राजनीति
मोदी सरकार ने कोरोना की दूसरी लहर को बहुत कम समय में नियंत्रित किया : अमित शाह

गृहमंत्री अमित शाह ने गुजरात में वल्लभ यूथ ऑर्गनाइजेशन की ओर से स्थापित नौ ऑक्सीजन प्लांट का बुधवार को वर्चुअल माध्यम से लोकार्पण किया। इस दौरान अमित शाह ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में वायरस ने बड़ी तेजी से अपना स्वरूप बदलना शुरू किया और इसने मानव की सेहत पर बुरा असर डाला। उन्होंने कहा कि बहुत कम समय में मोदी सरकार ने दूसरी लहर को नियंत्रित कर ले जाने में सफल हुई। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि अगर इसका विश्लेषण करें तो दुनिया के विकसित देशों में भी व्यवस्था चरमराती नजर आयी लेकिन भारत के अंदर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इसके खिलाफ लड़ाई लड़ी गई। दूसरी लहर में बहुत से लोगों ने अपनों को गंवाया है और अनेक लोगों को लंबे समय तक अस्पताल में रहना पड़ा। दूसरी लहर में अपने प्रियजनों को गंवाने वाले लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि वे ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि शोक संतप्त परिवारों को इस दुख को सहन करने की शक्ति दे।
अमित शाह ने कहा कि इस आपदा में अग्रिमपंक्ति के कर्मियों, डॉक्टर, नर्स, स्वयंसेवी संस्थाओं तथा स्वयं सेवकों ने जिस प्रकार अपना हित भूलकर समाज और बीमार लोगों के लिए तथा गरीबों के लिए काम किया है, उसके लिए वे इन सबको साधुवाद देना चाहते हैं। उन्हीं के कारण यह लड़ाई इस मुकाम पर पहुंची है। शाह ने कहा कि देश भर में अनेकों स्वयंसेवी संस्थाओं ने जो भी बन सकता वह योगदान किया। जब श्रमिक अपने घरों को लौट रहे थे हजारों स्वयंसेवी संस्थाओं ने उनके भोजन,पानी,ठहरने और उनको अपने गंतव्य तक पहुंचाने की बड़ी व्यवस्था की। सरकार अकेले यह काम नहीं कर सकती थी।
अपराध
दिल्ली दंगा मामला : सुप्रीम कोर्ट में शरजील इमाम और अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई टली

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 12 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित मामले में आरोपी शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिका पर सुनवाई टल गई है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।
चारों आरोपियों ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इन सभी पर 2020 के दंगों के मुख्य षड्यंत्रकारी होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ शरजील इमाम, उमर खालिद और गुलफिशा फातिमा की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में भड़के 2020 के दिल्ली दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।
दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया था कि यह हिंसा एक पूर्व-नियोजित साजिश थी, जिसे सीएए के खिलाफ जारी विरोध-प्रदर्शन के दौरान अंजाम दिया गया था।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र शरजील इमाम को 28 जनवरी, 2020 को बिहार के जहानाबाद से जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद ने भी यूएपीए मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद 10 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर भी यूएपीए के तहत इसी तरह के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
आरोपों की प्रकृति और अभियुक्तों की लंबी कैद के कारण इस मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है।
गुलफिशा फातिमा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों की एक प्रमुख आयोजक मानी जाती हैं। उसे 9 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत जेल में बंद है। और बाद में दंगों में उसकी कथित भूमिका के लिए यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था।
राजनीति
महाराष्ट्र की गलती दोहराने से बचने के लिए बिहार में जल्द सीटों का बंटवारा हो : आनंद दुबे

मुंबई, 12 सितंबर। बिहार विधानसभा चुनाव के लिए इंडिया ब्लॉक में सीट बंटवारे को लेकर अभी तक कोई अंतिम घोषणा नहीं हुई है, लेकिन हालिया बैठकों से संकेत मिल रहे हैं कि जल्द ही इस पर सहमति बन सकती है।
इस बीच शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने चेतावनी दी है कि इंडिया ब्लॉक को महाराष्ट्र वाली गलती दोहरानी नहीं चाहिए। जल्द से जल्द सीएम फेस और सीट बंटवारा तय कर लेना चाहिए, ताकि मजबूत रणनीति के साथ चुनाव लड़ा जा सके। महाराष्ट्र में देरी से गठबंधन कमजोर पड़ा था और बिहार में भी विलंब से एनडीए को फायदा हो सकता है।
शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राजनीति में अनुशासन और समझदारी जरूरी है। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि अगर महाविकास आघाड़ी (एमवीए) ने सीट बंटवारा और नेतृत्व का चेहरा पहले तय कर लिया होता, तो परिणाम अलग हो सकते थे और एमवीए की सरकार बन सकती थी। बिहार में इंडिया गठबंधन को ऐसी गलती नहीं दोहरानी चाहिए।
उन्होंने महागठबंधन को मजबूत स्थिति में चुनाव लड़ने के लिए सीएम फेस और सीट बंटवारा जल्द स्पष्ट करने की सलाह दी, ताकि गठबंधन में मनमुटाव न हो। उन्होंने भाजपा पर साम-दाम-दंड-भेद की रणनीति अपनाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल न होने पर उन्होंने कहा कि वे देश के नेता प्रतिपक्ष के रूप में बड़ी जिम्मेदारी निभाते हैं। उनके कार्यक्रम पहले से तय होते हैं, जिसके कारण वे हर जगह उपस्थित नहीं हो पाते। राहुल गांधी की अनुपस्थिति का मतलब यह नहीं कि वे उपराष्ट्रपति पद या व्यक्ति का सम्मान नहीं करते। राहुल गांधी राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री जैसे संवैधानिक पदों का पूरा आदर करते हैं।
उन्होंने कहा कि यदि कार्यक्रमों में टकराव न होता, तो राहुल गांधी निश्चित रूप से समारोह में शामिल होते और शिष्टाचार भेंट करते। वे जल्द ही उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात कर उन्हें बधाई देंगे।
बिहार कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जारी एआई वीडियो को उन्होंने महिलाओं का अपमान तथा राजनीति के निचले स्तर का उदाहरण बताया है। उन्होंने कहा कि राजनीति में किसी पर निजी तौर पर हमला करना गलत है। राजनीति के लिए कई मुद्दे हैं, जिस पर चर्चा हो सकती है। मैं समझता हूं कि महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर दलों को चर्चा करनी चाहिए।
उन्होंने बेंगलुरु के शिवाजी नगर में बने मेट्रो स्टेशन का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी महाराज नगर करने की मांग की। उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज न केवल महाराष्ट्र, बल्कि पूरे भारत के आराध्य देव हैं और स्टेशन का नाम उन पर रखना देश में सद्भावना और एकता का संदेश देगा। सरकार अन्य स्टेशनों को अलग नाम दे सकती है, लेकिन इस स्थान पर शिवाजी महाराज का नाम देना उचित होगा। इस मांग को लेकर सरकार को पत्र लिखा गया है और जल्द ही सकारात्मक निर्णय की उम्मीद है।
राजनीति
भारत निर्वाचन आयोग की कार्यशाला में गलत सूचनाओं से निपटने पर जोर

नई दिल्ली, 12 सितंबर। भारत निर्वाचन आयोग ने शुक्रवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के मीडिया एवं संचार अधिकारियों के लिए नई दिल्ली में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू और डॉ. विवेक जोशी की उपस्थिति में इस कार्यशाला का उद्घाटन किया।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य चुनावों से जुड़ी कानूनी, तथ्यात्मक और नियम आधारित जानकारी को समय पर और सही ढंग से प्रसारित करने के महत्व पर जोर देना है। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय चुनाव संविधान के अनुसार हों और इस प्रक्रिया के बारे में जनता को सटीक जानकारी मिले।
हाल के दिनों में चुनावी प्रक्रियाओं के बारे में गलत सूचनाएं सामने आईं। कार्यशाला में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के कार्यालयों में संचार प्रणाली को मजबूत करने पर चर्चा हुई। इसमें बताया गया कि तथ्य-आधारित प्रतिक्रियाओं के माध्यम से भ्रामक जानकारियों का मुकाबला करना है ताकि जनता को गुमराह होने से बचाया जा सके।
यह कार्यशाला 9 अप्रैल और 5 जून 2025 को भारतीय अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र एवं चुनाव प्रबंधन संस्थान में आयोजित हुए दो पिछले कार्यक्रमों से मिली सीख को और आगे बढ़ाएगी। इसका उद्देश्य मतदाताओं और अन्य हितधारकों को समय पर सत्यापित और प्रामाणिक जानकारी सुनिश्चित करने के लिए एक दूरदर्शी रणनीति तैयार करना है।
भारत निर्वाचन आयोग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर बताया कि इस कार्यशाला में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के CEO कार्यालयों के मीडिया नोडल अधिकारियों (MNO) और सोशल मीडिया नोडल अधिकारियों ने भाग लिया।
हाल ही में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसकी घोषणा जल्द ही हो सकती है। चुनाव आयोग अक्टूबर के पहले या दूसरे हफ्ते में इसकी तारीखों की घोषणा कर सकता है। चुनाव आयोग त्योहारों को भी ध्यान में रखते हुए चुनाव तारीख तय कर सकता है।
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