राजनीति
नदियों को नवजीवन देने के लिए आधुनिक भगीरथ बने योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तीन दर्जन से अधिक जिलों और 2100 ग्राम पंचायतों से गुजरने और 3900 किलोमीटर का फासला तय करने वाली लुप्तप्राय नदियों के पुनरोद्धार का भगीरथ प्रयास कर रहे हैं। उनके प्रयास के नाते भगवान श्रीराम से जुड़ी मंदाकिनी (चित्रकूट) और तमसा (अयोध्या) को पुर्नजीवन मिल चुका है। बाकी नदियों के पुनरोद्धार का काम जारी है। करीब 1041 किमी की लंबाई में इन नदियों को स्वाभाविक अपवाह तंत्र में लाया जा चुका है। इनमें से कई तो पौराणिक महत्व की हैं।
प्राकृतिक जलस्रोतों के पुनरोद्धार के इस मिशन में सिर्फ नदियां ही नहीं तालाब और नाले भी शामिल हैं। पुनरोद्धार के साथ उनके किनारे पर वृहद पौधारोपण का भी काम चल रहा है। इस क्रम में अब तक 907 तालाबों, 595 नालों का नया जीवन देने के साथ इनके किनारों पर संबंधित जिलों के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुकूल करीब 22 लाख पौधे भी लगाए जा चुके हैं।
यही नहीं इस काम में कोरोना के असाधारण संकट के दौरान करीब 25 लाख मानव दिवस सृजित होने से लाखों परिवारों को स्थानीय स्तर पर काम भी मिला। इनमें से कई तो ऐसे थे जो दूसरे प्रदेशों के महानगरों से लॉकडाउन के कारण लौटे थे। इनका समायोजन खुद में सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती थी, पर मुख्यमंत्री ने इस चुनौती को एक बड़े अवसर में बदल दिया।
नदियों के पुनरोद्धार के इस प्रयास की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मन की बात में भी कर चुके हैं। जून में आयोजित अपने मन की बात में प्रधानमंत्री ने कहा था कि यूपी के बाराबंकी में गांव लौटकर आए श्रमिकों ने कल्याणी नदी का प्राकृतिक स्वरूप लौटाने के लिए काम करना शुरू कर दिया है। नदी का उद्धार होता देख, आसपास के किसान और लोग भी उत्साहित हैं।
जलसंरक्षण पहले से ही योगी आदित्यनाथ का प्रिय विषय रहा है। लोग जलसंरक्षण की महत्ता से वाकिफ हों इसके लिए उन्होंने करीब पांच साल पहले गोरखपुर का सांसद रहने के दौरान गोरखनाथ मंदिर में चार वाटर हारवेस्टिंग टैंक बनवाये थे। उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद ‘योगी करते हैं पानी की खेती’ शीर्षक से खबर अखबारों की सुर्खियां बनी थी।
गोरखपुर स्थित बुद्ध और कबीर से जुड़ी आमी नदी के संरक्षण के लिए बनी संस्था आम नदी बचाओ मंच के वे संरक्षक भी रहे हैं। गोरखपुर के जिस रामगढ़ ताल को वह वैश्विक पर्यटन का केंद्र बनाने की बात करते हैं उसका मौजूदा स्वरूप उनके करीब दो दशक के संघर्षों की देन है। ऐसा उन्होंने विपक्ष में रहने के दौरान किया। गोरखपुर के दक्षिणी हिस्से में स्थित महेसरा ताल का सुंदरीकरण भी उनकी प्राथमिकताओं में है। सरकार के अब प्रदेश के मुखिया के रूप में उनका फलक व्यापक है तो रुचि के अनुसार काम का दायरा भी बढ़ा है। नदियों और तालाबों समेत सभी प्राकृतिक जलस्रोतों का पुनरोद्धार उनकी प्राथमिकता है। सरकार भविष्य में तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त करते हुए उनके पुनरोद्धार के लिए तालाब विकास प्राधिकरण बनाने की भी सोच रही है।
नदियों के प्रति लोग जागरूक हों इसके लिए इसी साल फरवरी में सरकार ने बिजनौर से बलिया तक की गंगा यात्रा आयोजित की थी। गंगा और बड़ी नदियों के किनारे बहुउद्देशीय तालाब बनाने की योजना भी पर्यावरण संरक्षण की ही एक कड़ी है।
इन नदियों का हो रहा पुनरोद्धार 1. टेढ़ी- बहराइच, गोंडा, 2. मनोरमा- गोंडा, बस्ती, 3. वरुणा- प्रयागराज, भदोही, वाराणसी, 4. ससुर खदेड़ी- फतेहपुर, कौशांबी, प्रयागराज, 5. गोमती- पीलीभीत, खीरी, सीतापुर, लखनऊ, शाहजहांपुर, जौनपुर, 6. अरिल- बदायूं, बरेली, 7. मोरवा- भदोही, 8. नाद-वाराणसी, 9. कर्णावती-मिर्जापुर, 10. बान- बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, 11. सोत- संभल, 12. काली पूर्वीं- बुलंदशहर, कासगंज, कन्नौज, 13. डाढी-मुरादाबाद, 14. ईशन-एटा, 15. बूढ़ी गंगा-कासगंज, 16. पांडु- औरैया, कन्नौज, कानपुर नगर, कानपुर देहात, फतेहपुर, 17. सई-हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, लखनऊ, जौनपुर, प्रतापगढ़।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र में शांतिपूर्ण ईद-उल-अजहा के लिए पुलिस अलर्ट

मुंबई: मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में ईद-उल-अजहा शांतिपूर्वक संपन्न हो गया। ठाणे में ईद-उल-अजहा पर उपद्रवियों ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की, जिसे पुलिस ने नाकाम कर दिया। पुलिस ने सोशल मीडिया पर जहर फैलाने वाले ऐसे तत्वों के खिलाफ भी कार्रवाई की है। इसके साथ ही कल्याण के दोगाडी फोर्ट स्थित ईदगाह में भी शांतिपूर्ण नमाज अदा की गई। फोर्ट स्थित मंदिर में घंटी बजाने की भी कोशिश की गई और नमाज के ठीक समय पर शिवसेना और शिंदे कार्यकर्ता इकट्ठा हुए और घंटी बजा दी, जिसके कारण पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और माहौल खराब होने से बचा लिया।
पुलिस कमिश्नर आशुतोष डुंबरे ने मुंब्रा, भिवंडी पुलिस स्टेशन, राबोड़ी कल्याण और उल्हासनगर जैसे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। मुंबई में भी ईद-उल-अजहा और कुर्बानी की पृष्ठभूमि में पुलिस सतर्क और तैयार थी। हाउसिंग सोसायटियों में कुर्बानी को लेकर विवाद के कारण पुलिस ने ऐसी सोसायटियों में कड़े इंतजाम किए थे, जहां पहले समस्या उत्पन्न हो चुकी थी। इसके साथ ही बीएमसी ने कई सोसायटियों और कुर्बानी के लिए अस्थायी वेदियों में कुर्बानी की इजाजत दी। मुसलमानों ने इब्राहीमी जोश के साथ कुर्बानी की रस्म अदा की।
इसके अलावा, मुंबई में ईदगाहों और मस्जिदों पर पुलिस का पहरा भी रहा। मुंबई के पुलिस कमिश्नर देवेन भारती ने स्थिति की समीक्षा की। इसके अनुसार, मुंबई में व्यवस्था पूरी कर ली गई। मुंबई पुलिस ने उपद्रवियों पर भी नजर रखी और सोशल मीडिया पर नजर रखी। इसके साथ ही महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों मालेगांव, औरंगाबाद, बीड, उस्मानाबाद, अमरावती और पूरे महाराष्ट्र में ईद-उल-अजहा शांतिपूर्वक मनाई गई। कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली। पुलिस सूत्रों ने दावा किया है कि ईद शांतिपूर्ण माहौल में मनाई गई और उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश भी जारी किए गए इसके बाद कुर्बानी की गई और कुर्बानी की रौनक मुस्लिम मोहल्लों में हर तरफ देखने को मिली।
महाराष्ट्र
बीएमसी सार्वजनिक शौचालय की निगरानी के लिए संविदा सामुदायिक विकास अधिकारी नियुक्त करेगी

बीएमसी ने सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (एसडब्ल्यूएम) विभाग के सामुदायिक विकास प्रकोष्ठ के तहत अनुबंध के आधार पर सामुदायिक विकास अधिकारियों (सीडीओ) की भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। ये अधिकारी शहर भर में सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों के उचित कामकाज, रखरखाव और निगरानी को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
मुंबई में वर्तमान में लगभग 8,173 सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालय हैं। इनमें से 3,110 का रखरखाव बीएमसी द्वारा, 3,641 का रखरखाव महाराष्ट्र आवास एवं क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा) द्वारा, 24 का रखरखाव कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) पहल के माध्यम से किया जाता है। जबकि बाकी का रखरखाव भुगतान और उपयोग तथा अन्य विविध श्रेणियों के अंतर्गत आता है।
वर्तमान में, लगभग 700 समुदाय-आधारित संगठन (सीबीओ) इन सुविधाओं के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं। हालाँकि, सीबीओ के साथ हाल ही में एक कार्यशाला के बाद, बीएमसी ने वार्ड स्तर पर अधिक सीडीओ नियुक्त करके अपने निरीक्षण तंत्र का विस्तार और विकेंद्रीकरण करने का निर्णय लिया है।
इससे पहले, अधिकारियों की संख्या सीमित थी और नियुक्तियाँ केन्द्रीकृत रूप से की जाती थीं।एक वरिष्ठ नागरिक अधिकारी के अनुसार, “ये सीडीओ झुग्गी-झोपड़ियों में नियमित निरीक्षण करेंगे, सीबीओ के साथ सीधे समन्वय करेंगे और कर्मचारियों के प्रशिक्षण और सेप्टिक टैंक की सफाई से लेकर सैनिटरी पैड वेंडिंग मशीनों जैसी आवश्यक आपूर्ति की खरीद में सहायता करने जैसे विभिन्न कार्यों में उनकी सहायता करेंगे।” उन्होंने आगे कहा, “सीडीओ बीएमसी और सामुदायिक संगठनों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम करेंगे, जो डेटा संग्रह और विश्लेषण, रिपोर्ट तैयार करना, आरटीआई (सूचना का अधिकार) प्रतिक्रिया, कानूनी दस्तावेजीकरण और विभागों के बीच समन्वय जैसी जिम्मेदारियों को संभालेंगे।”
महाराष्ट्र
फर्जी पहचान का इस्तेमाल कर शिनहान बैंक से 68 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में दो लोगों को 5 साल की सजा

मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने गुरुवार को शिनहान बैंक से 68.22 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के आरोप में दो लोगों को पांच साल कैद की सजा सुनाई।
अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी आरडी चव्हाण ने उत्तर प्रदेश निवासी 38 वर्षीय रजा सैयद नवाज नकवी उर्फ संतोषकुमार सीताराम प्रसाद और नई दिल्ली निवासी 41 वर्षीय वरुण राणा उर्फ संतोषकुमार प्रसाद उर्फ जुगेंद्रसिंह मामराज सिंह को दोषी करार दिया है। जबकि तीसरे आरोपी हिमाचल प्रदेश निवासी 32 वर्षीय सुमित वर्मा को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया, जबकि दो अन्य आरोपी अनुज कुमार चांद उर्फ रत्नेश और सुनीता हरेराम देवी फरार रहे।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह मामला पहले एनएम जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था और बाद में 30 दिसंबर, 2020 को शिनहान बैंक की शिकायत पर आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को स्थानांतरित कर दिया गया था। बैंक ने आरोप लगाया कि दो फर्मों आईडी टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड और लिकस ट्रेडेक्स प्राइवेट ने क्रमशः मुंबई और दिल्ली शाखा में उनके बैंक के साथ खाते खोले हैं। नकवी ने आईडी टेक्नोलॉजीज के निदेशक संतोष कुमार के रूप में प्रस्तुत किया, जबकि राणा ने खाता खोलने के लिए लिकस ट्रेडेक्स के निदेशक जुगेंद्र सिंह के रूप में प्रतिनिधित्व किया।
नवंबर 2020 में, बैंक को ओडिशा पुलिस के साइबर सेल से चिट फंड धोखाधड़ी मामले के बारे में एक नोटिस मिला। नोटिस के बाद एक आंतरिक जांच में पता चला कि दो फर्मों द्वारा खाते खोलने के लिए इस्तेमाल किए गए दस्तावेज़ जाली थे। आगे की जांच में पाया गया कि उच्च मूल्य के घरेलू लेनदेन फर्मों के प्रोफाइल के साथ असंगत थे, जिसके कारण बैंक ने मामले की सूचना RBI और मुंबई पुलिस को दी।
जांच एजेंसियों ने उस समय करीब 93 खातों को फ्रीज कर दिया था, जिनका इस्तेमाल धन जमा करने और उसे इन दोनों फर्मों के खातों में स्थानांतरित करने के लिए किया गया था।
सरकारी वकील पीएस पाटिल ने बैंक अधिकारियों और उन लोगों सहित 22 गवाहों से पूछताछ की जिनके पहचान पत्रों का इस्तेमाल खाते खोलने के लिए किया गया था।
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