की पर दबाव डाल सकते हैं ताकि वे पुतिन की अलास्का शिखर सम्मेलन में रखी शर्तों को मान लें।
वे ट्रंप से यह जानना चाहते हैं कि शांति समझौते में रूस क्या छोड़ सकता है और भविष्य में अमेरिका यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी में क्या भूमिका निभाएगा।
ट्रंप ने जेलेंस्की को भेजे अपने संदेश के बाद लिखा, “कल व्हाइट हाउस में बड़ा दिन है। इतने सारे यूरोपीय नेता एक साथ कभी नहीं आए। उनकी मेजबानी करना मेरे लिए सम्मान की बात है!!!”
यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन, फिनलैंड के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर स्टब और नाटो महासचिव मार्क रुटे सोमवार को जेलेंस्की के साथ व्हाइट हाउस की यात्रा में शामिल होंगे।
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भारत ने ट्रंप-पुतिन की बैठक का किया स्वागत, कहा- संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह संभव

नई दिल्ली, 16 अगस्त। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में हुई बैठक पर भारत की पहली प्रतिक्रिया आई। भारत ने कहा कि संवाद और कूटनीति से ही शांति की राह बनेगी।
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि भारत अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर सम्मेलन का स्वागत करता है। शांति की दिशा में उनका नेतृत्व अत्यंत सराहनीय है।
उन्होंने कहा कि भारत शिखर सम्मेलन में हुई प्रगति की सराहना करता है। आगे का रास्ता केवल संवाद और कूटनीति से ही निकल सकता है। दुनिया यूक्रेन में संघर्ष का शीघ्र अंत देखना चाहती है।
अलास्का में ट्रंप और पुतिन के बीच करीब तीन घंटे तक बैठक चली। इसके बाद यूएस राष्ट्रपति वाशिंगटन लौट गए। इससे पहले ट्रंप ने संवाददाताओं से कहा कि वह नाटो नेताओं, यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और अन्य संबंधित अधिकारियों को बैठक में हुई चर्चाओं के बारे में जानकारी देने की योजना बना रहे हैं।
वहीं, अलास्का के एंकोरेज से मास्को रवाना होने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने फोर्ट रिचर्डसन मेमोरियल कब्रिस्तान का दौरा किया, जहां उन्होंने सोवियत संघ के सैनिकों की कब्रों पर फूल चढ़ाए। ये कब्रें उन सोवियत पायलटों और नाविकों को श्रद्धांजलि हैं, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान शहीद हो गए थे।
ट्रंप के साथ हुई बैठक को लेकर पुतिन ने कहा कि हमारी बातचीत रचनात्मक और परस्पर सम्मान के माहौल में हुई। उन्होंने एक पड़ोसी के रूप में ट्रंप का स्वागत किया और उनके साथ बहुत अच्छे सीधे संपर्क स्थापित किए। साथ ही उन्होंने ट्रंप को साथ मिलकर काम करने और बातचीत में एक दोस्ताना और भरोसेमंद माहौल बनाए रखने के लिए धन्यवाद दिया। खास बात यह है कि दोनों पक्ष परिणाम हासिल करने के लिए दृढ़ थे। हमारी बातचीत सकारात्मक रही।
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ट्रंप, पुतिन ने यूक्रेन पर तीन घंटे की बातचीत के बाद बड़ी सफलता की घोषणा की

न्यूयॉर्क, 16 अगस्त। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को अलास्का के एंकोरेज में तीन घंटे की वार्ता के बाद बड़ी सफलता की घोषणा की।
ट्रंप ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि हम जिस समझौते पर पहुंचे हैं, वह हमें उस लक्ष्य (समाधान खोजने) के और करीब लाने में मदद करेगा और यूक्रेन में शांति का मार्ग प्रशस्त करेगा। मुझे लगता है कि हमारी बैठक बहुत ही उपयोगी रही। ऐसे कई मुद्दे थे जिन पर हम (राष्ट्रपति पुतिन और मैं) सहमत हुए।”
यह समझौता भारत के लिए भी महत्वपूर्ण होगा क्योंकि यूएस ने रूसी तेल खरीदने पर भारत पर 25 प्रतिशत दंडात्मक शुल्क की घोषणा की है।
हालांकि, अभी किसी भी नेता ने समझौते का कोई विवरण नहीं दिया और न ही यह बताया कि युद्धविराम होगा या नहीं।
ट्रंप ने रहस्यमय ढंग से कहा, “कुछ बड़े समझौते ऐसे हैं जिन तक हम अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं, लेकिन हमने कुछ प्रगति की है। एक समझौता शायद सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन हमारे पास उस तक पहुंचने की बहुत अच्छी संभावना है। हम वहां तक नहीं पहुंच पाए, लेकिन हमारे पास वहां पहुंचने की बहुत अच्छी संभावना है।”
उन्होंने कहा, “मैं नाटो और उन सभी लोगों को फोन करूंगा जिन्हें मैं उपयुक्त समझता हूं, और निश्चित रूप से, राष्ट्रपति (वोलोदिमिर) जेलेंस्की को फोन करके उन्हें आज की बैठक के बारे में बताऊंगा।”
शिखर सम्मेलन में जाते हुए, ट्रंप ने कहा कि वह यूक्रेन की ओर से बातचीत नहीं करेंगे, और समझौता करना जेलेंस्की पर निर्भर है।
उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “इसलिए जब तक समझौता नहीं हो जाता, तब तक कोई समझौता नहीं है।”
दोनों राष्ट्रपतियों ने पत्रकारों के सवालों के जवाब नहीं दिए।
पुतिन ने कहा, “हमें टकराव से बातचीत की ओर बढ़ने के लिए स्थिति में सुधार करना होगा।”
उन्होंने कहा, “इन परिस्थितियों में यह कितना भी अजीब लगे, हमारी (रूस और यूक्रेन की) जड़ें एक ही हैं और जो कुछ भी हो रहा है वह हमारे लिए एक त्रासदी और एक भयानक घाव है। इसलिए, देश ईमानदारी से इसे समाप्त करने में रुचि रखता है।”
शिखर सम्मेलन की शुरुआत में पहले से तय तीन चरणों को बदलकर, वे सीधे दूसरे चरण में चले गए। इस चरण में ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और विदेश मंत्री मार्को रुबियो, और पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूडी उषाकोवा, रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव, और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हिस्सा लिया।
ऐसा नहीं लग रहा था कि अधिकारियों के साथ तीसरे चरण का लंच हो रहा था। ट्रंप ने पुतिन का रेड कार्पेट पर स्वागत किया और लिमोजीन में बैठते ही उन्होंने दोस्ताना अंदाज में बातचीत जारी रखी।
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